Wednesday, 23 September 2020

" कहो ना ' चोर ' है !"

"कहो ना चोर है"


                       मेरे गांव में चोर को चोर नहीं कहा जाता ! कैसे कहें- चोर बुरा मान जायेगा ! फिर गांधी जी ने कहा भी है कि बुरा मत मत कहो , बुरा मत सुनो और बुरा मत देखो ! गांव वाले अक्षरशः पालन करते हैं - चोरी करते देख कर लोग आंखों पर गांधारी पट्टी बांध लेते हैं ! चोर को बुरा कहने की जगह पीड़ित की गलती निकालते हैं ! चोर के अतीत और वर्तमान पर कुछ इस तरह अध्यात्म छिड़कते हैं, " वो अगर चोर है तो इसके लिए वो नहीं उसके " हालात" कुसूरवार हैं ! चोर को नहीं हमें उसके हालात की निन्दा करनी चाहिए "! पाप और पापी का ये रहस्यवाद गांव वाले निगल रहे हैं ! अब आगे से जब भी चोरी होगी , चोर की जगह हालात को ढूंढा जाएगा ! अपराध की इस नई नियमावली से सबसे ज्यादा स्थानीय पुलिस वाले  ख़ुश है !
        गांव वाले जानते हैं कि वह चोर है पर संस्कार से मजबूर हैं , चोर को चोर नहीं कह सकते ! चोर को चोर कहने के लिए जो नैतिक साहस चाहिए वो अब ऑउट ऑफ डेट हो चुका है ! उल्टे गांव के लोग चोर से बडे़ सम्मान के साथ पेश आते हैं ! चोर - भय बिन होय न प्रीत - की हकीक़त जानता है ! कई लोग उसके फन से भयभीत होकर इसके पक्के समर्थक बन गए हैं ! उनमें से कई उसके चौपाल में चिलम पीने भी पहुंच जाते हैं !  चोर का जनाधार बढ़ रहा है मगर गांव बट रहा है ! समर्थक उसके पक्ष में चमत्कारी दलील दे रहे हैं, ' वो चोर नहीं दरअसल संत है ! विरोधियों को चोरी नहीं करने दे रहा है इसलिए वो लोग एक संत को चोर कह रहे हैं ! संत के आने के बाद विरोधियों की आपदा बढ़ गई और चोरी करने का अवसर गायब हो गया !"
        चोर का एक और समर्थक आध्यात्म का सहारा ले रहा है , "- हमे चोर से नहीं चोरी से घृणा करना चाहिए ! क्या पता कब चोर का हृदय परिवर्तन हो जाए ! अंगुलिमाल पहले डकैत थे - बाद में संत हो गए ! ये जो चोर और डाकू होते हैं न ! उन्हें " संत" होते देर नहीं लगती ! हमें तो भइया पूरा यकीन है कि सिद्ध प्राप्ति का कठिन मार्ग चोरी और डकैती  से ही निकल कर जाता है ! अपन तो कभी भी उसे चोर नहीं मानते, क्या पता कब चोर और भगवान  दोनों बुरा मान जाएं !" ( भगवान तो मान भी जाते हैं पर चोर की नाराज़गी अफोर्ड नहीं कर सकते ! क्या पता कल आंख खुले तो तो घर " स्वच्छ भारत अभियान " से गुजर चुका हो !)
         गांव के दो चार मुहल्ले अभी भी विरोध में हैं, पर नक्कारखाने में तूती की आवाज कौन सुने ! जबकि अब खुलकर चोर को संत घोषित किया जा रहा है ! सुबह देर से उसके चौपाल में पहुंचा एक समर्थक चोर को सूचना दे रहा है, - " पिछली रात सुकई चाचा के घर में चोर घुसा और सब कुछ लूट लिया ! ग़लती सरासर सुकई की है , उसे आंख खोल कर सोना चाहिए था "! ( काश, सुकई को आंख खोल कर सोने की कला आती!)
       चोर ने मुंह खोला, -" मै तो गांव हित में सोता ही नहीं ! पूरी रात चिंतन, मनन और खनन में बीत जाती है ! ख़ैर, पोलिस भी आई होगी ?"
    "  हां, आई थी और चोरी के जुर्म में सुकई को पकड़ कर थाने ले गई ! दरोगा जी कह रहे थे , " ज़रूर तूने इस गांव के किसी संत को फसाने के लिए अपने घर में चोरी की होगी  ! जब तक जुर्म कबूल नहीं करेगा - छोड़ूंगा नहीं "!
     " किसी संत पर इल्ज़ाम नहीं लगाना चाहिए "!
          " और क्या ! पिछले हफ़ते जगेसर के घर में चोरी हुई और चोर अपनी सीढ़ी छोड़ गया ! पूरे गांव में किसी ने सीढ़ी को नहीं पहचाना कि उसका मालिक कौन है ! दरोगा जी ने तीसरे दिन जगेसर को पीट कर थाने में बंद कर दिया ! शाम होते होते जगेसर ने कबूल कर लिया कि उसी ने अपने घर में चोरी की थी"!
                    कुछ प्रशंसक अब बाकायदा चारण हो गए हैं , हर जगह चोर के शौर्य,सदाचार और सत चित आनंद का गुणगान करते रहते हैं , -" अगर वो कभी चोर था तो वो उसका अतीत था ! वर्तमान में वो संत है- हमें उस पर गर्व करना चाहिए !" चोर को अपने फन पर गर्व है ! कभी कभी वो चोरी और गर्व साथ साथ कर लेता है ! गांव के कुछ चारण तो उसके ' फन ' में भी रहस्यवाद ढूंढ़ रहे हैं ! चाय की गुमटी के पास शाम को एक चारण गांव बालों से कह रहा था ,- " संत और फकीरों की बातें वही जानें !उनके हर काम के पीछे दूरदृष्टि या कोई दिव्य मकसद होता है ! प्रथम दृष्टया जो हमें चोरी लग रही है, वो आत्मनिर्भरता हो सकती है " ! ( जैसे सुकई और जगेसर के दिन फिरे !) गांव वाले बहुमत का रुझान देख कर भी कन्विंस नहीं हो रहे हैं ! ये वो लोग हैं जिन्होंने कई बार रात के अंधेरे में चोर को  " आत्मनिर्भर " होकर लौटते हुए देखा है ! ( उनके मनमंदिर से वो 'दिव्य छवि ' अब तक नहीं उतरी !)
              
            आत्मनिर्भर  " संत"  अब " सरपंच " बनने की ओर अग्रसर है !.मगर गांव का दुर्भाग्य देखिए , कि "संत" की मौजूदगी के बाद भी गांव और गांव वाले ग़रीबी रेखा के नीचे जा रहे हैं !

               ( सुलतान भारती )
             

2 comments:

  1. Your write-up✍️ thought process😇 and excellence😎 is simply brilliant. I think, Thievery is an Art & they are Artist rather...

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