Wednesday, 31 August 2022

संगम विहार

     (अग्नि दृष्टि) 

"संगम विहार का नया संकट"!

        अगर दर्द का संप्रदाय करण किया जाए तो समाज कहां जाएगा! यदि ज़ख्म और तकलीफ को धर्म के फीते से नापा जायेगा तो मानवता आहत होगी और सामाजिक संरचना छिन्न भिन्न होने लगेगी ! ऐसी स्थिति में राष्ट्रीय एकता को घातक चोट पहुंचती है और साम्प्रदायिक को ताकत हासिल होती है ! यह समाज के लिए दुखदाई स्थिति होती है ! पैंतीस साल से चट्टान सी मजबूत दक्षिण दिल्ली स्थित संगम विहार के हिंदू मुस्लिम इत्तेहाद को आज अचानक उसी पीड़ा के रूबरू खड़ा करने का प्रयास किया जा रहा है ! घटना की शुरुआत कुछ यूं है ! 
            अगस्त के आखिरी हफ़्ते के शुरुआती दिनों में ( आज से आठ दिन पहले) संगम विहार के E ब्लॉक में अपनी मां के साथ घर आ रही एक लड़की को बाइक सवार तीन लड़कों ने पीछा किया और मौका पाते ही लडकी ( नैना मिश्र) पर गोली चला दी ! घायल लड़की को पास के बत्रा हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, जहां आज भी वो जेरे इलाज है! पुलिस ने प्रशंसनीय तत्परता दिखाते हुए दो लड़कों ( बॉबी कुमार और सुमित)  को गिरफ्तार कर लिया ! (लड़की पर गोली सुमित ने ही चलाई थी!.) तीसरा अपराधी  (अमानत अली उर्फ अरमान अली)जो बाइक चला रहा था, भागने में सफल रहा था था !  पोलिस सारे संभावित ठिकानों पर दविश दे रही है ! स्थानीय पत्रकार मोमिना ने इसे सबसे पहले कवर किया था, और उसने अपराध और अपराधी को बगैर नमक मिर्च के दिखाया था ! 
     लेकिन जैसे ही मीडिया को खबर मिली कि तीनों अपराधियों में फरार होने में सफल रहा अपराधी सम्प्रदाय विशेष का है, बस अपराध की इस घटना को साम्प्रदायिक मोड़ दे दिया गया ! इस महान काम में एक यू ट्यूब पत्रकार ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए आधी अधूरी जानकारी लेकर खुल कर हिन्दू मुस्लिम किया ! ऐसा दिखाने का प्रयास किया गया गोया गोली भी फरार अपराधी ने ही मारी है, और मास्टर माइंड वही है! यहां तक तो ठीक था, आगे सीधे उसी को निशाना बनाकर संप्रदाय विशेष पर ज़हरीली टिप्पणी शुरू हो गई!
      विहिप ने क्षेत्र में मीटिंग की , और उस आक्रोश सभा में अपराधी विशेष की आड़ में जमकर मस्जिद और  मदरसे तक को आतंकी अड्डा और जाने क्या क्या कहा गया ! बत्तीस साल से मैने संगम बिहार में हिंदू मुस्लिम नहीं देखा ! यहां का हिन्दू मुस्लिम सौहार्द अतुल्य है!. दोनों समुदाय एक दूसरे के साथ जिस तरह प्यार मोहब्बत से रहते हैं, उसने साम्प्रदायिक शक्तियों की आंख में मिर्च डाल दी है! यहां की दीवाली और ईद मशहूर है! 
       विगत वर्ष इन्ही दिनों  पूरा संगम विहार         राविया हत्याकांड से थर्रा उठा था, संगम विहार के सभी हिन्दू मुस्लिम जनता ने कंधे से कंधा जोड़ कर इन्साफ की लड़ाई लड़ी थी ! तब किसी दर्दमंद नेता को बाहर से आकर संगम विहार की बेटी के लिए आक्रोश रैली करने की हूक नहीं उठी थी , क्योंकि शायद पीड़ित लड़की का नाम "राबिया" था ! दर्द का मजहब नहीं होता और अपराध का संप्रदाय से कोई नाता नहीं ! पानी, परिवहन, परिवेश और अपराध की दारुण समस्याओं से मिल कर लड़ रहे संगम विहार को एक नई मुसीबत "सांप्रदायिकता" में न घसीटा जाए !
       सरकारी उपेक्षा की शिकार और सत्ता संघर्ष में पिस रही इस बस्ती मे पहले से ही क्या कम मुसीबतें हैं ! अपराधी को सख्त सजा दे, अपराधी कोई भी हो, उसके के साथ उसका संप्रदाय नहीं खड़ा है ! पुलिस प्रशासन को अपना काम करने दें! नफ़रत फैलाना भी क्राइम में शुमार किया जाए!
लेकिन लगता नहीं।

