डॉक्टर- यमराज दोऊ खड़े,,,,!
अब यही कन्फ्यूजन है दुरंत,- "काके लागू पायं"! यमराज और डॉक्टर मुझे सहोदर से दिखने लगे हैं ! ऐसा अमृत काल के चलते नहीं हुआ, बल्कि ये दिव्य अनुभव बहुत पुराना है! पहले डॉक्टर और यमराज को मैं दो अलग अलग जीव मानता था, सौभाग्य से अब ये भ्रम दूर हो चुका है! आज पता चला कि दिशा भ्रम था, दर-असल दोनों दो जिस्म एक जान हैं ! दोनों का मंत्रालय और मक़सद एक है,- आत्मा को परमात्मा तक पहुंचाना ! यमराज के इस दुरूह काम को स्पीड पोस्ट की रफ़्तार देता है डॉक्टर ! कई बार तो ऐसा होता है कि प्राणी की एक्स्पायरी डेट दूर होती है किन्तु जीव- 'और लंबी उम्र' की कामना में- डॉक्टर के पास चला जाता है ! इस अक्षम्य भरोसे के चलते अंततः वो यमराज का अपॉइंटमेंट ले बैठता है !
का करें ! अच्छी तरह कुंडली देखे बग़ैर हम किसी भी प्राणी को भगवान जो घोषित कर बैठते हैं ! इस परम्परा के चलते कई ऐसे प्राणी भगवान मान लिए गए जो ठीक से इंसान भी नहीं हो पाए थे ! ( वैसे भी, आज के दौर में इंसान होने की अपेक्षा भगवान होना ज्यादा आसान है !) भगवान होते ही डॉक्टर अपने फॉर्म में आ गए ! 'जीवन' तो दे नहीं सकते थे, अलबत्ता उसे छोटा करने का तरीका वो जानते थे! ये वो नीम हकीम डॉक्टर हैं, वो नर मरीज़ को नाशवान और (युवा) महिला मरीज़ को पकवान समझने लगे ! घुटना बदलने, वॉल्व लगाने और स्टंट लगाने के काम में जीते जी "मोक्ष" हासिल करने लगे ! मरीज़ इन्हें भगवान समझते और ये मरीज़ को नाशवान! कालांतर में इन भगवानों से प्रेरणा लेकर छोटे मोटे हास्पीटल के जूनियर भगवानों ने मरीज़ों को मोक्ष देने की ठान ली, मैं शिकार होते होते बचा !
तंबाकू,बीड़ी, पान, गुटखा,सिगरेट से मुक्त नीरस जीवन जीने का परिणाम यह हुआ कि मेरे दाँतों को पायरिया हो गया ! डॉक्टर टूथपेस्ट बदलते रहे और हमदर्द दोस्त सुझाव ! चौधरी का सुझाव था, - " तुझे अल्कोहल पीना चाहिए, पेट अर् दांत के सभी कीड़े मर ज्यां गे '!
वर्मा जी इस ख़बर से बेहद खुश दिखे,-' दाँतों का रोग आदमी के पाप की निशानी है! मेरे दांत में कोई रोग नहीं है ! ख़ैर,,,कहा सुना माफ़ करना भाई-"!
क्या बताऊँ, मैंने भरसक कोशिश की कि दांत दर्द से मुक्ति मिल जाये ! मैं रूट कैनाल की मांग करता मगर डॉक्टर उखाड़ने पर अडिग होते! दांत उखाड़ कर ( शुगर में भी) आइसक्रीम खाने की सलाह देते रहे ! कुछ ही सालों में मेरे दोनों जबड़ों में पतझड़ नज़रे आने लगा! मगर ये तो बड़ी मुसीबत का छोटा ट्रेलर था !
