Friday, 24 December 2021

(बही खाता) " तमसो मा ज्योतिग़मय"

(व्यंग्य चिंतन)
               "तमसो मा ज्योतिर्गमय"

       अभी  ताज़ा मामला है, हमारे पड़ोस के बुद्धिलाल जी ने अपनी प्रेमिका को लेकर  एक मोटी किताब लिख डाली  -' रात के 12 बजे"- ( दरअसल इक तरफा प्यार में भूसे की तरह सुलग रहे बुद्धिलाल जी ने एक रात दीवार कूद कर अपनी प्रेमिका को उसके घर में जा दबोचा ! लेकिन अंधेरे की वज़ह से टार्गेट उल्टा पडा, रज़ाई के नीचे प्रेमिका की जगह प्रेमिका की अम्मा थीं!) मामला ठंढ़ा होने पर बुद्धि लाल ने एक प्रेमकथा लिख डाली -'रात के 12 बजे' - !  लेकिन बौड़म से सीधे बुद्धिजीवी होकर भी वो संतुष्ट नहीं हुए ! अब वो अपनी पांडुलिपि प्रकाशित करवाना चाहते हैं  ताकि दुनियां जान ले कि एक और  'कालिदास' कुल्हाड़ी लेकर साहित्य की डाल पर  बैठ गया है। आज कल वो प्रकाशक खोज रहे हैँ !  उन्हें मशहूर होने की जल्दी है ! एक महीने  शहर में जूते घिसने के बाद  उन के जोश और गलतफहमी का इंडीकेटर ज्वार से भाटा तक आ गया। शहर में प्रकाशक 'आपदा' की तरह प्रचुर मात्रा में थे , पर फ्री में किताब छापने वाले ' अवसर ' की तरह गायब  थे ! इस नवोदित लेखक और बरामद प्रकाशक के बीच एक दिन कुछ ऐसा संवाद शुरू होता है, -' मैं अपनी किताब छपवाना चाहता हूं "!
          " पहले कभी छपे हो?"
   " ये मेरी पहली किताब है! "
"ये मेरे सवाल का जवाब नहीं है ! मैंने पूछा , पहले कभी छपे हो ?"
       " नहीं सर !" बुद्धिलाल का कॉन्फिडेंस पिघलने लगा !
" तो मैं भी नहीं छाप सकता ! मैं नए घोड़े पर पैसा नही लगाता "!!
     भरी दुपहरी में लेखक की प्रतिभा का टाइटैनिक डूबता नजर आया ! एक सौ नब्बे पेज की पांडुलिपि पहली बार गोबर्धन पहाड़ जैसी वजनी लगी ! उसने अपने टूटते ख्वाबों का कचरा आख़री  बार सहेजने की कोशिश की, -' हर लेखक कभी न कभी नया घोड़ा होता है सर ! एक बार काठी लगा कर तो देखो "!
      " एक बार मैंने जो कमिटमेंट कर दिया तो कर दिया "! 
       लेखक को इस सदमे से उबरने में हफ़ते भर लगा !  उसके बाद एक फेसबुकिया विद्वान् मित्र ने उन्हें अंधेरे में रोशनी दिखाई, -' काहे सती होने की सोच रहे हो ! प्रकाशक तो तुम्हारी जेब मे बैठा आवाज़ लगा रहा है कि बोलो जी तुम क्या क्या खरीदोगे ! फेस बुक वॉल पर पब्लिशर ऐसे थोक में बैठे हैं जैसे शहतूत के पेड़ पर टिड्डी दल -"!
         वो दिन और आज़ का दिन , लेखक टेलेंट हंट से बाहर नहीं निकल पाया ! पहला विशाल पब्लिशर यूपी से बहुत दूर विशाखापत्तनम  में बरामद हुआ ! उसके वर्कशॉप में सिर्फ वेस्ट सेलर ऑथर  की ही बुक छपती थी ! प्रकाशक बरामद हुआ तो लेखक को अपनी प्रतिभा के वाटर लेवल पर शक हो गया ! लिहाजा उसने पब्लिशर से अपनी दुविधा शेयर की , - " मुझे कैसे यकीन होगा कि मैं बेस्ट सेलरऑथर हूं -"?
        " दुविधा में रहोगे तो बेस्ट सेलर की जगह ऑथर भी नहीं बन पाओगे ! मैं तुम्हारे व्हाट्स ऐप पर बेस्ट सेलिंग ऑथर होने के लिए ज़रूरी पैकेज भेजता हूं, सिलेक्ट करो  ! जल्दी करो, तुम्हारे अंदर  बेस्ट सेलिंग ऑथर होने के सारे लक्षण मुझे  विशाखापत्तम से ही नज़र आ रहे हैं  "! 
             बेस्ट सेलर ऑथर होने के लिए वो  तंदूर में अभी झांक ही रहा था कि मित्र ने नया सुझाव दिया , -' इतनी दूर जाकर बेस्ट सेलर होने की ज़रूरत नहीं है, और भी गम है ज़माने में मुहब्बत के सिवा -!  नज़दीक में ही कोई बेस्ट सेलिंग ऑथर बनाने वाला मिल जाए तो आखिर क्या बुरा है  ?"