Saturday, 27 August 2022

सुनहरा मौका ! मुफ्त ट्रेनिंग लें!! घर से कमाएं !!

सुनहरा मौका !               सुनहरा  मौका !!

घर के पास मुफ़्त ट्रैनिंग लें  !     घर से कमाएं !!

      कोरोना से जूझती  पूरी दुनियां आर्थिक संकट से गुजर रही है , हमारे देश को भी शिक्षित और अशिक्षित बेकारी का सामना करना पड़ रहा है! सरकार भरसक प्रयास कर रही है कि हर हाथ को रोज़गार मयस्सर हो, और देश का युवा रोज़गार हासिल कर देश के निर्माण और आर्थिक समृद्धि में अपना योगदान दे ! सर्व विकास की इसी कड़ी में देश का हस्त शिल्प कला मंत्रालय महिलाओं को रोज़गार देने की कई महत्वपूर्ण और कामयाब योजनाओं को घर घर सफलता पूर्वक पहुंचा रहा है!  स्वरोज़गार की ये योजना उसी सरकारी प्रयास का एक हिस्सा है!
       घर में बैठे शिक्षित/अशिक्षित बालिग लड़की / लडको, विधवा और हाउस वाइफ के लिए ये सुनहरा मौका है कि वो घर के नज़दीक खुल रहे इस हस्त कला ट्रेनिंग सेंटर में दाखिला लें और 4 से 6 माह की मुफ़्त ट्रेनिग लेकर अपने घर से काम शुरु करें ,और घर की माली हालत को मजबूत आर्थिक आधार दें ! आपका तैयार किया गया माल पूरे देश में बेचने के लिए सरकार बाज़ार उपलब्ध कराती है ! दूसरी सूरत ये है कि ट्रेनिंग लेने के बाद आप हमारे साथ सैलरी के आधार पर काम कर सकती/ सकते हैं ! इस सरकारी योजना में हर हाल में आपको  रोजगार देने की गारंटी है!
     ट्रेनिंग के लिए  "सौ" (लड़कियां+लड़के) का पहला बैच सितंबर के आख़िरी हफ़्ते में ट्रेनिंग शुरु करने की योजना है! संगम विहार वालों के लिए बहुत खूबसूरत मौका है ! बैच को सिलाई, कढ़ाई, कटिंग, ब्लॉक पेंटिंग, टाई डाई, ज़री जरदोजी, क्लच, पर्स मेकिंग, बीड ज्वैलरी, डिज़ाइन और मार्केटिंग की ट्रेनिंग दी जाएगी !( प्रशिक्षण कार्यकाल 4 से 6 माह केवल !) याद रखें, ट्रैनिंग से मार्केटिंग तक आपको पैसा देना नहीं बल्कि कमाना है !
 जल्दी करें ! तुरंत नामांकन कराएं!

कुछ भी जानने के लिए सेंटर के अधिकारी से फ़ोन पर अभी संपर्क करें!!

     ज़ोबिया ख़ान  9312209276
             (नीचे सेंटर का पूरा पता)

Tuesday, 23 August 2022

(व्यंग्य भारती) "नफरत का "संस्कार "

.          (व्यंग्य भारती)

"नफरत का संस्कार "

