Tuesday, 1 September 2020

" आया ऊंट पहाड़ के नीचे,,,!

एक दिन मिला  "कोरोना" बिलकुल फटेहाल बदहाल!
मैंने    पूछा,  "  कैसे    हो   गए   इतने    खस्ता  हाल !!
इतने     खस्ताहाल !    यतीमी     टपके     तन     से!
हे    "क्रोना कृशकाय" ! भला     आ   रहे   कहां   से "!!

बोला  कोरोना - " एक  'डिबेट ' को  झेल    लिया  है  !
अपने   से    भी  बडा   "कोरोना"   देख    लिया    है !!
उस    दिन   से    "दुख भंजन चूरन"  फांक   रहा  हूं !
भूखा   हूं,  पर  " मोर"   से   बढ़िया   नाच   रहा   हूं !!

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