Wednesday, 16 June 2021

(व्यंग्य " भारती" ) सोशल मीडिया के वीर

   " सोशल मीडिया के घुड़सवार"           ( व्यंग्य)


                अगर आप का मन लड़ने के लिए उतावला है और लड़ने के लिए कोई मिल नहीं रहा है तो कोई बात नही, फेस बुक पर आइए ! लड़ाई के लिए यहां अनंत योद्धा और विषय हैं!  घर में फोन है ना ! स्मार्ट फोन है जहां, हल्दी घाटी है वहां !! योद्धा ही योद्धा - एक बार (फेस बुक में) घुस तो लें !! सोशल मीडिया पर एक से एक महारथी चक्रव्यूह उठाए खडे हैं ! बस उनके पोस्ट में एक बार नत्थी हो जाइए , फिर तो आपका शुद्धिकरण करके दम लेंगे !  फेस बुक पर अनगिनत अक्षोहिणी सेनाये ( ग्रुप) मौज़ूद है, किसी में भी नत्थी हो जाइए । ऐसी पैदल सेना है जिसमें ज्यादातर अक्ल से पैदल हैं! ऐसे धर्म योद्धा हैं जिनकी अक्ल  "आड  इवन" के हिसाब से चलती है । 
                  आजकल अनुकूल बयार पाकर इनके संस्कार का ऑक्सीजन लेवल सौ से उपर जा रहा है ! संप्रदाय विशेष के बारे में इतनी  "रिसर्च पूर्ण" जानकारी फेस बुक पर उडेलते हैं कि इतिहासकार गश खाकर गिर जाए ! ( सनद रहे - यहां पर अपील , साक्ष्य, तर्क या प्रमाण का कोई विकल्प नहीं है ! अब अगर विरोधी खेमें के किसी 'बुद्धिजीवी ' के ज्ञान में उबाल आ गया और उसने साक्ष्य मांग लिया तो बस !! इस अक्षम्य अपराध के एवज में सैकड़ों ततैया बुद्धि वैभव लेकर टूट पड़ते हैं , और आपत्ति दर्ज़ कराने वाले को अंतत: देशद्रोही साबित कर दिया जाता है !     
                               सोशल मीडिया के कुछ विद्वानतो व्हाट्स ऐप और फेसबुक को सार्वजनिक शौचालय समझ बैठे है ! बहस करो तो अक्ल का लोटा फेंक कर मारते हैं ! घमासान जारी है, कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं ! इस देवासुर संग्राम में बहुधा बुद्धिजीवी ही परास्त और अपमानित होता है ! अनन्त योद्धा हैं और ब्रह्मांड तक फैला युद्धक्षेत्र !! अक्ल के घोड़े दौड़ रहे हैं और घुड़सवार खुद अक्ल से पैदल है ! यहां युद्धविराम मना है , पूरी पूरी रात योद्धा इतिहास खोदते रहते हैं ! सुबह को जब दुनियां जाग कर काम में लगी होती है तो ये योद्धा नींद में चरित्र निर्माण का अगला अध्याय ढूंढ रहे होते हैं ! जागते ही सोशल मीडिया एकाउंट चेक करते हैं कि कहीं कोई  ' हिरण्यकश्यप ' नत्थी हुआ या सारा एकाउंट अभी भी सात्विक है !
            सब्जेक्ट और माइंड दोनों सेट हैं! इसके बाद तो बुद्धि या विवेक को पास भी नहीं फटकने देते ! अब योद्धा अपना ज्ञान उड़ेलता है जिसे फौरन पंद्रह सौ लाइक और ९९९. कमेंट से बघार दिया जाता है ! (इतने योद्धा हर वक्त कुरुक्षेत्र में मौजूद रहते हैं!) इतना बुद्धि वैभव आते ही पैदल योद्धा ख़ुद को ऐरावत पर बैठा महसूस करता है।  कॉमेंट की सूक्ष्म जांच में विरोधी खेमे का ' देशद्रोही' बरामद होते ही पांडव सेना " जय श्री राम" के उदगार के साथ दिन का पहला यलगार शुरू कर देती है !  यहीं से संस्कार का मानसून शूरू हो जाता है !
                      ये विद्वता का निर्द्वंद मैराथन है, जहां प्रतिद्वंदी  की  टांग  खींचने और गाली देने  पर  कोई  पाबंदी नहीं है ! सुविधा ये है कि प्रतिद्वंदी " फेस बुक" पर है  "फेस टू फेस" नहीं ! यह बेलगाम प्रतिभा का ऐसा अभयारण्य है जहां  द्रोण और एकलव्य दोनों का विवेक धर्म से संक्रमित  है। ( एकलव्य की दलित विनम्रता ने उसे क्या दिया - सिर्फ़  विकलांगता !! )  महाभारत काल में कौरव खेमें में  मीडिया की सुविधा के नाम पर सिर्फ "संजय" उपलब्ध थे ! उनके पोस्ट का बेनिफिट सिर्फ अंधे धृतराष्ट्र को था  ! संजय के ज्ञान को  चुनौती गांधारी भी नहीं दे सकती थी, उसने खुद ही आंख पर पट्टी बांध ली थी। अब दोबारा सोशल मीडिया पर द्वापर लौट आया है। दिव्य ज्ञान से लैस तमाम संजय ज्ञानोपदेश में लगे हैं , धृतराष्ट्र झुंड के झुंड लाइक और कमेंट कर रहे हैं ! ऐसे में अगर किसी ने बीच में पांडव बनने का प्रयास किया तो उसके लिए लाक्षागृह तैयार है ।
            पिछले पखवाड़े फेस बुक पर हमारे दो मित्र इसी खाड़ी युद्ध में उलझ गए ! पत्रकारिता और समाज सेवा को समर्पित दोनों महामानव सोशल मीडिया पर गुथ गए ! कोई गलती मानने को राजी नहीं !. दोनों अपने अपने बायोडाटा से एक दूसरे को दो दिन तक धमकाते रहे, पर शिमला समझैता हो न  सका ! कुछ बुद्धिजीवियों ने सुलह वाली पोस्ट डाली तो कुछ ने पेट्रोल उड़ेला ! तीसरे दिन दोनों फोन पर भिड़ गए ! अब दो बुद्धिजीवी लंबे वक्त के लिए विरोधी हो चुके हैं ! और,,,,,, ये सब हुआ दिल्ली में अगले साल होने वाले नगर निगम चुनाव के ऊपर ! इसी को कहते हैं - सूत न कपास जुलाहों में लट्ठम लट्ठा !!  योद्धा तैयार हैं!

