Thursday, 21 November 2024

[व्यंग्य चिंतन] बंट जाओ प्लीज, थोड़ा काटना है

           'व्यंग्य चिंतन'
बंट जाओ प्लीज, थोड़ा काटना है!

       मनसुख पान भंडार की दुकान पर दो लोग आपस बतिया रहे थे !
             "अब का बताएं भैय्या, हंगामा सा बरपा है ! कोई काटने वाला है, जो  लोगों को काटने की घात में हैं ! वो काटने के अलावा और कुछ नहीँ करता - '! !
  " कुछ भी नहीं करता?"
 " पिछले चुनाव में मंगलसूत्र छीन रहा था, बड़ा ढीठ है-"!
      " पुलिस से मिलीभगत होगी चचा -"!
  " सरपंच जी के दरवाज़े कल जो नेता जी आए थे,  उसके पहले किसी को भनक भी नहीं लगी थी कि 'कटहवा बाबा' आने वाला है-!"
       "का भवा पंचायत मा -"?

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