"अज़ान से इंफेक्शन"
अपने देश में बहुत कुछ ऐसा हो रहा है कि दुनियां हमारी प्रतिभा देख कर सकते में है! जहां दुनियां के क्षुद्र
वैज्ञानिक परमाणु अस्त्र से निजात पाने, ओजोन की क्षतिग्रस्त परत की मरम्मत करने, ग्लेशियर के पिघलने को रोकने, पेय जल संकट दूर करने और अंतरिक्ष में बस्तियां बसाने जैसे बेकार के कामों में लगे हुए हैं, वहीं हम इन छोटे मोटे पचडो में पड़ने की बजाय सीधे "हिन्दू मुस्लिम" के अखंड कीर्तन में लगे हैं - एकहि साधे सब सधे -! विश्व गुरु होने के लिए सुरंग यहीं से खोदनी है! इस काम में अभी कंपटीशन भी नही है! पता नहीं क्यों, कोई और देश विश्व गुरू होने को आतुर नहीं है !! हमारा लक्ष्य है कि एक बार विश्व गुरु बन जाएं ,फिर तो किसी भी 'एकलव्य' से उसका अंगूठा ले लेंगे ! इसलिए हम इसके अलावा और कुछ बनना भी नहीं चाहते! उधर अमेरिका विश्व गुरु बनने की बजाय चौधरी बन कर परेशान है ! पैसा बांट बांट कर आज कंगाल होने की कगार पर है ! उसे नाटो के देशों को दक्षिणा देनी पड़ती है । विश्व गुरु बनता तो देने की बजाय दक्षिणा से मालामाल हो जाता !
खैर छोड़िए ! तो,,,,,, हमारे देश में आज कल कुछ विलक्षण सोशल वैज्ञानिक उग आए हैं! वह जनहित में कल्याणकारी खोज कर रहे हैं ! आए दिन एक नई खोज से जनता और जनार्दन को सकते में डाल रहे हैं ! उनकी डिमांड है,- ' हिंदुस्तान में रहना होगा ! तो वंदे मातरम् कहना होगा -!!' ( कुछ लोगों के अड़ जाने के कारण विश्व गुरू बनने में इतना विलंब हो रहा है !) जब कभी देश हित में ऐसी खोज होती है तो टीआरपी का अकाल झेल रही मीडिया का ऑक्सीजन लेवल एकदम से आत्म निर्भर हो जाता है ! सुबह शाम नफ़रत का समुद्र मंथन तेज हो जाता है ! बताया जाता है कि इस कोलाहल से प्रजा को कन्फ्यूजन और प्रजातंत्र को मजबूती मिलती है ! हम संकल्प ले चुके सनम !!
इन क्रांतिकारी सोशल वैज्ञानिकों ने दूसरे धर्मों के गेहूं में घुन ढूढने का बीड़ा उठा लिया है , - सारे घर के बदल डालूंगा - की तैयारी चल रही है ! धर्म को समझने का काम बुद्धिजीवी से छीन कर बुलडोजर को दे दिया गया है ! न्याय पालिका में आई क्रांति का श्रेय भी बुल्डोजर को ही जाता है ! वादी प्रतिवादी जितनी देर में एफआईआर की सोचते हैं, उतनी देर में सजा पर अमल हो जाता है , कारवां गुज़र गया गुबार देखते रहे -!
इन्ही सामाजिक वैज्ञानिकों की ताज़ा खोज अजान से होने वाला "घातक इंफेक्शन" है ! इस इंफेक्शन से आज 75 साल बाद अचानक बच्चों की पढ़ाई बाधक हो गई है, और देश आगे नहीं बढ़ पा रहा है ! इतना ही नहीं, इसी तीन चार मिनट की लाउड स्पीकर से दी गई अजान की वजह से कुछ लोगों की नींद जा रही है, सरदर्द आ रहा है! हवा की गुणवत्ता ख़त्म हो रही है और स्वास्थ्य और भाईचारे पर बुरा असर पड़ रहा है -! अज़ान के इतने दुष्परिणाम ढूंढने वाले महापुरुष उसका दो समाधान बता रहे हैं! ध्वनि प्रदूषण दूर करने का पहला समाधान है कि मस्जिदों से लाउड स्पीकर उतार दिया जाए ! दूसरा सुझाव और भी दिव्य है,- हर मस्जिद के सामने लाउड स्पीकर लगा कर हनुमान चालीसा का पाठ किया जाए-! आशा है कि इस प्रयोग के बाद भाईचारा बढ़ जाएगा और सम्पूर्ण पृथ्वी ध्वनि प्रदूषण से से मुक्त हो जाएगी ! ( इस खोज से पूरी दुनियां में हमारी जय जयकार हो रही। है ! "नासा" तक के वैज्ञानिक सकते में आ गए हैं !)
