Sunday, 10 January 2021

(लघु कथा) "सितारों की बस्ती '

            आज भी तो कुछ नहीं बदला था ! सरकारी अस्पताल की वही चीख पुकार , वार्ड ब्वाय की वही बदतमीजी ! ट्राली और स्ट्रेचर खींचने की वही इरीटेट करती आवाज ! छत पर ख़ामोश घूरते पंखे की ओट में छुपी वही छिपकिली ! पिछले तीन महीनों में कुछ भी नहीं बदला था ! इसी बीच कई मरीज़ लाश बान कर अस्पताल से जा चुके थे I उसे मरने से नहीं बल्कि इस छिपकली से डर लगता था।।अब तो उसे ऐसा लगता था गोया छिपकली पूरे वार्ड में सिर्फ़ उसे ही घूरती है !जाने वो खाना खाने कब निकलती थी! कुछ दिनों से तो उसे ऐसा महसूस होने लगा था कि छिपकली उसे बड़ी खामोशी से धमकाने भी लगी है ! पिछली रात उसे  अहसास हुआ जैसे छिपकली कह रही हो, ' अब तेरी बारी है, तू बस अब मरने वाला है-'  करवट बदलता वो पूरी रात बेचैन रहा !
 नशे की लत छुड़वाने के लिए उसे एक नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती कराया गया था , जो अब खुद एक यातना शिविर लगने लगा था! वो उस दिन को कोस रहा था जब दोस्तों की महफल  में बैठ कर उसने ड्रग्स को गले लगाया था ! यहां पर इलाज़ सरकारी वित्तीय सहायता को निगलने कि खानापूरी भर थी ! लगातार बिजली के झटके ने उसकी सेहत खत्म कर दी थी ! नशे के अभाव में नींद नहीं आती थी !अट्ठाइस साल की उमर मे ही उसके चेहरे का तिलिस्म उड़ गया था ! छिपकली से आतंकित होकर उसने तय कर लिया था कि वो हर कीमत पर अस्पताल से बाहर ही मरेगा - अंदर नहीं ! उसे छिपकली को बताना था कि - देख मै ज़िंदा वापस जा रहा हूं -! 
     और फ़िर,,,  रात के चार बजे वो निकल भागा ! बदन के कपड़ों के अलावा उसके पास कुछ नहीं था ! शहर सो चुका था मगर सड़कें जाग रही थीं ! नो एंट्री पीरियड में बेलगाम  भारी वाहन सड़कों को रौंदते हुए चल रहे थे ! सड़क पर पहुंच कर उड़ने खूब खींच कर फेफडों में हवा जमा किया ! फेफड़े तंदुरुस्त और मजबूत लगे !. ऐसा महसूस करते ही उसके जीने की इच्छा जाग उठीं ! ये आज़ादी की हवा थी ! वो जल्द से जल्द घर पहुंच कर अपनी मां और छोटी बहन को चौंका देना चाहता था। वो कल्पना कर रहा था कि उसे सामने देख कर मां क्या कहेगी , -' अरे पूजा ! देख कौन आया-  मेरा बेटा  अरविंद !!' 
                                दूर रेड लाइट  नजर आई तो उसने जल्दी से सड़क पार करना चाहा ! अचानक रोंग साइड से आता हुआ भीमकाय ट्रक बगल नमूदार हुआ ! उसने जल्दी से वापस मुड़ने की कोशिश की मगर कमज़रील या किस्मत - लड़खड़ाकर गिर गया ! बजरी से लदे ट्रक के एक तरफ के पहिए उसके सीने और पेट से गुज़र गए ! अचानक उसे लगा जैसे मां और बहन के चेहरे इसके ऊपर झुके हुए हैं ! डूबती हुई चेतना को झकझोर कर उसने हाथ उठाने की कोशिश की, मगर सड़क से चिपका हाथ निकला ही नहीं ! वो धीरे धीरे बुदबुदा रहा था , ' देखा! मैने कहा था ना -मै वहां नहीं मरूंगा -'!
       
   फिर अचानक जैसे शहर अंधेरे में डूब गया !

     सुलतान भारती
I- block 12/ 1083 Sangam vihar South Delhi 220080

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