Thursday, 21 November 2024

[व्यंग्य चिंतन] बंट जाओ प्लीज, थोड़ा काटना है

           'व्यंग्य चिंतन'
बंट जाओ प्लीज, थोड़ा काटना है 

      अब का बताएं भैय्या, हंगामा सा बरपा है ! कोई काटने वाला है, जो सिर्फ इस बात काटता है कि लोग बाँटने पर आमादा 

Tuesday, 19 November 2024

हाफ वर्ल्ड

                 हाफ वर्ल्ड 

                  चारों तरफ से समंदर नें उस टापू को अपने आगोश में ले रखा था और टापू के  खूबसूरत बीच पर खड़ी 6 लड़कियां समुद्र की ओर ख़ामोशी से देख रही थीं ! उन में एक नीग्रो लड़की थी और 5 गहरे गोरे रंग की ! सभी नें एक जैसी यूनिफॉर्म पहन रखी थी और उन्होने अपने हाथों में एम वन एसाल्ट राइफल थाम रखी थी ! वो समंदर की ओर ऐसे देख रही थीं,  जैसे लहरो के नीचे से उनका कोई दुश्मन निकलने वाला हो ! 
   वो परियों की बेटियाँ थीं,  ऐसा उन्हें बताया गया था ! उन्हें समंदर के बाहर की दुनियां के बारे में कभी नहीं बताया गया ! 'ग्रान्ड मदर' ने उन्हें विपरीत लिंगी जीव के बारे में कभी कोई जानकारी नहीं दी थी ! उन्हें सेक्स , शर्म और धर्म से मुक्त शिक्षा दी गई थी ! देखने में वो सभी इतनी खूबसूरत थीं कि छू लेने मात्र से उनके मैला हो जाने का शक होता था ! उन्हें यह भी नहीं पता था कि वो सभी बेहद गोपनीय प्रोजेक्ट ' हाफ वर्ल्ड ' का हिस्सा हैँ  ! वो सभी युवा लड़कियां खामोश थीं और फ़िज़ाओं में समंदर की लहरो के तट से लगातार टकराने का संगीत सुनाई दे रहा था !
                      ( अंदर के किसी पेज से,,,,,,)

  सुल्तान भारती तिलिस्मी अल्फाज़ की आकाश गंगा रखते हैं! मेरे प्रकाशन से यह उनकी 6 ठवी किताब है ! किताब खोल कर 2 पेज पढ़िये , मेरा दावा है आप उनके शब्द सामर्थ्य, शैली और शख्सियत  के मुरीद बन जाएंगे !
                          नित्यानंद तिवारी 
                              [ प्रकाशक]


Monday, 11 November 2024

[ व्यंग्य भारती ] 'रोटी बेटी माटी'

व्यंग्य "चिंतन"

           'रोटी'   'बेटी'   'माटी' 

    'अरे ओ झुरहू काका,  इतनी सुबह कहाँ बदहवास होकर भागे जा रहे हो, जल्दी में लोटा लेना धूल गये का' ?
      " का बताएं बचवा ! कल नेता जी का भाषण सुनने के बाद रात भर नींद नहीं आई- ! अब खेत देखने जा रहा हूँ कि अपनी जगह है या कोई लेकर भाग  गया-! बड़ी मुसीबत है,  नीलगाय देखू या घुसपैठ-!'
       ' कौन घुसपैठ कर रहा है?'
    " वही जो रोटी, बेटी और माटी छीनने की घात में है , पिछले चुनाव में मंगल सूत्र छीनने की घात में था, पर नेता जी ने वोट लेकर बचा लिया था ! वैसे ससुरा आता तो भी घर में मंगल सूत्र न पाता-!'
        'क्यों ?'
    " सुखना की शादी में खेत गिरवी रख कर पांचू लाला से पैसे लिए थे ! फिर खेत छुड़ाने में तेरी काकी का मंगल सूत्र चला गया ! इस बार कोई नया घुसपैठिया है जो मंगलसूत्र की बजाय माटी, बेटी और रोटी सब छींनने की घात में है-! एक ही तो खेत बचा है '!
   " बुढ़ापे पर रहम खाओ काका ! इस उम्र में इतना दौड़ना घातक है-"!
 "तौ फिर का करी बचवा" ! 
       " नेताओं को सिर्फ वोट दिया करो,  उनके भाषण पर यक़ीन करने लगे तो नींद नहीं आएगी"!
             " हाँ  बेटवा, कल बड़ी मुश्किल से सोये तो सपने में 'पांचू लाला' को देखते ही आंख खुल गई "!
     " ऐसा क्या देखा?"
   " पाचू लाला मेरा खेत कंधे पर रखे शमसान की ओर भागे जा रहे थे,  मुझे याद है,  उन्होंने मुझे देख कर जुबान निकाल कर चिढ़ाया भी था-!" 
   " फिर तो ज़रूर जाओ ! इसी बहाने तुम्हें पता भी चल गया कि घुसपैठिया  बाहर का नहीं है-"!
        " का करें बचवा ! गरीब आदमी को सबसे डरना पड़ता है! सत्तर साल हो गये, डर जाता ही नहीं ! अब तो भूख से ज्यादा चुनाव डराता है-"!
     झुरहू काका चले गये,  ये देखने कि माटी और रोटी बची या नहीं ! 
   गावं से शहर तक  एक अज्ञात खौफ़ वायरल है! बहुसंख्यक को डराया जा रहा है, - " देवतादल को वोट  दो,  वर्ना राक्षस दल जीता तो,,,,ग़ज़ब भयो रामा जुलम भयो रे-! ऐसी महादशा आयी तो तुम्हारी महिलाओं के मंगल सूत्र छींन लिए जाएंगे"! ( आजादी के 75 साल बाद अब " राक्षस समुदाय" की नाभि का अमृत अचानक ऐक्टिवेट हो गया है है-! हनुमान जी ने आग लगा कर लंका का सारा सोना राख कर दिया था,  अब वो नुकसान मंगल सूत्र छींन कर पूरा किया जाएगा-!)
        तुलसी दास ने कहा था, - भय बिन होय न प्रीत-! उस दौर में  'प्रीत' की बड़ी मार्केट वैल्यू थी, आज ' बाँटने' और काटने' का नारा प्रीत पर भारी है ! [ वक़्त वक़्त की बात है , अब डेटर्जेन्ट से बने दूध का 'खोया' असली पर भारी है-! ढाबा से लेकर गाँव की शादी तक 'पनीर' की गंगा बह रही है-) हर जगह बिना  भय के 'प्रीत' का बोलबाला है ! पहले मिलावट में भय था,  अब प्रीत है ! अब शैम्पू से तैयार दूध में ज्यादा मोटी मलाई पड़ती है!
      सियासत में अब 'शेर' की तादाद बढ़ रही है! पार्टी के चारण गली में नारा लगा रहे हैँ, - 'देखो देखो कौन आया-!' भीड़ पहचान बता रही है-' शेर आया! शेर आया-!' पान की गुमटी पर एक बुजुर्ग शेर की तारीफ़ कर रहा है,-' तीन कत्ल और एक दर्ज़न डकैती का केस चल रहा है ! बलात्कार के केस में तीन महीना पहले अंदर गये थे ! पिछले हफ्ता ज़मानत पर बाहर आए हैं ! इस बार भी यही जीतेगे -! मुन्ना भैय्या के होते मजाल है कि कोई दूसरा क्षेत्र में दबंगई करे-!'  'भय' ने  'प्रीत' का माहौल बना दिया है ! चुनाव से पहले का विकास अंकुर ले रहा है ! अगली गली में नारा लग रहा है-
       "मंगलसूत्र"- की मज़बूरी है !
       "मुन्ना भैय्या "  ज़रूरी   है !!
मुन्ना भैया की सख्त ज़रूरत वायरल हो रही है!
               कभी हमारा देश- विभिन्नता में एकता-के लिए जाना जाता था, आज एकता की बजाय - बांटने और काटने- वाला नारा ज्यादा पापुलर है ! बड़े वाले विकास पुरूष डरा रहे हैँ कि 'देवता दल' को वोट न दिया तो 'दानव मोर्चा' पॉवर में आ जाएगा ! उनके सत्ता में तुम्हारा 'कटना' तय है,  खैरियत इसी में है कि ' बंटने' से बचो !  
     आकाशवानी होते ही सभी चुनाव पहचान पत्र लेकर लाइन में खड़े हो गये! कोई इतना भी नहीं पूछ रहा कि काटेगा कौन ! क्या देश संविधान विहीन हो चुका है ! पुलिस की भूमिका खत्म हो गयी है ? बहरकैफ, नई सुरक्षा व्यवस्था में सिर्फ देवताओ की पार्टी को वोट देने मात्र से सुरक्षा चक्र प्राप्त हो जाएगा !  लेकिन यक्ष प्रश्न तो ये है कि काटने  वाला कौन है, कहां का है और कहां रहता है? कभी मंगल सूत्र , कभी घर पर कब्जा और इस बार रोटी बेटी और माटी तीनो पर कब्ज़ा करने की तैयारी ! प्रशासन इतने बड़े अपराधी की सारी गुप्त योजनाएं कैसे जान लेता है? और जान लेने के बावजूद उन पर कोई ऐक्शन क्यों नहीं लेता ? 
      मैं भयभीत होने की कोशिश में बार बार चिंतित हो रहा हूँ !  शाम होते होते खबर चौधरी तक पहुंची तो उसने सुबह होने का भी इन्तेज़ार न किया,-'  उरे कू सुन भारती ! यू बाँटने अर् काटने का के मामला सै -! घना हंगामा है -!'
     "  मैंने भी सुना  है, पर कोई नहीं बता रहा है कि बांट कौन रहा है!'
      ' बुद्धि लाल  बता रहो, अक् कोई पंचर वाड़ा "अब्दुल"  है जो पहले मंगलसूत्र खींच कै भागा था, इब के भैंस अर् तबेला ठाकर भागने वाड़ा सै -! एक घंटे ते ढूंढ रहा हूँ,  कित मिलेगो -?'
 
           तब से मैं खुद परेशान हूँ,  लोग हर चुनाव में चौधरी को भड़का देते हैं  ! मेरे खुद समझ में नहीं आ रहा कि हर चुनाव से पहले 'अब्दुल'  पंचर का काम छोड़ कर  'चंबल' क्यों चला जाता है!
           अब  फिर "पंचर वाले अब्दुल" को "सुल्ताना डाकू" साबित किया जाएगा !

              ( Sultan bharti)
       

Friday, 18 October 2024

व्यंग्य 'चिंतन' "शहर में दंगा "

(व्यंग्य 'चिंतन')

शहर में दंगा 
  
     अचानक शहर में सकता छा गया! देखते ही देखते पूरे शहर में खबर बिजली की तरह फैल गई कि शहर में दंगा हो गया है ! ( शायद विकास का और कोई विकल्प था ही नहीँ!) चिंतित घर वालों को अफ़वाहों में तैर रही ख़बरे और डरा रही थीं, -चौक के पास जुलूस पर पथराव हुआ है- !
   मोहल्ले वाले आपस में बात करने लगे -' पथराव 
     किसने किया '?
" दंगायी लोगों ने "!
     "मगर क्यों?"
" वो कह रहे  थे कि  डीजे  पर गाली मत बजाओ ! क्यों न बजाए ! हमारी आस्था है  ! इसी बात को लेकर जलूस के लड़कों की आस्था ज्यादा आहत हो गई और उसमें से एक लड़के ने छत पर चढ़ कर उनका हरा झंडा रेलिंग समेत गिरा दिया ! बस इतनी सी मामूली बात पर उसे मार डाला गया,  देश में कानून व्यवस्था कितनी खराब है '! 
   " डी.जे. पर गाली क्यों बजाई जा  रही थी ?'
  ' सिर्फ आस्था के भरोसे जुलूस में कौन जाएगा दादा ! आज कल तो रामलीला में भी फ़िल्म के गाने और डांस चलता है !"
 एक युवक ने 'शुभ समाचार' दिया , -' अब दंगायी लोगों की लिस्ट बनाई जा रही है, इस बार बुलडोज़र  की ड्यूटी लंबी चलेगी-'!
    " पर चलेगा किस पर?"
   "उन्हीं लोगों पर,  जो हमारा जलूस देख कर पथराव करते हैँ "!
     " पर राम पदारथ बता रहे थे कि पथराव भी जलूस की तरफ से किया गया था !"
 " तो का करें ! वो पथराव कर ही नहीं  रहे थे तो कब तक इन्तेज़ार करते ! दंगा के लिए हम किसी और पर निर्भर क्यों रहें !" 
   टीवी पर खबर आ रही थीं, - शहर में हुए दंगे को लेकर प्रशासन एक्शन में आ गया है! दंगा ग्रस्त इलाके के आसपास "अवैध मकान,  दुकान,और धार्मिक निर्माण " को चिंहित करने का काम शुरू कर दिया है, ताकि 48 घंटे की नोटिस पर अवैध निर्माण गिराये जा सके -!
      एक बुजुर्ग से न रहा गया, -' इतने अवैध निर्माण ! प्रशासन ने पहले क्यों नहीं गिराया- '!
        न्यूज सुन रहे दूसरे बुजुर्ग बोल उठे-" दंगा होने के बाद प्रशासन का मोतियाबिन्द दूर होता है भैय्या-'!
     अगले दिन गोदी मीडिया के पत्रकार और सोशल मीडिया के यू tuber मवाद पैदा करने निकल पड़े ! दंगा में लुट कर जल चुकी एक दुकान को तोड़ रहे एक बुजुर्ग आदमी को देखते ही 'चीखता है भारत' के पत्रकार ने अपना ज्ञान उड़ेलना शुरू कर दिया, -' देखिये दिन दहाड़े एक दंगाई सीढ़ी लगा कर एक दुकान तोड़ रहा है! प्रदेश में इतना सख्त कानून व्यवस्था होते हुए भी दंगाई कितने बे खौफ़ हैँ आप देख सकते है ! दंगाई की ये ताज़ा तस्वीरें आप सबसे पहले मेरे चैनल पर देख रहे हैँ !'
   तभी सड़क से पुलिस की एक कार सायरन बजाती गुजरी , पत्रकार चिल्लाया, -' देखा आपने , पुलिस की हिम्मत नही पडी कि वो इस दंगाई को दीवार तोड़ने से रोक सके ! दाढ़ी और टोपी से आसानी से पहचान जा सकता है कि ये बुजुर्ग पत्थरबाज किस समुदाय से  है ! देखने से ही लगता है कि उसने पहले दुकान लूटा होगा, फिर जलाया होगा और आज ऑन कैमरा दुकान तोड़ कर उस पर कब्जा करने आया है-'!
  उसी वक़्त एक और एंकर आ पहुंचा,  थोड़ी दूर से ही माइक आई डी ऑन करके चिल्लाया ,-" लोग अपने अपने घर में हैं,  सन्नाटा जैसी स्थिति है! लेकिन इस हालत में भी दंगाई  बे खौफ़ होकर लूट पाट में लगे हैं ! अब मैं जो तस्वीर दिखाने जा रहा हूँ, उसे देख कर आपके होश उड़ जाएंगे ! एक दंगाई मेरे कैमरे की पकड़ में है ! उसके हाथ में एक बेहद खतरनाक हथियार है, जिससे पल भर में अच्छे भले युवा घर को धूल में मिलाया जा सकता है ! सब कुछ देखने से पहले आप मेरे चैनल को subscribe ज़रूर कर लें ! बुरे दिन चल रहे हैँ, चैनल आत्मनिर्भर रहेगा तभी आप मन भावन न्यूज सुन जायेंगे! गला सूख रहा है, दुकानें बंद हैं और परसों से पिया भी नहीं है-"!
    एक पल रुक कर एन्कर फिर शुरू हुआ, -" इस आतंकी और दंगाई को गौर से देखिये,  सर पर टोपी और हाथ में घातक फावड़ा ! इस उम्र में भी इस का मन दंगा, लूट औऱ आतंकी गतिविधि को समर्पित है ! ये हाहाकारी तस्वीरें सबसे पहले आप हमारे 'सतयुग' चैनल पर देख रहे हैँ ! चलिए मैं इस बुजुर्ग दंगाई से खुद बातचीत करने की कोशिश करता हूँ, कहीं यह ओसामा का गुरु 'अल जवाहिरी' न हो, बने रहें सतयुग के साथ-"!
    लेकिन तब तक वहाँ पहले से खड़े चीखता है भारत के पत्रकार ने बुजुर्ग का बाइट लेना शुरू कर दिया था, -' आप कब से इसे तोड़ रहे हैँ  -'!
       बुजुर्ग ने ख़ामोशी से पत्रकार को देखा और अपने काम में लगा रहा ! पत्रकार ने अगला सवाल दागा, -" आपने इस घर में आग कब लगाई थी ?" 
   इस बार भी बुजुर्ग कुछ नहीं बोला ! पत्रकार ने तीसरी बार पूछा,- " जिस दुकान को लूटने के बाद आपने आग लगाई और अब ध्वस्त करने में लगे हो,  उसके मालिक का नाम क्या था, जिंदा है या जला दिया गया-"! 
      "जिंदा है , मगर मुर्दा समझो बाबूजी-"!
 पत्रकार चीखता हुआ बोला,-' ये कुबूल कर रहे हैँ कि दुकान का असली मालिक अभी जिंदा है,  लेकिन मुर्दा से भी बदतर है! इसका मतलब उसे भयानक यातनायें दी गयी हैं, हो सकता है कि गर्दन न काट कर उस के हाथ पैर काट लिया हो-'! 
   सतयुग चैनल वाला बीच में ही बोल पड़ा -" शांति पूर्ण जुलूस पर आप लोग पत्थर क्यों मारते हैं ?"
     " मैं नहीं जानता बाबूजी-!"
    " आपके लड़कों ने पत्थर मारा होगा,  कितने बेटे हैं,  दस या बारह ?" 
  "एक" !
  दोनों पत्रकारों को धक्का लगा ! दूसरे वाले ने अपने गिरते हुए मनोबल को संभाला, -" आपका बेटा अब कहां है-?"
     " कुछ पता नहीं है,  पुलिस घर से उठा कर ले गई थी,  अब कहते हैं कि हमें पता नहीं-" ! इतना कह कर बुजुर्ग फफक कर रोने लगा !
     'चीखता है भारत' का पत्रकार ऐसे चीखा गोया ख़ज़ाना हासिल हुआ हो, -" शहर में हुए दंगे का मुख्य आरोपी फरार है  ! सूत्रो से मिली जानकारी के मुताबिक़ उसी ने धार्मिक जुलूस पर हमले की अगुवाई की थी ! उसके घर वाले रो रहे हैँ, लेकिन अब पछताये होत क्या,,,,!"
    सतयुग चैनल वाले ने बुजुर्ग से पूछा, -" जिसे तोड़ रहे हो उस दुकान के मालिक का नाम क्या है?'
 " साबिर अली "!
    नाम सुन कार दोनों को सदमा पहुंचा,  पहले वाले ने धीरे से पूछा- " तुम्हारा क्या नाम है?"
     " साबिर अली ! मेरे पास बुलडोज़र को देने के लिए पैसा नहीं है, इसलिए अपना ही घर खुद गिरा रहा हूँ बेटा भी गया और  घर भी ! कल से भीख माँगा करूँगा-"!
    जैसे गाज़ गिरी हो ! दोनों ने एक दूसरे को ऐसे देखा, जैसे कह रहे हों- सब धन धूल समान ! 