              अब  का  बताएं कि - यू पी में  का  बा ! घटना  मुजफ्फर नगर की है! एक महिला टीचर ने एक मुस्लिम बच्चे को सजा दी कि उसके क्लासफेलो उसे बारी बारी से थप्पड़ मारते रहे और अपने ही हमउम्र सहपाठियों से अपमानित होता हुआ मुस्लिम बच्चा फ़ूट फ़ूट कर रोता रहा ! नस्लीय घृणा की ये एक ऐसी खौफनाक घटना है जो हज़ारों सवालों को जन्म देती है! मासूम बच्चों को शिक्षा देने की ज़िम्मेदारी क्या ऐसे लोगो को देनी चाहिए जो जातिगत और नस्लीय नफरत की दूषित मानसिकता की  गिरफ्त में हों ? हैरत होती है कि ऐसे घृणित मानसिकता वालों का बचाव करने वालो की भी कोई कमी नहीं है! वो तो भला हो किसान नेताओं का जिन्होंने तुरंत संज्ञान लेते हुए दोनों सम्प्रदाय के बच्चों को आपस में गले मिलवा कर नफरत की बयार को आँधी बनने से पहले ही नाकाम कर दिया!
         महिला टीचर को  'विकलांगता' का ग्रेसमार्क दिलाने के लिए कुछ लोग फौरन सक्रिय हो गए ! ये वहीं लोग हैं जो हर बार ज़ख्म,पीडा और दर्द को धर्म के चश्मे से देख कर प्रतिक्रिया देते हैं !अगर पीड़ित व्यक्ति संप्रदाय विशेष का है तो इनके शब्द कोमा मे चले जाते हैं, या आरोपी सहानुभूति का पात्र नज़र आने लगता है ! बिलकीस बानो के बलात्कारियों की  याद तो अभी ताज़ा होगी? वही ग्यारह बलात्कारी जिन्हें "अच्छे चाल चलन" और "संस्कारी" होने के कारण बरी कर दिया गया था !
        अब करें भी तो क्या करें, बिलकीस बानो  का आरोप था कि  आरोपी क़ातिल और  बलात्कारी हैँ ! जांच मे अपराध साबित भी हो गया, किन्तु सजा के दौरान अचानक पता चला कि सभी  बलात्कारी   संस्कारी हैँ !  ( उन्होंने जो भी किया था- संस्कार के चलते किया  !.) चरित्र का  इंडेक्स देख न्याय पालिका भी दुविधा में पड़ गई  ! संस्कार का वजन बलात्कार पर भारी पड़ रहा था ! पैरवी करने वाली संस्था ने यकीन दिलाया कि आरोपी पहले से ही संस्कारी थे,ये तो महिला का दोष था जो उनके संस्कार के सामने आ गई। उनका संस्कार उस दिन कुछ ज्यादा ही पूजयनीय साबित हुआ ! पहले संस्कारी गैंग ने परिवार के पूरे सात लोगों की बलि ले ली , फिर बिल्कीज़ बानो के साथ बलात्कार करने से पहले उसकी साढ़े तीन साल की बेटी को कत्ल कर दिया, ताकि बलात्कार का कोई गवाह न बचे और संस्कार सुरक्षित रहे।
        उन ग्यारह बलात्कारियों को भी कहाँ  पता  था कि वो इतने संस्कारी हैं ! वो तो खुद को कुछ औऱ ही समझ रहे थे ! अब जाकर उनको  यकीन हुआ कि उन्होंने प्रेगनेंट बिलकीस के साथ जो किया वो संस्कार में आता है ! ( पहले संविधान के कारण वो डर गए थे !) और अब,,,, सम्मानित होने के बाद तो उन्हें भी अपने संस्कारी होने पर गर्व होने लगा है !हो सकता है कि ये "सम्मानित संस्कारी" कल को सरकार से मुआवजा भी मांगे ! आखिर  ऐसे सम्मानित, देवतुल्य  संस्कारी लोगों को जेल में क्यों डाला गया था ! आगे इस तरह की शिकायत मिले तो पीड़िता को ही जेल में डाला जाए, ताकि बलात्कार करने वाले संस्कारी 'संतो" के साथ ऐसा अन्याय न हो सके !
         राम रहीम,आसाराम से असीमानंद तक संस्कार के कई कुतुबमीनार मौजूद हैं!. जब एक बार संस्कार परवाज़ भरता है तो जेल से पहले जमीन पर लैंड नहीं करता ! मैं सोचता हूं कि बाबाओं के प्रति आस्था अगर कहीं बुद्धि के भरोसे  रही होती तो आत्मनिर्भर नहीं हो सकती थी !
          पहले और अब वाले संस्कार में काफी फर्क आ गया है। पहले अपराधी का अपराध देख कर  दंड का प्रावधान था ! अब भी है, किंतु अब अपराध के जींस में गुमशुदा संस्कार भी ढूंढ़ा जाता है ! बिलकीस  के केस में इस बात का कोई खुलासा नहीं किया गया कि ये ग्यारह लोग पहले से ही संस्कारी थे या बलात्कार करने के बाद "देवतुल्य" हो पाए !  
            पहले संत में संस्कार पाया जाता था, अब लुच्चों ने कॉपी राइट ले लिया है ! पाप और संस्कार की पहले वाली परिभाषा में बड़ा झोल है -  न्याय पालिका कहती है _ ' सौ गुनाहगार बेशक बरी हो जाएं , किंतु किसी निर्दोष और पीड़ित को सजा नही होना चाहिए '!  हर्ष का विषय है कि दोषी भी बरी हो गए और पीड़िता (बिल्कीस) भी  सजा पाने से बच गई !!

