ज़हीन, जुझारू, जीवट और जंगबाज शख्सियत के धनी हाशिम साहब को मैं पिछले तीस सालों से जानता हूं! मैं उन दर्जन भर खुश किस्मत लोगों में खुद को शुमार करता हूं जिन्होंने बहुमुखी प्रतिभा के धनी अबुल हाशिम साहब की विराट शख्सियत को बेहद करीब से देखा है ! चुनौती उन्हें जोश देती है और जीत एक और चुनौती को स्वीकार करने का हौंसला !
उनकी अबतक की जिंदगी - संघर्ष , सतत परिश्रम, जीत , अपार जोश और कभी न थकने का एक नायाब दस्ताबेज है ! संघर्ष की सीढियों पर कामयाबी के पदचिन्हों का पीछा करते युवाओं के लिए उनकी जीवनी तमाम नुक्ते और नक्शे खोलती है ! पैंसठ साल के चिर युवा अबुल हाशिम साहब के बारे में कोई भी जानकार बे शाख्ता यही कहेगा,- उनके लिए असंभव कुछ भी नहीं -'!
बहुत बेचैन हूं उनकी आत्मकथा '' परवाज़ " को पढ़ने के लिए ! उनके चाहने वालों ने उन्हे कई भूमिका में देखा है , और अब एक शानदार शाहकार के लेखक के रूप में देखेंगे! मुझे उम्मीद है कि ''परवाज़" में उनके हजारों चाहने वाले प्रशंसकों को उनकी जिंदगी के कई बंद पन्नों से मुलाकात होगी !
" परवाज़" की प्रतीक्षा में बेकरार
सुलतान भारती
( - मुंशी प्रेमचंद साहित्य सम्मान - से सम्मानित साहित्यकार)
वी
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