          'विस्फोटक ख़बर'  बनते बनते अचानक कोमा में चली गयी थी !

           ( sultan bharti)
     


Wednesday, 18 September 2024

('व्यंग्य' चिंतन ) "सितंबर में- हम कू हिन्डी मांगटा"

(" व्यंग्य" चिंतन)

' सितंबर में- हम कू हिंडी  मांगटा'

           अब यही समस्या है दुरंत ! "ऊपर" से आदेश है कि मंत्रालय के बाहर एक बैनर लगा दिया जाए कि हम हिन्दी पखवारा मना रहे हैं! आज से 15 दिन  तक लगातार हम सारे काम हिन्दी में करेंगे ! इसमें चाहे जितनी बाधा आए, हम 15 दिन पीछे नहीं हटेगे, आखिर हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा है-'!
इसके बाद हिन्दी के प्रति मोह और माया दोनों बंधन मुक्त होकर बैनर में छलकने लगे ! कई ऑफिस और बैंक के गेट पर हिन्दी प्रेम साफ साफ चुगली कर रहा था, - कि  ये तो कुछ ज्यादा हो गया-! एक बैंक के सामने बैनर लगा था,- हिन्दी हमारी राष्ट्र भाषा है, आओ इसे विश्व भाषा बनाएं-! (और ये महान काम भी उन्हें सितंबर में ही याद आता है !)
अक्टूबर लगते ही वो तमाम मोह माया से मुक्त हो कर अपने बच्चों के लिए ' इंग्लिश स्कूल ' ढूँढने में  लग जाते हैँ-!
        कमाल तो ये है कि हिंदी पखवारा मनाने का ऐसा बैनर दिल्ली के वो सरकारी अस्पताल भी   पूरी दिलेरी से  लगाते हैं जिनका एक भी डॉक्टर दवाई का नाम हिन्दी में नहीं लिखता ! इसके बावजूद हिन्दी के प्रति उनकी अगाध आस्था देखिये,  वो सितंबर का पूरा एक पखवारा  हिन्दी को विश्व भाषा बनाने में खर्च कर देते हैं ! अपने देश का डॉक्टर हिन्दी सिर्फ घर में बोलता है! ड्यूटी पर तो  छींक भी आ जाए तो अँग्रेजी में 'सोरी' बोल कर खेद व्यक्त करता है! इस से हिन्दी के प्रति उसके 'समर्पण' और अँग्रेजी के प्रति  'कर्त्तव्य' का पता चलता है! पार्टी में अँग्रेजी बोल कर वो गर्वित होकर टोह लेता है कि मौजूद लोगों पर उसकी विद्वता की कितनी छींटे पडी हैं ! कुछ लोग तो अपने अनपढ़ घरेलू नौकरो को भी अंग्रेज़ी में  डान्टते हैं ! इसके दो फायदे हैं, - एक- नौकर पर रोब ग़ालिब होता है, और नौकर को चूंकि अंग्रेज़ी नहीं आती,  इसलिए वो उतना बुरा नहीं मानता ! ( रिंद के रिंद रहे,  हाथ से जन्नत न  गई-!)
    हिन्दी पखवारा चल रहा है,  लोग घर में अंग्रेज़ी अखबार पढ़ रहे हैं! वर्मा जी अपने बेटे को अगस्त महीने में ही  सलाह दे रहे थे, -'  घर में अँग्रेजी बोलने की कोशिश करोगे तभी इंटरव्यू क्लीयर कर पाओगे ! लेकिन तुम्हारे कान पर तो ताला लगा है ! अगले महीने हिन्दी दिवस है, मैं चुप रहूँगा, किंतु गांधी जी के महीने में अगर अंग्रेज़ी बोलने से अना कानी की तो कान उखाड़ लूँगा--'
  " मगर हिन्दी हमारी राष्ट्र भाषा है"!
" मुझे कोई एतराज़ नहीं हैं,  बस तुम अंग्रेज़ी बोलना शुरू कर दो-"!
      " अब तो हिन्दी में भी इंटरव्यू होने लगा है!"
' तो तुम्हें अंग्रेज़ी पसंद नहीं है?'
      " हिन्दी में जो मिठास है, वो अंग्रेज़ी में कहा !"
  "अंग्रेज़ी के बग़ैर कैरियर से मिठास उड़ जायेगी "!
      " आप तो घर में अंग्रेज़ी नहीं बोलते "!
 " मेरे बाप ने मुझे गावं में बढ़ाया था ! वो अंग्रेज़ और अँग्रेजी दोनों के दुश्मन थे "!
 " लेकिन पिछले हिन्दी दिवस पर आप मंच पर लोगों को शपथ दिला रहे थे कि हिन्दी को विश्व भाषा बना कर दम लेंगे-"!
    वर्मा जी गुस्से में लाल हो गये, -' बहुत ज़बान चलने लगी है, बाप से ज़बान लड़ाता है,  चल उन्तालिस का पहाड़ा सुना-'! 
 बेटे ने अँग्रेजी का कड़वा घूट गले के नीचे उतारा !
       'बुद्धि जीवी' जी हिंदी के मंचपछाड़ कवि हैं, उनकी कविताओं से पीड़ित शहर की साहित्य सभा ने उन्हें मंच से बनवास दे रखा है ! लेकिन बुद्धिजीवी जी नें हार नही मानी ! वो बग़ैर बुलाए मंच पर रचना समेत पहुंचने लगे ! उन्हें देखते ही समस्त साहित्यकारों में कोरोना जैसा आतंक फैल जाता ! दो तीन कवि सम्मेलन में अराजकता और असफलता के बाद आयोजक और बुद्धिजीवी जी में आखिरकार इस बात पर सहमति हो गयी कि उन्हें भी पारिश्रमिक दिया जाएगा,लेकिन वो उस दिन कवि सम्मेलन से दूर रहेंगे ! बुद्धिजीवी जी को इस सौदे में कोई खोट नजर आया ! 
         साउथ इंडिया के रहने वाले एक मंत्री जी साहित्य सम्मेलन में राष्ट्र भाषा हिन्दी की खूबसूरती पर प्रकाश डाल रहे थे , -' हिन्दी स्पीकिंग और रीडिंग  बहुत इजी ! हिन्दी दिवस वेरी गुड ! हिंदी पखवारा में गुड फीलिंग्स आता ! ये अभी हमारा नैशनल लैंग्वेज,  बट विश्वगुरु होने के बाद वर्ल्ड लैंग्वेज बनेगी- यू नो ? चलो इस बात पर ताली बजाने का ! एक स्लोगन रिपीट करने का-

सितंबर  मंथ का क्या पहचान !
'हिन्दी    भाषा    बने    महान' !!

      सितंबर खत्म, बैनर वापस आलमारी में! अलविदा हिन्दी पखवारा ! ये 15 दिन सरकारी बाबुर्ओं पर कितना भारी पड़ता है! वहीं हम हिन्दी  प्रेमी उत्तर भारत के लोगों का खोया हुआ मनोबल वापस आ जाता है ! शायद हम यूनिवर्स में पहले ऐसे लोग हैं जो अपनी राष्ट्रभाषा को पूरा साल देने की जगह एक पखवारा देते हैं ! कल 30 सितंबर है,  तो अलविदा हिन्दी पखवारा ! कुर्बानी के इसी 15 दिन से साल भर काम चलाओ ! अपना हीमोग्लोबिन दुरुस्त करो ! 'कथित हिन्दी प्रेमी' अगले सितंबर में फिर राष्ट्र भाषा के लिए पूरे एक पखवारे की कुर्बानी देंगे !

    तब तक के लिए हिन्दी के प्रति उनका मोह 'कोमा' में रहेगा !

                      [ सुल्तान भारती]
 


Sunday, 18 August 2024

("व्यंग्य" चिंतन ) सबका साथ सबका विकास

'व्यंग्य' चिंतन 

'सबका साथ सबका विकास'

 आसमान से गिरे ख़जूर में अटके ! सामने हाल में सोने की बजाय मैं ये सोच कर छत पर बने कमरे में सोने चला गया कि चौधरी समझेगा कि मैं घर में नहीं हूँ! अभी मुझे ठीक से नींद की खुमारी भी नहीं आ पायी थी कि चौधरी आ गया-' नीचे कूलर की हवा गरम लग रही- के ! दो घंटे ते कितै हाँड रहो!'
     ' पर मैं तो कहीं गया ही नहीं-!'
   'मन्ने के बेरा '- चौधरी कुर्सी पर बैठता हुआ बोला-'इब नू बता अक थारा विकास हो गयो के'?
     नींद के खुमारी की वज़ह से मैं कुछ और समझा,  मैंने कहा, - ' वो तो तीस साल बीत गए ! अब तो बच्चे काफ़ी बड़े हो गये !'
 चौधरी बिगड़ गया, - ' केले ही विकास कर लई मन्ने बताया कोन्या ?'
   जैसे अंगारा छू लिया हो,  मैं एक दम से खुमारी से बाहर आ गया! मैंने तुरंत सफ़ाई दी, - 'मैंने समझा तुम मेरी शादी के बारे में पूछ रहे हो!'
  ' मेरे गैल तू भी बुढ़ापे में आ लिया पर  'लव जिहाद' ते इब तक बाज न आ रहो-'!
   " अब मैंने क्या किया?"
       ' परे कर लव जिहाद ने,  नू बता- थारा विकास हो लिया, या कॉंग्रेस ने रोक रख्या सै ?'
   'कॉंग्रेस कैसे विकास रुकेगी,  वो तो विपक्ष में है!'
  'तभी तो कोई विकास ने होने दे रही ! न खुद विकास कर रही, अर् न होने दे रही ! इब केले प्रधान मंत्री जी के करें-!'
     विकट समस्या थी ! टीवी में खबर सुन कर चौधरी रुके हुए विकास को लेकर चिंतित था ! बस उसे शंका थी कि कहीं कॉंग्रेस से सांठ गांठ करके मैंने चुपचाप अपना विकास न कर लिया हो ! मेरी तरफ से आश्वस्त होकर चौधरी ने नई शुरुआत कर दी, -'देश की अर्थव्यवस्था घनी ऊपर लिकड़ गी, इब भैंस तो सस्ती हो ज्यागी ?'
    मेरी नींद उड़ चुकी थी ! ऊपर से चौधरी के सारे सवाल ' विकास' और  'आत्मनिर्भरता' के बारे में थे, जिसमें हम दोनों ही कुपोषण के शिकार थे ! चौधरी भैंसों के भविष्य को लेकर चिंतित था और मेरा खुद उसकी भैंसों से मानवीयता का नाता था!(  इन भैंसों ने ही कहीं न कहीं हम दोनों को एक बेहतरीन रिश्ते में बाँध रखा था !) 
     मैंने कहा ,-' सरकार तो किसानों के हक में है ! बहुत सारी स्क़ीम लाई है ! मुर्गा, बकरी,गाय और भैंस का फॉर्म खोलने के लिए  शहर से देहात तक किसान फायदा उठा रहे हैँ-!'
   चौधरी ने फिर सवाल दागा, -' पर कदी कॉंग्रेस ने विकास रोका, फिर,,,,,!'
  'कॉंग्रेस बनवास काट रही है,  वो क्यों किसानों का विकास रोकेगी ?'
   मेरे बारे में चौधरी की शंका थमने का नाम ही नहीं ले रही थी,- 'मेरे धोरे एक सवाड़ हा, सही सही बतावेगो-'?
     ' किस बारे में-?'
  ' तेरी आत्मनिर्भरता के बारे में-'!
' पूछ लो "!
      " इब के लोकसभा चुनाव में कॉंग्रेस ने घनी सीट लूट लई , इब तेरे धोरे कितने मंगलसूत्र इकठ्ठा हो गये-?"
     मैं तो आसमान से गिरा,ये कैसा सवाल था ! मैंने घबराकर पूछा,-' क्या मुफ़्त अनाज की योजना में गेहूं के साथ मंगलसूत्र भी मिलने लगा है-'?
         चौधरी ने मुझे चेतावनी दी, -' घना बुद्धिजीवी होने की ज़रूरत कोन्या-! मोय पतो है-अक् -कॉंग्रेस कू वोट देकर तम लोग मंगलसूत्र लूटना चाह रहे,  पर के कर सकै, सत्ता में आने के लिए आत्मनिर्भर न  हो पाए ! फिर भी इतनी सीट पाकर थोड़ा बहुत मंगलसूत्र तो छींना ही होगा ? के करेगा इतना लूट कै -! ऐसी आत्मनिर्भरता किस काम की ?"
              मुझे हंसी आ गई-' अच्छा तो मेरी ये वाली आत्मनिर्भरता तुम्हारे गले में अटक रही है ! भाई मेरे,  मैं लूटपाट में आत्मनिर्भर होने के मामले में बिलकुल अयोग्य हूँ ! मंगलसूत्र की कौन कहे मैं तो किसी का मोबाइल भी छीन कर नहीं भाग सकता ! अल्बत्ता दो बार चोर मेरा मोबाइल लेकर भाग चुके हैं ! अब तुम खुद सोचो मैं 'मंगलसूत्र' लूट कर कैसे आत्मनिर्भर हो सकता हूँ-?'
    चौधरी के चेहरे पर सुकून नज़र आने लगा, -'इब चाय तो मंगा ले,  इतना विकास तो होगा तेरे धौरे ?'
       पांच मिनट बाद चाय और बिस्कुट दोनो आ गया ! मैंने चौधरी से पूछा,- ' इस बार गाम ते बड़ी जल्दी आ लिया-'?
     चौधरी की आंखें आसमान में कुछ ढूढ़ने लगी थीं, -' गाम बदल गयो भारती! इब किसी के गैल  थारे धौरे बैठने का वक़्त है न लगाव ! सब की चादर लंबी हो - ली ! उतै अर बुरा हाल सै, सरकार विकास के खातिर ग्राम कू पैसा भेजे, पर विकास ग्राम प्रधान के दरवाज़े से आगे जाने कू त्यार कोन्या ! खैर, विकास ने परे कर,  अर् नू बता- अक् ,,,,बचपन में कदी तूने मंगलसूत्र छीना था-?"

    आज पहली बार मैंने चौधरी को घूर कर देखा तो चौधरी ठहाका मार कर हंसने लगा !

          [Sultan 'bharti'  Journalist]


Wednesday, 14 August 2024

(व्यंग्य चिंतन) पानी

[व्यंग्य चिंतन]  

" ई है "संगम विहार" ज़रा देख बबुआ"! 

    अब का बताएं भैया कि इस बस्ती में 'पानी'की समस्या ने किस तरह नाको चने  चबवा दिए ! दो दिन से  एक कविता याद आ रही है, ज़रा सुनिए -                        नल  से  वाटर  टपक   रहा  ऐसे !
                      किसी  विरहिन के आंसुओ जैसे !
                      तीन   दिन  से  नहीं   नहाये   हैं !
                      जब   से  "संगम विहार" आए हैं !!

