Wednesday, 27 March 2024

साहस सेवा और संकल्प : लाल सिंह आर्य

(साक्षात्कार)
साहस, सेवा और संकल्प :  'लाल सिंह आर्य'

    ( लाल सिंह आर्य! तीन बार भाजपा से विधायक, एक बार मध्यप्रदेश विधानसभा में मंत्री ! जनसेवा के पुराने पुरोधा , बचपन से आरएसएस के कैडर ! सत्तरह साल की किशोर अवस्था से सियासत में पदार्पण ! वर्तमान में भाजपा के एससी एसटी मोर्चे के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैँ! )
     (जाने माने पत्रकार और संघ के समर्पित सदस्य अजय कुमार सिंह ने फोन पर उनसे संपर्क किया और इंटरव्यू के लिए सहमति मिलने पर हमें  सूचना दी ! मैंने पत्रकार सुल्तान भारती को फोन मिलाया, विनम्र और सहयोगी स्वभाव के "भारती" साहब तुरंत  तैयार हो गए ! हम तीनों एक घंटे बाद नॉर्थ ब्लॉक स्थित लाल सिंह आर्य के सरकारी आवास पर जा पहुंचे ! आर्या जी ने मुस्करा कर सहमति दी और फिर शुरू हुई  सवालों की बौछार - और सधे हुए संतुलित शब्दों के साथ लाल सिंह आर्य का जवाब ! हमने लाल सिंह आर्य से उनकी ज़िंदगी, संघर्ष और उपलब्धियों से संबंधित तमाम पहलुओं पर विस्तार से बातचीत की!
(सवाल)-- कुछ अपने बचपन के बारे में बताएंगे! सुना है कि  खेलने कूदने की उम्र में आप समाज सेवा में उतर पड़े थे ?
   ( जवाब),,,,सात साल की उम्र में मैं संघ से जुड़ गया था ! समाज और राष्ट्र सेवा की भावना वहीं से पैदा हुई ! बाप चिनाई करने वाले मिस्त्री थे और दादा जूता बनाते थे! भिंड जिले के गंज मोहल्ला मे परिवार रहता था ! संघर्ष,सेवा और विश्वास कभी व्यर्थ नहीं जाता ! छात्र जीवन के दौरान 1984 में एबीवीपी का महा मंत्री बना !  1998 में मै पहली बार विधायक बना ! उस वक़्त मेरी उम्र 34 साल थी, और  फिर सफलता  का ये  कारवाँ बढ़ता ही गया !
(सवाल),,,,' संघ में कुछ पाने के लिए प्रतीक्षा सूची बड़ी लंबी होती है! आपको युवावस्था में में सब मिलने लगा ?'
( उत्तर),,,,' हमारे पूज्य सरसंघ चालक कहते हैं कि- संघ देता है, लेता नहीं ! लोग इस भाव से आयें कि हमें समाज को देना है, हमे संघ से मिलेगा कुछ नहीं-'!
(प्रश्न),,,,,'भिंड जिला चंबल बेल्ट में आता है जो डाकुओं का प्रभाव क्षेत्र है! कभी आपका आमना सामना उनसे हुआ है-?'
(जवाब),,,' चंबल को बदनाम किया गया है! हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री ने चंबल की इमेज खराब की है! वहाँ डाकू नहीं बागी होते थे , किंतु माननीय शिवराजसिंह चौहान के प्रयासों से अब चंबल इस समस्या से मुक्त है-'!
(सवाल),,,' आप विधायक रहे, मंत्री रहे! क्या कभी लोकसभा चुनाव लड़ने का विचार नहीं आया !अथवा पार्टी ने कभी ऑफर नहीं दिया-?'
( जवाब),,,,,'हमारी पार्टी में  किसी को कुछ मांगने की ज़रूरत नहीं पड़ती, पार्टी खुद देती है!हमें jo भी काम दिया जाता है हम उसे एक मज़दूर, सैनिक और स्वयंसेवक बनकर पूरी निष्ठा से पूरा करते हैं-!'
(सवाल),,,,'सेवा के इस लंबे अंतराल में कभी ऐसा विचार आया कि सियासत से समाज सेवा ही बेहतर थी-?'
(जवाब),,,,'साधन विहीन समाज सेवा की रफ़्तार बहुत धीमी होती है ! सेवा भाव होते हुए भी कुछ ख़ास नहीं किया जा सकता ! इसलिए राजनीति में आना ज़रूरी था ! आदरणीय मोदी जी के नेतृत्व में समाज सेवा और जनसेवा को जो रफ़्तार मिली है, वो पूरे देश के सामने है! आज सत्ता में बैठे लोगों के पास साधन भी है और मन में  सेवा भाव भी-'!
(सवाल),,,,,'राजनीति में कभी ऐसा मौका आया जब ईमानदारी नेकी के बाद भी आप पर आरोप लगाया गया हो ?'
(जवाब),,,,' हाँ, एक कालखंड ऐसा भी आया था जब मुझे झूठे केस में फंसाने की कोशिश की गई थी, लेकिन सांच को आंच कहाँ ! लेकिन घबराया नहीं ! साथ ही संयम और मानसिक संतुलन खोया नहीं मैंने! आखिरकार झूठे का मुँह काला और  सच की जीत हुई ! याद रखें, सत्य परेशान हो सकता है, किन्तु पराजित नहीं '!
( सवाल),,,,' क्या भाजपा से पहले सत्ता में आने वाली पार्टियों ने एससी एसटी के लिए कुछ नहीं किया-?'
(जवाब),,,,' कुछ खास नहीं ! उनके लंबे शासन में इस वर्ग के लोग मंत्री और उपमुख्यमंत्री के पद पर तो पहुंचे किंतु समग्र विकास की लहर नहीं पहुंची !
एससी एसटी वर्ग के महापुरूषों के सम्मान के खातिर कुछ नहीं किया गया! वो  सब कुछ मोदी सरकार इतने कम अन्तराल में कर दिखाया ! आज सही अर्थ में सबका साथ- सबका विकास हो रहा है!देश आगे बढ़ रहा है-!'
( सवाल),,,,' क्या इस बार चार सौ सीटें मिलेंगी-?'
(उत्तर),,,' ये नारा नहीं भरोसा है ! समग्र विकास से पैदा होने वाला आत्म विश्वास है मेरा ख्याल है कि सीटों की संख्या चार सौ पचास से  पौने पांच सौ तक जा सकती हैं-'!
(सवाल),,,,' इस तरह तो विपक्ष खत्म हो जायेगा ?'
( जवाब),,,,,' विपक्ष को कोई दूसरा नहीं ख़त्म करता , खुद उसका चाल चरित्र और चेहरा ही खत्म करता है! जो बोएगा -वही काटेगा-!'
  ( सवाल),,,,'  चुनाव के परिपेक्ष्य में जनता के नाम कोई संदेश-?'
(जवाब),,,,' विकास का रास्ता चुने ! लगातार मजबूत होती अर्थव्यवस्था को और अधिक रफ़्तार दें! सबका साथ सबका विकास को अगली पीढ़ी तक पहुंचाएं और देश को विश्वगुरु होने मे  अपने वोट की भागीदारी सुनिश्चित करें-!'
       पूरे एक घंटे बाद हमारी कर मंडीहाउस की ओर वापस दौड़ रही थी !पत्रकार अजय सिंह को ड्रॉप जो करना था!

