हर चैनल की अपनी 'बड़ी खबर ' है , जो एक बार बड़ी हो गई तो महीनों उसका द इंड नहीं आता ! ऊब कर दर्शक ही कभी कभी टीवी से सन्यास ले लेता है। आप देखो या भाड़ में जाओ, मगर बड़ी खबर आपका पिंड नहीं छोड़ सकती ! सुबह हो गई मामू! कोशिश कर के भी आप सारी रात सोए नहीं! रोज़गार, आत्मनिर्भर होने की तलाश, गरीबी रेखा के नीचे जाता भविष्य, किसान आंदोलन में भ्रमित दिन की शरूआत ! आप बड़ी उम्मीद से सुबह टीवी ऑन करते हैं, बस,,,फिर उसके बाद चिरागों में रोशनी ना रही।
स्क्रीन पर एक अतृप्त आत्मा की शक्ल में एंकर नमूदार होता है! वो एक सड़क पर बदहवास सा लगभग दौड़ता हुआ चीख रहा है, - ' आज की सबसे बड़ी खबर, इस वक्त आप देख रहे हैं मुंबई की वो सड़क जिस पर से होकर "गांजा गैंग" की हीरोइन अपनी कार से गुजरने वाली है ! अभी गोवा से आने वाला उनका चार्टर्ड प्लेन वहां से रवाना नहीं हुआ है । तब तक सात आठ घंटे बने रहिए आप हमारे साथ! अभी आप इस सड़क को बनाने वाले ठेकेदार गिट्टीलाल से मिलिए जो खुद सुबह चार बजे से कंबल ओढ़े फुटपाथ पर बैठे हैं कि कब हीरोइन की कार निकलेगी '!
अगले चैनल पर और भी 'बड़ी खबर ' आ रही थी ! यहां एंकर ने गांजा को बाकायदा अध्यात्म से जोड़ दिया है। !. गांजा और चरस के गूढ़ रहस्यवाद पर बहस के लिए एक से एक कोलंबस आमंत्रित हैं ! आज की बड़ी बहस का मुद्दा है , " गांजा विमर्श"! इस गूढ़ विषय से अध्यात्म की गुठली निकालने के लिए आमंत्रित मुख्य वक्ता हैं , ' बाबा चिलमानंद जी ' ! एंकर सफाई दे रहा था, " गांजा विमर्श" पर बहस कराने के पीछे गांजे का प्रचार नहीं, ड्रग्स का गंभीर विरोध है ! गांजा,चरस दोनों जनहित में कितने अहितकर हैं, इसे बताने के लिए अब बाबा चिलमानंद जी ज्ञान की गठरी खोलेंगे "!
बाबा शायद गांजा पर डिप्लोमा लेकर आए थे। उनका गांजा विमर्श आख्यान- भूतो न भविष्य यति था! वो डकार लेे कर बोले, ' महीनों से गांजा गाथा चल रही है, पर किसी को गांजे का गधा बराबर ज्ञान नहीं! मै यूपी का ठहरा ! बचपन से ही देसी गांजा और नेपाली गांजे का अंतर जानता था ! यूं कहें कि गांजा और चिलम के साथ ही खेल कर बड़ा हुआ ! पत्ती में कितना अध्यात्म मिलता है और कली में कितना रहस्यवाद , यें अनाड़ी लोग क्या जाने! मेरे जैसे परम ज्ञानी ही जानते है कि दूसरी फसल के गांजे की कली को चिलम में डाल कर एक टान मारने पर कोरोना सहित तमाम दैहिक दैविक भौतिक रोग से मुक्ति मिल जाती है ! हमारे यूपी में तो एक कहावत है , जो ना पिए गांजे की कली ! उस लौंडे से लौंडिया भली !! कैसी कहीं?'
बड़ी खबर जारी है ! देश नशा मुक्त हो रहा है! हर चैनल अपने अपने तरीके से सतयुग की संरचना में लगा है। देश कांग्रेस मुक्त ना सही - नशा मुक्त हो जाए, यही बहुत है! इस महान लक्ष्य में महाराष्ट्र बाधा बन गया । कभी किसी ने सोचा भी न होगा कि देवताओं के देश में इतने गंजेहडी निकल आएंगे ! और,,, फ़िल्म इंडस्ट्री, वहां के लोग तो तीन साल पहले देवताओं के वंशज हुआ करते थे! एक दम से वंशावली बदल गई !
आंची मुंबई ! सतयुग के लिए तू तो हानिकारक है!!
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