      अब आप सोचते होंगे कि संगम विहार ज़रूर राजस्थान, सहारा या सिनाई रेगिस्तान की कोई बस्ती होगी,  जहाँ  अच्छे दिन की कोई पहुंच नहीं है ! अरे नाहीं  हो , ई अनाथ विधानसभा तो देश की राजधानी  दिल्ली में है और  वो भी साउथ दिल्ली में ! हे बाबू i ई मा हैरान होने की कौनो ज़रूरत नाहीं- ! संगम विहार में विकास आते हुए घबराता है ! ऐसी घबराहट उसे हर मौसम में होती है ! चलिए आज आपको उपेक्षा के हाशिए पर जी रहे संगम विहार के विकास की कहानी सुनाते हैं!
      1990 में जब मैं यहाँ आया तो कालोनी बस रही थी ! पानी और बिजली दोनों गायब ! विकास और तारणहार की जगह यहां नीलगाय घूमते थे ! 1993 में विधानसभा बनते ही विकास की सुनामी आ गई ! जनता की मुख्य समस्या पानी थी ,( वैसे सड़क और बिजली भी नहीं थी,  पर उसके बगैर लोगों ने जीने की आदत डाल ली थी!) 1993 में दिल्ली विधानसभा चुनाव का ऐलान हुआ तो संगम विहार की जनता कन्फ्यूज हो गई ! हर पार्टी के तारणहार विकास की लिस्ट लेकर आ गए थे ! जनता की समझ में नहीं आ रहा था कि  किसके वाले  'टूथपेस्ट' में नमक है ! जनता सिर्फ पानी, बिजली और सड़क का विकास चाहती थी, लेकिन यहां चुनाव में उतरे तारणहार-200 बिस्तर वाला हॉस्पीटल, कॉलेज, पार्क, पोस्ट ऑफिस, बैंक, सीवर सब कुछ देने पर उतारू थे !
         जब जनता ने देखा कि इतने सारे  'भागीरथ' गंगा लेकर आ गए हैं तो उनको विकास में कुछ काला नज़र आने लगा ! बस उन्होंने सारे  उम्मीदवारों को छोड़ कर एक आजाद उम्मीदवार को चुन लिया ! ( ये वही साल था जब संगम विहार  के लोग पूरी पूरी रात जाग कर "काला बंदर" ढूँढते थे ! दिन में काला बंदर और विकास दोनों जाने कहाँ छुप जाते थे ! संगम विहार की जनता ने हर पार्टी को मौक़ा दिया और सभी ने ' भरपूर' विकास किया,   पर यहाँ की जनता का दुर्भाग्य देखिये कि विकास उसके दरवाज़े तक नहीं पहुंचा ! ससुरा 'विकास' 'विधायक' के ऑफिस में आकर  पसर  जाता था !
       2015 की "झाड़ू क्रांति" के बाद संगम विहार के आम आदमी को पूरी उम्मीद थी कि - दुख भरे दिन बीते रे भैय्या- अब सुख आयो रे,,,! किन्तु पानी का संकट अभी भी बना हुआ था ! पार्टी सुप्रीमो ने संगम विहार की जनता का जल संकट देख कर वहाँ के विधायक को ही दिल्ली जल बोर्ड का मुखिया बना दिया, पर लगता था पानी ही संगम विहार आने को राजी नहीं था ! विधायक ' स्वर्ग'  (सोनिया विहार) से गंगा का पानी संगम विहार लाना चाहते हैं पर-' पानी है कि मानता नहीं-! बाद में बड़ी अनुनय विनय के बाद जब सोनिया विहार में गंगा का पानी घुसा तो उसने शर्त रख दिया,- मैं सदियों से पापियों को "तारने" में लगी हूँ,  पहले मैं यहां के पापियों को "तारने" का काम करूँगी !
सुना है यहां पर पानी माफ़िया बहुत हैं ! पहले उनके काम आती हूँ  ! और रही यहाँ की गरीब जनता,  तो उसके पास पानी तक तो है नहीं , मेरे धोने लायक पाप कहां से  लायेगी ! ऐसी निष्पाप जनता मेरे किस काम की -'! बस तभी से जनता टैंकर की 'नाभि का अमृत'  ग्रहण कर रही है और गंगा ने अपने पानी को पापियों के "कल्याण" में लगा दिया है-!
       "आप" की महिमा न्यारी, एक बार टिकट दे दिया तो उम्मीदवार को बदलने का जोखिम कौन उठाए ! इसी सोच ने सियासत में चारण पैदा कर दिया ! वर्तमान विधायक ने जगह जगह क्षेत्र में बोर करवा के पानी की कमी का आँशिक  समाधान तो किया है किन्तु अगस्त से दिसंबर तक ही इन बोरबेल में वाटर लेवल कारगर होता है! उसके बाद गर्मी के 6 महीने प्यासी जनता नारा लगाती हैं,,,,
संगम विहार की करूँण कहानी !
टंकी  खाली  -  सड़क  पे  पानी !!
      समझ में नहीं आता कि संगम विहार के लोगों को टैंकर से कब छुटकारा मिलेगा, कब उनके घर के  नलों में पानी आएगा? 
     संगम विहार में पानी की विकट समस्या है और खुद "पानी"भी एक बड़ी समस्या है , छत पर रखी टंकी खाली है और सड़क पर पानी की कोई कमी नहीं ! नाली की गंदगी बीमारी पैदा करती है! सीवर व्यवस्था इतनी अलौकिक है कि बारिस के दिनों में संगम विहार की लड़कों पर नदी बहने लगती  है, - ' शर्म उनको मगर नहीं आती-' ! विकास अभी विलुप्त है,  परंतु जैसे जैसे विधानसभा चुनाव नज़दीक आ रहा है, अप्रवासी 'तारणहार' विकास की वैतरनी लेकर क्षेत्र में आने लगे हैं !
             आज बारिश हुई है और मैं संगम विहार आया हुआ हूँ ! पीपल चौक पर खड़ा हूँ ! नेताओं  के आंख के अलावा हर जगह पानी नज़र आ रहा है ! दूर दूर तक सड़क पर पानी बह रहा है ! बारिश और  नाली का पानी एक होकर- मिले सुर मेरा तुम्हारा- याद दिला रहा है ! हमदर्द तक जाने के आटो वाला 15 रुपये की जगह मुझसे 25 रुपये मांग रहा है ! ( दस रुपया पानी में आटो चलाने के!)  पानी की इस आपदा ने जाने कितने लोगों को आत्मनिर्भर होने का अवसर दिया है !

आज की 'आपदा'  में आटो वाला मुझे भी 'अवसर' समझ रहा है !
                        Sultan bharti (journalist) 





Sunday, 4 August 2024

सेवा में,                         date 01. 08. 2024
आयुक्त महोदया 
केन्द्रीय Vidyalay संगठन 
18, संस्थागत क्षेत्र- शहीद जीत सिंह मार्ग   नई       दिल्ली 

सन्दर्भ-- मेरी अध्यापिका पत्नी के ट्रांसफर के                    सम्बंध में आवेदन पत्र!
महोदया ,
          पुनर्विचार हेतु मेरी आपसे विनम्र प्रार्थना है कि,,,,,,,
     मेरी  पत्नी महनाज़ ( आर्ट टीचर) दक्षिणी दिल्ली के वायुसेना बाद केंद्रीय Vidyalay में  नियुक्त  थी, विगत वर्ष उसका तबादला दिल्ली संभाग से 'कराईकल' (Chennai संभाग) कर दिया गया ! [करईकल Chennai से भी 2500 किलो मीटर दूर है!)
इतने दुर्ग़म स्थान पर पोस्ट संभालने के बाद हमारे दिल्ली स्थित परिवार में तमाम समस्याएं टूट पडी हैं, एक बार सुन लें,,,!
1-  मेरी दोनों बेटियाँ दिल्ली में पढ़ रही हैं, और उनके subjects करईकल वाले केंद्रीय Vidyalay में नहीं है! 
2- मेरी माँ ( नईमाँ   ) की उम्र 82 वर्ष है और बहुधा वो बीमार रहती हैं! वो भी मेरी बेटियाँ की देखभाल नहीं कर सकती !
3- ग्यारह और चौदह वर्षीया मेरी दोनों बेटियो को खाना, Tiffin, स्कूल भेजना,लाना और खुद ड्यूटी पर जाना,,,,दिनों दिन बेहद मुश्किल और चुनौती पूर्ण होता जा रहा है!
4- मैं  खुद Rhumatide Arthritis से पीड़ित हूँ और दिल्ली के मशहूर हॉस्पिटल Apollo में दिखाने के बाद मेरा इलाज चल रहा है!
5- फ़िलहाल इस वक़्त मेरी सास [ Mother in law) आकर मेरे परिवार को संभाल रही हैं, मगर कब तक ! उनका अपना परिवार भी है!
     मैं बहुत परेशान और तनाव में हूँ ! इस तरह तो हमारा परिवार बिखर जाएगा ! इस उमर में जब कि बच्चों को  माँ की सबसे ज्यादा ज़रूरत होती है, उनकी माँ मजबूरन उनसे बहुत दूर  है,और मैं उनका बाप कुछ नहीं कर सकता !
    मानवीयता के नाते कृपया मेरी पत्नी की Posting "करईकल"  से हटा कर  दिल्ली संभाग के आस पास - गुरुग्राम ,Faridabad, नोएडा, Ghaziabad [हरियाणा औऱ यूपी] के किसी केंद्रीय Vidyalay में ट्रांसफर कर दिया जाये,  ताकि वो कम से कम हर हफ्ते अपने बच्चों और परिवार से मिल सके, और अपने शैक्षिक और पारिवारिक दोनों कर्तव्य का पालन कर सके !       हमारे परिवार के लिए यह  बहुत बड़ा उपकार होगा आपका , धन्यवाद !

                                प्रार्थी 

                          मुहम्मद आसिफ़
                          H/O.   -   महनाज़ 
              [ कर्मचारी   क्रo संख्या    49211 ]


Friday, 19 July 2024

(व्यंग्य चिंतन) 'आ' - से- 'अब्दुल का आम' !

                      व्यंग्य 'चिंतन '
        'आ' - से-  "अब्दुल का आम "

           अभी अभी लोकसभा चुनाव 2024 का परिणाम आया था , कहीं खुशी कहीं ग़म ! यूपी में ग़ज़ब भयो रामा जुलम भयो रे-! इसके लिए प्रशासन का सारा गुस्सा 'अब्दुल' के ऊपर है,  थोक में वोट विपक्ष को दे आया ! देखता हूँ अब तेरा  ठेला कौन बचाता है! यूपी सरकार ने फौरन हिटलिस्ट बनाने का आदेश दे दिया !  24 घंटे अब्दुल के लिए में चिंतित रहने वाले सलाहकार विचार विमर्श में लग गए ! एक ने अब तक हुए विकास की लिस्ट देखते हुए कहा, -'घर तो अवैध बता कर पहले ही तोड़ा जा चुका है '!
       'अब्दुल का लड़का जिस मदरसे में तालीम ले रहा था, उसे भी अवैध बताकर ताला लगा दिया है ! अब कौन सा विकास किया जाए ?'
     ' नौकरी कर रहा होता तो सस्पेंड करवाना आसान था ! ठेले का क्या करें ?' 
    ' कई बार तो जब्त कर चुके , अब अगर जब्त किया तो ठीया पक्का हो जाएगा-'!
   ' आम की पेटी में आर.डी.एक्स. बरामद कर लें तो लंबी सजा काटेगा-'!
   ' फॉर्मूला पुराना हो गया , कुछ और सोचो- !'
    बड़ी देर से चिंता में डूबे एक विचारक ने अब्दुल के स्थायी कल्याण का रास्ता सुझाया ,-' देश के बहुसंख्यक आबादी की गंगा जमुनी संस्कृति के प्रति प्रेम के कारण हमारा बड़ा नुकसान हुआ है ! दोनों समुदाय इतना घुलमिल कर रहते हैं कि अलग अलग पहचान ही मुश्किल है! इन्हें अलग अलग करने का एक तरीका है-!'
      " खुल कर बताओ गुरु !"
   " ज़्यादातर इनके ठेला,खोमचा ,पंचर, बिरयानी, फल जैसे छोटे कारोबार हैं! नियम लागू होना चाहिए कि दुकान के मालिक को दुकान पर बड़े बड़े अक्षरो में अपना नाम लिख कर रखना होगा ! बस- दूसरों के पंचर ठीक करने वाला अब्दुल का सारा धंधा पंचर हो जाएगा-"!
      " कैसे गुरु?"
   " 80 पर्सेन्ट अब्दुल न दाढ़ी रखते हैं न टोपी पहनते हैं ! ऊपर से दुकान का नाम बड़ा कंफ्यूजन वाला होता है, - 'पप्पू के मशहूर केले', 'मोनू बिरयानी वाला'  , 'कल्लू के चिकन पराठे, ' मुन्ना मछली वाला'- 'सोनू मसाले वाला  "मुन्नू  कैंचीवाला" इनमे अब्दुल कौन है,  ये पता ही नहीं चलता ! ऐसे लव जिहाद के चलते हमारा धर्म भ्रस्ट होता है ! जब असली नाम  लिखा होगा तो उनकी  दुकान  पर जाएगा कौन '!?
     ' हमारे लोग पता होने के बावजूद उनकी दुकान से सामान खरीदते हैं-'!
    'इसीलिए हम आजतक विश्वगुरु नहीं बन पाए ! लेकिन अब नाम लिखवाने से ये बाधा दूर हो जाएगी ! आने वाली कांवड़ यात्रा में इस प्रयोग को आजमा लेते हैं !"
    'फॉर्मूला तो बढ़िया है गुरु, लेकिन अपने लोगों को गंगा जमुनी इन्फेक्शन से निकालने के लिए तगड़ा जन जागरण करना होगा '! एक 'शुभचिंतक' ने राय दी!
       ' अभी वक़्त है,  मैं संगठन के महागुरु को बताता हूँ  ! जनहित के लिए कल्याणकारी इस योजना को प्रशासन तक पहुंचाने और लागू करवा ने का काम उनका है ! आप लोग धर्मनिरपेक्षता की अफीम चाट कर सोये अपने समाज को लगाने में लग जाओ -'!
       और फिर कुछ दिन बाद ये 'सर्व जन सुखाय' - 'सर्व जन हिताय'-वाली योजना घोषित हो गयी ! चारों तरफ से ततैया टूट पड़े ! 'जनहित' में- भूतो न भविष्यति- बताई जा रही इस कल्याणकारी योजना से सभी पार्टियों के लोग बौखला उठे ! सीधे सीधे सम्प्रदायवाद को हवा दे रहे इस तुगलकी फरमान में मेगा मीडिया के अलावा किसी को हीमोग्लोबिन बढ़ता या विकास होता नज़र नहीं आ रहा था ! चैनल पर डिबेट शुरू हो गया था और सोशल मीडिया पर समुद्र मंथन ! फ़ेसबुक वाल पर प्रचुर  मात्रा में ज्ञान गंगा उतरने लगी थी ! पक्ष विपक्ष में घमासान शर संधान शुरू हो गया ! इसके पक्ष में मीडिया मुगल कह रहे थे, -  "इस के लागू होने से सबका साथ सबका विकास योजना में बुलेट ट्रेन जैसी तेजी आएगी-'!
      " इससे सिर्फ साम्प्रदायिकता बढ़ेगी-"!
" पहचान के साथ धंधा करने में दिक्कत क्या है-'?
  " सतीश सब्बरवाल ( सबसे बड़े बीफ निर्यातक) को भी पहचान के साथ धंधा करना चाहिए-'!
    " खून देने वाले का नाम भी पैकेट पर क्यों नही लिखा जाता?"
   ' फल की दुकान पर बिकने वाले फल को उगाने वाले मालिक का नाम भी लिखा जाना चाहिए-'!
        " केंटुकी चिकन से आस्था को कोई खतरा नहीं,  बशर्ते  वहां  कोई मुस्लिम कर्मचारी न हो-'!
       शोध शुरू हो चुका था,  मीडिया के चिंतक,  सत्ता में बैठे नेता और समाज में बैठे चारण ये साबित करने में एडी चोटी का जोर लगा रहे थे कि इसी कामधेनु योजना  से विकास का मानसून आएगा ! जनता इस विकास परियोजना से दूर खड़ी दिल्ली के आकाश में बादल तलाश रही थी !
 और,,,,, नफ़रत के ग्रास रूट पर अब्दुल और आम  के बीच का फर्क खत्म होता नज़र रहा था !
        मगर 22 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने अब्दुल के 'विकास' वाली इस  "बहु आयामी" योजना पर पानी फ़ेर दिया ! सुप्रीम कोर्ट ने दुकान के बाहर प्रोडक्ट लिस्ट लगाने की अनिवार्यता जताई , नाम लिखने की ज़रूरत खारिज कर दी!
       आदेश आते ही, अब्दुल के 'समग्र विकास' के लिए दिन रात पसीना बहा रहे, कई योद्धा कोमा में चले गए !
                  [ सुल्तान 'भारती']



Monday, 8 July 2024

( एक सच्चाई) " काला लंगोट "!

[सत्य कथा] 
       "    काला लंगोट     "