                  (तबरेज खान)
                  चीफ एडीटर 



Sunday, 24 March 2024

(व्यंग्य चिंतन) 'दारु' की बोतल में 'झाड़ू'

(व्यंग्य चिंतन)
'दारू' की बोतल में "झाड़ू"

        आखिरकार पहुंची वहीं पे ख़ाक जहां का खमीर था, पुलिस उनको पकड़ ले गई ! इस अवसर पर 'विकास पुरूष' के आसपास उनके समर्थक कम तमाशाई ज़्यादा थे ! समर्थकों में उनकी संख्या ज्यादा थी जो विकास श्री' के कारण 'आम' से  ' खास' हो गए थे ! वो चिल्ला रहे थे और कुछ लोग 'न्याय के साथ हुए इस चीरहरण' के खिलाफ़ ज़मीन पर लेट गए थे ! औऱ,,,लेटते भी क्यों न , साक्षात  'धर्मराज'  को जेल भेजा जा रहा था ! क्या विडंबना थी, भ्रस्टाचार के ख़िलाफ़ आंदोलन चला कर सत्ता में आए  'विकास श्री' को ही भ्रस्टाचार के आरोप में  पकड़ लिया गया था !
           ये तो सरासर अन्याय था,- भ्रस्टाचार तो सनातन कालीन समस्या है ! आत्मा की  तरह अजर अमर है , न आग जला सकती है और न सुनामी डुबो सकती है ! हर पार्टी जीतने के बाद बाद शपथ लेते ही भ्रस्टाचार  दूर करने में लग जाती है, मगर महा मृत्युंजय का जाप करने वाला भ्रस्टाचार की जगह  वीर पुरुषों की कुर्सी हट जाती है !  "विकासश्री" भी आते ही भ्रस्टाचार पर झाड़ू चलाने लगे थे ! अनुयायी बंद आंखों से भी भ्रस्टाचार दूर होते देख रहे थे ! आम आदमी को कलियुग जाता और सतयुग आता नज़र आने लगा था !  'विकास श्री' का मफलर और खांसी दूर हो चुकी थी और दल के सभी पदाधिकारी आम से ख़ास होने लगे थे ! प्राप्त  गेहूं का फाइबर और दिल्ली की जीडीपी दोनों बढ़ रही थी ! मरणासन्न विकास का हीमोग्लोबिन ऐसा बढ़ा कि वो सरपट दौड़ने लगा ! नर नारी खुश होकर गाने लगे,- तुम्हीं हो माता पिता तुम्हीं हो-!'
      फिर अचानक विरोधी दल के नर नारी छाती पीटने लगे! पता चला कि पानी के लिए तरसती कॉलोनी में दारू की दुकान खुलने लगी ! विकास को बौराते देख पब्लिक सकते में थी ! पानी के लिए जूझते वोटरों के मोहल्ले में पानी के बोर और टैंकर तो पहुंच रहा था, किन्तु भाजपा का आरोप था कि पानी से ज्यादा दारु का लाइसेंस पहुंच रहा था ! आरोप था कि विकास श्री ने नई एक्साइज पॉलिसी को मंजूरी दे दी ! दारू को दवा बनाने का प्रयोग सफल हुआ और 'आम आदमी' को प्रचुर मात्रा में विकास नजर आने लगा ! केंद्रीय जांच एजेंसियो  ने जब विकास को सर्विलांस पर रखा तो  पता चला कि- जिसको समझा था ख़मीरा वो भकासू निकला!
      साजन के दो साफ सुथरी छवि वाले सहयोगी पहले ही गिरफ्तार कर लिए गए ! उनकी गिरफ्तारी से बहुमत आहत था  ! काफी बाद में साजन को सम्मन आना शुरू हुआ ! आम चुनाव 2024 और ईडी दोनों की पदचाप तेज़ हो रही थी ! विकास श्री कोई नई पारी खेल पाते कि ईडी ने साजन को घर से उठाया और  ' जेल में'  जमा कर दिया !  होली को  ऐसा फील होने  लगा गोया किसी ने पिचकारी की किडनी निकाल ली  हो ! पूरी स्क्रिप्ट बग़ैर हेडिंग के ! दुखद स्थिति है , और गठबंधन के नेता जुबानी हमदर्दी उड़ेल रहे हैं ! कुरुक्षेत्र सामने है, किंतु योद्धा नदारद ! कंफ्यूजन बना हुआ है, कि धर्म अधर्म के इस महाभारत में धर्म पर कौन है ! आरोप प्रत्यारोप के इस खेल में पिचकारी दोनों तरफ से चल रही है! व्हाटस एप् से दुर्लभ ज्ञान जमा करने वाली जनता ने सच जानने की कोशिश और उम्मीद छोड़ दी है !
       वक़्त की सितमजरी देखिये, जो बेचते थे दर्द दवा ए दिल ! वो दुकान अपनी बढ़ा गए-! कोई ज़माना था जब अन्ना हजारे नामक वाहन पर सवार होकर विकास श्री जंतर-मंतर पर अवतरित हुए! बाद में उन्होंने 'झाड़ू' नाम का एक दिव्यास्त्र ग्रहन किया ! बाद में बड़े बड़े बरगद झाड़ू की चोट से धराशायी होते गए ! जनता झाड़ू में एक नई जन क्रांति के अंकुर देख रही थी ! लेकिन 9 साल बाद ही- बना खेल तोरा बिगड़ गयो रे-!

