Wednesday, 1 December 2021

(बही खाता) भाग्य विधाता और "भगवान"

(बही खाता)
              " भाग्य विधाता" और "भगवान"

     अब आप कहेंगे कि दोनों एक ही महाशक्ति के  lदो नाम हैं ! कभी थे, पर अब  ऐसा नहीं है ! मुझे भी जो कुछ स्कूल में पढ़ाया गया था, उसके मुताबिक़ कालिकाल से पहले भगवान ही भाग्य विधाता हुआ करते थे ! कलिकाल आते ही ईश्वर, अल्ला तेरो नाम पर सवाल उठने लगे !भगवान  को  चुनौती देने वाले ऐसे कई भाग्य विधाताओं" ने अलग अलग स्थाrनों पर अवतार ले लिया था़। भगवान को बेरोजगार करने वाले कई  महकमें भाग्य विधाताओं ने खुद संभाल लिया ! कुछ काम तो ऐसे हैं जहां भाग्यविधाता ने भगवान को भी  ओवरटेक  कर रक्खा है ! ऐसे कई मंत्रालय जो पहले भगवान के हाथ में थे ,अब भाग्यविधाता ने हथिया लिये हैं! संतान के मामले में ईश्वर के हाथ खड़ा कर लेने पर ये केस भाग्य विधाता ले लेते हैं!
           रोटी रोजी भले ईश्वर के हाथ में हो लेकिन सरकारी टेंडर भाग्यविधाता के हाथ में है! टेंडर का न्यूनतम रेट अपने चहेते ठेकेदार को बताकर मुनाफे में अपना हिस्सा तय करना भाग्यविधाता की पहचान है ! ये काम इतनी गोपनीयता से सम्पन्न होता है कि  ठेकेदारों की विसात क्या खुद ईश्वर को कानों कान ख़बर नहीं होती की भाग्य विधाता ने क्या रेट क्वोट किया है! भाग्यविधाता की इसी कार्यकुशलता पर एक कहावत ने जन्म लिया - देवो न जाने कुतो मनुष्य: -!   ( ध्यान रहे, यहां पर टेंडर न पाने वाले ठेकेदारों को " मनुष्य:"  कहा गया है !) कालांतर में इस कहावत की किडनी निकल ली गई और   कहावत में टेंडर की जगह -' त्रिया चरित्रम पुरुषस्य भाग्यम -' कर दिया गया ! तब से भाग्यविधाता और ठेकेदार के षड्यंत्र का खामियाजा बेचारी महिलाएं भुगत रही हैं !
              अब तो भगवान का काफी काम यह भाग्यविधाता संभाल चुके हैं ! आजकल डॉक्टर भी उसी भाग्यविधाता की श्रेणी में आते हैं ! इनके चमत्कारी कामों के कारण कुछ चारण इनको भगवान भी कहते हैं ! ये अलग बात है कि ऐसे कई  'भगवान' युवा महिला मरीज़ को 'पकवान' और गरीब पेशेंट को  'नाशवान' समझते हैं ! ऐसे काफी भगवान केमिस्ट और दवा कंपनियों से सांठ गांठ कर मरीजों को मोक्ष देते रहते हैं ! इनकी सेहत का हीमोग्लोबिन खून पीने से नार्मल होता है ! कोरोना  काल में जब आत्मनिर्भर होने का मानसून आया तो कई ऐसे " भगवान"  अपने अस्पताल को दिल, फेफड़ा और किडनी के मामले में भी आत्मनिर्भर  बना  गए ! उनके प्राईवेट हॉस्पिटल में आज़ हर साइज की किडनी उपल्ब्ध है ! ( ऐसा काम सिर्फ भाग्यविधाता ही कर सकता है, क्योंकि भगवान सिर्फ किडनी बनाता है, अभी फ़िलहाल ट्रांस्प्लाट नहीं करता !)