             मेरा नाम अब्दुल मजीद है! इस प्रेम कहानी का नायक मैं ही हूँ !  मेरी उम्र तब 18 या 19 साल थी ! शायद हाई स्कूल का इन्तेहान हो चुका था और छुट्टियों चल रही थीं !  लेकिन मुझे पढ़ाई से ज्यादा कबड्डी, कुश्ती  ,अखाड़ा ,तालाब में दो तीन घंटे  नहाना,  दर्ज़नों दोस्तों के साथ गुल्ली डंडा खोलना और दबंगई दिखाने वाले को सबक सिखाना  ज्यादा पसंद था ! साथियों के लिए मैं उनका अघोषित मुखिया था ! 1972 या 73 का साल चल रहा था! उस दौर में अवध के गाँव में कुंवारों के लिए इश्क़ एक प्रतिबंधित विषय था !  हमें इकठ्ठा हंसी मजाक करते देख कर डाट कर भगा देना, विवाहित और बुजुर्गों का जन्मसिद्ध अधिकार था ! शादी से पहले इश्क़ करना तो समझो चरित्रहीनता जैसा गुनाह था !  इश्क और सेक्स हमारे लिए बड़ा सनसनी खेज और रहस्यमय विषय थे ! ये वो दौर था जब नौटंकी के लौंडे को लड़की का मेकअप करते हुए देखने के लिए युवा लौंडे स्टेज के पीछे बने मेकअप रूम के अंदर घुस जाते थे ! 
             उस दिन संडे था,  दोपहर के वक़्त अम्मा ने कहा कि बाजार से नमक और लाल मिर्च ले आऊं !  उस वक़्त दुकानदार नमक की बोरी दुकान के बाहर ही लगा कर रखते थे! (नमक के डले वाली इन् बोरियो पर अक्सर कुत्ते पेशाब करते नज़र आते थे !) दोनों चीज़ खरीद कर जब मैं बाजार से निकालने  ही  वाला था कि  उस लड़की को पहली बार देखा था ! वो 14 या 15 साल की मध्यम कद और सांवले रंग की एक खूबसूरत लड़की थी ! उसके साथ एक पांच छह साल का लड़का उंगली पकड़ कर चल रहा था ! लड़की  के हाथ  में एक छोटा थैला था, और वो लगातार मुझे देखे जा रही थीं ! 
         बाजार से लगे हुए गाँव में मेरे कई ठाकुर और बनिया दोस्त थे,  मैंने घबरा कर चारों ओर देखा - कहीं कोई देखता नज़र नहीं आया ! मैं बाजार से निकल कर रोड की ओर बढ़ा,  वो  मुझसे लगभग 20 कदम आगे थी ! अचानक उसने पलट कर मुझे देखा और फिर आगे बढ़ गई ! मैं सोच में पड़ गया,  - कौन है ये लड़की ! क्या ये मुझे जानती है ! मुख्य सड़क पर आकर वो बाईं तरफ मुड़ गई ! वह रास्ता मेरे गावं के विपरीत दिशा को जाता था ! अब मैं धर्म संकट में पड़ गया !  थैला लेकर घर जाऊँ या लड़की के पीछे ! वो कुछ दूर जाकर रुक गई और पलट कर मुझे देखने लगी ! अचानक मेरे हाथ का थैला इतना वज़नदार लगा गोया मैंने उसमें पत्थर भर लिया हो ! लड़की अभी भी मुझे देख रही थी और मैं इधर उधर देख कर कंफर्म कर रहा था कि कोई मुझे तो नहीं देख रहा ! आखिरकार मैंने दर्या ए आतिश में कूदने का फ़ैसला कर  लिया ! मुझे यह गलतफ़हमी होने में तनिक भी देर न लगी कि खूबसूरत लड़की मेरे ऊपर मर मिटी है ! 
      जहां लड़की खड़ी थी वहाँ से 50 ग़ज आगे मेरे जानकार मित्र रामकुमार के पान की गुमटी थी ! मैं  तेजी से आगे बढ़ा और थैला राम कुमार को देते हुए कहा,  -' लौट कर ले लूँगा,  एक बीड़ा पान लगा दो- स्पेशल वाला -'!
    ' उस्ताद ! तुम कब से पान खाने लगे' ?
        मैंने उसे घूरा तो वो अपने काम में लग गया! तभी लड़की अपने भाई के साथ मेरे सामने से गुजरी, इस बार मैंने उसे करीब से देखा ! उसकी आंख और नाक बहुत स्पेशल थी! उसके पैरो में बहुत मामूली सैन्डल थी  !  सलवार सूट भी मामूली कपड़े का था ! अलबत्ता कुदरत ने लड़की को उम्र से पहले जवान कर दिया था ! मुझे देख कर वो बार बार अपना दुपट्टा ठीक कर रही थी ! राम कुमार ने पान लपेट कर मुझे पकड़ाया और मैं तेजी से आगे बढ़ा ! मैं जनता था कि कुमार की नज़र मुझ पर ही  होगी,  इसलिए वहां पर लड़की को पान पकड़ाना खतरे से खाली नहीं था! लड़की के बगल से निकलते हुए मैंने उसे सुनाते हुए कहा, -' आगे नहर के पास मिलता हूँ-!'
     " क्यों?" 
    मैं तो जैसे ज़मीन पर गिरा ! किसी अजनवी लड़की से बात करने का ये पहला प्रयोग ही पंचर हो रहा था,  फिर भी हिम्मत दिखाया, -' तुम्हारे लिए पान लाया हूँ-'!
      " अच्छा "! लड़की धीरे से बोली !
     मैं सूखते गले और धड़कते दिल के साथ आगे बढ़ गया  ! नहर 5 मिनट दूर थी और मैं सुखद कल्पना में गोते लगा रहा था ! मेरे 18 दोस्तों में मैं पहला खुश नसीब था जिसे कोई लड़की मौन आमंत्रण दे रही थी ! कल जब दोस्तों को बताऊँगा तो सारे लोग किस तरह छाती पीटते नज़र आयेंगे ! लेकिन मेरे सामने सबसे बड़ी प्रॉब्लम थी कि मैं लड़की से बात शुरू कैसे करूँ  !!
    नहर जैसे उड़ कर तुरंत करीब आ गई ! मुझे गुस्सा आया,  अभी तो मैं कुछ सोच ही नहीं पाया था ! लड़की भी दो मिनट बाद आ पहुंची ! मैं खड़ा रहा, लड़की बगैर मुझे देखे आगे जाने लगी ! एक बार तो मैंने तय किया कि मुझे वापस लौट जाना चाहिय ! तभी लड़की ने पीछे मुड़कर मुझे देखा !  इस बार तो उसने मुझे आने का इशारा भी किया ! मैं यंत्रवत चल पड़ा ! सड़क पर कभी-कभी लोग नज़र आ  जाते थे ! मैं तेजी से  उसकी ओर बढ़ा! कपड़े में उभरा हुआ उसका जिस्म किसी का भी ईमान खराब कर देने का तिलिस्म रखता था! जैसे ही मैं उसके  करीब  पहुंचा  वो  मेरी  तरफ  घूम  कर  बोली ,- ' तुम्हारा नाम मजीद है न?'
    " हाँ, मगर तुम कौन हो'?
        '  सबीना ! ये मेरा भाई है, - सईद ! बाजार में मेरे अब्बा कपड़ा सिलते हैं ! मैं रोज दोपहर को उनको खाना देने आती हूँ ! कल भी आऊंगी -'!
     आखिरी तीन शब्द मुझे संकेत दे रहे थे और आमंत्रण भी ! मैंने पूछ लिया, -' मगर तुम मुझे कैसे जानती हो-'!
      ' पिछले साल औघड़ बाबा के मेले में तुम ने मकनपुर के समद को पीटा था न ! फिर पुलिस तुम दोनों को पकड़ कर थाने ले गई थी !'
     ' हाँ,  वो साला मेले में घूम  रही एक लड़की को छेड़ रहा था ! इसी बात पर मैंने उसे पीट दिया था !'
    " वो रज्जो थी, मेरी सहेली ! उस दिन पहली बार मैंने तुम्हें देखा था ! मुझे तुम बहुत अच्छे लगे थे-! उस दिन के बाद मैं कई दिन तक तुम्हारे बारे में ही सोचती रही-'! 
         लेकिन मैं तो कुछ और ही सोच रहा था ! अगला गाँव 15 मिनट के फासले पर था और मैं इतनी जल्दी उससे अलग  होने  के  लिए  इतनी  दूर नहीं आया था ! सड़क के बाईं तरफ हरे भरे खेत शुरू हो गये थे ! बाजरे के खेतों में हाथी भी घुस जाए तो बाहर से नज़र न आए ! उधर वो  लगातार  बोले  जा  रही थी -' फिर मैंने तुम्हें कई महीने बाद बसंत पंचमी के रोज देखा,जब तुम अखाड़ा कूदने आए थे ! तुम्हारे साथ तुम्हारे बहुत सारे दोस्त थे जो जोर जोर से चिल्ला कर तुम्हें जोश दे रहे थे ! तुमने काला लंगोट पहना हुआ था ! मैंने तो तुम्हें देखते ही तुम्हारी जीत के लिए रोज़ा रखने की मन्नत भी मांग ली थी-! और तुम जीत भी गए थे !"
     ' तुम्हारा गाँव कौन सा है-?' मैंने पूछा !
 " शेखपुर , अभी आधा घंटे दूर है !' 
       मैंने चैन की साँस ली, उस गाँव का रास्ता खेतों से होकर जाता था, और मुझे नहीं लगता था कि लड़की मेरी किसी बात को नहीं मानेगी ! पर उसका छोटा भाई कहीं  खेल न बिगाड़ दे ! लड़की चुप होने को तैयार नहीं थी, -' तुम्हारे ऊपर काला रंग बहुत अच्छा लगता है! तुम वो काला लंगोट अभी भी पहनते हो-?'
     अचानक मुझे पान याद आया , निकाल कर लड़की को पकड़ते हुए कहा, -' ये तुम्हारे लिए है"!
      'इसमें कुछ मिलाया तो नहीं है! हमारी बड़ी बहन को एक बार एक लड़के ने पान खिला कर उसके साथ 'बुरा काम' किया था !' 
     ' कौन सा बुरा काम ?'
   ' शादी से पहले अगर लड़की और लड़का सुहाग रात मना लें तो वो बहुत ही बुरा काम है ! अम्मा कहती हैं कि शादी के बाद दूल्हा उस लड़की से प्यार नहीं करता '! 
     गाड़ी पटरी पर आते आते उतर रही थी ! मैंने थोड़ा गुस्से में कहा, -' सब बकवास है, भला दूल्हा को कैसे पता चलेगा -'?
    'अम्मा कहती हैं कि सुहागरात को दूल्हे को सब पता चल जाता है-!' 
    जैसे गरम लोहे को अचानक पानी में डाल दिया गया हो, सारा परिश्रम व्यर्थ होता नज़र आया ! मैंने इस  सदमें  से  निकलने  की  आखिरी  कोशिश की, -' मैं नहीं मानता ! वैसे भी जब कोई किसी से प्यार करता है तो चाहने वाले को मना कैसे  कर  सकता है ! तुम्हारे प्यार में उलझ कर मैं तीन किलो मीटर पैदल यहां तक आ गया ! ठीक  है,  तुम अपने घर जाओ, मैं अपने घर जाता हूँ-!'
     मैं सड़क के किनारे एक पेड़ के नीचे रुक गया,  वो भी खड़ी हो गई! उसके चेहरे पर सन्नाटा और बड़ी बड़ी आँखों में उलझन और मायूसी साफ नज़र आ रही थी! मैं जहां खड़ा था, मेरी बाईं तरफ से एक चकरोड सीधा उसके गाँव को जाता था ! रास्ते के दोनों तरफ नज़र आ रहे बाजरे के घने लंबे खेत अचानक मुझे चिढ़ाने लगे थे ! दो तीन मिनट की ख़ामोशी में जैसे कई साल समा गए थे !
   अचानक उस लड़की ने मेरे दोनों हाथ पकड़ कर धीरे से पूछाः-' क्या तुम भी मुझ से उतना प्यार करते हो, जितना मैं करती हूँ- '!
         मैं इस सवाल के लिए बिलकुल तैयार नहीं था ! वो  सीधे मेरी आँखों में झाँक रही थी ! वो मेरे साथ लगभग सट कर खड़ी थी ! पान खाकर उसके होंठ बिल्कुल दहक उठे थे! उसकी सांसो की खुशबू ने मुझे लगभग मदहोश  कर दिया था ! मैं मना करना चाहता था,  मगर मेरे मुँह से निकला-"हाँ "! 
    'चलो, मुझे थोड़ी दूर तक और छोड़ दो"- वो मुस्कराने लगी- ' यहां सड़क पर आते जाते लोग देख रहे हैँ '! 
   थोड़ी देर बाद हम बाजरे के घने खेतों के बीच से गुजरती पतली चकरोड से गुजर रहे थे ! दूर दूर तक सन्नाटा ! शायद  किस्मत मेरा साथ दे रही थी ! मैंने लड़की की कमर में हाथ डाल कर उसे अपने जिस्म के साथ सटाते हुए कहा,-' मैं तुम्हारे साथ अभी प्यार करना चाहता हूँ, सुहाग रात वाला प्यार-"!
    ' कहां !' उसकी मुस्कराहट उड़ गई!
             ' यहीं इसी बाजरा के खेत में'! 
      मैं बेकाबू होता जा रहा था,  ज़िंदगी में पहली बार किसी लड़की को अपने बाहों में भर कर खड़ा था ! अचानक मैंने उसे कमर के नीचे से पकड़ कर ऊपर उठा लिया तो उसका छोटा भाई देख कर हंसने लगा ! लड़की बोली, -' कहीं मेरे भाई ने अम्मा से बता दिया तो मुझे बड़ी मार पड़ेगी' !
     ' तो तुम मुझ से प्यार नहीं करती?"
   " बहुत करती हूँ, तुम्हें दुबारा देखने के  लिए रोज़े रखे थे "!
      मुझे उसके रोज़े या चाहत में कोई इंट्रेस्ट नहीं था, और मेरे समूचे वज़ूद में जैसे गरम लावा दौड़ रहा था, -' अगर इतना प्यार है तो अब और न तड़पाओ -"
   मैं अभी भी उसे बाहों में उठाए खड़ा था ! लड़की ने मुस्करा कर कहा, -' कोई देख लेगा, अब नीचे उतार दो!'
         मैंने नीचे उतार दिया तो लड़की ने पहले पान थूका, फिर मुझे अपने बाहों में भर कर बोली,' सच  सच बताना मजीद ! क्या तुम बाद में मेरे साथ शादी कर लोगे ?'
   ऐसा लगा गोया किसी ने मुझे बर्फ की सिल्ली पर लिटा दिया हो ! भला हमारे और सोहागरात के बीच में शादी का क्या काम ! लड़की कह रही थी,- 'तुमने पान दिया, मैंने खाने से पहले खोल कर भी नहीं देखा कि अंदर बेहोश करने की दवा है या ज़हर ! क्योंकि मैं तुम्हें प्यार करती हूँ ! तुम आग में कूदने को  कहोगे - कूद जाऊँगी -'!
  मुझे गुस्सा आ गया- "तो फिर प्यार करने में इतना नखरा क्यों कर रही हो "!
     हैरत थी, इस बार सबीना ने शादी का नाम ही नहीं लिया,  बल्कि मुझे बाहों में कसते हुए कहने लगी,- ' ठीक है,जो होगा देखा जाएगा,  मैं तुम्हें नाराज़ नहीं कर सकती ! एक बार क्या दस बार के लिए भी मना नहीं करूंगी ! अब तो गुस्सा थूक कर  मुस्करा दो "!
    मैंने मुस्कराते हुए उसे खींच कर सीने से लगा लिया, - ' शुक्रिया "! 
    " तुम्हारे होंठ लड़की की तरह लाल क्यूँ हैं?"
   " मैं कोई नशा नहीं करता, इसलिए ! सिर्फ तुम्हारे साथ प्यार करने का नशा है "!
       लड़की ने मेरे होंठों को चूमते हुए कहा ,-' कल दोपहर को अब्बा को खाना देने अकेले  आऊंगी ! तुम वहीं आसपास रहना ! जब अब्बा खाना खा लेंगे तो मैं बाहर आकर इशारा करूगी, तुम मेरे से पहले आकर इसी बाज़रे के खेत में मेरा इन्तेज़ार करना "!
     " मैं आ जाऊँगा, पर आज क्यों नही?"
 " लगता है कि जुनून में तुम्हें मेरा भाई भी नहीं नज़र आ रहा ! अभी तो हम उसकी आंखों के सामने हैं तो कोई बात नहीं, लेकिन जब हम खेत के अंदर जाकर सुहागरात वाला   प्यार करेंगे तो उसे क्या क़ह कर खेत के बाहर खड़ा करेंगे! उसने खेत में आकर देख लिया तो,,,! मेरे बाप तो काट कर मुझे  नहर में डाल देंगे-'! 
     मैं उसके होंठों को चूमना चाहता था , लेकिन किस करने की बजाय उसे छोड़ते हुए कहा, -' ठीक है, अब तुम जाओ ! कल इसी खेत में मिलेंगे ! तुम कहो तो आज रात मैं इसी खेत में सो जाऊँ!"
     लड़की ने मुझे हैरत से देखा, फिर बाहों में भर लिया, - 'मैंने तुमसे मिलने की दुआ माँगी थी ,रोज़े रखे तभी तुम मिले ! मैं फिर रोज़े रख कर दुआ मांगूंगी कि तुम ज़िंदगी में हमेशा आगे रहो,  अखाड़े की तरह !'
     मैं मुस्कराया -" अच्छा !" 
" कल  वही काला लंगोट पहन कर आना जिसे पहन कर तुम अखाड़ा कूदने आए थे ! बहुत अच्छे लगते हो काले लंगोट में-'!
    मैं घबरा गया,-" मैं  लंगोट पहन कर इतनी दूर कैसे आऊंगा?"
        सबीना खिलखिला कर हंसी, -" मेरा मतलब पाजामा के नीचे लंगोट पहन कर आना-!" 
     " ठीक है, पहन कर आऊंगा!'
      " सलाम वालेकुम, कल मिलेंगे "!
                   और,,,,,,,, वो चली गई !
    वो रात अंगारों पर कटी ! अगले दिन दोपहर को बाजार गया तो  देख कर धक्का सा लगा,  सिलाई करने वाले की दुकान बंद थी ! पूछने पर पता चला कि सबीना का बाप आज आया ही नहीं ! मेरा माथा ठनका ! मैं लगभग भागता हुआ दो किलो मीटर दूर बाजरे के खेत में पहुंचा ! तीन घंटे अंदर बिता कर मायूस होकर बाहर आया ! पास के एक ऊंचे दरख्त पर चढ़ कर सूरज डूबने तक शेखपुर गाँव की ओर ही देखता रहा ! अब मेरे दिल में उसे पाने की नहीं बस उसे देखने की चाहत थी ! मैं उसे किसी मुसीबत में नहीं देखना चाहता था, और दिल बार बार कह रहा था कि सबीना मुसीबत में है ! उस दिन मैं 9 बजे रात को घर लौटा था ! 
          एक हफ्ता जैसे सजा काटते हुए बीता !
     एक हफ्ते बाद सिलाई की दुकान खुली, मगर दोपहर में खाना लेकर एक औरत आई ! उसकी शक़्ल देखते ही मैं समझ गया कि वो सबीना की माँ है ! या मौला ! सबीना कहां है !  मैं दोस्तों का दर्द तो बांट लेता था,  पर अपना बढ़ता हुआ नासूर किसी दोस्त को बताया भी नहीं ! 04 महीने निकल गए, एक बार फिर सिलाई की दुकान दस दिन तक बंद रही ! मैं कॉलेज जाने लगा था, पर पढ़ाई में मन नही लगता था ! दोस्तों में अजनबी की तरह बैठने लगा ! मेरी चाहत घुन बनकर मुझे खाने लगी थी ! 
    एक दिन मैंने अपने अजीज दोस्त आरिफ को सारी बात बता दी ! उसने मुझे जम कर फटकार लगाई,-' आज छह महीने बाद बता रहे हो ! कोई बात नहीं, मैं अपनी अम्मा को उसके घर भेजता हूँ! मगर एक बात बताओ, अम्मा से क्या कहूँगा ?"
   मैंने सर झुकाते हुए कहा, -" मैं सबीना से शादी करना चाहता हूँ !"
   " तुम सैयद हो, वो पठान ! तुम्हारे घर वाले राजी हों जाएँगे?"
  " मेरी मां मुझे बहुत चाहती हैं, मैं अपनी माँ को मना लूँगा-! और वैसे भी उसके अलावा मैं किसी किसी से शादी नहीं करूँगा-!'
   "वो लोग तो फौरन मान जायेंगे ! मेरे यार जैसा खूबसूरत दामाद कहां पायेगे !"
      पर किस्मत के बुलंद सितारे  टूट चुके थे ! आरिफ की माँ टीचर थी और सब लोग उनका सम्मान करते थे ! दो दिन बाद वो सबीना के माँ बाप से मिल कर लौटी तो मेरे लिए बहुत बुरी खबर लाई, -" बेटा ! बुरा मत मानना , गलती तुम्हारी है ! जिस दिन तुम सबीना से आखिरी बार मिले थे,  हमें तभी बता देते ! अब तो जो होना था वो हो गया-"! 
    मुझ में सुनने की भी ताब नहीं बची थी ! मैं एक गुनाहगार की तरह सर झुकाये बैठा था और वो बता रही थीं, -" उस दिन सबीना कई घंटे देरी से घर पहुंची तो मां को शक हुआ ! सईद ने पूछने पर जो कुछ बताया उस से पता चला कि लड़की किसी लड़के साथ बाजार से यहां तक आई थी ! फिर घर वालों ने लड़की को खूब पीटा , मगर उसने तुम्हारा नाम नहीं बताया ! सबीना के बाप ने भागदौड़ कर चार महीने के अंदर ही  उसकी शादी अपने साले के लड़के से कर दिया ! आजकल लड़की लड़का अहमदआबाद में हैं! सबीना की माँ ने बताया कि शादी के बाद तो लड़के की किस्मत ही पलट गई है,  खूब कमा रहा है! वहाँ अपना घर खरीद लिया है-! गाँव में भी पक्का घर बनवा रहा है "!
       मेरी सारी उम्मीदें रेज़ा रेजा बिखर गई ! सारी बाजी हार चुका था ! सारे सपने टूट चुके थे ! बस मुझे ये खुशी थी कि सबीना अपने परिवार के लिए लकी साबित हुई ! मेरे दिल पर अपने आप को गुनाहगार समझने  का जो बोझ था, वो थोड़ी देर के लिए कम हो गया था ! मैंने तो प्यार की आड़ में  गुनाह करने का इरादा किया था,  लेकिन खुदा ने मुझे गुनाहगार होने और सबीना को बर्बाद होने से बचा लिया था ! पर हमारे उस मासूम पाकीजा इश्क़ का हस्र क्या हुआ जिसे रोज़ा और दुआ ने परवान चढ़ाया था !