       इंसाफ़ की देवी ने आंख पर पट्टी बाँध ली तो प्रेस ने वही पट्टी दिमाग़ पर बाँध ली ! अब बची जनता, तो उसे व्हाटस एप्प यूनिवर्सिटी थमा दिया गया ! कोल्हू के बैल बनकर अमृतकाल का आनंद लो ! देश आगे जा रहा है , और हम कोल्हू समेत पीछे ! 'विकास पुरूष' पर लगे आरोप पर कोर्ट की सहमति से एक ही सवाल उठता  है कि जनता भरोसा करे भी तो किस पर ! सियासत के इस हमाम में क्या सभी नंगे हैं ! एक नए  'तारणहार' की उम्मीद में जनता हर बार चुनाव की  वैतरणी झेलती है- जब तक है जान -जानेजहान मैं  नाचूंगी-! शायद यही विधि का विधान है  !
     अभी एक घंटे पहले चौधरी ने आकर मुझे होली की मुबारकबाद देते हुए पूछ लिया, - उरे कू सुन भारती ! उसकू घर ते ठाकर थाने क्यों ले गए !' 
     " भ्रस्टाचार का आरोप लगाया गया है, शराब के  व्यापार में कोई घपला बताया जा रहा है "!
       " कितै खोल रखी थी दारू की दुकान?" 
   " बड़े आदमी दारू बेचते नहीं, बेचने का लाइसेंस देते हैं! 
       ' कच्ची दारू पकड़ी गई- के? दो बोतल हैप्पी होली मैंने भी खरीदी , इब के  करूँ ?'
        " मत पीना ! गुझिया खा कर सो जाओ!"
     " पहले बताना था, इब तो एक बोतल पी कर तेरे धौरे आ गया  -! पहले बताना था, तेरे  पढ़ने लिखने का के फायदा "!!

    तब से मैं अपनी पढ़ाई की डिग्री को लेकर बड़ी हीनता फील कर रहा हूं !


      

(शख्सियत) रमेश बिधूडी: नायक : विकास का या विवाद का

(शख्सियत)        रमेश बिधूड़ी 

      "यह अंतिम पडाव नहीं है" ( रमेश बिधूड़ी )

(मैंने बहुत करीब से उनको देखा और परखा है ! समाजसेवा उन्हें विरासत में मिली है ! वकालत कर रखी है, मगर कभी वकील होने का ढिंढोरा पीटते नहीं देखा! कामयाबी को पचाने का हुनर जानते हैं !
प्रशंसा की अपेक्षा आलोचना ज़्यादा पसंद है !   सेवा साहस और दृढ़ संकल्प के धनी हैं !  पढ़े  , - समाज सेवा से सियासत तक सफल पारी खेलने वाले भाजपा के सांसद और कद्दावर नेता रमेश बिधूडी का ताज़ा इंटरव्यू !)

