Friday, 19 July 2024

(व्यंग्य चिंतन) 'आ' - से- 'अब्दुल का आम' !

                      व्यंग्य 'चिंतन '
        'आ' - से-  "अब्दुल का आम "

           अभी अभी लोकसभा चुनाव 2024 का परिणाम आया था , कहीं खुशी कहीं ग़म ! यूपी में ग़ज़ब भयो रामा जुलम भयो रे-! इसके लिए प्रशासन का सारा गुस्सा 'अब्दुल' के ऊपर है,  थोक में वोट विपक्ष को दे आया ! देखता हूँ अब तेरा  ठेला कौन बचाता है! यूपी सरकार ने फौरन हिटलिस्ट बनाने का आदेश दे दिया !  24 घंटे अब्दुल के लिए में चिंतित रहने वाले सलाहकार विचार विमर्श में लग गए ! एक ने अब तक हुए विकास की लिस्ट देखते हुए कहा, -'घर तो अवैध बता कर पहले ही तोड़ा जा चुका है '!
       'अब्दुल का लड़का जिस मदरसे में तालीम ले रहा था, उसे भी अवैध बताकर ताला लगा दिया है ! अब कौन सा विकास किया जाए ?'
     ' नौकरी कर रहा होता तो सस्पेंड करवाना आसान था ! ठेले का क्या करें ?' 
    ' कई बार तो जब्त कर चुके , अब अगर जब्त किया तो ठीया पक्का हो जाएगा-'!
   ' आम की पेटी में आर.डी.एक्स. बरामद कर लें तो लंबी सजा काटेगा-'!
   ' फॉर्मूला पुराना हो गया , कुछ और सोचो- !'
    बड़ी देर से चिंता में डूबे एक विचारक ने अब्दुल के स्थायी कल्याण का रास्ता सुझाया ,-' देश के बहुसंख्यक आबादी की गंगा जमुनी संस्कृति के प्रति प्रेम के कारण हमारा बड़ा नुकसान हुआ है ! दोनों समुदाय इतना घुलमिल कर रहते हैं कि अलग अलग पहचान ही मुश्किल है! इन्हें अलग अलग करने का एक तरीका है-!'
      " खुल कर बताओ गुरु !"
   " ज़्यादातर इनके ठेला,खोमचा ,पंचर, बिरयानी, फल जैसे छोटे कारोबार हैं! नियम लागू होना चाहिए कि दुकान के मालिक को दुकान पर बड़े बड़े अक्षरो में अपना नाम लिख कर रखना होगा ! बस- दूसरों के पंचर ठीक करने वाला अब्दुल का सारा धंधा पंचर हो जाएगा-"!
      " कैसे गुरु?"
   " 80 पर्सेन्ट अब्दुल न दाढ़ी रखते हैं न टोपी पहनते हैं ! ऊपर से दुकान का नाम बड़ा कंफ्यूजन वाला होता है, - 'पप्पू के मशहूर केले', 'मोनू बिरयानी वाला'  , 'कल्लू के चिकन पराठे, ' मुन्ना मछली वाला'- 'सोनू मसाले वाला  "मुन्नू  कैंचीवाला" इनमे अब्दुल कौन है,  ये पता ही नहीं चलता ! ऐसे लव जिहाद के चलते हमारा धर्म भ्रस्ट होता है ! जब असली नाम  लिखा होगा तो उनकी  दुकान  पर जाएगा कौन '!?
     ' हमारे लोग पता होने के बावजूद उनकी दुकान से सामान खरीदते हैं-'!
    'इसीलिए हम आजतक विश्वगुरु नहीं बन पाए ! लेकिन अब नाम लिखवाने से ये बाधा दूर हो जाएगी ! आने वाली कांवड़ यात्रा में इस प्रयोग को आजमा लेते हैं !"
    'फॉर्मूला तो बढ़िया है गुरु, लेकिन अपने लोगों को गंगा जमुनी इन्फेक्शन से निकालने के लिए तगड़ा जन जागरण करना होगा '! एक 'शुभचिंतक' ने राय दी!
       ' अभी वक़्त है,  मैं संगठन के महागुरु को बताता हूँ  ! जनहित के लिए कल्याणकारी इस योजना को प्रशासन तक पहुंचाने और लागू करवा ने का काम उनका है ! आप लोग धर्मनिरपेक्षता की अफीम चाट कर सोये अपने समाज को लगाने में लग जाओ -'!
       और फिर कुछ दिन बाद ये 'सर्व जन सुखाय' - 'सर्व जन हिताय'-वाली योजना घोषित हो गयी ! चारों तरफ से ततैया टूट पड़े ! 'जनहित' में- भूतो न भविष्यति- बताई जा रही इस कल्याणकारी योजना से सभी पार्टियों के लोग बौखला उठे ! सीधे सीधे सम्प्रदायवाद को हवा दे रहे इस तुगलकी फरमान में मेगा मीडिया के अलावा किसी को हीमोग्लोबिन बढ़ता या विकास होता नज़र नहीं आ रहा था ! चैनल पर डिबेट शुरू हो गया था और सोशल मीडिया पर समुद्र मंथन ! फ़ेसबुक वाल पर प्रचुर  मात्रा में ज्ञान गंगा उतरने लगी थी ! पक्ष विपक्ष में घमासान शर संधान शुरू हो गया ! इसके पक्ष में मीडिया मुगल कह रहे थे, -  "इस के लागू होने से सबका साथ सबका विकास योजना में बुलेट ट्रेन जैसी तेजी आएगी-'!
      " इससे सिर्फ साम्प्रदायिकता बढ़ेगी-"!
" पहचान के साथ धंधा करने में दिक्कत क्या है-'?
  " सतीश सब्बरवाल ( सबसे बड़े बीफ निर्यातक) को भी पहचान के साथ धंधा करना चाहिए-'!
    " खून देने वाले का नाम भी पैकेट पर क्यों नही लिखा जाता?"
   ' फल की दुकान पर बिकने वाले फल को उगाने वाले मालिक का नाम भी लिखा जाना चाहिए-'!
        " केंटुकी चिकन से आस्था को कोई खतरा नहीं,  बशर्ते  वहां  कोई मुस्लिम कर्मचारी न हो-'!
       शोध शुरू हो चुका था,  मीडिया के चिंतक,  सत्ता में बैठे नेता और समाज में बैठे चारण ये साबित करने में एडी चोटी का जोर लगा रहे थे कि इसी कामधेनु योजना  से विकास का मानसून आएगा ! जनता इस विकास परियोजना से दूर खड़ी दिल्ली के आकाश में बादल तलाश रही थी !
 और,,,,, नफ़रत के ग्रास रूट पर अब्दुल और आम  के बीच का फर्क खत्म होता नज़र रहा था !
        मगर 22 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने अब्दुल के 'विकास' वाली इस  "बहु आयामी" योजना पर पानी फ़ेर दिया ! सुप्रीम कोर्ट ने दुकान के बाहर प्रोडक्ट लिस्ट लगाने की अनिवार्यता जताई , नाम लिखने की ज़रूरत खारिज कर दी!
       आदेश आते ही, अब्दुल के 'समग्र विकास' के लिए दिन रात पसीना बहा रहे, कई योद्धा कोमा में चले गए !
                  [ सुल्तान 'भारती']



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