     लोग कहते हैं कि वक़्त सारे घाव भर देता है ! मैं पढ़ाई में डूब गया ! पांच साल बाद मेरी भी शादी हो गई ! फिर मैं शहर आ गया,  नई ज़िंदगी में खुद को व्यस्त रखने में मशगूल हो गया ! स्वभाव के बिल्कुल विपरीत मैं अखबार में लिखने लगा ! फिर पत्रकार बना, और एक निहायत अजनबी शहर में  मैं बेहतरीन लेखक और कहानीकार बन गया ! आज बहुत सारे फ़ैन हैं मेरे ! आजकल किताब लिख रहा हूँ ! दोस्त कहते हैं कि मेरे शब्द में दर्द और दर्द में तिलिस्म होता है ! मेरे आर्टिकल कमाल के होते हैँ ! मैं कैसे  बताऊँ कि एक गुनाहगार लड़के को मिली ये दौलत किसके रोज़े और  दुआओं की बदौलत है ! 
         वक़्त की परवाज में चालीस साल और निकल गए ,,,,!
     आज मैं 63 साल का हूँ, और गाँव आया हुआ हूँ !  ये वही महीना है ,जब खेतों में बाज़रा के पेड़ लहलहा रहे हैँ ! बहुत कुछ बदल गया है! सड़क के किनारे पेड़ों की जगह मकान उग आए हैं ! शाम का  वक़्त है, हवा की सरगोशी मुझे लगातार आगे बढ़ने को प्रेरित कर रही थी ! मेरे कदम अपने आप उत्तर की ओर बढ़ने लगे, जैसे आगे की चकरोड पर मुझे कोई ख़ज़ाना हासिल होना है ! आज ज़माने बाद मैंने पैंट के नीचे काला लंगोट पहना है ! इसे मैंने 40 साल से संभाल कर रखा है ! अब  यादों के अलावा कुछ है भी नहीं  ! मैं अपलक सूनी पगडंडी में खो गया, जहाँ धीरे धीरे दो परिचित चेहरे उभर रहे थे ! काफी देर बाद पास के दरख्त पर बैठा मोर चीखा तो मैं यादों से बाहर आ गया ! सूरज अपनी सारी लाली समेट कर पश्चिम में दरख्तों के पीछे छुपने में लगा था !
        मैं वापस लौट पड़ा ! वैसे मेरा कोई इरादा नहीं कि मैं सबीना से मिल कर राख में  दबी चिंगारी कुरेदूँ ! बस मैं तो एक बार उसे दूर से देख कर खुशी खुशी इस दुनियां को खैरबाद कह दूँगा !  
    दोस्तों ! अगर ये महज कहानी होती तो सबीना मुझे ज़रूर मिलती, मगर यह तो  सलीब पर चढ़ी किसी बदनसीब इंसान के पुरदर्द ज़िंदगी की कड़वी हक़ीक़त है !  और,,,, हक़ीक़त कभी मानवीय कल्पना और संवेदनाओं के हिसाब से रास्ते नहीं बदलती ! 
          अब तो खुदा से बस एक ही दुआ है,  - कि,,,,,,

हमारी रूह को तुम फिर से कैद-ए-जिस्म मत देना!
बड़ी  मुश्किल  से  काटी  है 'सज़ा ए ज़िंदगी'  मैंने !!

              ( Sultan bharti)









     

Thursday, 4 July 2024

[बौछार] केजरीवाल संपत्ति का खुलासा करें

(सवालों के रुबरु)

" केजरीवाल के सभी विधायक और मंत्री अपनी संपत्ति का व्यौरा दें-!"  (रमेश विधूड़ी)

           ( वो मीडिया का सम्मान करते हैँ मगर अपने प्रचार के लिए कभी लालायीत नहीं दिखे! कडुआ सच बोलने के मामले में लाभ/ हानि की परवाह नहीं करते ! बनावटीपन से मीलों दूर रहने वाले भाजपा के प्रख्यात पूर्व सांसद रमेश विधूड़ी क्या सचमुच मुस्लिम विरोधी हैं, या जानबूझ कर उनकी छवि ऐसी बनाई गई ! 'उदय सर्वोदय पत्रिका के संपादक  सुलतान भारती की  रमेश विधूड़ी के साथ खास बातचीत-!)

S. B,,,     " दक्षिणी दिल्ली लोकसभा चुनाव प्रचार के आखिरी चरण में आप गृहमंत्री जी के साथ मंच पर नजर आए थे,  उसका सकारात्मक नतीज़ा भी भाजपा उम्मीदवार को मिला! आजकल आपने अपने आपको कहां व्यस्त कर लिया है?"
R B,,,,, हमारी पार्टी में विचारधारा महत्व रखती है, व्यक्ति विशेष नहीं ! दो बार हमें मौक़ा मिला,  जनता ने मुझे जनादेश दिया! इस बार पार्टी ने मेरे बजाय किसी और को उम्मीदवार बनाया ! हमें दूसरी ज़िम्मेदारी दी गई है! चुनाव के दौरान मैं ,,,,,,
में दूसरे प्रदेशों में पार्टी उम्मीदवार को जिताने के लिए प्रचार में लगा रहा ! इस दौरान मैं पार्टी हाई कमान के आदेश पर उत्तर प्रदेश और हरियाणा के चुनाव प्रचार में लगा रहा-'!

SB,,,,'चुनाव हुआ, एनडीए की सरकार बनी,  चंद्र बाबू नायडू और नीतीश के समर्थन पर टिकी सरकार में स्थायित्व देख रहे हैँ-'?
RB,,,,' चल रही है और चलेगी,  बाकी मुंगेरीलाल के हसीन सपने देखने पर कोई रोक नहीं है! चंद्र बाबू नायडू बहुमत के नेता हैं, उन्होंने वही निर्णय लिया है जो प्रदेश और जनहित में है! नीतीश जी  नें इंडिया गठबंधन को समर्थन करके देख लिया ! समर्थन देकर भी उन्हें अपमान मिला ! तभी उन्होंने कहा, - अब मैं कहीं नहीं जाने वाला-! दोनों पार्टियों के नेता पूरे समर्थन के साथ सरकार को सहयोग दे रहे है और एनडीए में किसी प्रकार का मतभेद या मनभेद नहीं है-'! 

SB,,,,- ' केंद्रीय राजनीति से हम दिल्ली प्रदेश की ओर आते हैं, - जब से केजरीवाल सत्ता में आए हैं, आप हाथ पैर धोकर उनका विरोध करते आ रहे हैँ! क्या आम आदमी पार्टी में आपको कोई अच्छाई नहीं नज़र आती-?
RB,,,,,' हमारा विरोध मुद्दे पर आधारित है,  किसी व्यक्तिगत दुश्मनी थोड़ी है ! उनकी कथनी और करनी में ज़मीन आसमान का अंतर है, फिर चाहे वो फ्री अनाज का मामला हो या बिजली का! अनाज तो उन्हें केंद्र सरकार सस्ते दाम पर देती है '!

SB,,,,,' सरकारी स्कूल्स में पढ़ाई का स्तर और मोहल्ला क्लिनिक के बारे में क्या कहेंगे-'!
RB,,,,' शिक्षा और स्वास्थ्य में किए गए प्रयोग सिर्फ दावे तक रह गए! उनकी पोल दिल्ली वालों के सामने खुल चुकी है! मोहल्ला क्लिनिक में ज़रूरी दवाई होती नहीं! केजरीवाल जी के आवास,सुरक्षा,विज्ञापन का खर्चा उनके वादों से मेल क्यों नहीं खाता!  केजरीवाल जी अपने सभी विधायक और मंत्री की संपत्ति का व्यौरा सार्वजनिक क्यों नहीं करते-! पता तो चले कि पिछले दस साल में उनकी संपत्ति बीस गुना कैसे बढ़ गई ! वो संपत्ति का खुलासा कब करेंगे?'

SB,,,,,'  इसी बीस जून को आपके लोकसभा क्षेत्र में आने वाले संगम विहार में कुछ असामाजिक लोगों ने सौहार्द बिगाड़ने की ज़बरदस्त साज़िश रच डाली थी ! क्षेत्र के हिन्दू मुस्लिम और नेता तनाव को खत्म करने में लगे थे,  तभी बाहर के एक शख्स ने आकर यहां के पुलिस ऑफिसर के सामने बग़ैर किसी सबूत के एक सम्प्रदाय विशेष को दोषी करार देते हुए उनके सामुहिक नरसंहार की धमकी भी दे डाली, इस विषय में आपका क्य़ा कहना है?'
            RB,,,,,,' इस तरह की धमकी कोई नहीं दे सकता,  देश में कानून है. ( फिर भी) ऐसा कोई कहता है तो उस पर FIR दर्ज होनी चाहिए ! इस तरह के माहौल खराब करने वाले लोग संगम विहार , दक्षिण पुरी, तुगलकआबाद बदरपुर आदि में नहीं हैं! ये लोग बाहर ( ओखला और ट्रांस जमुना) से यहाँ आते हैं! ज़रूरत इस बात की है कि यहां के रहने वालों को ऐसे लोगों पर नज़र रखने की ज़रूरत है! न उनके भड़काने में आयें न शरण दें ! ऐसे लोगों को शरण देने वाले भी अपराधी हैं! वर्ना दिल्ली दंगा जैसा ही नुकसान होगा-'!

         ( उदय सर्वोदय के मुख्य संपादक तबरेज खान का फोन लगातार बज रहा था,  उन्हें देर हो रही थी ! इंटरव्यू खत्म हो चुका था और हम संपादकीय कार्यालय की ओर लौट रहे थे ! एक सवाल खुद मुझे कचोट रहा था-'रमेश विधूड़ी न चाहते हुए भी हमेशा विवाद व चर्चा में क्यों बने होते हैँ ? शायद कडुआ सच बोलने के इस आदत के चलते उन्होंने खोया भी बहुत कुछ है! उनके लंबे संघर्ष और उपलब्धियां  एम के "राही" के एक शे'र से बाखूब समझ सकते हैं, - 
जिस्म  छिल जाता है पहचान नई पाने में !
इतना आसान नहीं 'मील का पत्थर' होना !!

( Sultan bharti)



Tuesday, 18 June 2024

(व्यंग्य चिंतन) जाने फिर क्यूँ जलाती है दुनियां मुझे

(व्यंग्य चिंतन )

"जाने फिर क्यूँ जलाती है दुनियां मुझे" 

     अब मुझे क्या मासूम कि सोनाक्षी सिन्हा की शादी कब हो रही है और किससे हो रही है, परंतु पिछले 15 दिनों से सोशल मीडिया पर चल रहे देवासुर संग्राम को देख कर लगा कि- शायद बहुत बड़ा  'अनर्थ' होने जा रहा है ! ऐसा  'घोर पाप' जिसका प्रायश्चित ही संभव नहीं ! 'सोनाक्षी शादी करने जा रही है'- ये तो खुशी की बात है किन्तु वो जहीर इकबाल से शादी करने जा रही है, ये तो घोर सदमें वाली खबर है ! ख़बर को सुन कर कुछ प्राणी कोमा में चले गए , तो कुछ मानसिक संतुलन खो बैठे! वो लड़की के रिश्तेदार भी नहीं हैं किन्तु इस विनाश कारी शादी पर 'खामोश' नहीं रह सकते ! बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना,,,जैसा मामला है ! इन्हें  दुर्भाग्यवश शादी की ख़बर लेट मिली और उधर लड़की के अज्ञानी माँ बाप विरोध में नहीं हैं , इसलिए ये लोग और दुखी हैं l, क्योंकि धर्मयुद्ध को दिशा नहीं मिल रही ! ले देकर सोनाक्षी  और  जहीर ही  बरामद  होते  हैं ! अग्निकुंड प्रज्वलित है और बुद्धि विवेक की आहुति शुरू है ! 
    लड़की लड़का के घर वाले शादी की तैयारी में लगे हैं और सोशल मीडिया पर 'खामखा' वालों ने मोर्चा थाम लिया है ! एक पक्ष सोनाक्षी के भूत, भविष्य और वर्तमान को इन्फेक्शन से बचाना चाहता है ! धर्म को अधर्म के संपर्क से दूर रखना चाहता है ! 'खामखा' वालों की अपनी निजी और परिवारिक समस्याएं भी इस आपदा के चलते गौण हो चुकी हैं ! वो- रूखी सूखी खाय के ठंढ़ा पानी पीव - वाली डगर से गुजर के भी ये शादी रोकने पर लगे हैं ! पर  करें  क्या,  दरअसल संविधान , लड़की के परिवार की सहमति और बहुमत की ख़ामोशी इस 'आंदोलन' के पक्ष में नहीं है !
    दूसरी तरफ, वर को अपना सहोदर मान रहे भक्त भी पूरे जोश में हैं ! अपनी सगी भाभी का अपमान करने वाले भी फेसबुक पर सोनाक्षी को 'भाभी जी' लिख रहे हैँ ! फेसबुक वॉल पर अग्निबान चल रहे हैँ ! 'लिव इन रिलेशनशिप' में कोई दोष न देखने वाले लोगों की शादी के लिए तमाम 'अब्दुल्ला' दिवाने हुए पड़े हैं ! हालत ये है कि रोजाना जब तक फेसबुक वॉल पर कुछ निकाल न दें,खाली पेट भी जुलाब की कैफियत बनी होती है ! फेसबुक पर सोनाक्षी सिन्हा और ज़हीर इकबाल की शादी इन 'अब्दुल्ला' दीवानो के लिए नाक का सवाल बन चुकी है! घर की बहन या बेटी की शादी को लेकर भी कभी इतने चिंतातुर नहीं थे ! फेसबुक पर ऐसा क्या लिख मारें कि ग्रुप में सिर्फ इन्हीं की बदबू पहचानी जाए ! तीन दिन बचे हैं , समुद्र मंथन बग़ैर लन्च अवरोध के चल रहा है ! 
     चरित्र हनन की सीमा रेखा पार कर अब वीर योद्धा फावड़ा लेकर इतिहास में कूद चुके हैं ! इतिहास ज्ञान में नई पीढ़ी का कहना ही क्या ! इतिहास के मामले में - बीती ताहि बिसार दे - का पालन हो रहा है - ' जो अच्छा लगे उसे अपना लो जो बुरा लगे उसे दफना दो-'! कुछ लोग सोनाक्षी को अतीत की याद दिला कर उसके भयावह भविष्य की तस्वीर दिखाने वाली पोस्ट डाल कर सवाल भी पूछ रहे हैँ, - ' मोहतरमा ! किस कंपनी 
 का फ्रिज भेजें आपको?'  कुछ विद्वान इतिहासकार तो सोनाक्षी को  सायरा खान ( रीना राय) की संतान बताकर खुद को दिलासा दे रहे है,  पर 48 डिग्री गर्मी और 148 डिग्री नफ़रत की आंच पर धधक रहे दिले नादां को सुकून कहां ! वर पक्ष की तरफ से भी 'ख़ामखा' वाले  फेसबुक को शौचालय समझ कर बैठ चुके हैं, - दोनों तरफ है हाजत बराबर बनी हुई!
     खबर कैसी भी हो,  देर सबेर चौधरी तक पहुंच ही जाती है! आज सुबह 07 बजे ही उसने मुझे जगा दिया,-' ओय भारती ! इब छोड़ दे बिस्तर ने! तभी तो कहूं अक क्यूँ न आ रहो मॉनसून इतै -'!
     " क्या मतलब?"
' छोरी बावली हो गयी के ! कूण है यू जहीर इकबाल,जिस के गैल लड़की लव जिहाद कर रही ! तमै कुछ बेरा' ?
  ' तुम तो फोन भी नहीं चलाते, किसने लव जिहाद  की खबर दे दी?'
       ' नु पता लगो अक तू जहीर नाम के छोरे के गैल सै , इब परे हो ले !'
    ' कमाल है, मैं जहीर इकबाल के साथ हूँ और मुझे अब तक पता नहीं चला ! कौन बोला तुमसे ?'
        'वर्मा जी नें , देख भारती ! मोहल्ले में ईद, दीवाड़ी, मोहर्रम अर् रामलीला सबै कुछ मिल जुल कै मनाया  ज्या ! तुम बाहर वालों के गैल 'केले' ही लव जिहाद मना रहो ! मुझे बताया को न्या -'! 
    मैंने अपने कान पकड़े, -' यार  तुझे बताये बग़ैर तो मुझे कब्र में भी नहीं जाना! तू ऐसी ख़बरों पर कैसे यक़ीन कर लेता है! दरअसल शत्रुघन सिन्हा की लड़की शादी कर रही है जहीर इकबाल नाम के लड़के के साथ,  वर्मा जी ख़ामखा परेशान हैं ! फ़िल्म इंडस्ट्री में कोई नई बात नहीं है ! फिरोज खान की लड़की ,संजय खान की लड़की,सलमान खान की बहन, दिलीप कुमार की भांजी आमिर खान की बेटी,,,,इन् सब ने हिन्दू  परिवार में शादी की है' ! 
          चौधरी सन्न था,  बड़ी देर बाद बोला,-' अर यू लव जिहाद कूण है ! पहले कदी सुना को न्या ?'
    ' उसका पता ठिकाना वर्मा जी को ही मासूम होगा,  मैं तो कभी मिला नहीं !'
          लाठी लेकर चौधरी उठ गया,-' वर्मा कू बताना पड़ेगा ! या मोहल्ले में वो रह ले या फिर लव जिहाद -! अर तू भी सुण ले भारती ! बाड़ बच्चेदार होकर तमैं लव जिहाद कौ खातर इत उत हाँडना  ठीक नो है-'!
          मुझे तो नाहक धमकाया गया है!

                    ( सुल्तान भारती)








        











Saturday, 4 May 2024

( थाना प्रभारी बल्दीराय )

सेवा में,
श्रीमान थानाध्यक्ष महोदय 
थाना बल्दीराय, जनपद सुल्तानपुर यूपी 

विषय,,,,,,बांटवारे में प्राप्त मेरे हिस्से के मकान पर दबंगई से कब्जा करने के खिलाफ आवेदन पत्र !