23 मार्च 2024 की सुबह साढ़े 9 बजे !हमारे साथ उदय सर्वोदय के चीफ़ एडीटर तबरेज खान भी थे! हमें डर एक ही चीज़ का था कि कहीं रमेश जी किसी जरूरी काम से निकल न गए हों ! हम दोनों ने रोज़ा रखा था और हमें जल्द वापस लौटना था ! वो मौजूद थे और लोगों की समस्याएं सुन रहे थे ! पूरे 35 मिनट बाद वो जैसे ही फारिग हुए , हमने फौरन पहला सवाल दागा,,,,,,
   ,,,,,,,,"आपके समर्थक और प्रशंसक सकते में हैं! आप लगातार इस सीट से जीतते आ रहे सांसद हैं, आशा के विपरीत अचानक आपकी जगह पार्टी ने किसी और को टिकट दे दिया ! वज़ह क्या है?"
      ---" नेतृत्व परिवर्तन होता रहता है।  बीजेपी में पोस्ट और पॉवर पर किसी की मोनोपोली नहीं है! ये फैसला पार्टी हाई कमान करती है कि टिकट किसको देना है और किसे नहीं देना है! हो सकता है कि मेरे अच्छे काम ऊपर तक कम पहुंचाए गये हों और हमारी आलोचनाएँ ज़्यादा हाईलाइट की गई हों ! आला कमान का फैसला सर माथे पर-"!

