Wednesday, 30 September 2020

" इश्क कमीना"!

          मुझे सचमुच नहीं मालूम था कि इश्क और गिरगिट में इतनी समानता होती है!अब देखिए ना, सतयुग में जो इश्क "इबादत" हुआ करता था, कलियुग में रंग बदल कर "कमीना" हो गया ! इश्क  का इतना अवमूल्यन तो भारतीय रुपये का भी नहीं हुआ ! पूजा,और इबादत से फिसलकर इश्क जीडीपी की तरह गिर गया ! ये प्यार मुहब्बत में संक्रमण की पहली शुरुआत थी !  इश्क मेें कमीनापन और रिश्तों में बाज़ारवाद उतार कर इश्क का वायरस समाज से कहता है , " आ गले लग जा "! इश्क का कमीना वायरस  कोरोना से ज्यादा स्पीड से इन्फेक्शन फैलाता है। इस इन्फेक्शन से पीड़ित जीव अपनी खाल नोचकर खुजली जैसे आनंद की अनुभूति पाता है ! ( वैसे, आजकल के आशिकों के इश्क और खुजली में कोई खास फ़र्क नहीं होता !)
      सतयुग बीता कलियुग आया ! जब सभ्यता गुफा युग से निकल कर एवरेस्ट पर चढ़ रही थी और डार्विन चच्चा बंदरों को पूंछ डिलीट करते और इंसान होते देख रहे थे, तब इश्क सात्विक हुआ करता था ! साइंस और सभ्यता ने इश्क को कमीना बनाने में कामयाब पहल की है ! साइंस ने तेज़ाब दिया और सभ्यता ने गर्लफ्रेंड का कॉन्सेप्ट ! लिविंग रिलेशनशिप की आज़ादी ने इश्क में प्रदूषण फैलाने वाले कमीनो को ऑक्सीजन दे दिया ! इसके बाद तो मुहब्बत के 72 टुकड़े होने ही थे! ( ऐसे आशिकों के भी 100 टुकड़े होने चाहिए ! ) कैसे कैसे गानों ने जन्म लिया है, - मुश्किल  कर  दे  जीना  इश्क कमीना -! अरे भैया काहे आग में हाथ डालते हैं! कमीने इश्क़ से दूर रहिए न ! काहे इश्क के चूल्हे में दिल को उपले की तरह सुलगाते हैं ! आप तो - जान  जले  जिया  जले - जैसी हालत में हैं ! आपको इश्क नहीं, बर्नाल की ज़रूरत है-!

       इश्क आखिर है क्या ? इस बारे में विद्वानों और भुक्तभोगियों की एक राय नहीं है!  जाकी रही भावना जैसी  वाला मामला है। सरमद का इश्क हकीकी था, सरमद की खाल खींची गई। किसी ने इश्क को आग का दरिया बताया तो किसी ने गुड़ भरी हसिया ! आज का आशिक लैला मजनू, शीरीन फरहाद और हीर रांझा को इश्क का लीजेंड तो मानता है पर कुर्बानी को अवॉयड करता है ! ये शातिर आशिक़ कुर्बानी वाले कालम में कामिनी लिख देते हैं ! इश्क कमीना हो जाए  तो आशिक के हरामीपन की सहज कल्पना की जा सकती है ! इस गाने ने हरामीपन को काफी प्रमोट किया है ! चरित्र की नई गाइड लाइन और चरित्र निर्माण का वर्तमान सेंटर बॉलीवुड है ! उनका परोसा हुआ यूनिफॉर्म सिविल कोड और कल्चर ही युवा पीढ़ी को भाता है! अब खुलेपन का रोना काहे रोते हो ! मन मंदिर में ऐसे 'आदर्श' होंगे तो पैदा होने वाला  'इश्क कमीना' ही होगा ! 
               आशिक के इश्क में कमीनेपन  का टपकना था कि फिल्मों में गीत का मुखड़ा बदल गया ! पहले इश्क का इज़हार करते हुए आशिक कितनी तहज़ब  के साथ फरियाद करता था,- ' तेरे प्यार का आसरा चाहता हूं ''-! आज के आशिक़ के पास इजहारे इश्क के लिए इतना फालतू वक्त नहीं है ! वो तो माशूका के मामले में भी आत्मनिर्भर  है ! उसके गुल्लक में तीन तीन गर्लफ्रैंड  हैं। वो प्रेमिका से डायरेक्ट कहता है " दे दे प्यार दे, प्यार दे, प्यार दे दे , हमे प्यार दे !" महबूबा धर्मसंकट में है, दरअसल घर से आते वक्त जल्दी में फोन लेकर  आ गई, प्यार वहीं छूट गया !
          इश्क़ थोड़ा और कमीना हुआ तो आशिक राहजनी पर उतारू हो गया । प्रेयसी से  इश्क फरमाने का उसका तरीका बिलकुल राहजनी जैसा है , " चुम्मा चुम्मा दे दे "! ( जितना भी पर्स में है सब दे दे!) कुछ आशिक तो शराफत की आख़िरी सीढ़ी पर खड़े हो जाते हैं, " अब करूंगा गन्दी बात "! पहले इश्क की भट्ठी में तपकर लोग शायर, कवि और लेखक हो जाया करते थे ! अब इश्क़ में कमीना  होकर तेज़ाब डाल देते हैं! आज कल फेसबुकिया इश्क की मण्डी में आशिक कम जेबकतरे ज़्यादा हैं। इनके कट पेस्ट आशिकी में कंक्रीट कम है कमीनापन ज्यादा ।
        विलियम वर्डस्वर्थ के एक कविता की लाइन है, ब्रैव मेन वर्क्स व्हाइल ऑदर स्लीप ( बहादुर लोग तब काम करते रहते हैं, जब बाकी सो जाते हैं)! हर मोहल्ले में ब्रेव मैन रतजगा कर रहे हैैं । जब बाप आटे का कनस्टर घर में रख कर सो जाता है तो युवा बेटा फ़ोन उठाकर दुनियां मुट्ठी में भर लेता है। कॉलोनी का चौकीदार चिलम पीकर सो रहा है ! उसे पता है मोहल्ले के आधा दर्जन कुंआरे युवा फ्रेंड रिक्वेस्ट की वैतरणी में तैर रहे हैं ! चौकीदार अपने स्मार्ट फोन से इलाके के चोर को मैसेज भेज रहा है, - ' साब जी, पांच और सात बजे के बीच में आना ! अभी लौंडे गर्लफ्रेंड के चक्कर में रतजगा कर रहे हैं ! आज रात तक पांच सौ वाला रिचार्ज करा देना, ढाई जीबी वाला पैक-' ! चोर , सबका साथ सबका विकास - पर अमल करता है ! बस अब चोर और चौकीदार दोनो पांच बजे तक सोएंगे और लौंडे रात भर जाग कर पांच बजे सोएंगे !  लौंडे इश्क़ के कमीनेपन में एक और साल गवायेंगे! तब तक चोर की अर्थव्यवस्था थोड़ा और मजबूत हो जाएगी  !

      स्वर्ग से धरती पर झांकते लैला मंजनू इश्क का कमीना पन देख कर सकते मेें हैं! इश्किया लौंडे का  स्मार्टफोन देखकर मजनू को हीनता का अनुभव हो रहा है। गली में जाग रहा चौकीदार का कुत्ता भौंक कर मानो लड़के से कह रहा है, " ओ मेरे बाप ! या तो तू जाग लेे, या मुझे जागने दे! एक मुहल्ले में दो युवा कुत्ते ठीक नहीं होते"!
      

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