    इधर अध्यापिका भी कह रही है कि गलती पीड़ित लड़के की है ! उसने तो बच्चे के सुनहरे भविष्य को लेकर पिटवाया  है ! इस सीक्वेंस पर एक दोहा मुलाहिजा हो--

'गुरु कुम्हार शिष्य कुम्भ है गढ गढ काढे खोट' !
अंदर   हाथ   सहार   दे   बाहर   बाहर   चोट  !!

        विकलांगता के चलते अध्यापिका को "चोट" मारने वाला नेक काम दूसरों को देना पड़ा !

    सिद्ध हुआ कि जो हुआ वो पिटाई बच्चे के 'खोट' को  दूर करने के लिए थी ,गलती सरासर बच्चे और उसके परिवार की थी ! ,,,,,

                  ( सुलतान "भारती") 

Friday, 19 August 2022

"अग्नि दृष्टि"

("अग्नि दृष्टि")

               " बिलकीस" होने का दर्द!"

            " मुझे अकेला छोड़ दो ! मुझे अपनी बेटी सालिहा के लिए दुआ करने दो !" ये शब्द भारत की सबसे दुखियारी बेटी और गुजरात दंगे की पीड़िता बिल्कीस बानो के हैं, जो सन 2003 से लेकर आज तक हर दिन  शारीरिक मानसिक और न्यायिक दंश की अंतहीन पीड़ा झेल रही है! इसी पंद्रह अगस्त को जब पूरा देश आज़ादी के अमृत महोत्सव में डूबा था तो अपने परिवार के कातिल और बलात्कारियों को आज़ाद कर देने की खबर सुन कर वो सन्न रह गई ! उसके गुनाहगार पूरे ग्यारह बलात्कारी और परिवार के कातिल  रिहा कर दिए गए थे ! ये वो कातिल और नृशंस बलात्कारी थे जिन्होने बगैर किसी जुर्म के पहले परिवार के सात सदस्यों की हत्या की,  फिर परिवार की पांच माह की गर्भवती बहू  (बिलकीस बानो) के साथ सामूहिक बलात्कार किया! ब्लातकार से पहले इन नरपिशाचों ने बिल्कीस की तीन वर्षीय अबोध बेटी सालिहा को भी मौत के घाट उतार दिया था ।
        इस पंद्रह अगस्त को घर घर तिरंगा फहरा कर जब देश जश्ने आज़ादी मना रहा था तो ये  ग्यारह गुनहगार आज़ाद कर दिए गए! देश की न्यायपालिका पर यकीन करने वाले करोडों देशवासियों के लिए ये खबर खून को जमा देने वाली थी ! ये बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ आंदोलन के मुंह पर एक बड़ा तमाचा था ! एक बार फिर दर्द और जुख्म को धर्म के चश्में से देखा गया था ! एक बार और जुर्म की गहराई को सांप्रदायिक फीते से नापा गया ! एक बार फिर किसी पीड़िता की चीख और घुटन के दर्द पर खामोशी ओढ़ी गई, और एक बार फिर इंसाफ को अंधा साबित कर दिया गया ! दर्द फिर बेआवाज नज़र आया,-