      और,,, वो फेस बुक मंडी में  दूसरे वैंडर की खोज में लग गया ! इस बार उसे अदभुत प्रकाशक मिला,जो शायद संत कबीर के परिवार से आया था ! उसने अपने बारे में लिखा था, - " क्या आप अपनी किताब छपवाना चाहते हैं? किताब कहीं से भी छपवा लो, पर सलाह हम से लो ! हम बताएंगे कि आप कैसे और कहां से किताब छपवा कर पूरी दुनियां में मशहूर हो सकते हैं ! फौरन नीचे दिया हुआ 'अप्लाई ' का बटन दबाकर क़िस्मत का बंद फाटक खोलें"!
      वह यही तो चहता था , लेकिन इस बार भी क़िस्मत बनाने वाला कारपेंटर आरी लेकर चेन्नई में बैठा था ! दुखी लेखक को उसके मित्र ने फिर समझाया,  - ' बेस्ट सेलिंग ऑथर होने के लिए जल्दी मत करो ! फिर से ट्राई करते हैं, हो सकता है , किसी ने नजदीक में ही वर्कशॉप खोल रखा हो ! " मित्र का अनुमान सही था - जिन खोजा तिन पाइयां !! प्रकाशक बरामद हो गया ! लेखक ने इस बार जोश के बजाय होश इस्तेमाल किया, -'  एक सौ नब्बे पेज का नॉवेल है, चार्ज बताइए "! 
    उधर कंटिया और कैलकुलेटर लेकर फेसबुक वॉल पर बैठा पब्लिशर तैयार था़, -" सिर्फ पंद्रह हजार नौ सौ निन्नानबे"! लेखक दूध का जला था, उसने मट्ठे में भी फूंक मारी, -' इतने में किताब छप जाएगी न ?"
    " हां, इतने में सिर्फ किताब ही छपेगी ! कवर पेज, एडीटिंग , सेटिंग , प्रूफ रीडिंग, पेपर बैक, जैकेट पेज और आईएसबीएन नंबर का खर्चा अलग है !"  लेखक को लगा कि कमरे में जल रहा इकलौता बल्ब फ्यूज हो गया है ! इस जन्म में मशहूर हो पाना कठिन होता जा रहा था ! फिर भी उसने एक आख़री  कोशिश की , -" इतने झमेले के बाद तो मैं बेस्ट सेलर ऑथर हो जाऊंगा न ?"
        " नहीं ! बत्तीस हजार  खर्च करने के बाद आप लेखक हो जाएंगे ! सोचिए, कितने काम पैसों में कितना बड़ा सम्मान घर लेकर जायेंगे "!
       " मगर मुझे तो बेस्ट सेलर ऑथर होना है !"
          अच्छा वो ! देखिए वो पैकेज आप अफोर्ड नहीं कर पाएंगे ! बड़ा महंगा है !!"
          " कोई बात नहीं - मुझको चांद लाकर दो"!
           " ठीक है, वो पैकेज है तो एक लाख रुपए का , लेकिन आप जैसे बुद्धिजीवी को अस्सी हज़ार में दे देता हूं   - कैश सब्सिडी अट्ठारह हज़ार ! तो,,, कब हो रहे हैं बेस्ट सेलर ऑथर ?"
   " आप को कैसे पता कि मैं बुद्धिजीवी हूं! गांव में सारे लोग मुझे बौड़म कहते हैं ?" 
       "आप मुफ़्त में कभी भी बुद्धिजीवी नहीं हो सकते ! कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है ! तो कब खो रहे हैं आप,,,,, मेरा मतलब - कब बुद्धिजीवी हो रहे हैं आप "?
              इस बार लेखक बिलकुल मायूस नहीं हुआ ! वो बेस्ट ऑथर और बुद्धिजीवी बनाने वाला पाइथागोरस का फॉर्मूला समझ गया था ! अगले दिन लोगों ने फेसबुक वॉल पर एक नया विज्ञापन देखा, -  क्या आप अठारह दिन में बेस्ट सेलिंग बुक लिखना चाहते हैं ! फ़ौरन हमारे दिए हुए लिंक पर क्लिक करें ! हम बनाएंगे आप जैसे "भिंडी" को "बुद्धिजीवी !! आप से क्या छुपाना - सास भी कभी बहू थी ! जल्दी करें, सीटें सीमित हैं और बौड़म ज्यादा।"।  
           ( कथित बुद्धिजीवियों के कमेन्ट आना चालू है!)

                          ( सुलतान भारती)
              

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