Friday, 19 August 2022

"अग्नि दृष्टि"

("अग्नि दृष्टि")

               " बिलकीस" होने का दर्द!"

            " मुझे अकेला छोड़ दो ! मुझे अपनी बेटी सालिहा के लिए दुआ करने दो !" ये शब्द भारत की सबसे दुखियारी बेटी और गुजरात दंगे की पीड़िता बिल्कीस बानो के हैं, जो सन 2003 से लेकर आज तक हर दिन  शारीरिक मानसिक और न्यायिक दंश की अंतहीन पीड़ा झेल रही है! इसी पंद्रह अगस्त को जब पूरा देश आज़ादी के अमृत महोत्सव में डूबा था तो अपने परिवार के कातिल और बलात्कारियों को आज़ाद कर देने की खबर सुन कर वो सन्न रह गई ! उसके गुनाहगार पूरे ग्यारह बलात्कारी और परिवार के कातिल  रिहा कर दिए गए थे ! ये वो कातिल और नृशंस बलात्कारी थे जिन्होने बगैर किसी जुर्म के पहले परिवार के सात सदस्यों की हत्या की,  फिर परिवार की पांच माह की गर्भवती बहू  (बिलकीस बानो) के साथ सामूहिक बलात्कार किया! ब्लातकार से पहले इन नरपिशाचों ने बिल्कीस की तीन वर्षीय अबोध बेटी सालिहा को भी मौत के घाट उतार दिया था ।
        इस पंद्रह अगस्त को घर घर तिरंगा फहरा कर जब देश जश्ने आज़ादी मना रहा था तो ये  ग्यारह गुनहगार आज़ाद कर दिए गए! देश की न्यायपालिका पर यकीन करने वाले करोडों देशवासियों के लिए ये खबर खून को जमा देने वाली थी ! ये बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ आंदोलन के मुंह पर एक बड़ा तमाचा था ! एक बार फिर दर्द और जुख्म को धर्म के चश्में से देखा गया था ! एक बार और जुर्म की गहराई को सांप्रदायिक फीते से नापा गया ! एक बार फिर किसी पीड़िता की चीख और घुटन के दर्द पर खामोशी ओढ़ी गई, और एक बार फिर इंसाफ को अंधा साबित कर दिया गया ! दर्द फिर बेआवाज नज़र आया,-

आंसू घुट कर के ज़ज्ब होते रहे!
दर्द   कांधा  तलाशता  ही  रहा !!
    कोर्ट का ये फैसला देश के करोड़ों अमन और इंसाफ पसंद लोगों को दर्द दे रहा है। बड़े अखबार और टीवी चैनल को सांप सूंघ गया है! ज़मीर फरोश मीडिया को बिलकिस के साथ हुए "इंसाफ"  में कुछ नया,गलत या हैरत अंगेज नहीं नज़र आ रहा है! ऐसा लगता कि पूरे देश में बिल्कीस ही अकेली "हव्वा" की बेटी है ! सेक्स के लिए गर्भवती का भी लिहाज़ न करने वाले ये ग्यारह नरपिशाच अब आज़ाद हैंऔर समाज में लौट आए हैं !. कौन गारंटी देगा कि ये "बेगुनाह" कातिल फिर किसी हव्वा की बेटी के जिस्म पर गुनाह के नए अध्याय अब नहीं लिखेंगे !!
     सोशल मीडिया पर एक आंदोलन उठ खड़ा हुआ है ! देश के संवेदनशील और जिंदा ज़मीर लोग सवाल उठा रहे हैं, - तथाकथित नारीवाद के समर्थक आज कोमा में क्यों हैं ! हमारे समाज की एक हिन्दू बहन का दर्द एक सवाल की शक्ल में सोशल मीडिया पर सामने आया है, - ऐसा लगता है कि "निर्भया" अगर मुस्लिम समाज की होती तो कभी इतना बड़ा आन्दोलन न खड़ा होता !" ये सवाल भी है व्यवस्था पर तमाचा भी ! तो गोया दर्द अब "हमारा" न होकर "मेरा" और "तुम्हारा" बनाया जाएगा ! तो क्या सत्ता परिवर्तन ही इंसाफ का भविष्य तय करेगा !! 
    नहीं, इन्साफ को सत्ता का भविष्य तय करना होगा !! वैसे,,,,एक सुप्रीम अदालत और भी है, जिसके बारे में किसी शायर ने कहा है , -

जो चुप रहेगी जबाने खंजर !
लहू  पुकारेगा  आस्तीं   का !! 

      Justice for BILKiS BANO 
          



               ( सुलतान भारती)

           

1 comment:

  1. वाह वाह आदरणीय बहुत ही सुन्दर 👌✍️❤️❤️❤️💐🙏

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