12 जनवरी 2024 की सुबह विगत 4 साल से हिल रहा बिल्कुल सामने का एक दांत जीडीपी की तरह गिर गया ! ये दांत सामने का था और इस उम्र में भी मुझ में जवान होने के भ्रम को बनाए हुए था ! इसे हर हाल में बरकरार रखना ज़रूरी था ! इस बार अपने दोनों शुभचिंतकों से सलाह लिए बग़ैर मैं नई दिल्ली के एक अर्ध सरकारी अस्पताल चला गया ! यहां पर सब कुछ नजर आने के बाबजूद एक्सरे अनिवार्य सा है ! चालीस रुपये का पर्चा बनवाकर मैं अंदर गया! एक जूनियर डॉक्टर ने पूछा ,- ' क्या हुआ है?'
" सामने का दांत टूट गया है, दांत लगवाना है "!
उसने सामने टूटे हुए दांत के दाएं बायें साबुत खड़े दाँतों को ठोकते हुए कहा,- ' इन्हें भी निकालना पड़ेगा-!'
" क्यों?"
" " यह भी हिल रहे हैं "!
" बिल्कुल नहीं हिल रहे "!
मेरा कॉन्फिडेंस देख जूनियर डॉक्टर हिल गई! वहां दांत निकालने और लगाने पर दोहरी कमाई थी! डॉक्टर अब मुहं खुलवा कर अंदर झांकने लगी ! वो दांतों को औजार से बजाती और लिखती रही ! पूरे सात मिनट बाद उसने कहा, -' अंदर के पांच दांत ख़राब हैं !"
" मुझे तो उन से कोई प्रॉब्लम नहीँ है-"!
" उन्हीं से सारी प्रॉब्लम है "!
मुझे गुस्सा आ गया- ' मैडम! मेरी प्रॉब्लम ये सामने का टूटा हुआ दांत है-!'
वो अपने सीनियर डॉक्टर को बुला लाई ! डॉक्टर ने मुझसे पूछा,-" क्या प्रॉब्लम है-"?
" इस टूटे हुए दांत की जगह मुझे नया दांत लगवाना है-"!
"उसके लिए अंदर के पांच दांत निकालने पड़ेंगे "!
मैं जैसे आसमान से गिरा ! एक दांत लगवाने के बदले 5 दांत की शहादत !! डॉक्टर मुझे साक्षात यमराज नज़र आने लगा ! मगर मैं कहां आसानी से काबू आने वाला था! मैंने कहा,-" इस दांत के लगने
में पीछे के दांत कैसे अड़चन डाल रहे हैं?"
" जब तक पीछे के ये दांत निकाले नहीं जायेंगे, नया दांत मजबूती नहीं पकड़ेगा !"
डॉक्टर मजबूती का एक ऐसा फॉर्मूला बता रहा था जिसने मुझे सकते में डाल दिया !! मैंने हैरत से
पूछा -" मगर क्यों?"
" इसकी जड़ उन्हीं दांतों ने दबा रखी है! उन्हें निकालने के बाद नया दांत मजबूती पाएगा, -!"
मैं अड़ गया-' मुझे नहीं लगवाना नया दांत -"!
मैं वापस आ गया ! टूटे हुए दांत को बार बार देख कर घनघोर चिंता में हूँ ! एक मित्र ने खबर दी है कि उनकी पत्नी ने संगम विहार के डॉक्टर से एक दांत लगवाया है ! दाम पूछा तो पता चला, सिर्फ 5000 रुपया ! सुनकर ऐसा लगा गोया छाती पर पहाड़ गिरा हो ! नौकरी विहीन प्राणी के लिए अमृत काल ठीक वैसे है जैसे मायावती के लिए 2024 का आम चुनाव ! न एनडीए और न इन्डिया ! न खुदा ही मिला न विसाल ए सनम,,,!( ओ दूर जाने वाले! हमको भी साथ ले ले रे! हम हो गए अकेले !!)
तो,,,,मित्रों,,,,,
दांत लगवाने,,, आखिर जाऊँ तो जाऊँ कहाँ !!
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