आधा घंटा बीत चुका है, अब भूख ने मेरा पेशेंस कुतरना शुरू कर दिया है ! बीबी के सामने मेरी स्थिति भारतीय विपक्ष की तरह दयनीय है। (कोरोना काल में बेकारी के शिकार पतियों को झेल रही बीवियां वैसे भी खाड़ी युद्ध का बहाना ढूंढ रही हैं।) अजीब स्थिति है! मुझे रोटी चाहिए , बेगम को रिया की गिरफ़्तारी। मेरा मन रोटी में लगा है और बीबी का रिया चक्रवर्ती में! मेरा दिल और तवे पर पड़ी रोटी , दोनों जल रहे हैं। मै रोटी के लिए आवाज़ देने ही वाला था कि बेगम की आवाज आई," सुनो जी! ये कलमुही कब तक पकड़ी जायेगी"?
" मेरे रोटी खाने के बाद शायद पकड़ में आ जाए! भूख की हालत में तो मुझसे दौड़ा भी नहीं जायेगा"!
बेगम ने फटकारा ," एक लड़का जान से गया और तुम्हें रोटी की पड़ी है ! कुछ तो शर्म करो !"
" रोटी जल रही है"!
लेकिन रोटी पूरी तरह जल गई थी ! उन्होंने दूसरी लोई बेल कर तवे पर चढ़ाते हुए पूछा -" पिछले महीने तो ये लड़की कातिल बताई जा रही थी, अब नशा पत्ती वाली बात क्यों कर रहे हैं?"
"मैने पैंतालीस दिन पहले क्या कहा था! यही ना, कि ये खुदकुशी का केस है! दो चार दिन और रोटियां जला लो, फिर यही बात बेहया चैनल वाले भी बोलने लगेंगे"!
सब्जी रोटी रख कर बीबी ने आंखें तरेरी -" रोटी और रिया के अलावा भी कुछ याद रहता है "!
मैं हैरान था -" मैंने तो रिया चक्रवर्ती का नाम भी नहीं लिया !"
"वही तो ! क्यों नहीं लेते उसका नाम ? उसके खिलाफ लिखो, उसे अन्दर कराओ - फांसी दिलवाओ "!
" पहले खाना खा लेने दो! अगली रोटी भी जल रही है "!
मुझे घूरती हुई बेगम किचन में लौट कर फिर "कब्रतक"
के डिबेट में असली कातिल को बेनकाब देखने की जुस्तजू में रोटी जलाने में लग गईं ! और मै सोचने लगा कि आजकल ना जाने कितने पतियों को भूख की हालत में ' रोटी 'की जगह " रिया" को निगलना पड़ रहा होगा ! अबे मीडिया के लौंडो ! काहे बग़ैर खमीर के ' नान ' सेंक रहे हो !!
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