आंसू घुट कर के ज़ज्ब होते रहे!
दर्द   कांधा  तलाशता  ही  रहा !!
    कोर्ट का ये फैसला देश के करोड़ों अमन और इंसाफ पसंद लोगों को दर्द दे रहा है। बड़े अखबार और टीवी चैनल को सांप सूंघ गया है! ज़मीर फरोश मीडिया को बिलकिस के साथ हुए "इंसाफ"  में कुछ नया,गलत या हैरत अंगेज नहीं नज़र आ रहा है! ऐसा लगता कि पूरे देश में बिल्कीस ही अकेली "हव्वा" की बेटी है ! सेक्स के लिए गर्भवती का भी लिहाज़ न करने वाले ये ग्यारह नरपिशाच अब आज़ाद हैंऔर समाज में लौट आए हैं !. कौन गारंटी देगा कि ये "बेगुनाह" कातिल फिर किसी हव्वा की बेटी के जिस्म पर गुनाह के नए अध्याय अब नहीं लिखेंगे !!
     सोशल मीडिया पर एक आंदोलन उठ खड़ा हुआ है ! देश के संवेदनशील और जिंदा ज़मीर लोग सवाल उठा रहे हैं, - तथाकथित नारीवाद के समर्थक आज कोमा में क्यों हैं ! हमारे समाज की एक हिन्दू बहन का दर्द एक सवाल की शक्ल में सोशल मीडिया पर सामने आया है, - ऐसा लगता है कि "निर्भया" अगर मुस्लिम समाज की होती तो कभी इतना बड़ा आन्दोलन न खड़ा होता !" ये सवाल भी है व्यवस्था पर तमाचा भी ! तो गोया दर्द अब "हमारा" न होकर "मेरा" और "तुम्हारा" बनाया जाएगा ! तो क्या सत्ता परिवर्तन ही इंसाफ का भविष्य तय करेगा !! 
    नहीं, इन्साफ को सत्ता का भविष्य तय करना होगा !! वैसे,,,,एक सुप्रीम अदालत और भी है, जिसके बारे में किसी शायर ने कहा है , -

जो चुप रहेगी जबाने खंजर !
लहू  पुकारेगा  आस्तीं   का !! 

      Justice for BILKiS BANO 
          



               ( सुलतान भारती)

           

Tuesday, 16 August 2022

(व्यंग्य भारती) "जंगल राज" बनाम "सुशासन "

(व्यंग्य भारती)

"जंगलराज" बनाम "सुशासन "!

