अब क्या बताऊं जी, जब से जेठ का महीना लगा है - मुझे फेमिली वाली फीलिंग नहीं आ रही है ! बुद्धिजीवी लोग पूछ सकते हैं कि गर्मी के महीने का फेमिली वाली फीलिंग से क्या संबंध है ! जो लोग कॉविड के लपेटे में नहीं आए हैं , उनको तो ऐसी फीलिंग आयेगी ही ! उन लोगों से पूछिए जिनके घर में कोरोना ने कुंडी खटखटाई और घर के बुजुर्ग ने दरवाजा खोल दिया ! बुजुर्ग के बीमार होते ही पहले मुहल्ले वाली फीलिंग दफा हुई और जब बुजुर्ग मर के अजनवी कंधों पर रवाना हुआ तो फेमिली वाली फीलिंग भी दम तोड गई! टीवी खराब है और सोशल मीडिया पर न सतयुग की ख़बर आ रही
है न फैमिली वाली फीलिंग ! बस हर चैनल पर कोविड वैक्सीन छितराई हुई है ।
विज्ञापन देख रहा हूं, एक सुंदर महिला को सरसों के तेल में ' फेमिली वाली फीलिंग' आ रही है ! ये जो फैमिली वाली फीलिंग है न , आजकल फेमिली के अलावा जाने कहां कहां से आ रही है। ( मेरो बेगम को मायके जाने पर ही ये फीलिंग आती है! ) ये फेमिली वाली फीलिंग अजीब अजीब सी चीजों से आने लगी है। मूड की बात है, आने पर उतारू हो जाए तो बीबी के मायका चले जाने पर भी आ जाए , और ना आना हो तो करवा चौथ के रोज फेमिली वाली फीलिंग की जगह महाभारत वाली फीलिंग आ जाए ! कुछ लोगों को फैमिली वाली फीलिंग बहुत आती है, कुछ को ढूंढने पर भी नहीं बरामद होती! बहुत से लोग ऐसे हैं कि उनकी फीलिंग में फैमिली होती ही नहीं ! कुछ लोगों में ऐसी फीलिंग तभी आती है अब फेमिली पड़ोस की हो !.कुछ प्राणियों का घर खाली हो तभी फेमिली वाली फीलिंग अंदर आती है !
आख़िर कैसे आती है ये फैमिली वाली फीलिंग ! सुना है ,- मार्केट में कोई आटा आया है, जिसकी रोटी खाने से भी ' फैमिली वाली फीलिंग' आती है। (फीलिंग का गेहूं से बड़ा गहरा रिश्ता है ! पेट भरा हो तो डकार में भी फेमिली वाली फीलिंग होती है ! ( पेट खाली हो तो दिल में चूहे और चिंगारी की फीलिंग आती है !) मुंशी प्रेमचंद जी की कहानी ' सवा सेर गेहूं' ऐसी ही फीलिंग के ऊपर है ! घर के मटके में गेहूं हो तो खाली पेट भी फैमिली वाली फीलिंग आती है ! मटका ख़ाली हो तो फैमिली की जगह क्रान्ति की फीलिंग आती है ! गेहूं का क्रान्ति से बडा गहरा संबंध है! व्यंग्य सम्राट परसाई जी कहते हैं,-" घर में गेहूं हो तो पूरा विश्व ''संकट विहीन" नजर आता है"!
मैं पहले फेमिली वाली फीलिंग को बहुत अच्छा समझता था! ( ये तब की बात है जब कोरॉना ने मुझे बेरोजगार नहीं किया था !) हफ्ते में एक दिन घर पर होता था ! चारों तरफ अगरबत्ती की खुशबू जैसी फैमिली वाली फीलिंग महसूस करता था ! फिर कोरोना आया और फिर उसके बाद चिरागों में रोशनी ना रही,,,,! अब संडे तो शनि बनकर कुंडली में पसर गया है ! कोरोना के आते ही कनस्टर का आटा और फेमिली वाली फीलिंग दोनो विलुप्त ! ( हालांकि मेहमान और कौआ दोनो गायब हैं) जिन मर्दे मुजाहिद पतियों ने लॉक डाउन का लंबा कारावास घर में काटा है, उन्हें तो सहनशीलता के लिए गैलेंट्री एवार्ड मिलना चाहिए! ऐसे किसी वीर पुरुष से कभी मार्च से मई के बीच की ' फेमिली वाली फीलिंग ' के बारे में पूछ कर देखो - लाठी लेकर दौड़ा लेगा !
फीलिंग ने बाजारवाद को हवा दी है । कुछ वॉल पेपर आए हैं जिन्हें कच्चे फर्श पर लगाने से फेमिली को ' टाइल ' वाली फीलिंग आती है। ( ये ठीक ऐसे है जैसे पनीर टिक्का खाकर कोई चिकन टिक्का वाली फीलिंग स्पार्क करे!) इस फीलिंग के चलते कई महापुरुषों ने हल्दी में घोड़े की लीड मिला कर बेच दिया , पर फेमिली को उल्टी की फीलिंग नहीं हुईं ! मै चार दिन से टीवी नहीं देख पा रहा हूं, चाहता हूं कि महाभारत के संजय वाली फीलिंग आए, पर बार बार धृतराष्ट्र वाली आ जाती है। टीवी ठीक कराऊंगा तो बेगम - कौन बनेगा करोड़पति - देखना शुरू कर देंगी ! ( केबीसी देखने से ही कुछ लोगों में कड़की के अंदर करोड़पति होने की फीलिंग आ जाती है! )ज़िंदगी के रेगिस्तान में भटक रहे साहित्यिक जीव को नखलिस्तान की फीलिंग ही नहीं आ रही !
हालात ने एनेस्थीसिया की शक्ल लेली है, फैमिली वाली हो या दुश्मन वाली - कोई भी फीलिंग महसूस नहीं हो रही । कोरोना होने पर गंध को फीलिंग नहीं होती ! दुकानदार और प्राइवेट डॉक्टर में इंसानियत की फीलिंग नहीं रही ! सियासत की "होलिका" में भाई चारे की फीलिंग नहीं होती ! कोरोना हमारे संस्कार में घुस गया शायद ! स्पुतनिक और कोविड शील्ड का कोई चक्रव्यूह काम नहीं कर रहा ! रिश्तों की फीलिंग खत्म हो रही है ! हम इंसान की जगह तमाशबीन बन कर खड़े हैं ! सड़क पर भीड़ किसी को कत्ल करती है और हम में बचाने की फीलिंग नहीं आती !
नया बाजारवाद हमे नया संस्कार दे रहा है! आटे में फेमिली की फीलिंग, टाइल में मार्बल की फीलिंग , मां बाप को वृद्धाश्रम में रख कर मदर और फादर्स डे की फीलिंग ! ज़हरीली शराब से गरीबों को मार कर अनाथालय बनवाने की फीलिंग ! ऐसी भीड़ में भला मुझ तक फेमिली वाली फीलिंग आए भी तो किधर से !! नींद तक रात में नहीं आती !!
( सुलतान भारती )
बेहद पैनी नज़र, बेहतरीन व्यंग,
ReplyDeleteसियासत की बिसात पर कलम ने बिछाई है सत्ता की समझ
ReplyDeleteशुक्रिया सद शुक्रिया आप दोनो का ।
ReplyDelete