,,,,,,,,' एक जीते हुए लोकप्रिय सांसद की बजाय एक विधायक को इस सीट से उम्मीदवार बनाना,,,,, क्या नए उम्मीदवार के लिए मुश्किलें नहीं बढाती ?'
---कोई मुश्किल नहीं ! मोदी जी के नाम और सरकार द्वारा किया गया विकास जीत की जमीन तय करता  है ! और ये भी हो सकता है कि संगठन मुझे कोई बड़ी जिम्मेदारी देना चाहता हो !   यह जरूरी नहीं कि सांसद बन कर ही जनसेवा की जाए ! गांधी जी ने कौन सा चुनाव लड़ा था ! उम्मीदवार की बेहतरीन परफॉर्मेंस से कई गुना अधिक मोदी जी का नाम औऱ काम का मैजिक असर डालता है-" !
,,,,,," दक्षिणी दिल्ली लोकसभा सीट पर भाजपा उम्मीदवार के सामने 'आप' और कॉंग्रेस के गठबंधन का  संयुक्त उम्मीदवार खड़ा है! क्या ये भाजपा की जीत के रास्ते में एक बड़ी चुनौती नहीं है?"
  ---' देखिये, जनता का भरोसा मोदी जी पर है! जनता ने दस साल में मोदी जी और उनके विकास को परख लिया है,-जो कहते हैं वो करते हैं -! इंडिया गठबंधन का चाल चरित्र और चेहरा जनता के सामने है! अगर गठबंधन में दम होता तो उसके नेता पार्टी छोड़ कर भाजपा की ओर क्यों भागते-?  दिनों दिन मोदी जी की लोकप्रियता सर्व समाज के अंदर बढ़ रही ! इसलिए- इस बार चार सौ पार !"
,,,,,,, ' दिल्ली सत्तर विधानसभा सीट में बदत्तर पर आप के विधायक बैठे हैं! इस बार उनका कॉंग्रेस के साथ गठबंधन भी है! क्या इसका असर लोकसभा चुनाव परिणाम पर नहीं पड़ेगा?"
    ---' आपको याद होगा कि केजरीवाल जब सत्ता में आए थे तो नारा दिया था- भ्रस्टाचार हटाओ ! और फिर,,,,सत्ता में आने के बाद कभी भ्रस्टाचार का नाम नहीं लिया, क्यों? क्योंकि खुद भ्रस्टाचार करने लगे! तब उन्होंने नारा लगाना शुरू किया कि लोकतंत्र खतरे में है! जनता सब जान चुकी है कि सिर्फ नारा कौन देता है और विकास कौन करता है!
रही लोक सभा चुनाव परिणाम की बात, तो 2019 मे भी भाजपा ने दिल्ली की सातों सीटें जीती थीं जब कि दिल्ली विधानसभा में उनकी सीटें सत्तर में से अड़सठ थीं-"!
   ,,,,," आपने भ्रस्टाचार की बात की ! संयुक्त विपक्ष का आरोप है कि इलेक्टोरल बॉन्ड का घोटाला सबसे बड़ा भ्रस्टाचार है?"
  ,,,,,," जो खुद भ्रस्टाचार में सर से पैर तक डूबा हो, उसे तो इल्ज़ाम लगाने का अधिकार ही नहीं है! शीशे के घर में बैठ कर दूसरों के घर पर पत्थर मारने जैसा चरित्र है विपक्ष का ! "
     ,,,,,,,'केजरीवाल जेल चले गए ! समूचा विपक्ष इसे साजिश बता रहा है! क्या इस गिरफ्तारी से आम आदमी पार्टी के पक्ष में संवेदना लहर पैदा हो सकती है?"
    ,,,,,,,' संवेदना लहर इस बात पर निर्भर करती है कि इस घटना को कौन सही तरीके से जनता के बीच ले जाता है ! इसमें भाजपा कामयाब होती है तो लाभ भाजपा को मिलेगा, और अगर आम आदमी पार्टी जनता को  समझाने में सफल होती है तो फायदा उसे मिलेगा ! माननीय प्रधान मंत्री जी जनहित और सर्वहारा हित में कदम उठाते हैं, हानि या लाभ देख कर नहीं ! दिल्ली और देश की जनता मोदी जी के निर्णय के पक्ष में है-!"
    ,,,,,, " चुनाव की पदचाप और प्रचार की सरगर्मी बढ़ रही है, रमेश विधूड़ी जी अपनी पार्टी के उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार करने कब निकलेंगे?"
----" जब उम्मीदवार चाहेगा ! मैने फ़ोन कर के कह दिया है कि जब तुम्हें मेरी आवश्यकता होगी, बता देना ! और कोई भी मेरे बारे में कुछ कहे तो सीधे फ़ोन कर के मुझ से बात कर लेना ! अब अगर उम्मीदवार को लगेगा कि मेरी आवश्यकता है तो तो कहेगा , और अगर उसे लगा कि मेरे साथ रहने से उसे नुकसान होगा तो नहीं कहेगा ! ऐसी स्थिति में पार्टी मुझे जो काम सौंपेगी मैं उधर जाऊँगा-"!
     ,,,,," आपके दक्षिणी दिल्ली लोकसभा सीट के मुस्लिम वोटर के बहुमत का रुझान तो "आप" उम्मीदवार की तरफ है !  इसका कितना असर चुनाव परिणाम पर पड़ेगा-?"
  -----" मोदी जी का नारा है,- सबका साथ सबका विकास ! राष्ट्रीय स्तर पर इसमें कोई भेदभाव नहीं होता! सभी को समान रूप से इसका लाभ मिलता है, इसमें मुस्लिम भी शामिल हैं ! हम किसी के साथ भेदभाव नहीं करते! मोदी जी की इन्हीं विकासशील नीतियों और योजनाओं के चलते मुस्लिम वोट प्रतिशत तेजी से आगे बढ़ा है! पिछली बार ये सात फीसदी था ! तो कोई ये दावा नहीं कर सकता की सभी मुस्लिम वोट उसी उम्मीदवार को जायेंगे-"!
,,,,,," विगत तीस सालों से मैने देखा है कि क्षेत्र की मुस्लिम जनता भी बड़ी तादाद में अपनी समस्याओं को लेकर आपके पास आती है! उनकी शादी और त्योहार में भी आप जाते हैं! फिर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आपकी छवि मुस्लिम विरोधी कैसे बन गई-"?
-----" मुस्लिम विरोधी बनाई गई है- जानबूझकर ! अगर मैं अपने मुस्लिम भाइयों के सुख दुख में खडा होता हूँ, उनके लिए काम करता हूं और उनको सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाता हूँ, तो उसे हाईलाइट नहीं किया जाता ! वहीं, यदि अल्पसंख्यक समाज का कोई व्यक्ति आलोचना की जगह अभद्र भाषा का प्रयोग करे और मैं जवाब दूँ तो एकतरफ़ा प्रचार किया जाता है ! मुस्लिम को भाजपा से दूर रहने के लिए विपक्ष हर प्रयास करता है! सीएए के बारे में भ्रामक प्रचार उसका ताज़ा उदाहरण है! जो मुसलामान बंटवारे के बाद भी यहां से नहीं गए, वो इसी देश के हैं, उन्हें देश से प्यार है, और इस देश के सभी संसाधनों में उनकी समान भागीदारी और अधिकार है-!"    (समाप्त)
      
                 (लब्बोलुआब)
     सच कडुआ होता है, इसलिए समाज और सियासत में बहुमत कडवे सच से दूरी बनाए रखता है ! लेकिन रमेश विधूड़ी ने ऐसे कडवे सच को से अपनी आदत और पहचान बना ली है! उनके अंदर अभिनय, घड़ियाली आँसू या बनावटीपन का घोर अभाव है! वो जो अंदर से हैं, वही बाहर से नज़र आते हैं ! जो सच है और दिल गवाही देता है,वही कड़वा सच उनकी वाणी में बाहर आता है ! शायद यह वर्तमान आचार विचार को रास नहीं आता ! कडुआ सच बोलने का जोखिम अब विरले ही उठाते हैं ! रमेश विधूड़ी की शख्सियत को एक शे'र में बड़ी आसानी से समझा जा सकता है,,,,,,

              झूठ को झूठ सच को सच कहना !
              हौसला  चाहिए   जिगर  के लिए !!
             
                          ( सुलतान भारती)

                

     

Tuesday, 5 March 2024

व्यंग्य "चिंतन" 'अंबानी' शादी में 'अब्दुल्ला' दिवाना

(व्यंग्य 'चिंतन')

    'अंबानी'  शादी में  'अब्दुल्ला' दीवाना !

