" मारे गए गुलफाम "
( " सारांश " ) (Synopsis).
काल खंड- ( इक्कीसवीं सदी 2021.)
स्टोरी
( आपदा में अवसर की तलाश में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की रुहेलखंड यूनिवर्सिटी से निकले दो ग्रेजुएट और जिगरी दोस्त ,,,,, साबिर और सतबीर ! ! एक इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर, और दूसरा ग्रेजुएट के अलावा कुश्ती में चैंपियन और कराटे में ब्लैक बेल्ट ! दोनों किसान के बेटे नौकरी की तलाश में दिल्ली आते हैं ! दोनों गांव की रामलीला में एक्टिंग करते करते भेष बदलने और अभिनय के शौकीन हो चुके हैं ! उन के पास डिग्री के साथ हिम्मत , हिकमत , जोश और हौंसला तो था लेकिन शायद क़िस्मत ब्लैक एंड व्हाइट थी ! लगातार नौ महीने नौकरी के लिए ऑफिसों की परिक्रमा करने के बाद भी जब नौकरी न मिली तो सतवीर जाट की खोपड़ी घूम गई , - उरे कू सुण साबिर !"
" हां सत्ते !"
" इब के करेगा भाई "?
" के करूं यार ! कल भी नौकरी ढूंढने निकलूंगा !"
" कोल्हू के बैल बण गे -" सतवीर जाट बिगड़ गया - " सुबह ते शाम तक नौकरी खातर चक्कर काटते जूते घिस गे म्हारे "!
" तो करें क्या ! गांव लौट चलें "?
" मन्ने के बेरा ( मुझे क्या पता) ! मगर नू लगे अक अपनी
किस्मत में नौकरी कोन्या ! ''
" हंबे !" साबिर ने हामी भरी - " घणा धक्का खा लिया सत्ते "!
अचानक सतवीर मुस्कराता है, -" यू दिल्ली ने हमारे गैल बढ़िया न करी ! इब मैं सूद समेत सबै वापस कर द्यूंगा !"
" सूद समेत वापस ? ज़रूर तू कुछ गडबड करेगा "!
" इब तक हम नौकरी के पाछे दौड़ते रहे, इब नौकरी बाड़े हमारे पाच्छे दौड़ांगे "!
साबिर ने सर पीट लिया, - " जाने अब तुझे क्या फितूर सूझा है "!
सतवीर मुस्कराया , - " रामलीला !!"
" रामलीला ! क्या मतलब ?"
" रामलीला में मैं राम बनता था, अर तू लक्ष्मण "!
"तो" ?
" उम्र में तू मेरे ते आठ महीने बड़ो सै, पर जिन्दगी कौ रामलीला में तू मेरो शागिर्द बनेगो - लक्ष्मण की तरया"!
साबिर ने अपना सर नोचते हुए पूछा - " पक्का मरवाएगा मुझे ! करना क्या है मेरे बाप ? "
" इब तक हम नौकरी ढूंढते थे, इब नौकरी बाड़े मोए ढूंढेंगे ! लोग म्हारे धौरे मोह माया लेकर आंगे अर यहां ते सुकून प्रेम और संतोष लेकर ज्यांगे "!
"ऐसा कौन सा काम करेगा सत्ते ! मेरे तो कुछ भी पल्ले नहीं पड़ रहा !! ज़रूर किसी बड़ी मुसीबत को न्यौता देने वाला है !! अब मुझे साफ साफ बताओ "!
( और फिर सतवीर जाट के दिमाग़ से जो 'लाजवाब' प्लान निकल कर बाहर आया उसे सुनकर इंजीनियर साबिर अली की आंखें फैल गईं ! मगर उस धंधे में कुछ भी गैरकानूनी नहीं था, इसलिए थोडा न नुकर के बाद साबिर भी तैयार हो गया !
तो,,,, आखिर वो धंधा क्या था ? दोनों जिगरी दोस्तों ने इस बार अपने लिए " आपदा" को न्यौता दिया था या किसी बढ़िया " अवसर " को ! जानने के लिए देखते रहिए - हास्य, व्यंग्य,सौहार्द और राष्ट्रवाद की चाशनी में सराबोर विख्यात व्यंग्यकार सुलतान भारती की कलम का ताज़ा तिलिस्म- " मारे गए गुलफाम.''!!! बहुत जल्द "डी वी चैनल" पर !!)
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