" सूर्योदय"
मूल लेखक,,,,,,,,, अभिलाष
रूपांतरित भावरूप एवम संवाद
सुलतान भारती
(ताकि सनद रहे ( Disclaimer))
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(फिल्म की कहानी पूर्णतया काल्पनिक है इसमें फिल्माए गए कथा,पात्र, नाम ,स्थान, संवाद या जीवन शैली का किसी जीवित व्यक्ति विशेष या वर्तमान स्थान अथवा सामाजिक परंपरा से कोई लेना देना नहीं है ! )
इंट्रो ,,,,,,,
( बैक ग्राउंड में एंकर की भारी आवाज़ गूंजती है!) जब एक बड़े धमाके के बाद हमारी पृथ्वी अपने वजूद में आई तो ये प्लैनेट आग का एक धधकता गोला था !)
( विजुअल् शुरु ,,,,,, कैमरा आग सी धधकती और अपने ऑर्बिट पर घूमती पृथ्वी पर फ़ोकस होता है ! पार्श्व में एक धीमी संगीत के साथ एक गीत उभरता है ! गीत के स्वर के साथ साथ पृथ्वी का स्वरूप बदलता जाता है!)
गीत,,,,,,,,
पृथ्वी थी एक आग का गोला !
नर्म हुई फिर थोडा थोडा !!
फिर आकाश में बादल आए!
जानें कहां से पानी लाए !
पर्वत ने जब ली अंगड़ाई !
नन्हीं नदियां जमीं पे आई !!
बढता पानी बना समंदर !
आग छुप गई ज़मी के अंदर!!
जंगल फैले जीवन उपजा !
जिधर देखिए सब्जा सब्जा !!
पृथ्वी पर फिर मानव आए !
रिश्ते बस्ती मजहब लाए !!
नई सभ्यता की पहचान !
जंगल का दुश्मन इंसान!!
शहरों में हैवान बढ़े !
जंगल में इंसान दिखे !!
जल, जंगल -जन जीवन की !
चली कथा " सूर्योदय " की !!
( जंगल की खूबसूरत सुबह। ज़मीन और पहाड़ियों के सीने पर फैला हुआ जंगल! जहां तक नज़र जाती है, सागौन के कीमती पेड़ों का अंतहीन सिलसिला !! वातावरण में पक्षियों के चहचहाने की समवेत आवाजें जंगल को जगाते हुए !! प्रदूषण मुक्त प्राकृतिक सौंदर्य की अनुपम छटा दिखाता हुआ camera पहाड़ी नदी पर फोकस होता है , को जंगल के बीच से होकर बह रही है! प्रातःकाल के सूरज की सुर्ख रोशनी ने नदी की निर्मल धारा में जैसे सुनहरा रंग घोल दिया हो !
अचानक नदी की सतह को चीरता एक युवती का चेहरा उभरता है ! वह गर्दन को झटका देती है तो उसके काले लंबे बाल पीठ से मूव करते हुए उसके सीने पर फैल जाते हैं ! युवती सूरज की तरफ़ मुंह करके हाथ जोड़े खड़ी है ! कमर तक पानी में खड़ी युवती की पीठ और कंधो पर "गोदना" गुदा है !
कैमरा पीछे हटता है तो युवती की तीन और आदिवासी सहेलियां पानी में नहाती नज़र आती हैं ! अचानक उनमें से एक ( पार्वती )आगे बढ़ कर सौंदर्य वर्धक काली मिट्टी से दुर्गा की पीठ साफ करने लगती है !)
Scen 2
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लोकेशन,,,,,, पहाड़ी नदी
इफेक्ट ,,,,,,,,, सुबह
पात्र (कैरेक्टर) ,,,,,, दुर्गा, पार्वती, यमुना आदि आदिवासी युवतियां !
पार्वती ( पीछे से हाथ बढ़ा कर लाल चूड़ियों से भरे दुर्गा के दोनो हाथ ऊपर उठाती है । दुर्गा धीरे धीरे पार्वती की ओर मुड़ती है ! उसके गोरे चेहरे पर मुस्कराहट है और कमर से ऊपर की ओर नाभि तक गुदना गोदा हुआ है ! दुर्गा मुस्करा कर पूछती है !)
दुर्गा काए पार्वती ! का देखा थौ बहन ?
जमुना (दूसरी युवती ) तोला पसंद हस ई लाल चूड़ी का ! मड़ई तौ ला दूं का ?
पार्वती ( दुर्गा की चूड़ियों पर हाथ फेरते हुए ) अरे नाहीं, ई लाल चूड़ी तौ हमर बहनी के हाथ मा दमके बस !
लड़कियों के हंसने की आवाज़ उभरती है ! कैमरा पुल बैक होता है तो गांव की कुछ और लड़कियां नहाती नज़र आती हैं ! किनारे एक बूढ़ी आदिवासी महिला भी बैठी नज़र आ रही है ! पास में युवतियों के घड़े भी रखे नज़र आ रहे हैं !)
दुर्गा। ( पार्वती को बाहों में भर कर प्यार करती हुई) मोरी सबसे प्यारी सहेली हस ! तोरा खातिर सब कुछ दे सक थौं !
डोकरी (बूढ़ी औरत आवाज़ देती है ) काए रे छोरिन् ! हो गई हंसी ठिठोली, तो गगरी में पानी भर कर चलो !
( सारी युवतियां पानी भरकर कमर और सर पर मटका रखकर पगडंडी के रास्ते घने जंगल की ओर बढ़ती हैं ! कैमरा लॉन्ग शॉट में उन्हें जाते हुए फोकस करता है !)
Scen 3
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लोकेशन
इफेक्ट
कैरेक्टर
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