Tuesday, 9 August 2022

(व्यंग्य भारती) " मिले सुर मेरा तुम्हारा"

(व्यंग्य भारती)

       " मिले सुर मेरा तुम्हारा"!

      अब यही समस्या है दुरंत,,,,,! ससुरा सुर ही नहीं मिल रहा। समान सुर की तलाश में कब से अलाप रहा हूं, - मुझको आवाज़ दो, छुप गए हो कहां -! लेकिन सुर है कि मांगलिक लड़की की कुंडली हो गया है, - मिलती ही नहीं -! नौकरी और सुर दोनों नहीं मिल रहे हैं! रोटी की जगह परमाणु बम की ज्यादा डिमांड है! एक से एक नारंगीलाल परमाणु बम का फार्मूला ढूंढ रहे हैं, जिनके खुद के आटे का कनस्तर खाली होता है, उन्हें चोकर में सबसे ज्यादा फाइबर नज़र आता है ! पाकिस्तान को देखिए , चीन के उईगर मुसलमानों पर हो रहे  नारकीय अत्याचार उसे नहीं नज़र आते, बल्कि वो भारतीय मुसलमानों के " दर्द" से ज्यादा दुखी है ! इसी मक्कारी की आलमी जकात से उसका पेट भरता है! दुनियां में आंख वाले अंधे ज़्यादा हैं!
         हर इन्सान सुर की तलाश में है, मिले सुर तेरा हमारा ! सुर का सजातीय और विश्वसनीय सुर से मिलना सौभाग्य की बात है ! सुर से सुर मिल जाए तो सत्ता का बनवास भोगता प्राणी तेजस्वी यादव हो जाता है, और सरगम से सुर निकल भागे तो अच्छे भले बसंत में जीवात्मा मुख्यमंत्री से सीधे उद्धव ठाकरे होकर रह जाती है।सुर से सुर मिलाना आसान है, साधे रखना बहुत मुश्किल !  सावधानी  हटी  कि " एकनाथ शिन्दे" घटी ! अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत ! दिल तो पागल है जी, क्या पता कब तलाक ले कर विरोधी से हलाला कर ले !
      कांग्रेस सरकार के वक्त दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाला  वो विज्ञापन मैने भी देखा है,- मिले सुर मेरा तुम्हारा -! कांग्रेस से बेहतर सुर की समझ किसे होगी ! कब भिंडरवाले से सुर मिलाना है और कब स्वर्ण मंदिर पर गोले बरसाने है ! कब मुसलमानों की पीठ ठोकनी है और कब मलियाना कांड ! और,,,,आज , गाली कूचे में आवाज़ लगाते घूम रहे हैं, - मिले सुर मेरा तुम्हारा -! सुर मिलाना तो दूर, लोग पास में खड़े होने को राजी नहीं ! सहयोगी सुरों का भी सत्यानाश न हो जाए ।
       सुर से सुर मिल जाए तो अस्थिर सरकार भी पांच साल निकाल लेती है। किस्मत खराब हो तो अपने भरोसे का सुर भी सरगम से निकल भागता है! सुर सिर्फ प्यार मुहब्बत से नहीं साधे जाते ! कभी कभी सुर मलाई की चाहत में बेसुरा हो जाता है और सरगम छोड़ कर निकल भागता है! अब प्यार मुहब्बत की जगह उसे सूटकेस दिखाया जाता है! वो फ़ौरन आत्मा की आवाज़ पर घर वापसी कर लेता है। हृदय परिवर्तन होते होते रह जाता  है !
 कई बार सुर लूट लिए जाते हैं! बसपा वाले इसके गवाह हैं, हाथी के टिकट पर जीत कर सायकल चलाने लगते हैं । इससे पता चलता है कि सियासत में नमक कितना होता है।
          जिसकी सत्ता उसका सुर ! इसलिए - समरथ को नहिं दोष गुसाईं -! समर्थ आदमी सुर साधने के लिए पहले समझाता है, फिर 'ईडी' भेजता है ! ईडी उसके चाल चरित्र और चेहरा का सारा आमालनामा खोद कर उसे दिखाती है, प्राणी तुरंत सुर मिलाकर सरगम निकालने लगता है ! सुर से सुर मिलाना सुगम नही होता ! इसलिए बहुत सावधानी बरतनी चाहिए, वरना जरा सा पैर फिसला नहीं कि स्वर्ग से गिरे खजूर में अटके। कभी कभी ऐसा होता है कि हम जिसे सुर समझते हैं वो असुर साबित होते हैं, सरगम बनती ही नहीं।

         सत्ता पक्ष और विपक्ष का सुर कभी नहीं मिलता! सत्ता पक्ष कितना भी जोर लगा ले, - मिले सुर मेरा तुम्हारा -! विपक्ष का जवाब होगा, - तेरे सरगम में न रक्खेंगे कदम,,,, आज के बाद -! हमारे देश में विपक्ष ने विरोध को अपना राजधर्म मान लिया है! वो इसी राजमार्ग से सिंहासन बत्तीसी हासिल करेंगे ! विपक्ष बड़ा है किंतु -ज़्यादा जोगी मठ उजाड़- से जूझ रहा है! सब अपने अपने सुर को सुरसा समझ रहे हैं! मोह माया को अंतरात्मा की आवाज़ मान कर गुप्त मतदान में विपक्ष की कई आत्माएं "परमात्मा" को वोट दे आती  हैं !

           ऐसे में विपक्ष का सरगम कैसे बनेगा !! 

1 comment:

  1. इतना सटीक, समसामयिक और इतना तीखा व्यंग इतने सहज और चटपटे अंदाज में पेश करना, ये बस आपकी कलम का कमाल है।
    पढ़कर मन प्रसन्न हो गया।

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