अब आपसे क्या छुपाना,,,,, अपने स्टेमिना को लेकर मैं कुछ खास सैटिसफाइड नहीं हूं ! दरअसल मैं स्टेमिना को लेकर अक्सर कन्फ्यूज हो जाता हूं कि इस पर भरोसा करूं या न करूं ! ऐसे स्टेमिना को लेकर कोई कैसे खुश हो सकता है जिसकी स्टोरी में शादी के बाद कोई महिला मित्र न हो ! ( धर्मपत्नी शादी से पहले मित्र हो सकती है,शादी के बाद तो,,,, हम बोलेगा तो बोलोगे कि बोलता है !) विश्व विख्यात ब्रिटिश लेखक चार्ल्स डिकेंस का मानना है कि - लगातार असफलता आदमी को अपनी नजर में बौना कर देती है-! ( मुझे भी लगता है कि पिछले तीन साल से मेरा कद काफ़ी कम हुआ है !) लेकिन मैं,,, चार्ल्स तोरी बतियां न मानू रे ,,,,,,!!
स्टेमिना ,,,,,,बोले तो क्षमता की सबकी अलग कहानी है ! सब अपने स्टेमिना को धार देते रहते हैं ! बड़ी अजीब अजीब चीज़ो में लोगों ने अपनी क्षमता यानि स्टेमिना को डेवलप किया हुआ है! हमारे गांव में एक सज्जन ने रात के घनघोर अंधेरे में दूसरे के पेड़ का महुआ चुराने का स्टेमिना था ! इस स्टेमिना के चलते वो एक रात पेड़ से टपक पड़े और सुबह टूटी हुई टांग के साथ बरामद हुए ! जिसके पेड़ के नीचे पैर तुड़वा कर बरामद हुए थे, उसी शख्स ने उन्हें अस्पताल पहुंचाया ! उन्हें टांग टूटने का उतना दुख नहीं था जितना। उस रात महुआ न चुरा पाने का !
किसी किसी में दूध के अंदर पानी मिलाने का ऐसा गज़ब का स्टेमिना होता है कि लैक्टोमीटर तो दूर खुद भैंस भी नहीं पहचान पाती ! मजे की बात ये है कि मिलावट को न दूधिया कुबूल करता है न भैंस ! ऐसी विषम परिस्थिति में अगर ग्राहक उसे गलत बताए तो भैंस और दूधिया दोनों बुरा मान जाते हैं ! मैंने अपने दोस्त चौधरी से एक दिन शंका ज़ाहिर की,- " अपनी भैसों को कोविड वैक्सीन लगवाई "?
" तूने लगवा ली के ?"
" हां , एक लगवा ली, दूसरा लगना है "!
" दूसरा लगने के बाद भी तू चलता फिरता नज़र आया ता फेर भैसन कू लगवा लूंगा " !
" मैं तो इसलिए पूछ रहा था कि तुम्हारी भैंसें आजकल पानी बहुत पी रही हैं" !
" मन्ने के बेरा ! पर तमै कैसे पता चल्या ?"
" दूध के नाम पर सिर्फ सफेदी बची है "!
चौधरी भड़क उठा, " तमैं भैसन के कैरक्टर पे उंगली ठाने ते पहले नू सोच्या को न्या - अक - थारी सेहत उन्हीं की बदौलत बची रह गी "!
" सेहत का ही तो रोना है चौधरी ! नए साल में उधार दूध पीना शुरू किया था, चौथे महीने ही मुझे कोरोना ने धर दबोचा ! आठ किलो वजन खा गया ! काश भैंस ने मेरे बारे में से सीरियसली सोचा होता"!
चौधरी ने मुझ पर ब्लेम लगाया, - " सबै गलती थारी है, तमै दूध का पेमेट हर महीने कर देना चाह ! नब्बे दिन तक तमै कूण धार देगो ! या में भैंस की गलती कोन्या भारती ! कोई और भैंस होती तो इब तक थारा सर फाड़ देती "!
भैंस का स्टेमिना सुन कर मैं चुप हो गया !
कुछ लोग अपने स्टेमिना को लेकर गलतफहमी पाल लेते हैं ! गलतफहमी में जीना और कोमा में जीना एक जैसा है ! दोनों सूरतों में आदमी सिर्फ जीने का भ्रम बनाए होता है ! गलतफहमी में जीना बडा घातक होता है। प्राणी अपनी इमेज को अचानक ही कद्दावर मान लेता है और फिर सारे मुहल्ले से उम्मीद करता है कि उसके इस नए अवतार को लोग तस्लीम करें ! ऐसा महामानव मुहल्ले से लेकर महानगर तक कहीं भी बरामद हो सकता है ! कल दक्षिण दिल्ली ( संगमविहार) के कोरोणा वैक्सीन सेंटर में आए 4 फुट 11 इंच के एक महापुरुष मुझे अपना परिचय देते हुए कह रहे थे -" मुझे नहीं जानते! मुझे तो संगम विहार का बच्चा बच्चा जानता है !! कहीं बाहर से आए हो क्या "?
" नहीं तो ! मैं भी संगम विहार से हूं"!
" फिर मुझे कैसे नहीं पहचाना ! खैर अब गलती सुधार लो, और मुझे अंदर जाने दो ! "
लेखक को अपने टैलेंट को लेकर अक्सर गलतफहमी हो जाती है ! वो चहता है कि सारी दुनियां उसे पढ़े मगर वो किसी को न पढ़े ! अपनी इमेज बिल्डिंग के लिए वो थोक में झूठ बोलता है,, - झारखंड साहित्य अकादमी मुझे सम्मानित करना चाहती है, मगर मैने मना कर दिया। मैं नक्सल प्रभावित राज्य में जाना ही नहीं चाहता ! दरअसल मैं प्रेम और श्रृंगार रस का पुजारी हूं, बंदूक और बारूद के नाम से ही मेरी रचना दूषित हो जाती है ! " साहित्य सम्मेलन में आमंत्रित न किए जाने का कारण वो कुछ यूं बताते हैं, -" लिस्ट फाइनल करने से पहले आयोजक का फ़ोन आया था, मैंने आमंत्रित किए जाने वाले कवियों की लिस्ट मांगी ! नाम देखने के बाद खुद जानें से मना कर दिया ! कम से कम रचनाकार का स्टेमिना और स्टैंडर्ड तो बराबर का होना चाहिए"!
झूठ सर्वव्यापी और सर्वशक्तिमान हो चुका है, पता नहीं कैसे - सत्यमेव जयते - का नगाड़ा पीटा जा रहा है ! हर कदम पर झूठ की मार्केटिंग ज़ारी है ! झूठ के स्टेमिना के सामने सत्यमेव जयते का ऑक्सीजन लेवल लगातार
गिर रहा है और विधायिका चाहती है कि "सत्य" को सिर्फ स्लोगन (नारा) के भरोसे "जयते" मान लिया जाए ,- मगर मैं क्या करूं, दिल है कि मानता नहीं !!
_ ( सुलतान भारती)
No comments:
Post a Comment