    'अनंत अंबानी की शादी होनी है,अब्दुल्ला अभी से दीवाना है ! हालांकि अंबानी ने अब्दुल्ला को इनवाईट नहीं किया है, फिर भी उसे सगा होने की फीलिंग्स आ रही है! वो इस शादी को लेकर अनंत अंबानी से ज्यादा सीरियस है! हालांकि उसे बिलकुल नहीं बुलाया गया, फिर भी वो आमंत्रित मेहमानों की लिस्ट को लेकर खासे गुस्से में है ! ये क्या, मुकेश अंबानी को पात्र कुपात्र की पहचान भी नहीं रही ! ये बात अब्दुल्ला सहन नहीं करेगा ! बेशक उसे महफ़िल में पानी छिड़कने के लिए भी नहीं बुलाया गया, मगर वीआईपी मेहमानों की लिस्ट में ' विधर्मियों ' को देख कर उसकी आत्मा आहत है! इतने दूर से ही उसे संस्कार और संस्कृति में इन्फेक्शन लगता नज़र आ रहा है !  सद सद अफ़सोस ! अंबानी फॅमिली को उसके गंभीर चिंता की ज़रा भी परवाह नहीं है!
         उधर  'अब्दुल्ला' की दीवानगी,अनंत अंबानी की प्री वेडिंग समारोह को लेकर, बेगानेपन से मुक्त हो कर बेलगाम होने को है! चूंकि वो ' विश्ववत कुटुम्बकम' का मानने वाला है, इसलिए महमानों को लेकर उसका क्रोध इंटरनेशनल हो रहा है ! वो 'रिहाना' को लेकर आग बबूला है ! उसे क्यों बुलाया गया !!  रिहाना को बुलाने से पहले  'अब्दुल्ला' से मशवरा तक नहीं  किया ! अब पछताए होत क्या जब रिहाना चुग गई खेत! चार घंटे नाचने का 72 करोड़ फीस ! तब से 'अब्दुल्ला' कलकुलेटर लेकर, 72 करोड़ में कितने जीरो होते हैं, ये गिन रहा है ! इतनी बड़ी रकम को लेकर 'अब्दुल्ला' ऐसे सकते में है गोया, -भरतपुर लुट गयो रात मोरी अम्मा-! लेकिन ये जो  'अब्दुल्ला'  हैं न !शर्म, हया और नाक से पूरी तरह मुक्त होते हैं! क्योंकि ये  सांसारिक चीजे दीवाना होने में बाधक  हैं ! रिहाना बेशक वापस अमेरिका चली गई है, लेकिन वो अभी भी 'अब्दुल्ला' के गले में बलगम पैदा कर रही है ! पड़ोसी अब्दुल्ला से पूछ रहे हैं,- 'क्या हाल बना रखा है, कुछ लेते क्यों नहीं-!' अब वो कैसे बताएं कि ये वायरस दवाई से नहीं जाता ! वैष्णो जन  अब्दुल्ला की  'पीर' समझते ही नहीं ! दर्द की इन्तेहा ने 'अब्दुल्ला' के अंदर ग़ालिब को जीवित कर दिया है,- दर्द का हद से गुज़र जाना है दवा होना-! वो दर्द को ही दवा समझ रहा है !
     कल से'अब्दुल्ला' फ़ेसबुक के कर्त्तव्य पथ पर बैठ चुका है! वो रिहाना को सबक सिखाने का प्रण ले चुका है! तब से रिहाना के खिलाफ़ ताबड़तोड़ पोस्ट डाल रहा है ,--' उसे इतना नचाया कि कपड़े फट गए !' 'रिहाना के कपड़े फट गए-' ये ख़बर उसे काफ़ी राहत दे रही है ! लेकिन थोड़ी देर बाद उसके हलक में उगे बलगम ने सवाल की शक़्ल ले ली, - आखिर 'कहां का' कपड़ा फटा है- ! उसे अंबानी के ऊपर फिर गुस्सा आया,- अगर उसे न्यौता दिया होता तो वो भी नजदीक से कपड़ा फटने का वो अलौकिक नज़ारा देखता ! गरीब महिलाओं के कपड़े तो आए दिन फाड़े जाते हैं, पर वो नज़र और ख़बर में नहीं आते ! रिहाना की काया और कपड़े की बात अलग है !  रिहाना के कपड़े को लेकर 'अब्दुल्ला' व्याकुल है,-' जाने किस जगह का कपड़ा फटा और कितनी 'कयामत' नज़र आयी-'! लेकिन जब उसे पता चला कि बांह का कपड़ा फटा तो उसकी  सारी  सुखद  कल्पनाओं  पर  वज्रपात हुआ - भला ये भी कोई फटने की जगह है-!
          'अब्दुल्ला' दुखी है और उसका दीवानापन अनाथ सी फीलिंग में उलझा है ! उसने रिहाना का कपड़ा तस्वीर में फटते देखा था, साक्षात नहीं देख पाया !  डिजिटल दर्शन ने व्याकुलता और बढ़ा दी थी !  कल से वो और दुखी है ! उसके दोस्त ने नया रहस्योदघाटन किया है कि- रिहाना मुस्लिम नहीं ईसाई है-! वो तो रिहाना का दुपट्टा देख कर इतना आगे बढ़ गया था ! तब से उसका निशाना फ़िल्म इंडस्ट्री के तीनों खान हैँ! अब वो ये साबित करने में लगा है कि ये तीनों खान सिर्फ भाड़े के नचनिया हैं और उनको कोई भी नचा सकता है ! बीच-बीच में उसे ये फीलिंग भी आ  रही है कि  काश वो अंबानी होता और तीनों खान रिहाना वाले कपड़े में उसके सामने नाच रहे होते ! वो  इस सुखद फीलिंग् में इतना भाव विभोर हुआ कि दिन दहाड़े ज़ोर ज़ोर से बड़बड़ाने लगा ,- ' जब तक तुम तीनों के पैर चलेंगे, तुम्हारे  कपड़े नहीं फटेंगे ! तुम्हारे पैर रुके कि कपड़े फटे ! हम होंगे कामयाब एक दिन-!'

