हम 'खोदने' आये हैँ
अजी हम से बच कर कहां जाइयेगा ! जहाँ भी जाएंगे, हमें फावड़े के साथ खड़ा पायेगे ! हम खोदने का प्रण कर चुके हैँ ! जायज नाजायज मेरा विषय नहीं है! जब जहाँ खोदने का 'ईश्वरीय' आदेश आएगा, हम फावड़ा चला देंगे ! हमारे पास खोदने की लंबी लिस्ट है, सारे घर को खोद डालूँगा ! ऊपर जो है, वो ( सच) नहीं है ! जो ( नीचे) है वही सच है ! हम सच खोद कर ऊपर लाएंगे, क्यों कि हम सत्य खोदक है! [ वैसे बता दूँ, खोदना हमारा कर्म है ! सत्य बरामद हो या न हो, हमें कोई फर्क नहीं पड़ता ! किसी का दिल टूटे या भरोसा, फावड़ा नहीं टूटना चाहिए ! फावड़ा है तो मुमकिन है ! लोग अज़ीब अज़ीब सवाल पूछ ते हैँ, - जो नीचे है, वो कैसे नज़र आ गया ! अरे बाबू , जाकी रही भावना जैसी,,,,! अब तो फावड़ा उठा लिया है, हट जा ताऊ पाछे ने-!
काम बहुत है, समय कम ! कुछ खोद डाला है, बहुत कुछ खोदना बाकी है ! 67 साल के 'दानव शासन ' में लिखे गये इतिहास को इतने कम समय में खोदना आसान नहीं था, फिर भी हमने लक्ष्य को प्राप्त किया ! जब हम इतिहास खोद रहे थे, तभी हमारे आर्किटेक्ट नें देख लिया था, किसके नीचे क्या है! हम तभी से कुदाल और गैती का इन्तेज़ार करने लगे थे! शुक्र है कि अब इतिहास हमारा है, नई नस्ल को "सम्प्रदाय विशेष" के इन्फेक्शन से बचाने का व्यापक प्रबंध हो गया है ! अब अगर ये बंटे तो काट दिए जाएंगे ! अज्ञान काल में देश का जो इतिहास लिखा गया था, उसमें फाइबर नही था ! वामपंथी लेखक- विभिन्नता में एकता, सौहार्द, भाईचारा,गंगा जमुनी संस्कृति और जाने क्या क्या वाहियात चीज़ को बनाने में लगे थे ! हमने उसे खुरच दिया, और इतिहास को उबाल कर शुद्ध कर लिया है! जब हमने इतिहास को खोदना शुरू किया तो लोगों नें बड़ा चिल्ल पो मचाया , लेकिन हमारे प्रचंड बहुमत के आगे ढेर हो गये !
बताया न हमारी लिस्ट लंबी है, इतिहास खोद कर नए सिलेबस का पौधा रोप दिया है! अब दूसरे सम्प्रदाय की आस्था खोदने की बारी है ! विधर्मियों में हमारी कोई आस्था नहीं है! हमें पता चला है कि उनके हर आस्था केंद्र के नीचे हमारी आस्था दबी हुई है ! हमें खोद कर अपनी आस्था बाहर निकालना है ! फावड़ा लेकर हम उसी रेस्क्यू ऑप्रेशन में लगे हैं ! पिछले नारे को अब और धारदार बना दिया है, - सब कुछ खोद के जाएंगे !
. नया सवेरा लाएंगे !!
