Thursday, 24 June 2021

प्रिय अबुल हाशिम,

प्रिय अबुल हाशिम,

                 अत्यन्त प्रसन्नता का विषय है कि आप अपने हजारों  चाहने वालों के लिए , अपनी आत्म कथा  "परवाज़ " को पुस्तक की शक्ल में ला रहे हैं  ! आपका संघर्ष , विद्वता, अनुभव, सतत आशावादिता, उपलब्धियां और अनुकरणीय जीवन यात्रा वर्तमान और भावी पीढ़ी के युवाओं के लिए प्रेरणा बनेगी !
              प्रेरक अनुभव जब अल्फ़ाज़ की शक्ल में ढलते हैं तो इतिहास का अंकुर फूटता है और समाज का हर तबका ऐसी कालजई पुस्तक से लाभ और मार्गदर्शन पाता है ! किताब उस मशाल की तरह होती है जो सदियों तक समाज और देश को रोशनी बांटती हैं ! हमें पूरी आशा है कि  आपकी आत्मकथा " परवाज़ " इस मापदंड पर पूरी तरह खरी साबित होगी !

                       शुभकामना  के साथ 
                   

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