मैंने हैरान हो कर पूछा " हैै तो हुआ करे , मै कोई चोर या झपटमार तो हूं नहीं ! निहायत शरीफ आदमी हूं"!
" तभी तो कह रहा हूं "!
मैं दंग रह गया ," मगर मैंने कोई क्राइम नहीं किया है "?
" तभी तो कह रहा हूं!"
अब मुझे सचमुच डर लगने लगा था ! रात अभी शुरू हुई थी और थाना दो सौ मीटर दूर था ! मैंने दिल से पूछा, " जहां तक मुझे याद है, मैंने कभी किसी से लड़ाई तो दूर- गाली गलौज तक नहीं की?"
" तभी तो कह रहा हूं"!
मेरा गला सूखने लगा , धड़कने ऐसे बढ़ने लगीं गोया मै किसी के गले से चेन खींच कर भाग रहा हूं! मैंने अपने दिल को तसल्ली दी - " मै क्यों घबराऊं! मैंने किसी के गले से चेन भी नहीं खींची ?'
' तभी तो कह रहा हूं !"
"मै स्मगलर, ड्रग डीलर, माफिया या अपराधी नेता भी नहीं हूं ?"
"तभी तो कह रहा हूं!"
थाना नज़दीक आ रहा था, मै बुरी तरह घबरा चुका था! मुझे खुद अपने ऊपर हैरत थी कि २४ कैरेट शुद्ध शरीफ नागरिक होकर मै भला थाना पुलिस के नाम से इतना क्यों डर रहा हूं ! मैंने अपने दिल से फरियाद की, " आखिर मै क्यों डरूं ?"
" तुम भरपूर डर रहे हो, और तुम्हें डरना भी चाहिए ! तुम्हें ही क्या, हर शरीफ आदमी को डरना चाहिए ! क्योंकि तुम जैसों को हर वक्त कुछ ना कुछ "खोनें " का डर लगा रहता है । इस अनजान खौफ ने तुम्हें कीड़ा बना दिया है, जो रीढ़ के बावजूद समाज में रेंग कर जीते हैं ! उनके इस खौफ से असामाजिक तत्वों को ऑक्सीजन और आत्मविश्वास हासिल होता है ! इसके लिए पुलिस नहीं, तुम खुद जिम्मेदार हो; और डरो !"
" अबे बच्चे की जान लेगा क्या ? " मै चिल्लाया !
और,,,,,, चिल्लाते है मेरी नींद खुल गई !
No comments:
Post a Comment