Sunday, 14 January 2024

('व्यंग्य' चिंतन) शर्म की भ्रूण मृत्यु

("व्यंग्य" चिंतन) 

'शर्मलेस,- हो जाने का सुख 

         अब इसमें मैं क्य़ा कर सकता हूं, मुझे आजकल शर्म नहीं आ रही है ! अच्छा भला अमृत काल इन्जॉय कर रहा था कि- अचानक  'शर्मप्रूफ' हो गया ! बस अचानक ऐसा लगा गोया कैरेक्टर का प्लग फ्यूज हो गया हो ! चरित्र से 'शर्म' नाम की फीलिंग डिलीट हो चुकी थी,  थोड़े दिन बड़ा अज़ीब सा लगा, फिर आनंद आने गया ! ( धीरे धीरे अमृत काल में एडजस्ट हो रहा था ! ) पहले तो इस तामसी परिवर्तन को लेकर खुद पर शक हुआ ,और खुद से सवाल भी,-'अबे, ये क्या किया ! बेहया होकर खुश नज़र आ  रहा है ! दिले नादां तुझे हुआ क्या है-?' अंदर से आवाज़ आई- 'मूर्ख ! अमृत काल में भी शर्म का बोझ उठाए घूम रहा है ! कितना पिछड़ा प्राणी है !! ज़माने के साथ चलना सीख, वर्ना इस दकियानूसी गुणों के कारण तुझे गुफ़ा युग में धकेल दिया जायेगा'-!
       ये क्या हुआ-जिसको समझा था खमीरा वो भकासू निकला ! पहले मैं शर्म आने को लेकर बड़ा गर्वित हुआ करता था ! ( ये तब की बात है जब शर्म जैसी बहुत सी 'रूढ़िवादी' संवेदनाओं पर लोग गर्व किया करते थे) आज  शर्मलेस  होकर शंकित हूँ ! पड़ोस के 'वर्मा जी'  लताड़ रहे हैं ,- ' शर्म अब  आउट ऑफ डेट हो चुकी है! शर्म और समाज में से किसी  एक  को चुन  ले ! समय रहते अपडेट  हो  जा ' -!  शर्मलेस  होने से पहले मैं पांचू लाला से मिला, जो खाने के मसालों में मिलावट के लिए जाने जाते थे! मुझे उम्मीद थी कि वो अपने कुकृत्य पर ज़रूर शर्मिन्दा होंगे ! मैने सीधे पूछ लिया,- ' लोगों का इल्ज़ाम है कि आप हल्दी और धनिया पाउडर में घोड़े की लीद मिलाते हैं? आपको शर्म आनी चाहिए _!"
         " अब तक तो आई नहीं , शर्म ही क्यों मुझे तो खाने के बाद डकार भी नहीं आती ! वैसे एक बात बताओ, मुझे धनिया की वज़ह से शर्म आनी चाहिए या लीद की वज़ह से?"
     " मिलावट की वजह से !"
     " वो घोड़े की गलती से हुआ है ! जहां मसाले तैयार होते हैं, वहीं मेरा घोड़ा बंधा था ! ये घोड़े के अभिव्यक्ति की आजादी से जुड़ा मामला है! लोग तो मिर्ची के पाउडर में ईंट पीस कर मिला देते हैं! और वैसे भी सच में झूंठ मिला कर बोलने में किसी को एतराज़ नहीं है! मेरा मासूम घोड़ा बेचारा,,,,वो तो हल्दी मिर्ची कुछ नहीं खाता ! घास खाता और लीद देता है-"!
       उपदेश लेकर मैं लौट आया। पांचू लाला काफ़ी पहले लोक लाज के बंधन से मुक्त हो चुके थे और अब मुझ से भी ज्यादा खुद को हल्का और पाप मुक्त महसूस कर रहे थे ! लोक लाज,पाप,दया,भय जैसी अपराध बोध कराने वाली मानवीय संवेदनाओं से परे होकर वो साक्षात देवदूत होने के निकट थे ! उनके परिवर्तन की मैथेमेटिक्स देख मैं हीन भावना से सिकुड़ा जा रहा था !
    उस दिन बड़ी मुश्किल से मैंने उन का मुरीद होने से खुद को रोका था !
        शर्माने से ज्यादा मुश्किल काम है शर्म से मुक्त हो पाना ! लोग बड़ी कठिन साधना के बाद इस अवस्था को प्राप्त होते हैं ! भिखारी होने के लिए शर्म से मुक्त होना प्रथम शर्त है, अभिनय दूसरी अनिवार्यता है।इस कला के माहिर कृत्रिम दर्द की ऐसी ऐसी आवाजें निकालते मैं कि प्राणी पत्नी की नज़र से छुपा कर रखा हुआ पचास का  आखिरी नोट भी पर्स से निकाल कर दे देता है ! उसे लगता है कि आज उसने माया को बहुत सही जगह इनवेस्ट किया है, जो उसके और मोक्ष के बीच में स्पीड ब्रेकर बनकर खड़ा था ! 