ज़िंदगी के खूबसूरत 24 साल मैंने यूपी के अपने गांव में गुजारे ! हिंदू मुस्लिम की आबादी वाला माहौल ! गांव तो जागता ही था सुबह फजर की अज़ान से ! हर हिंदू और मुसलमान किसान का रूटीन इसी अज़ान से शुरु होता था ! तब बिजली नहीं थी , घरों में घड़ी बहुत कम थी इसलिए इशा की अज़ान से लोग रात का खाना और सोने की तैयारी शुरू करते थे! जिस दिन अज़ान की आवाज़ सुबह नही सुनाई पड़ती थी, कई लोगों का रूटीन डिस्टर्ब हो जाता था! बगल कई हिंदू बाहुल्य गांव थे, जहां से सुबह शाम मंदिर की सुमधुर घंटियों की आवाजें आया करती थीं! उन गांवों में आज़ भी मेरे बेहतरीन दोस्त हैं! हमने किसी के मुंह से कभी अज़ान के लिए ऐसे इल्जाम नहीं सुने ! आज़ भी शाम की नमाज़ के बाद हिंदू मुस्लिम औरतें अपने नवजात और बीमार शिशुओं को नमाजियों से फूंक डलवाने के लिए मस्जिद के सामने खड़ी नज़र आती है ! ये तस्वीरें ही हमारी गंगा जमुनी रवायत की मजबूत मिसाल और रोशन मशाल हैं!
तो,,,, ख़ोज चालू है ! लाउड स्पीकर से अज़ान देने पर अभी अंत्याक्षरी अभी चल ही रही थी कि एक नई ख़ोज आ गई! इस बार अज़ान की दो बुनियादी लाइनों पर ज्ञान उड़ेलते हुए इसे ' समस्त धर्मों का घोर अपमान' बता दिया ! नई ख़ोज ने खुलासा कर दिया कि लक्ष्य लाउड स्पीकर नहीं अज़ान है ! ये इंफेक्शन किस दवा से ठीक होगा , देवो न जानति कुतो मनुष्य: ! इस बीमारी पर आकर विकास के अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा खड़ा हो गया है ! धर्म योद्धा सतयुग लाने के लिए कमर कस चुके हैं और नेपथ्य में धर्मयुद्ध का आवाहन जारी है! कभी धर्म ने इंसानियत की परिभाषा तय की थी, आज लहूलुहान इन्सानियत धर्म को देख कर सदमे में है!
धर्म योद्धा अब धर्म युद्ध को तैयार है! उसका घोड़ा खड़ा हिनहिना रहा है, पीछे अक्षौहिणी सेना का कोलाहल है ! बीच में जनता चीख रही है --
'रोटी कपड़ा और मकान !
कब तक दे देंगे श्री मान !!'
धर्म योद्धा जवाब दे रहे हैं _
'राज तिलक की करो तयारी !
आ रहे हैं भगवा धारी '!!
यानि इंतज़ार करना पड़ेगा, विकास की बाली अभी पूरी तरह से पकी नहीं है !!
(सुलतान भारती)
ऐसे सेंसिटिव टॉपिक पर इतनी बेलाग टिप्पणी वो भी तंज के हल्के नश्तर के साथ , पढ़कर मजा आ गया। फिर से आपकी कलम का लोहा मान गया, बेहद उच्च स्तरीय आलेख,
ReplyDeleteमेरा सीना भी ऐसे लेख पढ़कर और ये सोचकर चौड़ा हो जाता है की मैं आपका भाई हूं