लावारिस दर्द
मैने बहुत सोच समझ कर इस दर्दनाक और रोंगटे खड़े कर देने वाली अपराध कथा को शूट करने के बावकूद प्रसारित करने का फैसला टाल दिया है! ये फैसला मैंने अभी अभी लिया है, जब कि इस दर्द, संताप और मानसिक पीड़ा से भरी कहानी के कई पात्रों से मिलकर मैं न्यूज विडियो अपलोड करने ही जा रहा था ! अजीब कशमकश की हालात से अब उबर चुका हूं ! किसी की मासूम और मायूस खामोशी ने मेरा फैसला बदल दिया ! दर्द कई तरीकों से अपनी कहानी सुनाता है! (कभी कभी इसकी ख़ामोशी सैंकड़ों आवाज़ों पर भारी पड़ती है!)
कल की न्यूज को आज़ एक छोटी कहानी में पिरो कर पेश कर रहा हूं ! कहानी में सर से पैर तक सच्चाई का अक्स है, बस कई मासूम इंसानों की इज्जत और अज़मत बेपर्दा न हो, इसलीए उनके नाम बदल दिए हैं ! आज 20 जुलाई है, और इस वक्त शाम के साढ़े सात बजे हैं! आसमान दुबारा बादलों से ढकता जा रहा है, लगता है कि फिर बारिश होगी ! बारिश दोबारा शुरू हो गई है और कार की हैडलाइट में आसमान से चमकती हुई पानी की बूंदें मुझे पिछले चौबीस घंटे के घटनाक्रम को जैसे अब सिलसिलेवार जोड़ रही हैं। मैं तफ्सील से बताता हूं!
इसी महीने 06.07.2022 को, इटावा शहर से चालीस किलोमीटर उत्तर में आबाद गांव सोढ़ी ( परिवर्तित नाम) के राजेंदर शाक्य (बदला हुआ नाम) की तेरह वर्षीय अवयस्क बेटी दीप्ति (बदला गया नाम) गांव के स्कूल के लिए घर से निकली तो शाम तक लौटी ही नही ! तरह तरह की शंका आशंका और मानसिक पीड़ा से गुजर रहे दीप्ति के पिता के पास उसी दिन शाम को एक अज्ञात आदमी का फ़ोन आया ! कोई दूसरी तरफ से कह रहा था,-' लडकी को ढूढने की जरूरत नहीं है, लडकी ने अपनी मर्जी से शादी कर ली है! अगर तुमने पुलिस थाना करने की जलती की तो उसका अंजाम बहुत बुरा होगा"!
परिवार पर जैसे पहाड़ गिरा! बारह साल आठ महीने की लड़की ने किससे शादी कर ली !! राजेंद्र सिंह थाना गए रिपोर्ट दर्ज कराने! वहां एक पोलिस वाले ने उनसे प्रार्थना पत्र लेते हुए जबान से बेहद ज़हरीला तीर छोड़ा, -' क्यों गंदगी को घर लाना चाहते हो !' घटना के तेरह दिन बाद कल इटावा के पोलिस अधीक्षक (SP) के ऑफिस से निकलते हुए राजेंद्र सिंह की आवाज़ में उस दिन का दर्द बिल्कुल ताज़ा था, ' जो उन्हें गंदगी नज़र आ रही है, वो मेरी बेटी है -! वो भला बुरा समझने की उम्र से बहुत पीछे है बाबू '! आगे उनकी आवाज रूंध गई थी ! किसी लड़के के साथ लड़की का भागना गांव में मां बाप के लिए जीते जी मर जाने जैसा था ! सब्जी बेच कर गुजारा करने वाले किसान राजेंद्र सिंह दारुण मानसिक यंत्रणा से गुजर रहे थे!
उधर,,,,,, दो दिन बाद आठ जुलाई को भरथना थाने में पुलिस ने प्रथमिकी दर्ज की और ग्यारह जुलाई को अचानक लड़की घर आ गई ! पुलिस ने मेडिकल कराया, रिपोर्ट में अवयस्क लड़की के साथ दुष्कर्म की पुष्टि हो गई !लड़की ने जब बयान दिया तो पता चला कि - उस घर को आग लग गई घर के चिराग से -! गांव में राजेंद्र के एक रिश्तेदार "सुनीता" ( बदला नाम) के घर में एक युवक अभिनव ( बदला नाम) का आना जाना था, जिसका सुनीता की लड़की नीतू (बदला नाम) से प्रेम प्रसंग था ! परिवार होने के नाते दीप्ति का भी इस घर में आना जाना था! इसी का फायदा उठाकर अभिनव ने सुनीता और नीतू से अपने दोस्त सुमित (बदला हुआ नाम) का जिक्र किया और फिर सुनीता के घर में दीप्ति से मुलाकात का सिलसिला चलने लगा!