हम क्रांतिकारी हैं, धर्म योद्धा हैं! हम विश्ववत कुटुम्बकम में यक़ीन करते हैं, इसलिए मौक़ा मिला तो सारी दुनियां खोदेंगे ! जहाँ जहाँ 'राक्षस राज' है, हम खुदाई करेंगे ! हमारे 'दिव्य' वैज्ञानिक मस्जिद देखते ही ताड़ लेते हैँ कि इसकी नीव के नीचे क्या है! कुछ लोग अज्ञानता के चलते विरोध करते हैँ, और मारे जाते हैँ ! पुलिस हमारी आस्था के साथ खड़ी है! वो पूरी श्रद्धा से गोली चला रही है! हम धर्मकार्य करने को आतुर, कुछ लोग मरने को आतुर ! हम जानते हैँ- कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ेगा ! पाना हमें है, खोना उन्हें ! खोदनें से महंगाई और बेरोजगारी विकलांग होती है और आस्था उर्वर - मन लागा राम फकीरी मा ! फावड़ा लेकर हम कितना महान काम कर रहे हैँ! कुछ लोगों को इस धर्म क्रांति में फाइबर ही नहीं नज़र आ रहा ! घनघोर कलियुग है!
खैर, खुशी की बात है कि बड़ी मीडिया नें हमारी खुदाई के प्रति आस्था दिखाई है, वो हमारे फावड़े के साथ खड़े हैं! धर्म के प्रति उनकी अगाध श्रद्धा देख कर कुछ लोग सकते में हैं! कुछ चैनल तो सतयुग लाने की जल्दबाजी में 24×7 को ही खुदाई परिचर्चा में लगा दिया है! हमें क्या पता कि शिक्षा, स्वास्थ्य, न्याय, सुरक्षा और संवाद सभी महकमो में हमारे इतने शुभचिंतक भरे हैं! खैर, मीडिया में बैठे भक्तों नें हमारी प्रचंड धर्म क्रांति को बारूद मुहैया कराने में जो योगदान दिया है, उसे इतिहास याद रखेगा ! खोदनें की जितनी जल्दी हमें है, उससे हजार गुना ज्यादा जल्दी सोशल मीडिया के विद्वानो को है! उनकी आतुरता - काल्ह करे सो आज कर- पर विश्वास करती है! अच्छा है कि हमारे समर्थक आस्था के मामले में 'तर्क को तुर्क' समझ कर डील करते हैँ ! कई चैनलों नें अपने न्यूज रूम को खोद कर अखाड़ा बना दिया है,जहाँ दिन रात 72 हूरो पर रिसर्च और गाली गलौज दोनों चल रहा है! यहां आस्था को धोबी पाट लगा कर चित किया जाता है !
इतनी प्रचुर मात्रा में ऐसी प्रचंड आस्था- भूतो न भविष्यति- ! अब तो बाबा लोग भी देश को "दानव मुक्त" बनाने निकल पड़े हैं! सतयुग लाने की ज़िम्मेदारी संतों के कंधो पर है! 'विश्व का कल्याण हो'- की शुरुआत देश में शुरू हो चुकी है ! बग़ैर खेत खोदे किसी फसल के विकास का अंकुर नही फूटता , इसलिए खोदना बहुत ज़रूरी है! हम महा विकास के प्रथम चरण में खड़े हैँ, हमें पूरी दुनियां खोदना है ! अभी तो,,, इब्तदा-ए- इश्क है रोता है क्या ! विकास के इस महायज्ञ में-कोई रोके नहीँ कोई टोके नहीं हम- विश्ववत कुटुम्बकम- में गंभीर आस्था रखते हैँ !दुनियां हमारा कुटुम्ब है, तो कुटुम्ब को खोदनें का विरोध कैसा !
हमें खोदने दें, तभी विश्व का कल्याण होगा ! कोई रोके नहीं कोई टोके नहीं ! कुछ लोग हमें याद दिलाने में लगे है कि दुनियां आसमान में पानी खोज रही है और हम ज़मीन के नीचे मंदिर ढूंढ रहे हैँ! अरे भैया, ज़मीन के ऊपर जो पानी है,उसे छोड़ कर मंगलग्रह पर पानी क्यों ढूंढ रहे हो ? तुम्हारे पास तर्क है हमारे पास फावड़ा ! मुझे कोई बहस नहीं करना ! तुम्हें ऊपर मंगल ग्रह पर जाना है तो जाओ, - हमें तो फावड़ा समेत मस्जिद के नीचे जाना है !
[ Sultan Bharti]
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