         मजार पर बैठ कर लोगों को चुड़ैल, खबीस, भूत प्रेत से मुक्त कराने वाले सिद्ध बंंगाली बाबा "जिन्नात  शाह" भी काफी सफल भाग्यविधाता हैं !  ' वन वे इश्क ' के केस में नींद गंवाने वाले लौंडे को भी  सौ पर्सेंट कामयाबी की ताबीज़ देकर ऊपर वाले को भी हैरत  में डाल देते हैं ! ( अलबत्ता ऐसे केस में   "लोबान" का खर्चा ज्यादा आता है ! ) बाबा जिन्नात शाह जिस मजार पर बैठ कर अल्लाह को चुनौती देते रहते हैं, उन "शदीद बाबा"की खोज और नामकरण भी उन्होंने ही  किया है ! जैसे जैसे बाबा जिन्नात शाह का पोर्टफोलियो बड़ा हो रहा है, मोहल्ले के लोगों में "ऊपर वाले" वाले की मोनोपोली कम हो रही है ! अब तो बाबा बेऔलाद महिलाओं को औलाद प्रोवाइड  कराने की ताबीज़ भी देने लगे हैं ! ( इस चमत्कारी ताबीज़ के लिए आस्थावान महिला को बाबा के कमरे में अकेले आना पड़ता है !) बाबा 'जिन्नात शाह' के बारे में उनके कुछ मुरीदों का दावा है  कि  बाबा  ने  जिन्नात  को  वश  में कर रखा है! ( कुछ महिलाओं ने तो बाबा के साथ एकांत मुलाकात  में "साक्षात जिन्नात" का  दीदार  भी किया है!)
          भगवान के देखते देखते कई भाग्य विधाता ठेला लगाते लगाते अपना मॉल खोल बैठे !  तरक्की का ये पाइथागोरस प्रमेय मुझे आज तक नहीं  आया ! हमारे पांचू सेठ को ही लीजिए, चालीस साल पहले सायकल पर गांव गांव फेरी लगा कर मसाला बेचा करते थे ! आज पांचू लाला से 'पांचू सेठ' हो चुके हैं ! मसाले में अपने पालतू घोड़े की लीद मिलाते मिलाते एक दिन मसाले  की फैक्ट्री  डाल ली ! पहले वो ईश्वर पर भरोसा करते थे, आज काफी लोग उन्हे ही ईश्वर मान बैठे हैं ! भाग्यविधाता होते ही पांचू सेठ ने नारी मुक्ति आश्रम खोल लिया ! पांचू सेठ परित्यकता युवतियों  के दुर्भाग्य का सारा क्रेडिट ईश्वर को देते हैं,-' भगवान नहीं चाहते कि तुम्हारा उद्धार हो , लेकिन मैं हूं न ! और,,,,,जब हम हैं -.तो  क्या गम है!"
         "भाग्य विधाता" कभी भी अपनी उपलब्धियों का क्रेडिट खुद नहीं लेता ! वो सारा क्रेडिट ईश्वर को देते हुए कहता है, -'  शराब की एजेंसी का होलसेल लाइसेंस मिल गया , सब ईश्वर की कृपा है ! मैंने कोई मजार ,दरगाह, तीर्थ स्थान छोड़ा नहीं जहां चढ़ावा न भेजा हो ! क्योंकि ना जानें किस भेष में बाबा मिल जाएं भगवान ! पूरे प्रदेश में दारू की सप्लाई का  आशीर्वाद प्राप्त हुआ है ! परसों से सात दिन तक अखंड भंडारा चलेगा ! मान गया, प्रभु के घर देर है अंधेर नहीं है ! पहले दवा कंपनी की एजेंसी लेने के लिए दौड़ रहा था - नहीं मिली !! जानते हो क्यों ? क्योंकि भगवान को पता था कि दवा के मुक़ाबले दारू में ज्यादा प्रॉफिट है ! बस, प्रभु  का  इशारा  समझ में आते ही  मैं - अंधकार से प्रकाश की ओर - आ गया !! "

             सबको सन्मति दे भगवान !!

                                 

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