        अभी जुम्मा जुम्मा आठ दिन भी नहीं बीते हैं, जब वहां चारों तरफ सुशासन लहराता नज़र आ रहा था ! महामानव से मीडिया तलक सबको साफ़ साफ़ सुशासन नज़र आ रहा था।! रतौंधी वाले पत्रकार भी पूरे जोश में विरुदावली गा रहे थे,- 'दुख भरे दिन बीते रे भइया - सुशासन आयो रे ! जंगल राज में फिर से सतयुग छायो रे !' हालांकि महंगाई, बेकारी, अपराध, नाव दुर्घटना, अपहरण, हृदय परिवर्तन कुछ नहीं बदला था, किंतु सुशासन की सुनामी नज़र आ चुकी थी ! बदलाव देखने की नहीं, महसूस करने की चीज होती है ! सुशासन एक ऐसी अनुभूति  है जो सत्तापक्ष को सबसे पहले नज़र आती है और विपक्ष को कभी नहीं ! मज़े की बात है कि दोनों चाहते हैं कि जो वो देख रहे हैं जनता उस पर यकीन करे, अपनी आंख पर नहीं !
      कुछ दिन पहले वहां  सत्ता पक्ष को सुशासन और विपक्ष को  जंगलराज नज़र आ रहा था ! (दोनों में से किसी को भी प्रदेश नहीं नज़र आ रहा था!) करोड़ों लोग नौकरी पाने की उम्मीद का सत्तू फांक कर अगले दिन का सुशासन झेलते थे ! पक्ष और विपक्ष दोनों " करोड़" से कम नौकरी देने को राज़ी नहीं थे ! बेकारी के शिकार लाखों शिक्षित युवा इस सियासी  " के  बी  सी" देख देख कर ओवर एज हो रहे थे कि तभी अचानक  'सुशासन बाबू' ने  "महावत" बदल दिया ! बस - उसके बाद चिरागों में रोशनी न रही -! 
          जैसे सावन में साक्षात जेठ का महीना उतर आया हो, चारों तरफ़ से मीडिया के हाहाकार की आवाजे आने लगी। महावत बदलते ही सतयुग की जगह कलियुग की आधियां चलने लगीं ! सुशासन खत्म  दुशासन चालू ! मीडिया ने तुरंत फतवा जारी किया, - प्रदेश में दुबारा जंगलराज शुरु -! ये जंगलराज अब तक कहां छुपा कर रखा गया था, ये खुलासा अब तक नही किया गया है। मिडिया जिसे जंगलराज बता रही थी, विपक्ष उसे जनता की आज़ादी बताने में लगा था । जनता को जाने क्यों दोनों की बातों पर यकीन नहीं हो रहा था ! दोनों ने अपनी सत्ता में जनता को छकाया था ! जनता को अब तक मंहगाई और बेकारी के अलावा कुछ न देकर भी तारणहार यह साबित करने में लगे थे कि सारा समुद्रमंथन जनता के कल्याण के लिए था । जनता इतनी बार ठगी जा चुकी थी कि उसे अब जंगलराज भी सुशासन जैसा ही लगता था !
       मीडिया मंच पर अवतरित महापुरुष  अमृत वर्षा कर रहे थे ! एक पक्ष दलील दे रहा था कि प्रदेश आठ दिनों में किस तरह सतयुग से फिसल कर गुफ़ा युग में जा गिरा है, वहीं दूसरी तरफ वनवास काट कर सुशासन का लिंटर डाल रहे यदुवंशी वीर दावा कर रहे थे कि-" पिछली सरकार के शासन काल में ज़रूरत से ज़्यादा 'सुशासन' आ जाने से बॉडी में ज़हर फैल गया था , डैमेज कंट्रोल में टाइम लगेगा - चच्चा समझा करो" !! लेकिन समझने के लिए कोई तैयार नहीं है ! समझने के चक्कर में कहीं मानसून न निकल जाए ! हमला जारी है, उन नौकरियों का हिसाब मांगा जा रहा है जो दी तो गईं थीं, लेकिन लोगों को मिली नहीं!
                 कल मैंने वर्मा जी से पूछा, ' पिछली बार देश में सुशासन कब आया था ?'
        वर्मा जी सीरियस हो कर बोले, - ' तब मेरी उम्र दस बारह साल थी ! गांव के गांव मरघट बन गए थे ! चूहों से फैला था -!!"                            " " वर्मा जी, मैं  'हैजा'  की नहीं "सुशासन" की बात कर रहा हूं "!
                वो तुरंत श्राप देने की मुद्रा में आ गए, -" विनाश काले जदयू बुद्धि ! अच्छा भला सुशासन चल रहा था कि पांडव को हटाकर धृतराष्ट्र को ले आए ! जैसा करम करेगा वैसा फल देगा भगवान - अब भुगतो जंगलराज "!

            तारणहार नूरा कुश्ती लड़ रहे हैं और जंगलराज और सुशासन को लेकर जनता का कन्फ्यूजन गहराता जा रहा है कि आखिरकार दोनों में से किसके अंदर फाइबर ज़्यादा है ।उधर गुजरात प्रशासन ने गर्भवती बिल्क्कीस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार करने वाले सभी ग्यारह अपराधियों को जेल से रिहा करते हुए जंगलराज और सुशासन के बीच का फर्क खत्म दिया है !

Tuesday, 9 August 2022

(व्यंग्य भारती) " मिले सुर मेरा तुम्हारा"

(व्यंग्य भारती)

       " मिले सुर मेरा तुम्हारा"!

