महंगाई डायन खाए जात है, बाकी सब खैरियत है ! अभी कल की बात है - मैंने अपनी बाइक से विनम्र विनती की थी, -' रुक जाना नहीं तुम कहीं हांफ के,,,,'! पेट्रोल के दामों में लगातार वृद्धि के बाद अब आत्मनिर्भरता वहां आ पहुंची है, जहां पैट्रोल पम्प को देखते ही बाइक के चरित्र पर संदेह होने लगता है ! हर वक्त जेब में सौ रुपया नहीं होता , ऐसी जर्जर अर्थव्यवस्था में पेट्रोल पंप के सामने से स्कूटर या बाइक खींचते हुए घर की ओर बढ़ना, सड़क पर अपना जुलूस निकालने जैसा है! पर क्या करें, मैं तो जाने कितनी बार अपना जुलूस निकाल चुका हूं ! इसके अलावा तो,,,बाकी सब खैरियत है !
हमारे "वर्मा" जी ने अभी दो महीने पहले अपने चरित्र की बाई पास सर्जरी कराई है ! उन्होंने मौसम अनुकूल देखकर कांग्रेस छोड़ दिया । अब वो राष्ट्रवादी पार्टी में शामिल हैं और मंहगाई के लिए कांग्रेस को ज़िम्मेदार बता रहे हैं ! कल मैं उनसे मिला तो उन्होंने सीधा मुझपर हमला बोल दिया, -" आप लोग देश के लिए क्या काम कर रहे हैं "?
" मेरे पास कोई काम नहीं है, मेरी नौकरी चली गई है "!
" इसी लिए कहता हूं कि कांग्रेस छोड़ दो, वरना एक दिन घर में नौकरी तो क्या नमक तक नही होगा "!
" पर कांग्रेस तो सत्ता से बाहर है ?"
" तभी तो इतना आग मूत रही है ! सोचो , जब कांग्रेस पॉवर में थी तो कभी इतनी महंगाई थी ! कभी किसी की नौकरी गई ! कभी पेट्रोल सौ रुपया लीटर बिका ? कभी नहीं, क्योंकि महंगाई, पेट्रोल, नौकरी अपराध सब कांग्रेस के हाथ में है ! कांग्रेस जब पॉवर में थी तो किसान आंदोलन क्यों नहीं हुआ ?"
" राजीव गांधी के शासन में महेंद्र सिंह टिकैत हज़ारों किसानों को लेकर इंडिया गेट पर बैठ गए थे "!
" और फिर आराम से चले भी गए थे, लाल क़िले में ट्रैक्टर लेकर तो नहीं घुसे ? मैं फिर कह रहा हूं कि रामराज चाहिए तो कांग्रेस से छुटकारा लो "!
" पिछले इलेक्शन में यही बात आपने भाजपा के लिए कही थी !"
" तब कांग्रेस ने मेरा ब्रेन वाश किया था, अब मैं नॉर्मल हो चुका हूं ! अब मैं इस पावन धरा को कांग्रेस मुक्त करके दम लूंगा ! प्रायश्चित करने के लिए तुझे मेरे साथ बंगाल चलना होगा "!
" बंगाल ! मगर मैने किया क्या है ? "
" भय, भ्रम या भूलवश तूने आज तक जो गैर राष्ट्रवादी पार्टियों को वोट दिया था, उसके प्रायश्चित करने का शुभ मुहूर्त आ गया है ! फकीरा चल चला चल "!
मुझे पता था कि वर्मा जी मेरी सुनेंगे नहीं ! मैं आगे बढ़ गया ! देहात में एक कहावत सुनी थी,- चोटिल अंगूठे पर ही ठोकर लगती है - ! जबसे नौकरी गवांई है, फ़ोन पर दो प्रस्ताव बार बार आ रहा है। लगता है कि हातिमताई ने फेस बुक संभाल लिया है ! कल भी एक अनजान फोन आया, ' क्या आप को ज़ीरो इंट्रेस्ट पर लोन चाहिए "? मैने बड़े मुश्किल से खुद को लोन लेने से रोका ! खुद पर काबू पाते हुए जवाब दिया , -" एक हफ़ते से आप बराबर दे ही रहे हैं ! किसी और को भी दे दो, अब नहीं लिया जाता "!
" आप मजाक कर रहे हैं !"
" शुरू तो आपने किया था लोन परवर "!
सिनेरियो बदल गया ! अब फेस बुक पर एक और व्यापारी ने मुझे ढूढ लिया है ! कल फ़ोन करके मुझे बता रहा था, " शायद आप को पता नहीं कि आप कितने बडे़ राइटर हैं ! आप पांच उपन्यास लिख चुके हैं ! कई अखबारों में आपके आर्टिकल छपते हैं ! फेस बुक पर आपके बडे़ फॉलोअर हैं "!
" हां, उन में से कई मुझे गालियां भी देते हैं !"
" चंदन विष व्यापत नहीं लिपटे राहत भुजंग -! आप महान हैं तो हैं "!
" अब आप भी मुझे लोन देंगे क्या ?"
" नहीं, मैं तो आपको महान लेखक बनाने आया हूं , सिर्फ इक्कीस सौ का खर्चा है "!
" रुपए की जगह मैं आपको आधी बोरी गेहूं दे सकता हूं !"
वो तुरंत साहित्य से व्यापार की ओर चले गए, " जहां काम आवे सुई, कहां करे तलवार ! मैं सिर्फ इतना कर सकता हूं कि इक्कीस सौ की जगह ग्यारह सौ ले लूं ! अब ये तुम्हारे ऊपर डिपेंड करता है कि विख्यात होना है या नहीं ! तुम्हारे जैसे कोरोना ग्रस्त लेखक के लिए इससे बेहतर पैकेज नहीं हो सकता "!
क्या कहूं, सूखे का क्षेत्रफल लगभग रोज बढ़ता जाता है ! न्यूज चैनल के अलावा कहीं हरियाली नहीं है ! सिर्फ न्यूज चैनल पर मार्च के महीने में मानसून उपलब्ध है! विडंबना ये है कि अर्थव्यवस्था के इस पतझड़ में भी मोहल्ले वालों को पूछने पर बताना पड़ता है, - " जी हां, बाकी सब खैरियत है "!
( सुलतान भारती )
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