" कबाड़ है साहेब "!
" कहां से ला रहा है ?'
" ताजपुर पहाड़ी से "!
" दिल्ली बॉर्डर पर चारों ओर किसान बैठे हैं, और तू माहौल ख़राब करने की कौशिश कर रहा है!"
अलादीन घबरा गया, ' मैंने कैसे ख़राब किया साहेब '?
" किसानों का धरना चल रहा है और तू मुझसे जबान लड़ा रहा है ! तू तो मुझे संदिग्ध लग रहा है बे !!"
" नहीं सर ! मै तो एक गरीब कबाड़ी हूं "!
" तुझे क्या पता कि तू क्या है, ये तो मैं तय करूंगा ! ज़रा मुझे कबाड़ चेक करने दे! तब मैं डिसाइड करूंगा कि तू खालिस्तानी है या बांग्लादेशी !"
" मगर मैं तो हिन्दुस्तानी हूं!" " तेरे कहने से कुछ नहीं होता ! ये तो मुझे डिसाइड करना है!"
अलादीन रूआंसा हो गया , तभी दूसरा पोलिस वाला उसे एक तरफ ले जाकर बोला, ' अगर इन्होंने जांच शुरू कर दी तो इस जनम में तू कभी भी इंडियन नहीं साबित हो पायेगा ! वीजा लगाऊं तेरा ?"
" वीज़ा "!
" हां, आजकल रोहिंग्या का सीज़न चल रहा है! बीस साल के लिए जेल जाएगा !"
" कुछ कीजिए सर !"
" इब आया तू कानून के नीचे ! लिकाल दो सौ रुपया !"
" किस जुर्म में सरकार ?"
" नाक के नीचे रिक्शा समेत रोहिंग्या बरामद हो गयो "!
' अभी सौ रुपया है सरकार।"
" कोई बात नहीं, पचास बाद में दे देना "!
जान बची और लाखों पाए ! अलादीन तेज़ी से रिक्शा चलाता हुआ अपनी झुग्गी की ओर चल पड़ा ! अभी वो तुगलकाबाद किले के नज़दीक पहुंचा था कि नाका लगाए पुलिस वाले ने उसका रिक्शा रुकवा दिया ! आसमान से गिरे खजूर में अटके , अब तो जेब में इतना भी पैसा नहीं था कि 'दिल धक धक ' गुटखा खरीद सके ! एक पुलिस वाले ने पास आकर कबाड़ का जायज़ा लिया, -' ये सब क्या है बे ?'
" कबाड़ है दरोगा जी !"
पुलिस वाला दरोगा कहे जाने पर थोड़ा नरम हुआ, फ़िर भी ठेले का मुआइना करता हुआ बोला , ' कब से ये धंधा कर रहा है ?"
" पांच साल से!"
"तो इसका मतलब पांच साल से कानून की आंख में धूल झोंक रहा है , दस साल के लिए अंदर जायेगा "!
" मगर क्यों मेरे आका ! क्या कबाड़ खरीदना जुर्म है ! मै तो बड़ी मुश्किल से अपना पेट पालता हूं"!
पुलिस वाला धीरे से बोला ,- ' मेरे धौरे भी एक पेट सै बावली पूंछ ! उसने कूण पालेगो ! लिकाड सौ रुपया !!"
" पिछली चेकपोस्ट पर सब ले लिया, सौ रुपया उधार चढ़ा है "!
" चल इब दो सौ रुपया उधार चढ़ लिया ! पे टी एम नहीं है के ?"
" मै बहुत छोटा आदमी हूं सरकार "!
अपनी झुग्गी में आकर भी अलादीन के दिल की धड़कन नॉर्मल नहीं हो रही थी ! शरीफ आदमी था इसलिए पुलिस को देखते ही ऐसे घबरा जाता था़, गोया किसी की जेब काट कर भागा हो !
अचानक उसे जिन्न वाले चिराग़ की याद आई । इक्कीसवीं सदी में आकर जिन्न बिलकुल बदल गया था़ ! अव्वल तो रगड़ने के बावजूद वो चिराग़ से बाहर नहीं निकलता था़, और निकलता भी तो सियासत, क्राइम और किसान आंदोलन की बातें करता था। वर्तमान व्यवस्था का इतना बुरा असर जिन्न पर पड़ा था कि बगैर लेन देन के वो कोई काम नही करता था !
