Monday, 19 October 2020

"शुगरिया" ने हाय राम बडा़ दुख दीन्हा !

              अब और क्या कहूं, बाकी सब खैरियत  है ! खैरियत की लिस्ट दिनों दिन आत्मनिर्भर हो रही है, आप को भी बता देता हूं ! अठारह साल से शुगर है। दो साल से काम धंधा बंद है । आठ महीने से कोरोणा की लोरी सुन रहा हूं, " सो जा राजदुलारे सो जा "! मगर इतनी उपलब्धियों के बाद नींद कहां आती है ! शुगर ने जीवन की लज्ज़त से चीनी छीन लिया है ! शुगर सुनने में बडा़ स्वादिष्ट लगता है, मगर ज़िंदगी में ढेर सारी कड़वाहट घोल देती  है  ! 
                     ।     एन एन मेरी ज़िन्दगी का बचपना चालीस साल तक मेरे साथ रहा ! खुदा का शुक्र है कि ईमानदारी की छोटी सैलरी में बड़ी बरकत रही। लेकिन जाने कब बरकत के ढेर में छुप कर हलकट शुगर आ गई, फिर उसके बाद चिरागों में रोशनी ना रही,,,,। बात २००५ की है, किसी की सलाह पर मैंने अपनी शुगर चेक किया ! उस मनहूस दिन को कैसे भूल सकता हूं, शुगर थी - 325 एम सी जी ! चेक करने वाला घबरा गया ! बस उसके बाद - आज तक आह भर रहा हूं,- " हमसे का भूल हुई, ई जो सज़ा हमका मिली "! उसके बाद आजतक सलाह देने वालों की सूनामी ज़ारी है!
            मेरे फेमिली मित्र  " वर्मा जी ' जैसे मेरे ही बीमार होने का ही इंतजार कर रहे थे । उन्होंने आते ही मुझे टटोला " सुना है, तुम्हें शुगर हो गई है! बहुत खतरनाक बीमारी है, अल्ला जाने क्या होगा आगे ! बीमा करवाया है कि नहीं ?" 
      " करवा लिया था, मुझे पता था कि मोहल्ले में मेरी लंबी उमर की चाहत रखने वालों की कोई कमी नहीं है"!
      वर्मा जी को धक्का लगा, लेकिन उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी, " तीन सौ पच्चीस तो बहुत ज़्यादा है! इतनी शुगर में तो दोनो किडनी पंचर हो जाती है"!
  "  वो भी चेक करवा लिया। किडनी के साथ साथ लिवर, हार्ट, पेनक्रियाज सब कुछ ठीक है"!
        वर्मा जी की आशाओं पर गाज गिरी! उन्होंने फौरन मैदान छोड़ दिया, ' चलता हूं, कभी भी हार्ट फेल होता दिखे तो फोन कर देना "! अगला वेलविशर हमारा जिगरी दोस्त और पड़ोसी जगदीश चौधरी था , " उ रे कू सुन भारती ! सुना है अक  तमै शुगर  हो - गी ?"
           " हां, आज कल तो ये बीमारी आम है "!
     " रजिस्टर देख कै बताऊं सू "! 
     " रजिस्टर में क्या देखना है ?"
            " थारी दूध कौ उधारी! लेना देना खरा होना चाहिए ! थारा के भरोसा इब ! वैसे तू बढ़िया आदमी था, पर होनी कू कूण टाल सके! के बताया डॉक्टर नै ?"
       " डॉक्टर ने कहा है कि सुबह शाम उधार दूध पीने से चार महीने में शुगर गायब हो जाती है!"
         " मेरी भैंस इब ना ठा सके थारी जिम्मेदारी "!
इसके बाद मुझे पता चला कि मोहल्ले में कितने हकीम लुकमान और धन्वंतरि वैद्य मौजूद हैं ! रजाई भरने वाले रज्जू काका ने कीमती सुझाव दिया -' मेरठ में एक बाबा शुगर की दवाई देते हैं ! उनकी दवाई से छे महीने में शूगर के कीड़े मर जाते हैं "!
      " शुगर में कीड़े !!" मैं चिल्लाया
   " हां, ज्यादा मिठाई में कीड़े पड़ते हैं !"
                   एन  गांव के छेदी बाबा ने बताया, " सुबह शाम नीम की पत्ती पेट भर कर खाया करो, शुगर और अर्थव्यवस्थ दोनो कंट्रोल हो जायेगी "! तीसरा सुझाव अनोखा था, " सारी समस्या का जड़ खान पान है । हमारे ऋषि मुनि कंद मूल खा के दो ढाई सौ साल तक रिसर्च करते थे ! हिमालय पर जाकर रहो, शुगर और आबादी दोनों कंट्रोल में रहेगी "!

         पर उपदेश कुशल बहुतेरे !   ग़ालिब ने कहा है कि , मैं ना अच्छा हुआ - बुरा ना हुआ '! मुझे यकीन है कि उन्हें भी शुगर थी, और लोगों की सलाह से परेशान होकर उन्होंने ठीक ना होने का फैसला किया होगा ! अजब दुनियां के ग़ज़ब लोग, दूसरों को तब तक बीमारी भूलने ही नहीं देते, जब तक वो शरसैया पर ना लेट जाए !!

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