        ये हाल है इन (अब्दुल्ला) दीवानों का ! इधर फ़ेसबुक पर एक और वीडियो ने बेगानी शादी के अब्दुल्ला दिवानों का हीमोग्लोबिन बढ़ा दिया है बताया जा रहा है कि अंबानी परिवार के एक सदस्य ने किंग खान को अपने परिवार के सदस्यों से परे हट कर नाचने को कहा ! ( परिवार और बाजार के नचनिया में फासला होना भी चाहिए !) मुझे पहली बार पता  चला  कि नाचने वालों का भी 'इगो' हर्ट होता है ! वैसे देखा जाए तो मामला दो नचनिया के बीच का था मगर  'अब्दुल्ला' तो शाहरूख खान के कथित अपमान को लेकर फूला नहीं समा रहा है ! इस खुशी में वो ये भी भूल गया कि दो दिन से घर कनस्तर में आटा खत्म है !

              तू कौन? मैं ख़ामखा !!




      
 

 

Sunday, 3 March 2024

(व्यंग्य 'चिंतन') झुरहू चच्चा आया चुनाव

(व्यंग्य चिंतन)
"झुरहू" चच्चा आया चुनाव 

       मार्च आ गया ! पहले मार्च में बसंत आया करता था , आजकल 14 दिन पहले वैलेंटाइन आने लगा है ! इधर 2024 में चुनाव की आहट आ रही है! वैसे चुनाव का मौसम भी किसी वैलेंटाइन से कम नहीं होता! सभी दलों के नेता वोटर को प्रेयसी की तरह मनाने में लगे होते हैं, - लेलो चंपा चमेली गुलाब ले लो-'! कुछ उम्मीदवार तो कुंडी खटखटा कर  याचना कर रहे होते हैं,- खोलो प्रियतम खोलो द्वार !' कोई कोई तो वोटरों को मनाने में हद ही कर देता है,- ' मैं तेरे इश्क़ में मर न जाऊं कहीं, तुम मुझे आजमाने की कोशिश न कर- ,,,अबकी बार बेड़ा पार,,,!'  अगली गली में कोई तारणहार फेरी लगाते हुए आवाज़ दे रहा है, - सोना लई जा रे ! चांदी लई जा रे !!   ठर्रा लई जा रे - मुर्गा लई जा रे -!!" कोई बिलकुल लेटेस्ट पैकेज लाया है- ' वोट दे दो, सतयुग ले लो ! कलियुग में काम आएगा-"!
    आम के पेड़ों से पहले पार्टियों के घोषणापत्रों में बौर नज़र आने लगे हैं! उनके 'बौर' देख कर आम के पेड़ सकते में है,- जाने इस बार उन्हें बौर मुक्त आम की फसल का फरमान न सुनाया जाए! उधर अमराईयों में कोयल सहमी बैठी है, अमृतकाल में कौवों ने अमराई पर  कब्जा कर रखा है! अब वहीं कूक रहे हैं और कोयल की घिग्घी बंधी  है। उसे को देखते ही कौवे  छेड़ने लगते हैं,-' आजा मेरी डाली पे बैठ जा-' ! अमृत काल के कौवों को महिला आयोग का भी खौफ नहीं है!
          आम चुनाव की तारीख घोषित होते ही गावं के झुरहू की मुसीबत शुरू हो गई! सुबह दिशा मैदान से दातुन करते हुए जब झुरहू अपने खपरैल वाले घर के दरवाज़े पहुंचे ही थे कि सिहर उठे! खादी के झकाझक सफेद कुर्ता-पायजामा में दो गनर के साथ एक नेता जी खड़े थे! ग्राम प्रधान को साथ देख कर झुरहू  कांप उठा ! जाने क्या अपराध हुआ है! मगर पास पहुंचते ही प्रधान ने मुस्कराते हुए नेता से कहा,-' लीजिए आपकी खोज पूरी हुई, ये हैं झुरहू काका ! गाँव के सबसे गरीब दलित !! घर में दो  वोट हैं! पत्नी भी मजदूरी करती है! दोनों का नाम मनरेगा में दर्ज है! आत्मनिर्भर और जागरूक नागरिक हैं , सर्दी में भी जल्दी जाग जाते हैं-! सादा जीवन उच्च विचार-'!
      नेता जी ने आगे बढ़ कर झुरहू के पैर छू कर उन्हें ऐसे देखा, गोया कसाई बकरे को देख रहा हो! झुरहू कांप उठे! उनकी पत्नी दरवाज़े की ओट में  घबराई हुई खड़ी  थी , नेता जी मुस्कुराते हुए कह रहे थे,-' आज मैं  ( मानो न मानो) तुम्हारा मेहमान हूँ ! अभी तो प्रचार मे जा रहा हूँ, रात में तुम्हारी कुटिया में रुकेंगे-'! फिर प्रधान की ओर मुड़कर बोले,- ' इसे ठीक से समझा देना ! मुझे गंदगी बिल्कुल पसंद नहीं ! मीडिया  भी  आ  रही  है ! इसकी शक़्ल तो देखो, ऐसा लग रहा है कि  मैं वोट नहीं इसकी किडनी मांग रहा हूँ-'!