      अब यही समस्या है दुरंत,,,,,! ससुरा सुर ही नहीं मिल रहा। समान सुर की तलाश में कब से अलाप रहा हूं, - मुझको आवाज़ दो, छुप गए हो कहां -! लेकिन सुर है कि मांगलिक लड़की की कुंडली हो गया है, - मिलती ही नहीं -! नौकरी और सुर दोनों नहीं मिल रहे हैं! रोटी की जगह परमाणु बम की ज्यादा डिमांड है! एक से एक नारंगीलाल परमाणु बम का फार्मूला ढूंढ रहे हैं, जिनके खुद के आटे का कनस्तर खाली होता है, उन्हें चोकर में सबसे ज्यादा फाइबर नज़र आता है ! पाकिस्तान को देखिए , चीन के उईगर मुसलमानों पर हो रहे  नारकीय अत्याचार उसे नहीं नज़र आते, बल्कि वो भारतीय मुसलमानों के " दर्द" से ज्यादा दुखी है ! इसी मक्कारी की आलमी जकात से उसका पेट भरता है! दुनियां में आंख वाले अंधे ज़्यादा हैं!
         हर इन्सान सुर की तलाश में है, मिले सुर तेरा हमारा ! सुर का सजातीय और विश्वसनीय सुर से मिलना सौभाग्य की बात है ! सुर से सुर मिल जाए तो सत्ता का बनवास भोगता प्राणी तेजस्वी यादव हो जाता है, और सरगम से सुर निकल भागे तो अच्छे भले बसंत में जीवात्मा मुख्यमंत्री से सीधे उद्धव ठाकरे होकर रह जाती है।सुर से सुर मिलाना आसान है, साधे रखना बहुत मुश्किल !  सावधानी  हटी  कि " एकनाथ शिन्दे" घटी ! अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत ! दिल तो पागल है जी, क्या पता कब तलाक ले कर विरोधी से हलाला कर ले !
      कांग्रेस सरकार के वक्त दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाला  वो विज्ञापन मैने भी देखा है,- मिले सुर मेरा तुम्हारा -! कांग्रेस से बेहतर सुर की समझ किसे होगी ! कब भिंडरवाले से सुर मिलाना है और कब स्वर्ण मंदिर पर गोले बरसाने है ! कब मुसलमानों की पीठ ठोकनी है और कब मलियाना कांड ! और,,,,आज , गाली कूचे में आवाज़ लगाते घूम रहे हैं, - मिले सुर मेरा तुम्हारा -! सुर मिलाना तो दूर, लोग पास में खड़े होने को राजी नहीं ! सहयोगी सुरों का भी सत्यानाश न हो जाए ।
       सुर से सुर मिल जाए तो अस्थिर सरकार भी पांच साल निकाल लेती है। किस्मत खराब हो तो अपने भरोसे का सुर भी सरगम से निकल भागता है! सुर सिर्फ प्यार मुहब्बत से नहीं साधे जाते ! कभी कभी सुर मलाई की चाहत में बेसुरा हो जाता है और सरगम छोड़ कर निकल भागता है! अब प्यार मुहब्बत की जगह उसे सूटकेस दिखाया जाता है! वो फ़ौरन आत्मा की आवाज़ पर घर वापसी कर लेता है। हृदय परिवर्तन होते होते रह जाता  है !
 कई बार सुर लूट लिए जाते हैं! बसपा वाले इसके गवाह हैं, हाथी के टिकट पर जीत कर सायकल चलाने लगते हैं । इससे पता चलता है कि सियासत में नमक कितना होता है।
          जिसकी सत्ता उसका सुर ! इसलिए - समरथ को नहिं दोष गुसाईं -! समर्थ आदमी सुर साधने के लिए पहले समझाता है, फिर 'ईडी' भेजता है ! ईडी उसके चाल चरित्र और चेहरा का सारा आमालनामा खोद कर उसे दिखाती है, प्राणी तुरंत सुर मिलाकर सरगम निकालने लगता है ! सुर से सुर मिलाना सुगम नही होता ! इसलिए बहुत सावधानी बरतनी चाहिए, वरना जरा सा पैर फिसला नहीं कि स्वर्ग से गिरे खजूर में अटके। कभी कभी ऐसा होता है कि हम जिसे सुर समझते हैं वो असुर साबित होते हैं, सरगम बनती ही नहीं।

         सत्ता पक्ष और विपक्ष का सुर कभी नहीं मिलता! सत्ता पक्ष कितना भी जोर लगा ले, - मिले सुर मेरा तुम्हारा -! विपक्ष का जवाब होगा, - तेरे सरगम में न रक्खेंगे कदम,,,, आज के बाद -! हमारे देश में विपक्ष ने विरोध को अपना राजधर्म मान लिया है! वो इसी राजमार्ग से सिंहासन बत्तीसी हासिल करेंगे ! विपक्ष बड़ा है किंतु -ज़्यादा जोगी मठ उजाड़- से जूझ रहा है! सब अपने अपने सुर को सुरसा समझ रहे हैं! मोह माया को अंतरात्मा की आवाज़ मान कर गुप्त मतदान में विपक्ष की कई आत्माएं "परमात्मा" को वोट दे आती  हैं !

           ऐसे में विपक्ष का सरगम कैसे बनेगा !!