मान्यवर !
        मैं प्रार्थी अब्दुल रहमान  s/o मुहम्मद यासीन सिद्दीकी ( late) , गाँव pataila का निवासी हूँ ! मेरे पिताजी चार भाई थे,( मोहम्मद यासीन, मुहम्मद खलील , मोहम्मद जमील (उर्फ सुल्तान भारती) और मुहम्मद मुस्लिम!) इसमें मोहम्मद यासीन और मुहम्मद खलील का देहांत हो चुका है! 
      2016 में पुश्तैनी घर और खेत का बंटवारा हुआ ! बंटवारा के वक़्त-बड़े चाचा मुहम्मद जमील उर्फ सुल्तान भारती ( पत्रकार दिल्ली)और छोटे चाचा मुहम्मद मुस्लिम दिल्ली से आए ! दिवंगत चाचा मुहम्मद खलील की अंतिम इच्छा थी कि उनकी छोटी बेटी ( जो गाँव के मोनू से ब्याही है!) को भी रहने का ठिकाना मिले !
    भाई की इस इच्छा का सम्मान करते हुए चाचा मुहम्मद जमील ने पुश्तैनी घर में अपना हिस्सा भाई की बेटी और दामाद ( आसिया और मोनू) को दे दिया ! दिवंगत चाचा ( मुहम्मद खलील) का हिस्सा उनके बेटों सिकंदर और अकबर को मिला! सबसे छोटे चाचा ( मुहम्मद मुस्लिम) ने भी मकान का अपना हिस्सा दोनों मृतक भाइयों के बेटों को दे दिया! !
       बंटवारे के बाद कायदे से मोनू और आसिया को अपने हिस्से में रहना चाहिए, पर वो पूरे घर को इस्तेमाल कर रहे हैं ! उनकी नीयत पूरे पुश्तैनी घर पर कब्जा करने की है! उन्होने अभी मेरे हिस्से के मकान में गाय और भैस बाँधना शुरू कर दिया है! अभी दस दिन पहले मेरे चाचा ( पत्रकार Sultan bharti) दिल्ली से आए थे, उन्होंने मेरे सामने आसिया और मोनू से अपने हिस्से में रहने की ताकीद भी की थी ! ( 24-04-2024) ! तब दोनों ने दो दिन में गाय हटा लेने की  बात मानी थी ! चाचा के लौटने के बाद फिर गाय बांधने लगे !
  आपसे  विनम्र निवेदन है कि उनकी बेईमानी पर लगाम  लगाने की कृपा करें! मैं एक सोशल ऐक्टिविस्ट ( समाज सेवी) हूँ ! मुझे न किसी का हिस्सा चाहिए और न कोई जबरदस्ती मेरे हिस्से पर काबिज हो ! इसलिए इस विषय में मुझे संवैधानिक सहायता उपलब्ध कराते हुए उन्हें ( आसिया और मोनू) को अपने हिस्से में घर बनाने और रहने का निर्देश दिया जाए, आपके इस त्वरित सहयोग के लिए मैं सदैव आभारी रहूँगा- धन्यवाद  !!

                          प्रार्थी 

              अब्दुल रहमान सिद्दीकी  
     S/o मुहम्मद यासीन सिद्दीकी ( late)
      ग्राम,,, पटैला - थाना  बल्दीराय 
             ज़िला ,,, सुल्तानपुर  यूपी  
फोन   7889609414 
     

Thursday, 2 May 2024

(व्यंग्य चिंतन) "आनंद ही आनंद "!

"व्यंग्य चिंतन" 

आनंद ही  आनंद  !
          मुझे भी चाहिए ! क्या करूँ  कभी मिला नहीं ! आनंद हमेशा मेरी चाहत और तलाश के केंद्र में रहा, पर कमबख्त पकड़ में नहीं आया।  आनंद की खोज में जब जब दौड़ा, तो कभी मँहगाई मिली तो कभी कोरोना !  कुछ लोगों ने तो एक महापुरुष के दिव्य सुझाव पर अमल करते हुए कोरोना में ही आनंद ढूढ़ लिया था ! इस खोज का नामकरण हुआ - आपदा में अवसर ! समाजसेवा और सियासत के व्यवसायी  आनंद के ब्रांड एम्बेसडर बने, इसलिए आपदा से हमेशा- दो गज दूरी- आनंद ज़रूरी - का पालन होता रहा ! बेशक लेखक अगली पीढ़ी का आर्किटेक्ट होता है,  पर उसकी कुंडली में 'आनंद' वाली रेखा नहीं होती ! उसका दिमाग़ सेटेलाइट कैमरा और सुपर कंप्युटर से ज़्यादा क्रियाशील होता है, किंतु  शरीर से लेखक बेहद सुस्त प्राणी होता है ! वो समाज को  आनंद से भरी एक ( काल्पनिक) दुनियां दे सकता है किन्तु अपने लिए वास्तविक आनंद चाहता है ! न मिलने के कारण उसके अंदर क्रोध का दावानल उमड़ता रहता है !
         मेरी समस्या थोड़ा जटिल है ! आनंद तो मुझे भी चाहिए, किंतु कहां से लाऊँ- आजतक समझ में नहीं आया ! वैसे भी बुद्धिजीवी होते ही प्राणी कई किस्म के आनंद से वंचित हो जाता है! गैर बुद्धिजीवी शख्स भौंडे और फूहड चुटकुले पर भी खुलकर हंस लेता है,  वहीं बुद्धिजीवी चुटकुला सुनते ही ऐसी गंभीरता ओढ़ लेता है गोया हंसते ही उसका वज़न कम हो जाएगा ! हमेशा गंभीर बने रहने से उसके अंदर एक कोयला सा सुलगता रहता है ! ऐसे में 'आनंद' संपर्क में आते ही  झुलस जाता है ! अति बुद्धिजीवी व्यक्ति से उसकी बीवी कभी सहमत नहीं होती, और बीवी के सांसारिक तर्कों से बुद्धिजीवी  सहमत नहीं होता ! ऐसे घर में आनंद की इंट्री हो तो कैसे हो ! वहाँ तो बसंत के महीने में भी पतझड़ टपकता  रहता है !
         'आनंद' की बढ़ती हुई डिमांड देख कर कई आढ़ती मैदान में आ गए हैं ! ये दिव्य व्यापारी शुरुआत में आनंद  के बदले  सिर्फ श्रद्धा लेते थे , बाद में युवा शरीर और संपदा पर भी झपटते पाए गए ! हैरत है - 'आनंद' देने वाले आनंद बांट कर भी मालामाल हो गए और लेने वाले गरीबी रेखा के नीचे पहुच गए ! आनंद की अनुभूति तक विलुप्त थी ! लेन देन का ये ऐसा दिव्य कारोबार है जहां सिर्फ आनंद देने वाला सुखी नज़र आता है ! वैसे 'आनंद' तक पहुंचने की प्रक्रिया एक जैसी नहीं है ! किसी किसी को  'संतोष'  मात्र से परम 'आनंद' की प्राप्ति हो जाती है ! ( मुझे तो संतोष से एलर्जी है, उधार लेकर गाँव भाग गया !)  आज अमृतकाल    में संतोष करने वाले   लगभग विलुप्त होने के कगार पर है ! समाज और राजनीति में बैठे डायनासोर  'संतोष' को पास भी नहीं फटकने देते ! वो जनता की विरासत वाले इस सतोगुण को जीते जी हाथ नहीं लगाएंगे ! वोटर  को  चाहिए  कि - रूखी-सूखी खाय के सरकारी नलके वाला ठंढ़ा  'संतोष'  पीते रहे,,,!
            40 डिग्री तापमान में मेरा आत्मविश्वास पसीने पसीने हो रहा है ! कोरोना में बेरोजगार हो गया था, तब से आज तक  'आनंद' से आमना सामना नहीं हुआ , -  आवाज़ दो कहां हो !काश मुझे  भी  आपदा  में आत्मनिर्भर  होने का हुनर आता !  मेरे जैसे हज़ारों लोग जो दूसरों की जेब में अपना आनंद नहीं ढूँढते, कभी विकास नहीं कर सकते ! अभी अभी गाँव से लौटा हूं! मेरे एक मित्र ने बताया कि कुछ जागरूक लोग  'आनंद' बाँटने गावं तक आने लगे हैं ! मेरे बचपन में तो न बिजली थी न पांच किलो वाला आनंद ! चोर गाँव में  मात्र गेहूँ चुराने का जोखिम नहीं उठाते थे ! अब  ठग गाँव में जाने लगे हैं ! घर में रखे आनंद को दुगुना करने के लोभ में इस बार काफी लोग आनंद विहीन हो गए !
       पहले विकास के बाद आनंद आता था, अब चुनाव प्रचार के दौरान आने लगा है ! ईश्वर की तरह आनंद के भी अनंत रूप हैं! चुनाव प्रचार के दौरान ये साड़ी, सिलैंडर, सिलाई मशीन और दारू की पेटी के शक़्ल में आने लगा है ! इस दौरान हर पार्टी के उम्मीदवार  'आनंद' और  ऑफर साथ साथ लाते हैं, ' एक वोट दे दो- दो बोतल आनंद ले लो' ! हमारा मित्र चौधरी इस चुनावी मॉनसून में तीन चार महीने का  'आनंद' इकठ्ठा कर लेता है ! चुनावी मॉनसून में आनंद ही आनंद बरस रहा है! सभी लोग चाहते हैं कि पक्ष विपक्ष का सारा आनंद इधर ही हाथ लग जाये, पता नहीं बाद में किसके कुंडली में वनवास आए -इसलिये मत चूके चौहान!
          मैं  आनंद को लेकर अभी भी कंफ्यूज हूँ, मिलेगा या नहीं मिलेगा ! चंट लोगों ने बड़ी चतुराई से उपदेश देने का जिम्मा अपने हाथ में ले लिया ! खुद चंदे का आनंद लेते हैंऔर जनता को संतोष में ही परम आनंद ढूढ़ने का सुझाव देते हैं ! मोह माया से दूर रहने और - 'दाल रोटी खाओ  प्रभु के गुण गाओ - का उपदेश देते रहते हैं - ! 'आनंद' की खोज में लोग पहले हिमालय पर चले जाते थे ! आजकल लोगों ने आनंद की गठरी स्विस बैंक में जमा करना शुरू कर दिया है ! जैसे ही आनंद पर ख़तरा मंडराता है, प्राणी विदेश भाग जाता है !  बलात्कार में विश्व कीर्तिमान बनाने में लगे एक युवा महामानव ने अभी अभी देश से  भाग कर विदेश में शरण ली है ! कई महापुरुषों की नाभि का अमृत विदेश में है, उनकी मज़बूरी है कि वह  'आनंद' से ज़्यादा दिनों तक दूर नहीं रह सकते!

             ( सुल्तान भारती)
 



         

Monday, 29 April 2024

इकरा हसन

                        (शख्सियत)

'इक़रा हसन'- की लोकप्रियता का तिलिस्म 

     मुस्कराता चेहरा, बोलती आंखें, सर पर हमेशा करीने के साथ नज़र आने वाला दुपट्टा ! साधारण शक़्ल सूरत की एक असाधारण क़ाबिलियत रखने वाली युवती ! उनका पहनावा और सर्व समाज में घुलमिल जाने वाला अंदाज़ देख कर कोई अजनबी कयास भी नहीं लगा सकता कि असाधारण रसूख वाले परिवार की ये साधारण सी नज़र आने वाली लड़की दिल्ली के 'लेडी श्री राम' और लंदन से पढ़ कर आई है ! वर्तमान में वो-  उच्च शिक्षा,प्रशंसनीय तहज़ीब, भारतीयता और गंगा जमुनी विरासत की सबसे सशक्त अलम बरदार बनकर उभरी हैं ! समाज सेवा और सियासत की कंटीले रास्तों पर इकरा ने पिछले 9 साल ज़बरदस्त मेहनत करके लोगों में अपना ये मुकाम हासिल किया है !
      सियासत और समाज सेवा उनको विरासत में मिली है! उनके दादा अख्तर हुसैन कैराना से सांसद थे! पिता मुनव्ववर हसन चुनाव जीत कर बारी बारी से चारों सदनों में बैठे ! वालिद की मृत्यु के बाद इक़रा की मां तबस्सुम हसन ने भी 2 बार लोकसभा का चुनाव जीता था ! बड़े भाई नाहिद हसन को 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में इक़रा ने तब चुनाव जिताया जब एक (तथाकथित) 'विवादित बयान' के चलते उन्हें जेल में बंद कर दिया गया ! और अब,,,इक़रा खुद मैदान में हैं !
        चुनावी पर्यवेक्षक उसकी बढ़ती हुई लोकप्रियता,ज़मीनी पकड़, जनसंपर्क शैली,सादगी, शालीनता और सौम्य व्यावहार से उसकी जीत के प्रति आश्वस्त हैं ! नफ़रत के इस दौर में इक़रा एक उम्मीद है, रोशनी है और नि:संदेह एक सशक्त प्रेरणा भी, देश की लाखों युवक-युवतियों के लिए कि- देश और विदेश से उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद भी भारतीय तहज़ीब का दुपट्टा कितनी लोकप्रियता देता है ! 

   इक़रा पर एक शे'र तो बनता है -----
कोई तन्हा मुसाफिर कारवाँ बन जाता है जिस दिन!
उसी  दिन  'मुश्किलों' के  हौसले  भी टूट  जाते हैं !!
                  
           ( Sultan bharti)
                       

Monday, 8 April 2024

(व्यंग्य चिंतन) ग़रीबी रेखा पर खड़ा जीव

"व्यंग्य चिंतन "
गरीबी रेखा पर खड़ा जीव

      अब का बताएं भैय्या ! मुझे अपने पिछड़ेपन पर शर्म आ रही है और खासा गुस्सा भी ! वर्मा जी के पड़ोस में बस कर भी मैं ज़माने के हिसाब से खुद को अपडेट न कर पाया ! जब कोरोना आया, तो मैं 2 ग़ज़ दूरी को फॉलो न कर सका, जब कि वर्मा जी फ़ोन की लाइट जलाने से लेकर ताली, थाली,झांझ, मजीरा से ढोल नगाड़ा तक चले गए ! इतना पिछड़ापन होने के बावजूद चौधरी को जागरूक करने की ज़िम्मेदारी भी मेरे ऊपर है! क्या करें, हर ख़बर के सत्यापन की गहन ज़िम्मेदारी मेरी है ! खास ईद के रोज कुछ ऐसा ही हुआ !
     साढ़े 7 बजे सुबह ईद की नमाज़ पढ़ कर अभी मैं घर में घुसा ही था कि दरवाज़ा खोल कर चौधरी अंदर आया! मैं कुछ बोलता, उससे पहले ही चौधरी गुस्से में बोला,- कितै लिकड़ गया सुबह सुबह-'?
  ' आज ईद है, आ गले लग जा !'
' हट जा भारती पाछे नै !!'
     ' क्यों ! क्या हुआ '? 
' मोय पतो है अक् तू कहां ते लिकड़ कै आ  रहो!'
      ' मस्जिद से!'
  ' न ! गरीबी रेखा के नीचे ते लिकड़ के आ रहो ! केले केले  लिकड़ आया ! मुझे गैल न लिया ! हद हो गई बेशर्मी की-'!
      मैं अवाक था ! मैं वाकई मस्जिद से ईद की नमाज पढ़ कर आ रहा था, और चौधरी बड़ा गंभीर आरोप लगा रहा था कि  मैं गरीबी रेखा के नीचे से निकल कर आ रहा हूँ ! एक बारगी तो मुझे भी अपने ऊपर शक होने लगा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि मैं मस्जिद के बजाय गरीबी रेखा के नीचे से निकल कर आया  हूँ ! लेकिन मुझे भनक तक नहीं लगी , और चौधरी ने देख भी लिया ! क्या इतनी खामोशी से ग़रीबी रेखा के नीचे से ऊपर आया जाता है कि निकलने वाले को भी अपनी आहट न मिले ! ग़ज़ब भयो रामा,,,!
    मैने जेब टटोल कर देखा, जेब में 20 रुपये का एक विकलांग नोट अभी भी मौजूद था ! इस नोट ने  मेरा ढहता हुआ मनोबल  दुरुस्त किया और यक़ीन दिलाया कि मैं वहीं खड़ा हूँ जहां कल शाम था ! मैंने चौधरी को समझाया,- ' मैं ग़रीबी रेखा से बिलकुल बाहर नहीं आया, तुम तलाशी लेकर देख सकते हो ! जेब में वही बीस का नोट है जिसे परसों तुमने  लेने से मना किया था !-'!
    चौधरी सकते में आ गया,- ' वर्मा जी ने मोहल्ले में एक पोस्टर चिपकाया है, कि  पिछले दस साल में साढ़े तेरह करोड़ लोग ग़रीबी रेखा के  नीचे ते बाहर लिकाड़े गए , पर लिस्ट  दिखाई  को न्या !'
    मैंने चैन की साँस ली ! वर्मा जी का इस्कड मिसाइल फेल हो चुका था ! चौधरी कुर्सी पर बैठता हुआ बोला-' उरे कू सुन भारती ! जो लोग गरीबी रेखा ते बाहर लिकड़े सूं , उन्हें पहचाने कैसे-'! 
     विकट समस्या थी, -  चिंता मुझे भी होने लगी ! इतनी बड़ी संख्या में लोग गरीबी रेखा से बाहर निकाले गए हैं ! पता नहीं निकलने वाले लोगों को जानकारी है या वो भी अंधेरे में हैं ! मैंने बूमरेंग का रुख वर्मा जी की तरफ मोड़ दिया-' हो न हो, वर्मा जी को सारी जानकारी है! क्या पता अपनी कॉलोनी की लिस्ट उन्होंने ही  सरकार को भेजी हो ! काफ़ी तेज आदमी है-'!
    ' इब कै सारी तेजी लिकाड़ दूँगा-'! चौधरी गुस्से में बोला-'  इब देखता हूँ अक् कैसे लिकड़ता है ग़रीबी रेखा ते बाहर-, वापस धकेल दूँगा-!'
 मैं यही तो नहीं चाहता था ! बड़े मुश्किल से चौधरी को समझा पाया कि ये वर्मा का नहीं केंद्र सरकार का काम है ! अब चौधरी और भी हैरान था,- ' खली , चोकर ,बिनौला  अर  हरा चारा सबै मंहगा हो गयो ! अर् दूध के लिए तू भी रौला काटे अक घना पानी दीखे ! के करूँ बता, पूरो तबेला ग़रीबी रेखा के नीचे घास चर रहो ! साढ़े तेरह करोड़ में छ: भैंस तो ले सकते थे-! ' 
   'हो सकता है अगली लिस्ट में भैंसों का नंबर आ जाए, लो सिवईं पियो-!'
     थोड़ी देर बाद नॉर्मल होकर चौधरी ने विचित्र सवाल पूछ लिया,-' तू कद लिकड़ेगा ग़रीबी रेखा से बाहर-?'
      ' निकालने का काम सरकार का है ! पब्लिक का कर्त्तव्य है- चुनाव से पहले गरीबी रेखा के नीचे जाना, उस बाधा दौड़ में अब मैं क्वालिफाइड हूँ-!'
     "अर् मैं ?"
   " हम और तुम एक ही केटेगरी मे हैं, मगर ग़रीबी रेखा के नीचे से निकालने का काम रोज रोज नहीं, बल्कि पांच साल में एक बार होता है! "
     " तब तक के करूं?"
    ' वेट करो ! पहले भी बाहर आने के लिए साठ पैंसठ साल वेट किया था ! अभी तो जुमा जुमा  दस साल हुए हैं ! - ज्ञानी लोगों ने संतोष को 'परम सुखम'- बताया  है ! रास नहीं आ रहा है का !'
     'थारा उपदेश कुछ खास समझ में न आ रहो-'!
       'तो सुनो, देवासुर समुद्र मंथन के बाद पहली बार पृथ्वी पर अमृतकाल आया है, जब बग़ैर समुद्र मंथन के अमृत पान की अनुभूति हो रही है ! यह जो अनुभूति है, बड़ी काम की चीज़ हैं ! ये हमें जड़ और चेतन का फर्क बताती है ! प्रेम, आनंद और ऑक्सीजन इसी अनुभूति का परिणाम है ! अमृत काल भी इसी अनुभूति की प्रचंड उपस्थिति है ! मेरा ख्याल है कि अब गरीबी रेखा से ऊपर निकलने की मोह माया में नहीं पड़ोगे -'!

