Sunday, 20 September 2020

" ड्रग " डार्लिंग" और " मासूम सैयां"!

     अपना मीडिया महान ! इतना महान कि अकबर, अशोक और अलेक्ज़ेंडर जैसी महान्  शख्सियत अगर मीडिया के सामने पड़ जाएं तो हीनता  के चलते पानी पानी हो जाएं ! हीनता इस बात की कि उनके "महान" होने का क्या फ़ायदा, अगर उन्हें " गांजे" के बारे में कुछ  नहीं पता ! जीवन अकारथ गया, वह महान बनने के चक्कर में  "चरस" से वंचित रहे ! अब तीनो स्वर्ग में बैठे अपने दुर्लभ "बौद्धिक क्षति" का आकलन करके कह रहे होंगे  " काश , हमारे दौर में भी ये मीडिया होती"!
      दुर्भाग्य से मुझे भी गांजा चरस के बारे में पहले इतना गहरा ज्ञान नहीं था। भांग को तो खैर हमारी आस्था से भी 'एन ओ सी"  मिली हुई है! गांजा और चरस को मै पहले अंडर स्टीमेट कर देता था ! हाई लेवेल के ड्रग के बारे में मै घोर अज्ञानी था। अब कैफियत ये है कि पिछले पंद्रह दिन से  ड्रग के ऊपर बैठी मीडिया की खाप पंचायत देख कर पहली बार मुझे मालूम हुआ कि "गांजा ज्ञान" मै अभी नाबालिग हूं ! ( मेरी जगह कोई हयादार आदमी होता तो अब तक चुल्लू भर पानी में,,,,,,!)
      ड्रग के आभामंडल में तीनों की अपनी अपनी भूमिका देखिए,  'डार्लिंग' अपने निर्दोष और मासूम प्रेमी के लिए ड्रग का जुगाड करती है !  चरित्रवान ब्वॉयफ्रेंड गांजा ज़रूर पीता है लेकिन -  ड्रग्स के सेवन के बावजूद वो निर्मल और निर्दोष है,- ( चंदन विष व्यापत नहीं लिपटे रहत भुजंग।) "डार्लिंग" के दबाव में मासूम प्रेमी गांजा पी कर गा रहा है, - मुश्किल कर दे जीना इश्क कमीना !' सारी गलती इश्क के कमीनेपन की है !श्रद्धालु जनता तो कोरोना से लगभग कुंठित हो चुकी बुद्धि के चलते  ये फैसला करने में भी असमर्थ कि  अगर अपने प्रेमी की डिमांड पर ड्रग का जुगाड करने वाली डार्लिंग गुनाहगार है तो गांजा पीने वाला प्रेमी क्यों नहीं ?
     ड्रग पर डमरू बजा रही मीडिया पिछले दो महीने से असली " क़ातिल" को बेनकाब करने में समुद्र मंथन में लगी है,पर अमृत की जगह हलाहल बरामद हो रहा है ! गांजा के साथ डार्लिंग अंदर गई मगर कातिल अब तक बरामद नहीं! प्रेमी गांजा पी कर भी मासूम- और प्रेमिका गांजा खरीद कर ड्रग पैडलर ! बरसे कम्बल भीगे पानी का मौसम देखिए, दानव ही देवता को संस्कार की दीक्षा दे रहे हैं !
       पिछले कुछ दिनों के मीडिया मंथन से मुझे ये यकीन हो गया कि  पृथ्वी पर अगर कहीं "राक्षस" हैं तो सिर्फ  '  महाराष्ट्र' में हैं ! ( पहले नहीं थे, एक दम से धर्म परिवर्तन हुआ है!) अब तो पब्लिक को भी यकीन हो गया है कि जहां जहां राक्षस हैं, वहां वहां "कोरोना" का कलियुग है, जहां  "देवता" सत्ता में हैं, वहां सतयुग है! ख़ास कर महाराष्ट्र के कोरोना के कहर की खबरें सुन सुन कर तो  ऐसा लगने लगा है कि वहां आदमी तो आदमी शायद खुद कोरोना  को  अपनी इज्जत बचाने में दिक्कत आ रही होगी ! ये कोरोना की हिम्मत है जो ऐसे राक्षस राज़ में अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है!
          दो दिन से जबलपुर में हूं, मीडिया , रिया और कंगना के ऐतिहासिक संघर्ष से अपडेट नहीं हूं! ये प्रसन्नता का विषय है कि गांजा, चरस, हशीश , हेरोइन जैसे ड्रग्स से महाराष्ट्र मुक्त हो रहा है ! (बाकी देश में ऐसी कोई प्रॉब्लम नहीं है।)  वैसे उद्धव ठाकरे चाहें तो जनहित में इस्तीफा देकर भी वो महाराष्ट्र को  "ड्रग मुक्त" बना सकते हैं! भ्रष्टाचार, अपराध, माफिया और कोरो ना से संपूर्ण मुक्ति के लिए यही रामबाण विकल्प है!

   वैसे,,,, इस विषय में ,- हम बोलेगा तो बोलोगे कि बोलता है!!
 

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