Thursday, 21 December 2023

(व्यंग्य चिंतन) फ़िर भी, हैप्पी न्यू ईयर

(व्यंग्य चिंतन)

 फ़िर भी, हैप्पी न्यू ईयर 

          अभी नये साल के  "हैप्पी" होकर आने में कई दिन बक़ाया थे कि 24 दिसंबर को किसी ने दरवाज़ा खटखटाया! मैंने घबराकर  दरवाज़ा खोला तो सामने चौधरी खड़ा था ! मुझे लगभग एक तरफ धकेलते हुए मेरी बेड तक आया औऱ रज़ाई में घुसते हुए बोला, 'घनी ठंढ करवा दी तने ! इब खड़े खड़े के कर रहो,कुर्सी पै बैठ जा- वर्ना ठंढ लग ज्या  गी "!
         " पर  वो तो मेरी रज़ाई है "!
    " वसुधैव कुटुम्बकम  का पालन करने  की जगह रज़ाई के खातर जान दे रहो ! दूजी रज़ाई नो है तेरे धौरे ! कदी तू भी आत्मनिर्भर हो लिया कर !!'
      मैं अंदर से एक औऱ रज़ाई ले आया औऱ सोफ़े पर बैठता  हुआ बोला,- ' बड़ी जल्दी उठ गए !"
     " मैं तुझे चेतावनी देने आया हूं  अक् इस बार मोय - हैप्पी न्यू ईयर- मत कहना "!
      " क्यों "?
 " गए साड़ तूने हैप्पी न्यू ईयर कहा, - खरी, चोकर, भूसा,सबै महंगा हो गयो ! इस बार अपनी काड़ी जुबान पै कंट्रोल रखना ! कदी कोरोना न आ  ज्या दुबारा-"!
      " पर  बीमार तो मैं हुआ था ! तुम्हें तो  ज़ुकाम तक न हुआ -"!
    " नू लगे  अक् तमै भी किसी की हैप्पी न्यू ईयर  लग  गी। पूरे साड़  तुझे हैप्पी न देखा कती, फ़िर काहे का हैप्पी न्यू ईयर ! तूझे आगाह करने आया हूं अक् इस बार अपना हैप्पी अपने धौरे रखना "!
    " इतनी नाराज़गी ठीक नहीं, आखिरकार तू मेरा तीस साल पुराना दोस्त है, हम बने तुम बने इक दूजे के लिए-'!
     "पता नहीं वा कूण सा मनहूस दिन था जिब मैंने तेरे गैल दोस्ती करी, हैप्पी होण कू तरस गयो -'!
        " झूठ ! तीस साल पहले जब तुम आये तो तुम्हारे तबेले में सिर्फ ढाई भैंस थीं, दो भैंस औऱ एक उनका बच्चा ! आज अट्ठाइस भैंसों वाला एक आत्मनिर्भर तबेला है तुम्हारे पास " !!
    'परे कर तबेला ने, अर् नू बता अक यू 'पनौती' कूण सी चीज़ है?"
  " विपक्ष का मनोबल बढ़ाने वाला यह एक ऐसा 'कोरो वॉरियंट'  था, जो क्रिकेट विश्वकप के फाइनल में लॉन्च हुआ औऱ चार राज्यों मे हुए चुनाव परिणाम सुनने के बाद 'वीरगति' को प्राप्त हुआ-" !
    " मैं समझा  को न्या?"
   " पनौती का अर्थ कैसे समझाऊ , यूँ समझ लो कि कमज़ोर,रणछोड़ और सुखद कल्पना में जीने वालों की खोज का नाम है पनौती ! इसकी आड़ में वह अपनी नाकामी को कुछ समय के लिए छुपा लेते हैँ !"
       " पर मोय नू लगे अक् तू मेरी भैंसों के लिये पनौती है"!
          'क्या ऐसा किसी भैंस ने कहा ?'
 ' वो तो शराफत में  कुछ नहीं कहतीं, संस्कारी जो  ठहरी ! पर मैंने भाँप लिया "!
     " क्यूँ नहीं, भैंसों के साथ रहते थोड़ा संस्कार तो तुम्हारे अंदर भी आ गया है"!  
   अचानक चौधरी मुझे घूरता हुआ बोला,- ' इब थारे धौरे भी एकाध बूँद संस्कार बचा हो तो चाय मंगा ले!" 
    तभी मेरा युवा बेटा चाय नमकीन औऱ पकौड़ी लेकर आया और चौधरी को नमस्ते कर मेज पर रख दिया ! चौधरी बोला, -' जीता रह बेटा !' फिर मेरी तरफ घूर कर बोला,-" थोड़ा संस्कार इस बच्चे ते सीख ले भारती -"!
      25 दिसंबर की रात डेढ़ बजे फ़िर किसी ने दरवाज़ा खटखटाया ! दरवाज़ा खोला तो सामने चौधरी की जगह सांता क्लॉज़ खडा था! उसकी हालत देख कर लगता था कि भागता हुआ आ रहा है ! पैंट नुचा हुआ था, एक तरफ की दाढ़ी लटक रही थी , मैंने पूछा,- 'ये क्या हाल बना रखा है, कुछ लेते क्यों नहीं ?' 
     "पूरे चौदह इंजेक्शन लेना पड़ेगा, पर अभी तो कुत्ते पीछे पड़े हैं। मुझे दौड़ा दौड़ा कर काटा है!"
  " अंदर आ कर आराम से बैठो "!
   " रंग बिरंगे कपड़े देख कर कुत्ते नाराज़ हो गए घाव को डेटॉल से धोना पड़ेगा ! जाने उनको नए साल से क्या दुश्मनी है !" 
         ' नये साल से ? '
    " हाँ , इधर से गुजरते देख एक कुत्ते ने भौंक कर मुझे देखा, मैंने उसे हैप्पी न्यू ईयर कह दिया ! गुस्से में वो मेरे पीछे दौड़ पड़ा ! उसके पीछे आधा दर्जन और कुत्ते थे ! शायद वो इलाके का मुखिया था  !"
    बाहर ठंढ और घात में बैठे कुत्ते दोनों थे, सांता वहीं सो गया ! सांता क्लॉज़ जब खर्राटे ले रहा था तो चौधरी ने रज़ाई में छुपा कर रखी बोतल निकाल लिया ! वो 31 तारीख तक और इन्तेज़ार नहीं कर सकता था !  न्यू ईयर के ख़ातिर  उसने 4 दिन पहले ही 2 बोतल 'हैप्पी' का इन्तेजाम कर लिया था ! फ़िर हैप्पी होने में देरी क्यों !!