    समझ में कुछ न आए तो अपने पर कम मगर सामने वाले पर ज़्यादा गुस्सा आता है !  चौधरी आधी सिवईं छोड़ कर उठ गया !  मैं अभी भी साढ़े तेरह करोड़ वाली लिस्ट को लेकर चिंतित  हूँ ! पता नहीं उस लिस्ट में हमारे मोहल्ले के - कितने आदमी थे- ! ( सांभा है कि बोलता नहीं !)
   

Monday, 1 April 2024

(शिनाख्त) साइबर अपराध का बढ़ता दायरा

    (शिनाख्त)
           साइबर अपराध का चढ़ता पारा 

        तारीख  24 मार्च 2024- वक़्त रात के 11 बजे थे ! दक्षिण पूर्वी दिल्ली के अपने निवास में आधा घंटे पहले सोये शमीम खान अचानक नींद से जाग उठे!  उनके सेल फोन की घंटी लगातार बज रही थी! नींद की खुमारी में ही उन्होंने फ़ोन उठा लिया-' हैलो '! 
     उधर से आवाज़ आई-' आपने  'मुख्तार भाई' ( बदला हुआ नाम) से बारह हज़ार रुपये मांगे थे न ?'
शमीम खान अवाक् थे ! दिन मे सचमुच उन्होंने फ़ोन करके मुख्तार से 12000/ मांगे थे! उन्होंने समझ लिया कि मुख्तार ने ही इस आदमी से जिक्र किया होगा ! मुख्तार उनके दोस्त थे! उधर से उस आदमी ने कहना शुरू किया, -' आपका नंबर मुख्तार ने ही दिया है ! मैं आपको इसी नंबर पर पेमेंट भेज रहा हूं-'!
  नींद उड़ चुकी थी ! समस्या का निराकरण सामने था ! थोड़ी देर बाद फ़ोन स्क्रीन पर 10,000/ रुपया आने का मैसेज आया! साथ ही फ़ोन आ गया ,- ' सर्वर थोड़ा डाउन है, मैं दो हजार और भेजता हूं-'!
और फिर,,,,,स्क्रीन पर 2 हजार की जगह 20 हज़ार  का मैसेज आया ! शमीम भाई दो हजार की जगह बीस हजार देख कर हैरत में थे कि तभी फिर उसी शख्स का फ़ोन आ गया,- ' भाई साहब ! जल्दबाजी में अट्ठारह हज़ार रुपया ज़्यादा चला गया, प्लीज वापस भेज दो-'!
    रोज़ा नमाज़ के पाबंद शमीम खान उसे मुख्तार का परिचित समझ कर लुट गए ! उसी वक़्त उन्होंने दिए गए नंबर पर अपने अकाउंट से 18000/ रुपया भेज दिया, और खुशी खुशी बिस्तर पर लेट गए ! तब उन्हें क्या पता था कि वो तेजतर्रार साइबर अपराधियों के बिछाए जाल में फंस कर अपने खून पसीने की कमाई गवां बैठे हैं ! पुरसुकून नींद के आगोश में जाने से पहले उनके दिमाग़ में आया कि अकाउंट बैलेंस चेक कर लें!
    और जब चेक किया आँखों के आगे अंधेरा छा गया ! खाते में 12000/ आने की कौन कहे, 18000/ एक झटके में  निकल गया था ! 
     सुबह उन्होंने साइबर कैफे में जाकर ऑन लाइन शिकायत दर्ज करायी ! मामला साइबर क्राइम का था, इसलिए साइबर थाना बदरपुर जाना जरूरी था ! शमीम खान मेरे अच्छे मित्र हैं, उन्होंने मुझे साथ चलने को कहा ! मैं राजी था, उन्हीं की गाड़ी से साइबर थाना बदरपुर को रवाना हुआ! उस दिन होली थी, सड़क बिल्कुल खाली थी ! हम आधे घंटे में थाना पहुंच गए ! जाने के बाद पता लगा कि गलती से ऑन लाइन शिकायत दक्षिणपूर्व दिल्ली की जगह दक्षिण दिल्ली के साकेत थाना को चली गई है !  हमें वहां जाना पडा !
   वहां से साइबर क्राइम की कम्प्लेंट दुबारा बदरपुर थाने में ट्रांसफर हुई और हमें 2 दिन बाद आने को कहा गया ! थाने से निकलते हुए मायूस शमीम खान ने मुझ से कहा,-' पैसे वापस लौटने की उम्मीद तो है नहीं, पर मैं नहीं चाहता कि ऐसा फिर किसी के साथ हो ! यही सोच कर केस दर्ज करवाया है-! ये हरामखोर पकड़े जाना चाहिए-'!
     शमीम खान के इस एक कथन ने मुझे साइबर क्राइम पर लिखने के लिए उकसाया! केस मेरे सामने था ! लेटेस्ट टेक्नोलॉजी, आधुनिकतम गैजेट्स, तेज़ दिमाग़ पर आधारित अपराध की खतरनाक तिलिस्मी दुनियां ! अपराधी हज़ारों किलोमीटर दूर बैठा हमारे बैंक और बटुआ पर रेडार फोकस किए बैठा था ! विज्ञान और तकनीक के पंख पर बैठे इंसान से भी अपराधी दो कदम आगे खड़ा था ! सवाल गूंज रहा था, - इस शातिर दिमाग़ और रूपोश अपराधी को आखिर पकड़ते कैसे हैं ! जिज्ञासा बहुत बढ़ी, तो मैं साइबर थाने में दुबारा जाकर SHO ( थानाध्यक्ष) कुलदीप शेखावत से मिल कर साक्षात्कार का टाइम माँगा ! उन्होंने अगले दिन का वक़्त दे  दिया!
      मैंने तुरंत प्रतिष्ठित हिंदी पत्रिका ' उदय सर्वोदय' के चीफ़ एडीटर तबरेज खान को फ़ोन मिला कर स्टोरी पर चर्चा की तो वो फौरन तैयार हो गए! अगले दिन ( 30 मार्च 2024) को तयशुदा वक़्त पर हम शेखावत साहब के ऑफिस में थे---'

 मेरा पहला सवाल था --' इनका शिकार होने से कोई कैसे बच सकता है-?'
     ' भारती जी, फर्स्ट ऑफ आल , इस  नवीनतम तकनीक से लैस अपराधी से बचना है तो जागरूक नागरिक होना पड़ेगा ! जागरुकता ही आपको सुरक्षा दे  सकती है ! जानकारी,जागरूकता और लालच से दूर रहकर ही इन गुप्त लुटेरों से आप खुद को बचा सकते हैं-'!
(सवाल),,,,,' आज कल क्या ट्रेंड चल रहा है-'?
      ' ये कोई एक ट्रेंड पर नहीं चलते! मानवीय साइकोलोजी के माहिर जानकर हैं ये ! आजकल ये शेयर बाजार पे रेडार लगाए हुए हैं ! वहाँ बड़े शिकार मिलते हैं ! लोग लालच में फंस कर  इनके शिकार बन जाते हैं! यहां शिकार के लिए चारा डालने से पहले वो शेयर बाजार का पूरा स्टडी करते हैं, तब चुने हुए शिकार को लूटने का प्लान चॉक आउट करते हैं-'!
 (सवाल) ----' किस तरह करते हैं ये सब-?'!
 ' बड़े शिकार को भरोसा दिलाने के लिए ये एक बढ़िया एडवाइजर बन कर शेयर बाजार में पैसा इनवेस्ट करने की 'नेक सलाह' देते हैं ! धीरे धीरे इनके बताये रास्ते पर वो शख्स छोटी मोटी रकम जीतने लगता है ! फिर समय के साथ जीत की रकम और भरोसा दोनों बढ़ता जाता है ! शिकार को फंसाने के लिए  शिकारी अपनी जेब से चार पांच लाख रुपये दांव पर लगा देते हैं ! भरोसे और लालच में अंधे शिकार को पता ही नहीं चलता कि  शिकारी ही दोनों तरफ से पत्ते संभाले हुए है ! फिर बारी आती है  करोड़ों के इनवेस्ट की, और एक ही झटके में शिकार अपना सब कुछ गवां  बैठता है-'!
  (सवाल)  ----' और क्या हथकंडे अपनाते हैं-?'
 " सेक्स एक्स्टोरशन का कारोबार मेवात के साइबर अपराधियों में खूब चलता है ! वो अक्सर किसी बुजुर्ग को निशाना बनाते हैं! इनका फ़ोन उठाते ही बुजुर्ग को युवा लड़कियां स्क्रीन पर कपड़ा उतारती नज़र आती है! फिर वो बुजुर्ग को कपड़ा उतारने को कहती है, और यहीं से यौन फिरौती के शिकंजे में अमीर बुजुर्ग फंस जाता है! अक्सर ये सारा गेम लड़कों की तरफ से  होता है, और लड़की पोर्न वीडियो का एक एडिट फुटेज मात्र होती है ! इस तरह के रैकेट में फंसे बुजुर्ग अक्सर अपना दर्द  किसी को बता भी नहीं पाते-'!
  ( सवाल),,,,, ' साइबर क्राइम के कितने केस आते हैं रोजाना आपके थाने में -?'
    ' जनवरी से अबतक तीन महीने में  आठ हजार केस आ चुके हैं ! '
     सुनकर  मैं सन्न था  ! चलते चलते आखिरी सवाल पूछा -' सर ! देश की जनता और नागरिकों के लिए साइबर क्राइम को लेकर क्या सावधानी और सलाह देना चाहेंगे-?'
    " जागरूक बनें, लालच में मत पड़े ! पैसा कमाने का शॉर्ट कट रास्ता आपको मुसीबत में डाल सकता है ! किसी भी अजनबी लिंक या फ़ोन को अटेंड मत करें ! और,,,,,पुलिस को अपना दर्द बताने में देर मत करें-'!

    आधे घंटे बाद हम और तबरेज भाई दोनों जब कार से वापस लौट रहे थे तो दोंनो ही खामोश थे ! हमारे जेहन में साइबर अपराधियों की वहीं अदृश्य दुनियां और उनके रूपोश चेहरे की काल्पनिक तस्वीरें चक्कर लगा रही थीं !

            ( Sultan bharti journalist)

      

Wednesday, 27 March 2024

साहस सेवा और संकल्प : लाल सिंह आर्य

(साक्षात्कार)
साहस, सेवा और संकल्प :  'लाल सिंह आर्य'

    ( लाल सिंह आर्य! तीन बार भाजपा से विधायक, एक बार मध्यप्रदेश विधानसभा में मंत्री ! जनसेवा के पुराने पुरोधा , बचपन से आरएसएस के कैडर ! सत्तरह साल की किशोर अवस्था से सियासत में पदार्पण ! वर्तमान में भाजपा के एससी एसटी मोर्चे के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैँ! )
     (जाने माने पत्रकार और संघ के समर्पित सदस्य अजय कुमार सिंह ने फोन पर उनसे संपर्क किया और इंटरव्यू के लिए सहमति मिलने पर हमें  सूचना दी ! मैंने पत्रकार सुल्तान भारती को फोन मिलाया, विनम्र और सहयोगी स्वभाव के "भारती" साहब तुरंत  तैयार हो गए ! हम तीनों एक घंटे बाद नॉर्थ ब्लॉक स्थित लाल सिंह आर्य के सरकारी आवास पर जा पहुंचे ! आर्या जी ने मुस्करा कर सहमति दी और फिर शुरू हुई  सवालों की बौछार - और सधे हुए संतुलित शब्दों के साथ लाल सिंह आर्य का जवाब ! हमने लाल सिंह आर्य से उनकी ज़िंदगी, संघर्ष और उपलब्धियों से संबंधित तमाम पहलुओं पर विस्तार से बातचीत की!
(सवाल)-- कुछ अपने बचपन के बारे में बताएंगे! सुना है कि  खेलने कूदने की उम्र में आप समाज सेवा में उतर पड़े थे ?
   ( जवाब),,,,सात साल की उम्र में मैं संघ से जुड़ गया था ! समाज और राष्ट्र सेवा की भावना वहीं से पैदा हुई ! बाप चिनाई करने वाले मिस्त्री थे और दादा जूता बनाते थे! भिंड जिले के गंज मोहल्ला मे परिवार रहता था ! संघर्ष,सेवा और विश्वास कभी व्यर्थ नहीं जाता ! छात्र जीवन के दौरान 1984 में एबीवीपी का महा मंत्री बना !  1998 में मै पहली बार विधायक बना ! उस वक़्त मेरी उम्र 34 साल थी, और  फिर सफलता  का ये  कारवाँ बढ़ता ही गया !
(सवाल),,,,' संघ में कुछ पाने के लिए प्रतीक्षा सूची बड़ी लंबी होती है! आपको युवावस्था में में सब मिलने लगा ?'
( उत्तर),,,,' हमारे पूज्य सरसंघ चालक कहते हैं कि- संघ देता है, लेता नहीं ! लोग इस भाव से आयें कि हमें समाज को देना है, हमे संघ से मिलेगा कुछ नहीं-'!
(प्रश्न),,,,,'भिंड जिला चंबल बेल्ट में आता है जो डाकुओं का प्रभाव क्षेत्र है! कभी आपका आमना सामना उनसे हुआ है-?'
(जवाब),,,' चंबल को बदनाम किया गया है! हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री ने चंबल की इमेज खराब की है! वहाँ डाकू नहीं बागी होते थे , किंतु माननीय शिवराजसिंह चौहान के प्रयासों से अब चंबल इस समस्या से मुक्त है-'!
(सवाल),,,' आप विधायक रहे, मंत्री रहे! क्या कभी लोकसभा चुनाव लड़ने का विचार नहीं आया !अथवा पार्टी ने कभी ऑफर नहीं दिया-?'
( जवाब),,,,,'हमारी पार्टी में  किसी को कुछ मांगने की ज़रूरत नहीं पड़ती, पार्टी खुद देती है!हमें jo भी काम दिया जाता है हम उसे एक मज़दूर, सैनिक और स्वयंसेवक बनकर पूरी निष्ठा से पूरा करते हैं-!'
(सवाल),,,,'सेवा के इस लंबे अंतराल में कभी ऐसा विचार आया कि सियासत से समाज सेवा ही बेहतर थी-?'
(जवाब),,,,'साधन विहीन समाज सेवा की रफ़्तार बहुत धीमी होती है ! सेवा भाव होते हुए भी कुछ ख़ास नहीं किया जा सकता ! इसलिए राजनीति में आना ज़रूरी था ! आदरणीय मोदी जी के नेतृत्व में समाज सेवा और जनसेवा को जो रफ़्तार मिली है, वो पूरे देश के सामने है! आज सत्ता में बैठे लोगों के पास साधन भी है और मन में  सेवा भाव भी-'!
(सवाल),,,,,'राजनीति में कभी ऐसा मौका आया जब ईमानदारी नेकी के बाद भी आप पर आरोप लगाया गया हो ?'
(जवाब),,,,' हाँ, एक कालखंड ऐसा भी आया था जब मुझे झूठे केस में फंसाने की कोशिश की गई थी, लेकिन सांच को आंच कहाँ ! लेकिन घबराया नहीं ! साथ ही संयम और मानसिक संतुलन खोया नहीं मैंने! आखिरकार झूठे का मुँह काला और  सच की जीत हुई ! याद रखें, सत्य परेशान हो सकता है, किन्तु पराजित नहीं '!
( सवाल),,,,' क्या भाजपा से पहले सत्ता में आने वाली पार्टियों ने एससी एसटी के लिए कुछ नहीं किया-?'
(जवाब),,,,' कुछ खास नहीं ! उनके लंबे शासन में इस वर्ग के लोग मंत्री और उपमुख्यमंत्री के पद पर तो पहुंचे किंतु समग्र विकास की लहर नहीं पहुंची !
एससी एसटी वर्ग के महापुरूषों के सम्मान के खातिर कुछ नहीं किया गया! वो  सब कुछ मोदी सरकार इतने कम अन्तराल में कर दिखाया ! आज सही अर्थ में सबका साथ- सबका विकास हो रहा है!देश आगे बढ़ रहा है-!'
( सवाल),,,,' क्या इस बार चार सौ सीटें मिलेंगी-?'
(उत्तर),,,' ये नारा नहीं भरोसा है ! समग्र विकास से पैदा होने वाला आत्म विश्वास है मेरा ख्याल है कि सीटों की संख्या चार सौ पचास से  पौने पांच सौ तक जा सकती हैं-'!
(सवाल),,,,' इस तरह तो विपक्ष खत्म हो जायेगा ?'
( जवाब),,,,,' विपक्ष को कोई दूसरा नहीं ख़त्म करता , खुद उसका चाल चरित्र और चेहरा ही खत्म करता है! जो बोएगा -वही काटेगा-!'
  ( सवाल),,,,'  चुनाव के परिपेक्ष्य में जनता के नाम कोई संदेश-?'
(जवाब),,,,' विकास का रास्ता चुने ! लगातार मजबूत होती अर्थव्यवस्था को और अधिक रफ़्तार दें! सबका साथ सबका विकास को अगली पीढ़ी तक पहुंचाएं और देश को विश्वगुरु होने मे  अपने वोट की भागीदारी सुनिश्चित करें-!'
       पूरे एक घंटे बाद हमारी कर मंडीहाउस की ओर वापस दौड़ रही थी !पत्रकार अजय सिंह को ड्रॉप जो करना था!