         प्रधान ने झुरहू को धमकाते हुए समझाया, - ' रोनी सूरत मत बना, प्रदेश के मंत्री जी हैं! उनके लिए खाना और मिनरल वाटर बाहर से आ रहा है!  ऐसा पौष्टिक और स्वादिष्ट भोजन खाने से तो तुझे डाईरिया हो जाएगा, इसलिए कैमरे के सामने तू सिर्फ खाली पेट डकार मारते रहना ! तेरा नाम उज्जवला योजना में डलवा दूंगा !'
    झुरहू घबरा कर घर के अंदर चला गया! नेता जी ग्राम प्रधान के साथ पदयात्रा करने लगे! झुरहू से ज्यादा उनकी पत्नी शिवराजी घबराई हुई थी,-' का होई अब?' ( अब क्या होगा !)
    " ऊ रात में यहीं सोयेगे-'!
' मैं तो दोपहर मे ही घर छोड़ दूंगी! रात में घर में नहीं रह सकती ! ई बड़े लोग हम लोगन का बर्तन समझते हैं-'!
    झुरहू कुछ कहता, कि उसके पहले ही दरवाज़े पर शोर होने की आवाज़ आई, झुरहू घबराकर बाहर आया तो सकते में आ गया! दरवाज़े पर एक हाथी खडा झूम रहा था! हाथी पर एक नेता जी बैठे थे! पीछे पार्टी के समर्थक नारा लगा रहे थे------
सर्व समाज का सच्चा साथी !
नीला   झंडा -  ऊंचा   हाथी !!
          नेता जी हाथी से उतर कर झुरहू के गले मिल कर बोले-' आज हम आपकी कुटिया पर बिताएंगे -'! 
झुरहू फिर धर्म संकट मे थे ! उन्होंने बेबसी से हाथी की ओर देखा ! हाथी ने चिंघाड़ कर सर हिलाया, गोया झुरहू को चेतावनी दे रहा हो कि- 'हाँ मत करना ! इस नेता का रिकॉर्ड ठीक  नहीं है-!'
    अभी झुरहू कोई फैसला ही नहीं कर पाए थे कि सड़क की तरफ से शोर सुनाई पड़ा और थोड़ी देर में एक सज्जन सायकल चलाते हुए सामने से आते नज़र आए ! पीछे पीछे समर्थक नारा लगा रहे थे-' "हाथी" "कमल"  बेकार है!                   "सायकल" ही  दरकार है !!
     नारा सुनते ही हाथी आग बबूला हो गया ! पहले तो उसने एक जोरदार चिघाड़ लगाई ! दहाड़ सुनते ही सायकल चलाता उम्मीदवार दूर ही रुक गया! पीछे पीछे नारा लगाते समर्थक भी चुप हो गए ! इसके बाद हाथी ने अपने शरीर को ज़ोर ज़ोर से हिलाना शुरू किया ! खतरा भांप कर महावत पीठ से कूद कर बगल के पेड़ पर जा बैठा! नेता जी ने भी कोशिश की मगर डाल हाथी की पीठ से थोड़ी दूर थी ! तभी हाथी ने सूंड उठा कर पीठ पर खड़े नेता जी की धोती पकड़ कर खींच  ली! 
       चुनाव प्रचार के पहले चरण मे ही नेता जी का चीर हरण हो गया ! नेता जी नें हाथी की पीठ से झुरहू के घर पर छलांग लगाई और नरिया कपड़ा गिराते हुए आगन में जा गिरे! तभी झुरहू की पत्नी सियाराजी 2 भेली देसी गुड़ लेकर घर से निकली और क्रुद्ध हाथी के सामने जाकर बोली, - ' गणेश बाबा !अब गरीब का घर ढकेलबो का !'
      और हाथी का गुस्सा जाता रहा! वो चुपचाप गुड़ की भेली खाने लगा! सिया राजी ने अपने पति झुरहू से कहा,- 'अंदर जा कर अपनी धोती नेता जी को दे दो! उन्होंने नीचे कच्छा भी नहीं पहना है-'!
         झुरहू ने देखा कि हाथी नेता जी की छीनी हुई धोती पर खड़े होकर पेशाब कर रहा था ! वो सोचने लगा कि अगर धोती की जगह नेता जी हाथी की पकड़ में आते, तो,,,,,,!!

    हर घर से गुड़ की भेली निकलने लगी थी !!