         कोरोना ने हाय राम बडा दुख दीन्हा ! काम धाम कुछ है नहीं ! समय बिताने के लिए सोशल मीडिया पर जाता हूं तो वहां फेस बुक वॉल पर ततैया छितराए बैठे हैं। कुछ मित्र सिर्फ इसलिए नाराज़ हैं कि मैं उनकी 'अद्वितीय रचनाओं ' पर मनभावन कमेंट नहीं करता !कई महामानव ऐसे हैं जिन्हें सिर्फ नारियों की पोस्ट में विद्वता का छायावाद नजर आता है ! कुछ मित्रों ने अकारण खुद को वरिष्ठ साहित्यकार मान लिया है, और अपना लोहा मनवाने के लिए रोज पोस्ट का अश्वमेध यज्ञ वाला घोड़ा छोड़ते हैं ! समझदार और सहिष्णु लोग लाइक कर के मुख्यधारा में बने रहते हैं। तर्क और विवेक वाले  विरोध करते हैंऔर अगली सुबह मित्र सूची से सस्पेंड कर दिए जाते हैं ! चलो रे डोली उठाओ कहांर,,,,,!!
            " सोशल मीडिया  तू ना गई मेरे मन से !!

( सुलतान भारती)

2 comments:

  1. शुरुवात ही छक्का मार कर कर दी , काफी चुभता हुआ व्यंग्य है , लेकिन टी 20 के चक्कर में बहुत फ़ास्ट खेल गए । कई बार बीट हुए लेकिन आउट होने से बच गए। मुझे इस मामले में थर्ड अंपायर से रिव्यू लेना होगा कि बाल बैट पर थी कि पैड पर । लेकिन अंत आते आते बढिया इनिंग खेल गए फिनिशिंग टच देते हुए।

    ReplyDelete
  2. मारक व्यंग्य है! काश घुड़सवार इसे पढ़ पाते! 🙂

    ReplyDelete