                  (तबरेज खान)
                  चीफ एडीटर 



Sunday, 24 March 2024

(व्यंग्य चिंतन) 'दारु' की बोतल में 'झाड़ू'

(व्यंग्य चिंतन)
'दारू' की बोतल में "झाड़ू"

        आखिरकार पहुंची वहीं पे ख़ाक जहां का खमीर था, पुलिस उनको पकड़ ले गई ! इस अवसर पर 'विकास पुरूष' के आसपास उनके समर्थक कम तमाशाई ज़्यादा थे ! समर्थकों में उनकी संख्या ज्यादा थी जो विकास श्री' के कारण 'आम' से  ' खास' हो गए थे ! वो चिल्ला रहे थे और कुछ लोग 'न्याय के साथ हुए इस चीरहरण' के खिलाफ़ ज़मीन पर लेट गए थे ! औऱ,,,लेटते भी क्यों न , साक्षात  'धर्मराज'  को जेल भेजा जा रहा था ! क्या विडंबना थी, भ्रस्टाचार के ख़िलाफ़ आंदोलन चला कर सत्ता में आए  'विकास श्री' को ही भ्रस्टाचार के आरोप में  पकड़ लिया गया था !
           ये तो सरासर अन्याय था,- भ्रस्टाचार तो सनातन कालीन समस्या है ! आत्मा की  तरह अजर अमर है , न आग जला सकती है और न सुनामी डुबो सकती है ! हर पार्टी जीतने के बाद बाद शपथ लेते ही भ्रस्टाचार  दूर करने में लग जाती है, मगर महा मृत्युंजय का जाप करने वाला भ्रस्टाचार की जगह  वीर पुरुषों की कुर्सी हट जाती है !  "विकासश्री" भी आते ही भ्रस्टाचार पर झाड़ू चलाने लगे थे ! अनुयायी बंद आंखों से भी भ्रस्टाचार दूर होते देख रहे थे ! आम आदमी को कलियुग जाता और सतयुग आता नज़र आने लगा था !  'विकास श्री' का मफलर और खांसी दूर हो चुकी थी और दल के सभी पदाधिकारी आम से ख़ास होने लगे थे ! प्राप्त  गेहूं का फाइबर और दिल्ली की जीडीपी दोनों बढ़ रही थी ! मरणासन्न विकास का हीमोग्लोबिन ऐसा बढ़ा कि वो सरपट दौड़ने लगा ! नर नारी खुश होकर गाने लगे,- तुम्हीं हो माता पिता तुम्हीं हो-!'
      फिर अचानक विरोधी दल के नर नारी छाती पीटने लगे! पता चला कि पानी के लिए तरसती कॉलोनी में दारू की दुकान खुलने लगी ! विकास को बौराते देख पब्लिक सकते में थी ! पानी के लिए जूझते वोटरों के मोहल्ले में पानी के बोर और टैंकर तो पहुंच रहा था, किन्तु भाजपा का आरोप था कि पानी से ज्यादा दारु का लाइसेंस पहुंच रहा था ! आरोप था कि विकास श्री ने नई एक्साइज पॉलिसी को मंजूरी दे दी ! दारू को दवा बनाने का प्रयोग सफल हुआ और 'आम आदमी' को प्रचुर मात्रा में विकास नजर आने लगा ! केंद्रीय जांच एजेंसियो  ने जब विकास को सर्विलांस पर रखा तो  पता चला कि- जिसको समझा था ख़मीरा वो भकासू निकला!
      साजन के दो साफ सुथरी छवि वाले सहयोगी पहले ही गिरफ्तार कर लिए गए ! उनकी गिरफ्तारी से बहुमत आहत था  ! काफी बाद में साजन को सम्मन आना शुरू हुआ ! आम चुनाव 2024 और ईडी दोनों की पदचाप तेज़ हो रही थी ! विकास श्री कोई नई पारी खेल पाते कि ईडी ने साजन को घर से उठाया और  ' जेल में'  जमा कर दिया !  होली को  ऐसा फील होने  लगा गोया किसी ने पिचकारी की किडनी निकाल ली  हो ! पूरी स्क्रिप्ट बग़ैर हेडिंग के ! दुखद स्थिति है , और गठबंधन के नेता जुबानी हमदर्दी उड़ेल रहे हैं ! कुरुक्षेत्र सामने है, किंतु योद्धा नदारद ! कंफ्यूजन बना हुआ है, कि धर्म अधर्म के इस महाभारत में धर्म पर कौन है ! आरोप प्रत्यारोप के इस खेल में पिचकारी दोनों तरफ से चल रही है! व्हाटस एप् से दुर्लभ ज्ञान जमा करने वाली जनता ने सच जानने की कोशिश और उम्मीद छोड़ दी है !
       वक़्त की सितमजरी देखिये, जो बेचते थे दर्द दवा ए दिल ! वो दुकान अपनी बढ़ा गए-! कोई ज़माना था जब अन्ना हजारे नामक वाहन पर सवार होकर विकास श्री जंतर-मंतर पर अवतरित हुए! बाद में उन्होंने 'झाड़ू' नाम का एक दिव्यास्त्र ग्रहन किया ! बाद में बड़े बड़े बरगद झाड़ू की चोट से धराशायी होते गए ! जनता झाड़ू में एक नई जन क्रांति के अंकुर देख रही थी ! लेकिन 9 साल बाद ही- बना खेल तोरा बिगड़ गयो रे-!

       इंसाफ़ की देवी ने आंख पर पट्टी बाँध ली तो प्रेस ने वही पट्टी दिमाग़ पर बाँध ली ! अब बची जनता, तो उसे व्हाटस एप्प यूनिवर्सिटी थमा दिया गया ! कोल्हू के बैल बनकर अमृतकाल का आनंद लो ! देश आगे जा रहा है , और हम कोल्हू समेत पीछे ! 'विकास पुरूष' पर लगे आरोप पर कोर्ट की सहमति से एक ही सवाल उठता  है कि जनता भरोसा करे भी तो किस पर ! सियासत के इस हमाम में क्या सभी नंगे हैं ! एक नए  'तारणहार' की उम्मीद में जनता हर बार चुनाव की  वैतरणी झेलती है- जब तक है जान -जानेजहान मैं  नाचूंगी-! शायद यही विधि का विधान है  !
     अभी एक घंटे पहले चौधरी ने आकर मुझे होली की मुबारकबाद देते हुए पूछ लिया, - उरे कू सुन भारती ! उसकू घर ते ठाकर थाने क्यों ले गए !' 
     " भ्रस्टाचार का आरोप लगाया गया है, शराब के  व्यापार में कोई घपला बताया जा रहा है "!
       " कितै खोल रखी थी दारू की दुकान?" 
   " बड़े आदमी दारू बेचते नहीं, बेचने का लाइसेंस देते हैं! 
       ' कच्ची दारू पकड़ी गई- के? दो बोतल हैप्पी होली मैंने भी खरीदी , इब के  करूँ ?'
        " मत पीना ! गुझिया खा कर सो जाओ!"
     " पहले बताना था, इब तो एक बोतल पी कर तेरे धौरे आ गया  -! पहले बताना था, तेरे  पढ़ने लिखने का के फायदा "!!

    तब से मैं अपनी पढ़ाई की डिग्री को लेकर बड़ी हीनता फील कर रहा हूं !


      

(शख्सियत) रमेश बिधूडी: नायक : विकास का या विवाद का

(शख्सियत)        रमेश बिधूड़ी 

      "यह अंतिम पडाव नहीं है" ( रमेश बिधूड़ी )

(मैंने बहुत करीब से उनको देखा और परखा है ! समाजसेवा उन्हें विरासत में मिली है ! वकालत कर रखी है, मगर कभी वकील होने का ढिंढोरा पीटते नहीं देखा! कामयाबी को पचाने का हुनर जानते हैं !
प्रशंसा की अपेक्षा आलोचना ज़्यादा पसंद है !   सेवा साहस और दृढ़ संकल्प के धनी हैं !  पढ़े  , - समाज सेवा से सियासत तक सफल पारी खेलने वाले भाजपा के सांसद और कद्दावर नेता रमेश बिधूडी का ताज़ा इंटरव्यू !)

23 मार्च 2024 की सुबह साढ़े 9 बजे !हमारे साथ उदय सर्वोदय के चीफ़ एडीटर तबरेज खान भी थे! हमें डर एक ही चीज़ का था कि कहीं रमेश जी किसी जरूरी काम से निकल न गए हों ! हम दोनों ने रोज़ा रखा था और हमें जल्द वापस लौटना था ! वो मौजूद थे और लोगों की समस्याएं सुन रहे थे ! पूरे 35 मिनट बाद वो जैसे ही फारिग हुए , हमने फौरन पहला सवाल दागा,,,,,,
   ,,,,,,,,"आपके समर्थक और प्रशंसक सकते में हैं! आप लगातार इस सीट से जीतते आ रहे सांसद हैं, आशा के विपरीत अचानक आपकी जगह पार्टी ने किसी और को टिकट दे दिया ! वज़ह क्या है?"
      ---" नेतृत्व परिवर्तन होता रहता है।  बीजेपी में पोस्ट और पॉवर पर किसी की मोनोपोली नहीं है! ये फैसला पार्टी हाई कमान करती है कि टिकट किसको देना है और किसे नहीं देना है! हो सकता है कि मेरे अच्छे काम ऊपर तक कम पहुंचाए गये हों और हमारी आलोचनाएँ ज़्यादा हाईलाइट की गई हों ! आला कमान का फैसला सर माथे पर-"!

,,,,,,,,' एक जीते हुए लोकप्रिय सांसद की बजाय एक विधायक को इस सीट से उम्मीदवार बनाना,,,,, क्या नए उम्मीदवार के लिए मुश्किलें नहीं बढाती ?'
---कोई मुश्किल नहीं ! मोदी जी के नाम और सरकार द्वारा किया गया विकास जीत की जमीन तय करता  है ! और ये भी हो सकता है कि संगठन मुझे कोई बड़ी जिम्मेदारी देना चाहता हो !   यह जरूरी नहीं कि सांसद बन कर ही जनसेवा की जाए ! गांधी जी ने कौन सा चुनाव लड़ा था ! उम्मीदवार की बेहतरीन परफॉर्मेंस से कई गुना अधिक मोदी जी का नाम औऱ काम का मैजिक असर डालता है-" !
,,,,,," दक्षिणी दिल्ली लोकसभा सीट पर भाजपा उम्मीदवार के सामने 'आप' और कॉंग्रेस के गठबंधन का  संयुक्त उम्मीदवार खड़ा है! क्या ये भाजपा की जीत के रास्ते में एक बड़ी चुनौती नहीं है?"
  ---' देखिये, जनता का भरोसा मोदी जी पर है! जनता ने दस साल में मोदी जी और उनके विकास को परख लिया है,-जो कहते हैं वो करते हैं -! इंडिया गठबंधन का चाल चरित्र और चेहरा जनता के सामने है! अगर गठबंधन में दम होता तो उसके नेता पार्टी छोड़ कर भाजपा की ओर क्यों भागते-?  दिनों दिन मोदी जी की लोकप्रियता सर्व समाज के अंदर बढ़ रही ! इसलिए- इस बार चार सौ पार !"
,,,,,,, ' दिल्ली सत्तर विधानसभा सीट में बदत्तर पर आप के विधायक बैठे हैं! इस बार उनका कॉंग्रेस के साथ गठबंधन भी है! क्या इसका असर लोकसभा चुनाव परिणाम पर नहीं पड़ेगा?"
    ---' आपको याद होगा कि केजरीवाल जब सत्ता में आए थे तो नारा दिया था- भ्रस्टाचार हटाओ ! और फिर,,,,सत्ता में आने के बाद कभी भ्रस्टाचार का नाम नहीं लिया, क्यों? क्योंकि खुद भ्रस्टाचार करने लगे! तब उन्होंने नारा लगाना शुरू किया कि लोकतंत्र खतरे में है! जनता सब जान चुकी है कि सिर्फ नारा कौन देता है और विकास कौन करता है!
रही लोक सभा चुनाव परिणाम की बात, तो 2019 मे भी भाजपा ने दिल्ली की सातों सीटें जीती थीं जब कि दिल्ली विधानसभा में उनकी सीटें सत्तर में से अड़सठ थीं-"!
   ,,,,," आपने भ्रस्टाचार की बात की ! संयुक्त विपक्ष का आरोप है कि इलेक्टोरल बॉन्ड का घोटाला सबसे बड़ा भ्रस्टाचार है?"
  ,,,,,," जो खुद भ्रस्टाचार में सर से पैर तक डूबा हो, उसे तो इल्ज़ाम लगाने का अधिकार ही नहीं है! शीशे के घर में बैठ कर दूसरों के घर पर पत्थर मारने जैसा चरित्र है विपक्ष का ! "
     ,,,,,,,'केजरीवाल जेल चले गए ! समूचा विपक्ष इसे साजिश बता रहा है! क्या इस गिरफ्तारी से आम आदमी पार्टी के पक्ष में संवेदना लहर पैदा हो सकती है?"
    ,,,,,,,' संवेदना लहर इस बात पर निर्भर करती है कि इस घटना को कौन सही तरीके से जनता के बीच ले जाता है ! इसमें भाजपा कामयाब होती है तो लाभ भाजपा को मिलेगा, और अगर आम आदमी पार्टी जनता को  समझाने में सफल होती है तो फायदा उसे मिलेगा ! माननीय प्रधान मंत्री जी जनहित और सर्वहारा हित में कदम उठाते हैं, हानि या लाभ देख कर नहीं ! दिल्ली और देश की जनता मोदी जी के निर्णय के पक्ष में है-!"
    ,,,,,, " चुनाव की पदचाप और प्रचार की सरगर्मी बढ़ रही है, रमेश विधूड़ी जी अपनी पार्टी के उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार करने कब निकलेंगे?"
----" जब उम्मीदवार चाहेगा ! मैने फ़ोन कर के कह दिया है कि जब तुम्हें मेरी आवश्यकता होगी, बता देना ! और कोई भी मेरे बारे में कुछ कहे तो सीधे फ़ोन कर के मुझ से बात कर लेना ! अब अगर उम्मीदवार को लगेगा कि मेरी आवश्यकता है तो तो कहेगा , और अगर उसे लगा कि मेरे साथ रहने से उसे नुकसान होगा तो नहीं कहेगा ! ऐसी स्थिति में पार्टी मुझे जो काम सौंपेगी मैं उधर जाऊँगा-"!
     ,,,,," आपके दक्षिणी दिल्ली लोकसभा सीट के मुस्लिम वोटर के बहुमत का रुझान तो "आप" उम्मीदवार की तरफ है !  इसका कितना असर चुनाव परिणाम पर पड़ेगा-?"
  -----" मोदी जी का नारा है,- सबका साथ सबका विकास ! राष्ट्रीय स्तर पर इसमें कोई भेदभाव नहीं होता! सभी को समान रूप से इसका लाभ मिलता है, इसमें मुस्लिम भी शामिल हैं ! हम किसी के साथ भेदभाव नहीं करते! मोदी जी की इन्हीं विकासशील नीतियों और योजनाओं के चलते मुस्लिम वोट प्रतिशत तेजी से आगे बढ़ा है! पिछली बार ये सात फीसदी था ! तो कोई ये दावा नहीं कर सकता की सभी मुस्लिम वोट उसी उम्मीदवार को जायेंगे-"!
,,,,,," विगत तीस सालों से मैने देखा है कि क्षेत्र की मुस्लिम जनता भी बड़ी तादाद में अपनी समस्याओं को लेकर आपके पास आती है! उनकी शादी और त्योहार में भी आप जाते हैं! फिर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आपकी छवि मुस्लिम विरोधी कैसे बन गई-"?
-----" मुस्लिम विरोधी बनाई गई है- जानबूझकर ! अगर मैं अपने मुस्लिम भाइयों के सुख दुख में खडा होता हूँ, उनके लिए काम करता हूं और उनको सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाता हूँ, तो उसे हाईलाइट नहीं किया जाता ! वहीं, यदि अल्पसंख्यक समाज का कोई व्यक्ति आलोचना की जगह अभद्र भाषा का प्रयोग करे और मैं जवाब दूँ तो एकतरफ़ा प्रचार किया जाता है ! मुस्लिम को भाजपा से दूर रहने के लिए विपक्ष हर प्रयास करता है! सीएए के बारे में भ्रामक प्रचार उसका ताज़ा उदाहरण है! जो मुसलामान बंटवारे के बाद भी यहां से नहीं गए, वो इसी देश के हैं, उन्हें देश से प्यार है, और इस देश के सभी संसाधनों में उनकी समान भागीदारी और अधिकार है-!"    (समाप्त)
      
                 (लब्बोलुआब)
     सच कडुआ होता है, इसलिए समाज और सियासत में बहुमत कडवे सच से दूरी बनाए रखता है ! लेकिन रमेश विधूड़ी ने ऐसे कडवे सच को से अपनी आदत और पहचान बना ली है! उनके अंदर अभिनय, घड़ियाली आँसू या बनावटीपन का घोर अभाव है! वो जो अंदर से हैं, वही बाहर से नज़र आते हैं ! जो सच है और दिल गवाही देता है,वही कड़वा सच उनकी वाणी में बाहर आता है ! शायद यह वर्तमान आचार विचार को रास नहीं आता ! कडुआ सच बोलने का जोखिम अब विरले ही उठाते हैं ! रमेश विधूड़ी की शख्सियत को एक शे'र में बड़ी आसानी से समझा जा सकता है,,,,,,

              झूठ को झूठ सच को सच कहना !
              हौसला  चाहिए   जिगर  के लिए !!
             
                          ( सुलतान भारती)