अलादीन ने चिराग़ को रगड़ना शुरू किया ! पांच मिनट निकल गया ! अलादीन के मुंह से " पाताल लोक" वेब सीरीज की ओरिजनल गालियां निकलने लगीं, पर चिराग़ से धुआं न निकला ! खीझ कर अलादीन ने चिराग़ उठाकर फर्श पर दे मारा !
चमत्कार हुआ ! चिराग़ से सफेद धुआं निकलता नजर आया और जब धुआं छटा तो गैस सिलेंडर पर बैठा हुआ जिन्न नज़र आया। अलादीन को देखते ही जिन्न ने फॉर्मेलिटी निभाई, " क्या हुक्म है मेरे फटीचर आका "?
" तंग आ गया तुमसे ! रगड़ रगड़ कर हाथ घिस गए और तुम हो कि केजरीवाल सरकार की तरह सोये पड़े हो ! आखिर कहां कोमा में चले जाते हो ?"
" मै सिंघु बॉर्डर पर किसान रसोई में खाना खा रहा था ! जबसे कोरोना आया है, तुम्हारी झुग्गी तो गरीबी रेखा से नीचे चली गई है ! कोरोना से तो बच गया पर कुछ दिन और तुम्हरे साथ रहा तो कुपोषण से मर जाऊंगा ! गांधी जी से भी ज्यादा उपवास कराते हो !"
" तो मै क्या करूं ! जब भी तुमसे कुछ मांगता हूं तो आसाराम की तरह उपदेश देने लगते हो ! कुछ लाते ही नहीं!!"
"तुम अपनी च्वाइस तो देखो ! कैसी कैसी वाहियात डिमांड करते हो ! कभी एक पाव सरसों का तेल मांगते हो तो कभी सस्ता आलू ! कभी फुटपाथ पे दो सौ रुपए में बिकने वाले जूते की फरमाइश करते हो तो कभी सौ रुपए में जाड़ा उतारने वाली स्वेटर लाने को कहते हो ! इस सतयुग में क्या हो गया उस्ताद आपको ! लगता है रामराज सूट नहीं कर रहा है ! खैर आज क्या चाहिए ? सुर में बोले तो,,,, क्या हुक्म है मेरे आका !"
अलादीन ने सारी समस्या बताते हुए कहा, ' मेरी सात पुश्तें यहीं मरी और दफ़न हुईं, लेकिन पुलिस वालों से मिलने के बाद तो मुझे खुद अपने ऊपर ही शक होने लगा है कि कहीं मैं रोहिंग्या तो नहीं ! कुछ चक्कर सा आ रहा है तब से !"
" बहुत छोटी सी समस्या है, डॉन्ट वरी मैं हूं ना ! "सुविधा शुल्क" ज़िंदाबाद ! सारा इंतजाम मैं कर दूंगा, बस आप ज़रा एक लिम्का की बोतल और चिकन तन्दूरी लेते आइए ! मुर्गा अंदर - समस्या बाहर !"
".कभी बगैर लेनदेन के भी काम कर दिया कर !"
" सुविधा शुल्क के बगैर कुछ नहीं होता बॉस ! होता तो पुलिस वाले तुमसे डेढ़ सौ क्यों लेते ! '
अलादीन मन ही मन गाली देते हुए झुग्गी से निकल गए ! वो समझ गए कि बगैर मुर्ग़ा और लिम्का के जिन्न उन्हें रोहिंग्या होेने से बचाएगा नहीं ! लेकिन इस घबराहट और जल्दबाज़ी में उनसे एक भारी भूल हो गई ! वो चिराग़ को जेब में रखना भूल गए ! जब याद आया तो बगैर मुर्ग़ा लिए झुग्गी को वापस भागे , मगर तबतक देर हो चुकी थीं !
में लालकिले से खरीदी हुई नई जीन और टी शर्ट खूंटी से गायब थी , और,,,,, चिराग़ लेकर जिन्न फ़रार हो चुका था!
*(Sultan bharti)*
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