     कार रोक कर आदमी सड़क के किनारे बैठे तोते वाले ज्योतिषी को हाथ दिखाता है! ज्योतिषी हाथ देखते ही समझ जाता है कि बड़ा लम्पट आदमी है! घर में एक सुंदर और टिकाऊ बीबी होने के बावजूद फील्ड में 3-3 वैलेंटाइन  रखी हुई  है! उसने पिंजरा खोलते हुए तोते से कहा,- ' महाराज ! इस दिव्य पुरुष की कुंडली निकालिये-!'
     तोता चिल्लाया,- ' कुत्ता ! कमीना !! हरामी"!! 
              कार वाले ने घबराकर कर पूछा-' ये क्या कह रहे हैं महराज जी ?'
    "आशीर्वाद दे रहे हैं ! जितनी ज़्यादा गाली  उतना बड़ा आशीर्वाद ! तुमने ज़रूर कोई बड़ा पुण्य का कार्य किया हैं ! महाराज जी !अब इनका भाग्य कार्ड निकालिये !'
  " खुद निकाल ले, मैं चोंच गंदी नहीं करूंगा-!  तीन दिन से एक तोती इस पेड़ पर आकर बैठ रही है और तू दस मिनट के लिए भी मुझे पैरोल पर नहीँ छोड़ता !' तोता चिल्लाया !
    लगातार झूठ बोल बोल कर सालों पहले सच और शर्म से मुक्त हो चुका ज्योतिषी मुस्करा कर बोला,-'"महाराज कह रहे हैं कि वो तुम्हारी क्षति ग्रस्त कुंडली के लिए आज एक विशेष अनुष्ठान करेंगे , क्योंकि शनि की वक़्र दृष्टि से घबराकर मंगल निकल भागा है-!'
     " मुझे क्या करना होगा सर !"
 ज्योतिषी ने समझ लिया कि पिछले कई दिनों से चल रहा अकाल आज सुखद मानसून की शक़्ल में  वापस लौट आया है !
     सियासत औऱ शर्म में अक्सर विलोम संबंध पाया गया है ! इस पंक पयोधि में आने के बाद संत महात्मा भी संक्रमित पाए गए हैं ! प्राचीन काल में शर्म,दया और हया जैसे मानवीय गुणों वाले शख्स को संस्कारी माना जाता था, किन्तु अमृत काल में हुए  ताज़ा रिसर्च में बलात्कारी भी संस्कारी पाए गए हैं ! इस नई खोज के बाद जेलों में बंद कई विभूतियों की 'संस्कार' समेत बाहर आने की उम्मीदें बढ़ गई हैं ! बिलकीस बानो के केस में एक दो नहीं पूरे 11 बलात्कारी संस्कार से ओतप्रोत पाए गए !अब संविधान में भले हत्या और बलात्कार के लिए कठोर दंड हो पर अमृत काल में 'संस्कारी' को सजा देना तो कबूतर को कत्ल करने जैसा है ! लिहाज़ा सभी संस्कारी मुक्त कर दिए गए और लाठी की जगह समाज ने उन्हें लड्डू खिलाए ! 
         21 वर्षीया बिलकीस बानो के बयान से तब पता चला कि ज्यादातर 'संस्कारी' उसके पड़ोसी थे जिन्हें वो चाचा या अंकल कहती थी, लेकिन उसे क्या पता था कि वो सभी दया ,शर्म ,भय और भविष्य की सोच से मुक्त होकर अब 'संस्कारी' हो चुके हैं! जेल से बाहर आने पर उनके (कु) कर्म पर माला डाली गई, लड्डू खिलाए गए !  संस्कारी घरों की महिलाओं ने शायद गीत भी  गाये हों , -' मोरा पिया घर आया  हो राम जी'-! 
         ( मगर,,,, अचानक इस हरे भरे बसंत में पतझड़ टपक पड़ा ! सुप्रीम कोर्ट ने अपनी जांच में संस्कार के पीछे छुपा उनका जुर्म देख लिया और  उन की "घर वापसी" का आदेश दे दिया। )

      तब से, 'संस्कारी' से लगभग 'पूज्यनीय' हो रहे सभी बलात्कारी घरों से गायब हैं ! अतीक की लापता पत्नी की खोज में सर से पैर तक चिन्तातुर नज़र आने वाले मीडिया मुगल इस - "सामूहिक लापता कांड"- की जगह,-गाज़ा,हिज्बुल्लाह औऱ हूती पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं !

 ( तुमको रक्खे राम तुमको अल्लाह रखे!)

         

    

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