दीप्ति के बयान के मुताबिक - छे जुलाई को एक कार लेकर अभिनव और सुमित गांव के बाहर ही दीप्ति का इंतजार कर रहे थे! स्कूल के लिए घर से निकली दीप्ति सीधे राजस्थान पहुंचा दी गई ! वहां वो पांच दिन सुमित के परिवार के साथ रही! इस बीच दीप्ति के परिवार की भागदौड़ और पुलिस की एक्टिविटी की सारी सूचना सुनीता और उसकी लडकी फोन से सुमित को बताते रहे! उसी के निर्देश पर घटना से पांच दिन बाद सुमित लड़की को सोढ़ी गांव के पास छोड़ कर लौट गया था! शाक्य राजपूत परिवार के राजेन्द्र सिंह के एक दूर के मुस्लिम राजपूत रिश्तेदार को दिल्ली में खबर मिली ! वो हर तरह से रसूख वाले आदमी हैं ! उनके साथ हम दो पत्रकार इटावा पहुंचे, जहां दो निर्भीक स्थानीय पत्रकार ( मोहिनी सिंह और संदीप मिश्रा) भी हम से होटल में आकर मिले !
कल यानी बीस जुलाई की सुबह दीप्ति को लेकर उसके परिवार वाले आकर मिले! हमने लड़की से परिवार के सामने पूछताछ की ! उसने पूरी मासूमियत और सच्चाई से सारी बातें बताई! वो इतनी कम उम्र की नासमझ लड़की है कि हम कुछ सवाल तो पूछ भी न सके! आठ दिन बीत चुके थे, भरथना पुलिस ने इस अपहरण और बलात्कार में संलिप्त किसी अपराधी को गिरफ्तार ही नहीं किया था ! हमने ठीक एक बजे विशेष पुलिस अधीक्षक के सामने लड़की को पेश करवा दिया! वहां मौजूद कुछ स्थानीय पत्रकारो ने पीड़ित लड़की का बयान भी लिया! पुलिस अधीक्षक ने तुरंत थाने को फ़ोन भी किया!
हम तीन पत्रकार और इस केस को दौड़ा देने वाले दिल्ली से आए लड़की के दूर के दबंग मुस्लिम रिश्तेदार तीन बजे भरथना थाने पहुंचे! थाना प्रभारी कृष्ण पटेल और केस के जांच अधिकारी मुनीश्वर सिंह ने पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया और एफआईआर की कॉपी दिखाते हुए बताया कि फरार अभियुक्तों को जल्द पकड़ कर अपहरण, बलात्कार और पाक्सो एक्ट के अंतर्गत कार्रवाई की जाएगी! इसके बाद हमारी टीम २८ किलोमीटर दूर एक गांव पहुंची जहां लडकी का परिवार हमारा इंतेजार कर रहा था! मैंने उन्हें इतना खुश कभी नहीं देखा था !हर कोई कृतज्ञ नज़र आ रहा था! मैंने राजेन्द्र सिंह को दिन भर में पहली बार तनाव मुक्त देखा तो ऐसा लगा गोया मुझे कोई बड़ा एवार्ड मिला हो !
सात बजे हमने दोनों पत्रकारों ( संदीप और मोहिनी ) को इटावा छोड़ा और दिल्ली को निकल पड़े ! आखिरी वक्त में मैंने पूरी ख़बर को वायरल करने का इरादा तर्क कर दिया था ! हम किसी के लावारिस दर्द को अपनाने और कम करने गए थे, न कि उनके दर्द की मार्केटिंग करने ! यमुना एक्सप्रेस हाई वे पर रात नौ बजे एक खेत के किनारे चाय की गुमटी देख कर "खान साहब" नमाज़ के लिए रुके तो गुमटी मालिक रूद्राक्ष धारी बुजुर्ग ने वजू के लिए पानी का बंदोबस्त किया ! हमें अपना ही एक शे'र बरबस याद आ गया !
मायूसी कुफ्र है ऐ दोस्त अंधेरों से न डर !
रोशनी बाकी है जब तक जले हुए हैं चिराग़ !!
,,,, (सुलतान भारती)
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