नशे की लत छुड़वाने के लिए उसे एक नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती कराया गया था , जो अब खुद एक यातना शिविर लगने लगा था! वो उस दिन को कोस रहा था जब दोस्तों की महफल में बैठ कर उसने ड्रग्स को गले लगाया था ! यहां पर इलाज़ सरकारी वित्तीय सहायता को निगलने कि खानापूरी भर थी ! लगातार बिजली के झटके ने उसकी सेहत खत्म कर दी थी ! नशे के अभाव में नींद नहीं आती थी !अट्ठाइस साल की उमर मे ही उसके चेहरे का तिलिस्म उड़ गया था ! छिपकली से आतंकित होकर उसने तय कर लिया था कि वो हर कीमत पर अस्पताल से बाहर ही मरेगा - अंदर नहीं ! उसे छिपकली को बताना था कि - देख मै ज़िंदा वापस जा रहा हूं -!
और फ़िर,,, रात के चार बजे वो निकल भागा ! बदन के कपड़ों के अलावा उसके पास कुछ नहीं था ! शहर सो चुका था मगर सड़कें जाग रही थीं ! नो एंट्री पीरियड में बेलगाम भारी वाहन सड़कों को रौंदते हुए चल रहे थे ! सड़क पर पहुंच कर उड़ने खूब खींच कर फेफडों में हवा जमा किया ! फेफड़े तंदुरुस्त और मजबूत लगे !. ऐसा महसूस करते ही उसके जीने की इच्छा जाग उठीं ! ये आज़ादी की हवा थी ! वो जल्द से जल्द घर पहुंच कर अपनी मां और छोटी बहन को चौंका देना चाहता था। वो कल्पना कर रहा था कि उसे सामने देख कर मां क्या कहेगी , -' अरे पूजा ! देख कौन आया- मेरा बेटा अरविंद !!'
दूर रेड लाइट नजर आई तो उसने जल्दी से सड़क पार करना चाहा ! अचानक रोंग साइड से आता हुआ भीमकाय ट्रक बगल नमूदार हुआ ! उसने जल्दी से वापस मुड़ने की कोशिश की मगर कमज़रील या किस्मत - लड़खड़ाकर गिर गया ! बजरी से लदे ट्रक के एक तरफ के पहिए उसके सीने और पेट से गुज़र गए ! अचानक उसे लगा जैसे मां और बहन के चेहरे इसके ऊपर झुके हुए हैं ! डूबती हुई चेतना को झकझोर कर उसने हाथ उठाने की कोशिश की, मगर सड़क से चिपका हाथ निकला ही नहीं ! वो धीरे धीरे बुदबुदा रहा था , ' देखा! मैने कहा था ना -मै वहां नहीं मरूंगा -'!
फिर अचानक जैसे शहर अंधेरे में डूब गया !
सुलतान भारती
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