" फिर भी - हैप्पी न्यू ईयर "!
मैं बड़े धर्मसंकट में हूं, दिसंबर 2024 के टपकने में जब गिनती के घंटे बचे थे, औऱ नया साल ३१ दिसंबर की आधी रात को खिड़की के रास्ते घरों में झाँक रहा था तथा गली के लौंडे डेक चलाकर जब गा रहे थे - मुश्किल कर दे जीना, इश्क़ कमीना -! उस वक़्त चौधरी पहली बोतल खोल कर बड़बड़ा रहा था , - 'इसके पहले कि भारती इतै फ़ोन कर के हैप्पी न्यू ईयर की बद्दुआ दे, मैं बचा खुचा हैप्पी पी लेता हूं !' कहते हैं की बिच्छू के बच्चे बिच्छू को मार कर पैदा होते हैं! नए साल की पैदाइश के साथ भी कुछ ऐसा ही मामला है ! साल 2023 किसी बिच्छू से कम नहीं रहा ! पूरी दुनियां उस के डंक से अब तक कराह रही है ! पहले यूक्रेन और रूस, फ़िर इज़राइल और हमास जंग का श्रेय इसी साल को जाता है ! फिर भी,,,,, हैप्पी न्यू ईयर !
मेरे बुजुर्ग,संत और उस्ताद मुझे बचपन से नसीहत देते रहे कि मोह माया से दूर रहना ! ये सीख इतनी बार दी गई कि आखिरकार समझ में आ गया कि मोह माया के अलावा संसार में बाकी सब मिथ्या है, क्षणभंगुर है ! नतीजा यह हुआ कि बड़ा होते होते मैं 'मोह माया' के अलावा हर चीज़ से दूर हो गया ! लेकिन ट्रेज़डी देखिए, कि प्रचुर मात्रा में "मोह" के बावजूद अभी तक "माया" पकड़ से बाहर है ! प्रॉब्लम ये है कि गेहूं खरीदने के लिए मोह नहीं माया चाहिए ! लेखक के लिए भी गेहूं से दूर रहना संभव नहीं है ! बस यहीं से मोह माया के प्रति मिली दीक्षा का अतिक्रमण हो गया ! गेहूं चीज़ ही ऐसी है ! आदि पुरुष बाबा आदम को भी इसी गंदुम ने जन्नत से बेदखल करवाया था ! केजरीवाल को इस गेहूं के अंदर छुपी ऊर्जा का पता था , इसलिए दिल्ली वालों को फ्री गेंहू बांट कर भाजपा की किडनी निकाल ली ! फिर काहे का हैप्पी न्यू ईयर !!( यह तो सितम है !)
जनता को विटामिन, प्रोटीन और कैल्शियम देने वाला चुनावी बसंत अभी से जनता का दरवाजा खटखटा रहा है, - खोलो प्रियतम खोलो द्वार -! लेकिन प्रियतम सहमे हुए हैं! जन्नत के पैकेज में भी प्रियतम को फफूंद नज़र आ रही है ! हर पार्टी का अपना अपना रामराज है ! प्रियतम घनघोर कन्फ्यूजन में हैं , - ' जाने किसके वादे में फाइबर है ' !! इसलिए - काके लागूं पांय - का भ्रम बना हुआ है ! बाकी तो देश में कुरुक्षेत्र उतरा हुआ है ! सारे दलों के महारथी अपना अपना चक्रव्यूह बना रहे हैं ! तारणहार ठेले पर रेवड़ी और रामराज साथ साथ लाए हैं ! 'हाथी' अभी कंफ्यूजन में है कि किसके साथ चले, इस महादशा में वो सबको जनहित के लिए नुकसानदेह बता रहा है ! कांग्रेस के "शिवभक्त" अभी फ़ैसला नहीं कर पाए हैं कि इस बार "जनेऊ" सदरी के ऊपर पहनना ठीक रहेगा या सदरी के नीचे ! विगत विधानसभा चुनाव परिणाम ने आस्था पर घातक असर डाला है !
दिसंबर के आखरी हफ्ते में सांताक्लॉज सदमे में था कि इस बार क्या बांटे ! आने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र हर पार्टी ने अपने अपने सांता क्लॉज अभी से भेज दिए हैं ! वह लोग दिसंबर से ही धोती में गोबर लगाए गांव में घूम रहे हैं ! उनका पैकेज ओरिजनल वाले सांता से काफी ज्यादा दिव्य है ! सांताक्लाज के झोले में सब कुछ 18 साल से नीचे वालों के लिए है , जब कि सियासी "सांताओं" के झोले में बालिगों के लिए बेकारी भत्ता से लेकर दारू, मुर्गा, साड़ी औऱ सिलाई मशीन जैसी हिट चीजें है - ! सारा पैकेज - जाकी रही भावना जैसी ' के आधार पर है ! हर साल दिसंबर में आने वाले सांता अब सोने की छड़ें तो अफोर्ड नहीं कर सकते, सतयुग में ये काम काफ़ी रिस्की भी है ! सांता पर सोने की स्मगलिंग का केस लग सकता है ! हिरनो को स्लेज गाड़ी में जोत कर जिंगल बेल गाते हुए शहर या बस्ती में जाना और भी जोख़िम भरा है ! पुलिस ऐसा केस बनाएगी कि अगले दिसंबर तक जमानत भी नही होगी ! और कही बारी से पहले प्रमोशन की घात में बैठे, किसी पुलिस के हत्थे चढ़ गए तो सांता क्लॉज़ की मॉब लिंचिंग तय है ! क्योंकि हिरन को गाय साबित करना अब ज्यादा मुश्किल काम नहीं रहा !
आने वाले साल को लेकर मेरे अंदर कोई जोश नहीं है !( जो था कोरोना और केजरीवाल को दे चुका हूं!) अन्दर जिगर में बीड़ी सुलगाने लायक भी आग नहीं बची !अब खाली हाथ कंबल ओढ़ कर जनवरी की जान मार ठंढ में हैप्पी न्यू ईयर ढूंढ रहा हूँ ! तमाम रतौंधी वालों को जो न्यू ईयर 31 दिसम्बर को ही "हैप्पी" नज़र आ गया था, वो मुझे 8 जनवरी तक भी नहीं नज़र आया ! शायद कुहरा हटे तो मुझे भी 'हैप्पी' वाला न्यू ईयर नज़र आए ! नए साल में सब कुछ है- सिर्फ "हैप्पी" गायब है ! लगता है कि "हैप्पी" कुम्भ के मेले में कहीं ,,,,,!
न्यू ईयर के "हैप्पी" होने को लेकर चौधरी अभी भी नाराज़ है , -" इब तू बता , अक इकत्तीस दिसम्बर की रात कू जिब नया साड़ पहले ते हैप्पी हो रहो , तो तमैं उस तारीख में हैप्पी होने की के जरूरत पड़ गी ! आगे पाच्छे हो लेता ?"
तब से मेरा रहा सहा "हैप्पी" भी लापता हैं !!
(सुलतान भारती)
Kya jhakas, samsaamyik lekh hai,khara aur bilkul taaza
ReplyDelete, Shabdon ka chunav behtareen.
मज़ा आ गया।