राम की दख़ल के बाद उसने फौरन फ़ैसला कर लिया कि
अब उसे महान लेखक बन जाना चाहिए !
अब थोड़ा लेखक के दर्द की क्रोनोलोजी समझिए!
वो प्रकाशकों का रेगिस्तान पार कर के आया है ! दुर्भाग्य से अपने लेखक होने का पता उसे शादी के फौरन बाद चला, फिर उसके बाद चिरागों में रोशनी ना रही ! ज़िंदगी के २५वें बरस में बसंत उतरा था और २६ वें में पतझड़ के आसार नजर आ रहे थे! फरवरी में ही बैशाख के पसरने की नौबत आ रही थी ! सबने उसे लेखक होने से बचने की सलाह दी थी मगर , करम गति टारे नाहि टरे !
वो साहित्य जगत का उद्धार करने उतर पड़ा !
तो जनाब आपके अंदर प्रतिभा हो या ना हो, आपको बेस्ट सेलर लेखक बनाने वाले प्रकाशक आ चुके हैं।आपके अंदर लेखक होने की छटाक भर प्रतिभा भले ना हो, आप को ये प्रकाशक - हुड़ हुड़ दबंग दबंग - क़िस्म का लेखक बना देंगे ! सोशल मीडिया पर उतरे ये प्रकाशक इतने समाजवादी क़िस्म के हैं कि लेखक बनाने के लिए 'कालिदास और कल्लू मामा " में कोई भेद भाव नहीं मानते ! ( टैलेंट के आधार पर लेखक बने तो क्या बने !)
फेसबुक पर तख्ती लेकर बैठे ये दिव्य प्रकाशक तुम्हारी पहली किताब को देश और दुनियां के ५००० हज़ार स्टाल पर बेचने को उतारू हैं! ( बेशक लतापत्र लेने के बाद वो २०० किताबें भी ना छापें!) आप के टैलेंट का वज़न पैकेज के भारीपन से तय होगा। जितना बड़ा बैंक बैलेंस इतना बड़ा लेखक !
लेखक और वो भी हिंदी का, करेला और नीम चढ़ा ! एक बार आपने लेखक होने की कमेंटमेंट कर ली तो फिर आप अपने बाप की भी नहीं सुनते ! सोशल मीडिया पर लाइक औरकॉमेंट बटोर कर हर कोई गलतफहमी के झूले पर झूल रहा है ! वो ६ महीने पोस्ट डालता है, आठवें महीने बुद्धिजीवी होने का मुगालता पाल लेता है। दसवें महीने "विश्व विख्यात" लेखक बनाने के विज्ञापन पर उसकी नजर पड़ती है और १२वें महीने साहित्य के क्षितिज पर एक अल्पकालिक लेखक जन्म ले लेता है!
अब,,,,, लेखक होकर वो और दुखी है। विदेश की कौन कहे देश के किसी कोने से बधाई संदेश नहीं आ रहा है ! उसके टैलेंट की दियासलाई से साहित्य जगत में कहीं आग लगती नज़र नहीं आई ! अब लेखक का गुस्सा ईश्वर पर फूट रहा है , ' दुनियां बनाने वाले काहे को लेखक बनाया "! ताज़ी कैफियत ये है कि फेसबुकिया पब्लिशर्स से लगातार तीन नॉवेल छपवा कर "अवसर" से घोर "आपदा" मे आये लेखक ने अभी अभी ईश्वर को अपनी आखिरी इच्छा से अवगत कराने वाला पोस्ट डाला है। _
" अगले जनम मोहे लेखक ना कीजो"!
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