थोड़ी देर बाद वो घने जंगल के रास्ते श्मशान की ओर बढ़ रहे थे ! विक्रम ने अपने ' ओप्पो ' चाइनीज़ फ़ोन में टाइम देखा, रात के १.४५ हो चुके थे। आसमान में चांद बादलों के पीछे दुर्भाग्य की तरह मुस्करा रहा था । ओस की बूंदें नेताओं के आश्वासन की तरह टपक रहीं थीं! अंधेरे में जंगली जानवर इस तरह इधर उधर दौड़ रहे थे,जैसे कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल कर युवक पकौड़े का "ठीया" तलाश रहे हों ! दूर किसी बस्ती में कोई कुत्ता बड़ा इरिटेट होकर भौंक रहा था, जैसे देहात का कोई कुत्ता शहर के कुत्ते से अपने रिश्तेदार का पता पूछ रहा हो !
महाराजा विक्रम तेज़ी से आगे बढ़े! अभी वो श्मशान के सामने पहुंचे ही थे कि ठिठक कर रुक गए ! बड़ा खौफनाक मंज़र था ! श्मशान के मेन गेट के सामने चटाई बिछाकर एक शेर बैठा था ! दोनों एक दूसरे को बड़ी देर तक ताडते रहे ! आखिरकार शेर ने मुंह खोला , " काहे नर्भसाए खड़े हो ? डरिए मत, ऊ का है कि अब हम भेजिटरियन हो गया हूं- टोटल शाकाहारी ! हमने तो अपने गुफा के सामने नोटिस बोर्ड लगा दिया हूं कि 'कृपया गाय, बैल, भैंस, बकरा बकरी सब इहां से दूर जाकर चारा खाएं! चारा,,,,,मतलब घास "!
महाराजा विक्रम की जान में जान आई, क्योंकि शेर खुद को शाकाहारी बता रहा था। विक्रम ने भोजपुरी बोल रहे शेर से पूछा ," एक्सक्यूज मी सर ! आप गौवंश का शिकार नहीं करते , वो बात समझ में आती है ! भैंस का शिकार नहीं करते, क्योंकि कई बार संख्या बल आप पर भारी पड़ता है ! पर,,,, बकरे के शिकार में क्या खतरा है! बकरे को काहे अवॉयड किया सर ?"
शेर ने माथा पीट लिया, - " कोरोना में एकदम बुडबक हो गए हो का! सोशल मीडिया नहीं देखते ? आप का चाहते हो, कि हम बकरा का शिकार करूं और हमारा विरोधी लोग मीडिया से मिलकर ऊ बकरे को गाय साबित कर दें! हमरी तो हो गई "माब लिंचिंग" ! यही अनुष्ठान करवाना चाहते हो का ! हम कोई अजूबा वाली बात नहीं कह रहा हूं! ऐसा चमत्कार कई बार हो चुका है ! त्रिफला का चूर्ण है तुम्हारे पास ?"
" वो क्या करेंगे सर ?"
" का बताएं, परसो डिनरवा में बगैर सत्तू मिलाए चारा खा लिया था, तब से पेट अपसट है! ख़ैर अब आप जाइए, हम योगा करूंगा! आप जाकर कहानी सुनिए! पूरा देश बेताल से कहानी ही सुन रहा है ! रोज नई नई कहानी ! इतने दिन से रोज कहानी सुन रहे हो,पर लगता है कि अभी तक आत्मनिर्भर नहीं हुए ! बहुत ढीले हो! कुछ लेते क्यों नहीं !"
शर्मिन्दा हो कर विक्रम श्मसान की ओर बढ़ गए जहां चिताएं विपक्ष के अरमानों की तरह जल रही थीं। एक बड़े बृक्ष की ऊंची डाल पर बेताल का शव , सुशांत सिंह राजपूत के संदिग्ध हत्यारे के गिरफ़्तारी के उम्मीद की तरह, लटका हुआ था । विक्रम ने पेड़ के नीचे से बेताल को आवाज़ दी, " तू जीडीपी की तरह नीचे आएगा या बेरोजगारी की तरह मै ऊपर आऊं ?"
बेताल रोज़गार की तरह ख़ामोश था ।
अब विक्रम पेड़ पर डॉलर की तरह चढ़ा, और बेताल के शव को कंधे पर लाद कर चीन के चरित्र की तरह नीचे आया ! अभी बिक्रम ने मुश्किल से दो चार कदम बढ़ाए थे कि शव में स्थित बेताल बोल पड़ा, " राजन ! तेरा धैर्य मायावती जी की तरह प्रशंसनीय है! जिस निष्ठा, धैर्य और उम्मीद से तू मुझे ढो रहा है, उस तरह तो सतयुग मेंश्रवण कुमार ने अपने मां बाप को भी नहीं ढोया होगा ! ख़ैर, मै तेरी थकावट उतारने के लिए तुझे एक कहानी सुनाता हूं, मगर सावधान राजन ! अगर तुमने कुछ बोल कर मौन भंग किया तो शव लेकर मै वैसे ही उड़ जाऊंगा- जैसे बैंकों की इज्ज़त लूट कर "विजय माल्या " उड़ गया !"।
( क्रमश:)
( मौन होकर कहानी सुनने पर विवश विक्रम को बेताल ने कौन सी कहानी सुनाई ! और,,,,, विक्रम ने उसके प्रश्न का जवाब क्या दिया ! ब्लॉग केअगले लाजवाब एपिसोड में पढ़ना ना भूलें मित्रों !)
Nice
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