             हैप्पी न्यू ईयर,,,,, रस्म दुनियां भी मौक़ा भी है- दस्तूर भी है ! और,,,, वैसे भी  जनवरी 2024 को 24  कैरेट 'हैप्पी' करने के लिए सरकार युध्दस्तर पर लगी हुई है ! इस साल को हैप्पी होने से कोई नहीं रोक सकता ! राम मंदिर बनकर तैयार है । सारे चैनल  हैप्पी होकर गा रहे हैं,- "पायो जी मैंने राम रतन धन पायो"-! कुछ मनहूस लोग इसके बाद भी विकास का रोना रो रहे हैं,- ' अबहूं न  आए बालमा सावन बीता जाये-'! नए साल को  सामने देख  विपक्ष हैप्पी होने की जगह आहत होकर कोरस में गा रहा है,- 'जाने कहाँ गए वो दिन,,,,'! 
    जिनकी कुंडली में  'बनवास' पसरा पड़ा हो, उनके लिए  'न्यू ईयर' भला "हैप्पी" कैसे हो सकता है ! ख़ैर,,, एक शे'र मुलाहिजा हो,,,,

झोपड़ी से महल तक आकाश से धरती तलक !
नफ़रतों  का खात्मा हो, "अम्न"  जिन्दाबाद हो !!

           Sultan bharti 
             (Journalist)
      


     
     

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