Saturday, 3 October 2020

" वो चिंतित हैं!"

           मै उनको लंबे अरसे से जानता हूं! वो अक्सर चिंतित होते रहते हैं ! वो बड़े जागरूक चिन्तक हैं! पिछले दस साल से मैंने उन्हें चिन्ता व्यक्त करते पाया है। चिन्ता व्यक्त करने के मामले में वो जड़ और चेतन में भेद भाव नहीं करते ! क्षेत्र के पत्रकारों का फोन नंबर उनके पास है, वो फौरन अपनी चिन्ता से मीडिया को अवगत करा देते हैं ! लोगों को मालूम भी होना चाहिए कि नेताजी कितने चिंतित हैं ! वो अपनी चिन्ता को कभी लावारिस नहीं छोड़ते ! वो हमारे मोहल्ले के नेता हैं।
               पिछली बार  बारिश के आने से पहले ही वो बारिश के लिए चिंतित हो गए थे! ( उनका आकलन था कि सूखा पड़ेगा।) जब बारिश हुई तो जाम लगने से चिंतित रहने लगे। दिल्ली में पानी की कमी को लेकर वो साल के चार महीने चिंतित रहते हैं! जब कभी वो अपनी चिन्ता को लेकर क्षेत्रीय विधायक या पार्षद के ऑफिस कूच करते हैं,वो लोग ऑफिस से भाग खड़े होते हैं ! विधायक का आरोप है कि वो  ' पकाते बहुत हैं!' सत्ता में बैठा 'महाबली ' जनता को अनारकली समझता है, देश हित में नाचते रहो, लेकिन नो चिन्ता - ऑनली  सावन ही सावन !
                      इस वक्त वो हाथरस को लेकर चिंतित हैं! लेकिन इस बार चिंतित होने में वो चार दिन लेट हो गए! दरअसल घर का टीवी सेट खराब था और कोरोना की चिन्ता में चौराहे तक भी ना आ सके। लेकिन जैसे ही घटना से अपडेट हुए, फौरन चिन्ता व्यक्त करने लगे, -" हमारी पार्टी सत्ता में थी, तो इस तरह के बलात्कार कभी नहीं हुए ! सरकार को नैतिक आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए"! ( इतनी शर्म होती तो लोग सियासत में क्योें आते!)
   
       वो मूर्ख नहीं है! वो चिन्ता का महत्व जानते हैं! अभी उनकी चिन्ता में हिंसा नहीं है, इसलिए सरकार को कोई चिन्ता नहीं है! अभी उनकी चिन्ता ने समूह और समाज को समेटा नहीं है, वरना उनका सियासी आभामंडल सीमित न होता ! वो जानते हैं कि राजनीति में चिन्ता की राष्ट्रव्यापी फसल बो कर सत्ता को किस तरह आत्मनिर्भर बनाया जाता है! वो आश्वस्त हैं, जानते हैं कि यही चिन्ता उन्हे दोबारा सिंहासन तक लायेगी !

     चिन्ता लगातार उन्हें उज्ज्वल भविष्य का भरोसा दे रही है! चिन्ता उनके लिए  "अमृत कलश"  है!
     वो सामाजिक चिन्ता के जागरूक परजीवी हैं !

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