Wednesday, 2 September 2020

[व्यंग्य चिंतन] वोट चोर पर हल्ला बोल

         [व्यंग्य चिंतन]    'वोट चोर' पर हल्ला बोल 

          मैं अभी नींद की गिरफ्त में ही था चौधरी आ गया ! उसने मुझे झकझोरते हुए  कहा, -' उरे कू सुण भारती ! इब तक  उपले की तर्या चपटा हुआ पड़ो है, इब अपणे आप कू  ठा  ले खाट ते '!
मै हडबडा कर उठ गया, -' राशन आ गया क्या ?'
     'नही, चोरी हो गया , घणी चोरी बढ गी देश मेें '!
               ' पर चोरी हुई कब ?'
     ' तारीख तो कांग्रेस वाडे बताएंगे '!
           'राशन बांटने का काम कांग्रेस को मिल गया क्या?'

    

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