Wednesday, 31 August 2022

संगम विहार

     (अग्नि दृष्टि) 

"संगम विहार का नया संकट"!

        अगर दर्द का संप्रदाय करण किया जाए तो समाज कहां जाएगा! यदि ज़ख्म और तकलीफ को धर्म के फीते से नापा जायेगा तो मानवता आहत होगी और सामाजिक संरचना छिन्न भिन्न होने लगेगी ! ऐसी स्थिति में राष्ट्रीय एकता को घातक चोट पहुंचती है और साम्प्रदायिक को ताकत हासिल होती है ! यह समाज के लिए दुखदाई स्थिति होती है ! पैंतीस साल से चट्टान सी मजबूत दक्षिण दिल्ली स्थित संगम विहार के हिंदू मुस्लिम इत्तेहाद को आज अचानक उसी पीड़ा के रूबरू खड़ा करने का प्रयास किया जा रहा है ! घटना की शुरुआत कुछ यूं है ! 
            अगस्त के आखिरी हफ़्ते के शुरुआती दिनों में ( आज से आठ दिन पहले) संगम विहार के E ब्लॉक में अपनी मां के साथ घर आ रही एक लड़की को बाइक सवार तीन लड़कों ने पीछा किया और मौका पाते ही लडकी ( नैना मिश्र) पर गोली चला दी ! घायल लड़की को पास के बत्रा हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, जहां आज भी वो जेरे इलाज है! पुलिस ने प्रशंसनीय तत्परता दिखाते हुए दो लड़कों ( बॉबी कुमार और सुमित)  को गिरफ्तार कर लिया ! (लड़की पर गोली सुमित ने ही चलाई थी!.) तीसरा अपराधी  (अमानत अली उर्फ अरमान अली)जो बाइक चला रहा था, भागने में सफल रहा था था !  पोलिस सारे संभावित ठिकानों पर दविश दे रही है ! स्थानीय पत्रकार मोमिना ने इसे सबसे पहले कवर किया था, और उसने अपराध और अपराधी को बगैर नमक मिर्च के दिखाया था ! 
     लेकिन जैसे ही मीडिया को खबर मिली कि तीनों अपराधियों में फरार होने में सफल रहा अपराधी सम्प्रदाय विशेष का है, बस अपराध की इस घटना को साम्प्रदायिक मोड़ दे दिया गया ! इस महान काम में एक यू ट्यूब पत्रकार ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए आधी अधूरी जानकारी लेकर खुल कर हिन्दू मुस्लिम किया ! ऐसा दिखाने का प्रयास किया गया गोया गोली भी फरार अपराधी ने ही मारी है, और मास्टर माइंड वही है! यहां तक तो ठीक था, आगे सीधे उसी को निशाना बनाकर संप्रदाय विशेष पर ज़हरीली टिप्पणी शुरू हो गई!
      विहिप ने क्षेत्र में मीटिंग की , और उस आक्रोश सभा में अपराधी विशेष की आड़ में जमकर मस्जिद और  मदरसे तक को आतंकी अड्डा और जाने क्या क्या कहा गया ! बत्तीस साल से मैने संगम बिहार में हिंदू मुस्लिम नहीं देखा ! यहां का हिन्दू मुस्लिम सौहार्द अतुल्य है!. दोनों समुदाय एक दूसरे के साथ जिस तरह प्यार मोहब्बत से रहते हैं, उसने साम्प्रदायिक शक्तियों की आंख में मिर्च डाल दी है! यहां की दीवाली और ईद मशहूर है! 
       विगत वर्ष इन्ही दिनों  पूरा संगम विहार         राविया हत्याकांड से थर्रा उठा था, संगम विहार के सभी हिन्दू मुस्लिम जनता ने कंधे से कंधा जोड़ कर इन्साफ की लड़ाई लड़ी थी ! तब किसी दर्दमंद नेता को बाहर से आकर संगम विहार की बेटी के लिए आक्रोश रैली करने की हूक नहीं उठी थी , क्योंकि शायद पीड़ित लड़की का नाम "राबिया" था ! दर्द का मजहब नहीं होता और अपराध का संप्रदाय से कोई नाता नहीं ! पानी, परिवहन, परिवेश और अपराध की दारुण समस्याओं से मिल कर लड़ रहे संगम विहार को एक नई मुसीबत "सांप्रदायिकता" में न घसीटा जाए !
       सरकारी उपेक्षा की शिकार और सत्ता संघर्ष में पिस रही इस बस्ती मे पहले से ही क्या कम मुसीबतें हैं ! अपराधी को सख्त सजा दे, अपराधी कोई भी हो, उसके के साथ उसका संप्रदाय नहीं खड़ा है ! पुलिस प्रशासन को अपना काम करने दें! नफ़रत फैलाना भी क्राइम में शुमार किया जाए!
लेकिन लगता नहीं।

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