Friday, 11 November 2022

(कलाम विद लगाम) हृदय परिर्वतन का सीजन

(कलाम विद लगाम)           ( व्यंग्य)

            "हृदय परिर्वतन का सीजन"

      अल्लाह रहम करे, फिर एक चुनाव आ गया ! दिल्ली नगर निगम चुनाव ! ये मौसम नेताओं के लिए मधुमास जैसा सुखद है, और जनता के लिए एक बार फिर ठगे जाने का ! नेता के लिए चुनाव लडना कोई प्राब्लम नही है, उसने तो इसी के लिए इस धरती पर जन्म लिया है,- जब तक है जान जाने जहान,,,,! नेता के लिए सिर्फ एक समस्या होती है कि वो किस नए वादे और विकास का झुनझुना लेकर वोटर के बीच जाए कि पहचान लेने के बाद भी जनता खुद  को ठगे जाने से न बचा पाए ! इस दुरूह बाधा दौड़ को जीतने के बाद वो 5 साल के अज्ञातवास पर निकल जाता है, और पीछे जनता लक्षागृह में सुलगती रहती है, ( जैसा करम करेगा, वैसा फल देगा भगवान!)
        "फल" का सीजन आ पहुंचा है ! दिल्ली नगर निगम चुनाव अगले महीने होगा ! अगले महीने सांता क्लॉज के आने का शेड्यूल होता है, लेकिन अब सभी पार्टियों के सांता इसी महीने दिल्ली आ जायेंगे! सबके पास अपना अपना विकास है। सबकी स्लेज़ गाड़ी गिफ्ट से भरी है ! सब अपने अपने इलाके की जनता का दरवाज़ा खटखटा रहे हैं, -सोना लै जा रे ! चांदी लै जा रे ! विकास कैसे दे दूं ओ पब्लिक कि बड़ी नादानी होगी-! अगले वार्ड में दूसरी पार्टी सांताक्लॉज जनता को जन्नत का झांसा दे रहा है, - बड़ी दूर से आए हैं, साथ में 'झाड़ू' लाए हैं - ! ( एक बार और कुंडली पर फिरवा लो!)
जनता किवांड की दराज से झांक कर देखती है, कुछ पुराने तारणहार हैं जो पिछली बार किसी और पार्टी से आए थे, और अब किसी और पार्टी की तस्वीह पढ़ रहे हैं,- ' वो पार्टी जनहित में नहीं है, विकास का मौका ही नही देती , कहती है - न खाऊंगा न खाने दूंगा! तो क्या पांच साल व्रत रख कर गुजारा करूंगा?" 
      पार्टी के प्रति आस्था और वफादारी टिकट पर आकर टिक गई है! आज टिकट मिलने की आख़िरी तारीख है ! कई और सांता क्लॉज लाइन में लगे हैं ! कई अपने अपने स्लेज में लोहे का रॉड,हॉकी,पत्थर और लाठी भी लाए हैं! अगर विकास का टेंडर किसी और को मिला तो आस्था को ईंट में लपेट कर मारेंगे! कुछ तो दूसरी पार्टी से टिकट खरीद लेते हैं और कुछ अपनी ही पार्टी के लंका दहन के लिए आज़ाद उम्मीदवार बन कर मैदान में कूद जाते हैं ! ऊनके दोनों हाथों में लड्डू है, जीत गए तो 'विकास' करेंगे, हार गए तो विपक्षी पार्टी का पैसा गया ! ' तेरा था क्या जिसे खोने का शोक करता है !' पैसा तो वोट .काटने के लिए प्रमुख विपक्षी दल ने लगाया था ! वर मरे या कन्या, अपने "विकास" पर ओस नही गिरेगी ! 
       पार्टी की प्रॉब्लम सबसे बड़ी है ! सीट एक है और विकास का टेंडर लेने वाले कई ! टिकट किसी एक को ही मिलेगा,बाकी निष्ठा का लबादा उतार कर लंका दहन करेंगे ! निष्ठा टिकट से शुरू होकर टिकट पर ही ख़त्म हो जाती है ! इसका कार्यकाल 5 साल या 35 साल होना - इस  हाथ  दे उस  हाथ ले - पर डिपेंड करता है ! हर नेता में एक हनुमान ग्रंथि होती है, जो टिकट कटते ही उसे लंका दहन को उकसाती है ! बस यहीं से हृदय परिर्वतन का अंकुर फूटता है और कई प्राणी तराजू से कूद कर दूसरी पार्टी ज्वाइन कर लेते हैं! टिकट कटते ही प्राणी के अंदर अविश्वसनीय ज्ञान और दिव्य नेत्र ज्योति प्रगट होती है! अचानक ही उसे अपनी पार्टी के गेहूं में घुन और विरोधी पार्टी में फाइबर दिखाई देने लगता है !
         दिल्ली का संगम विहार ! इसे दिल्ली के लोग खांडवप्रस्थ और संकटविहार के नाम से जानते हैं ! यहां जनता कम और नेता ज़्यादा हैं, और यही सबसे बड़ी प्रॉब्लम है ! सियासत थोक में विकास न्यूनतम ! हमारे यूपी में एक कहावत है, - ज़्यादा जोगी मठ उजाड़ -! बस ये हाल है हम दीवानों का !
यहां 4 साल 11 महीने  एकता और विकास पर चर्चा होती है और चुनाव घोषित होते ही जनता खेमों में बंट जाती है ।  1993 से पार्टियां बारी बारी से इसे समग्र विकास देने में लगीं हैं, मगर पेयजल तक हर जगह उपलब्ध नहीं है ! आम आदमी पार्टी ने अपेक्षाकृत काफ़ी विकास किया, मगर पानी के लिए आज भी संकट जारी है। संगम विहार के दरवाज़े पर मेट्रो आ गई है, फिलहाल प्यास लगे तो इसी से काम चलाओ! मानसून में सड़कें और गालियां तालाब बन जाते है ! अब चुनाव में तारणहार फिर जन्नत देने आयेंगे, और हम फिर विकास का एक नया सपना लेकर ठगे जाएंगे!
         हर वार्ड में हंगामा है ! जिनका टिकट कट गया, शायद उन्हें इतना आघात नही पहुंचा जितना उनके समर्थकों को पहुंचा है! कुछ उतने आहत हैं गोया किसी ने उनकी किडनी निकाल ली हो ! कुछ औंधे मुंह ऐसे गिरे हैं जैसे उनका टाइटेनिक जहाज़ डूब गया हो ! चहेते उम्मीदवार को टिकट न मिलने का गम लिवर, किडनी और दिल तीनो में खुजली पैदा कर रहा है। ( ये रिश्ता क्या कहलाता है!!) जहां ऐसे संवेदनशील समर्थक  बैठे हों, जो विकास के बगैर भी उम्मीदवार के लिए जौहर व्रत पर उतारू हों, वहां विकास की ज़रूरत ही क्या है !!

             मैं फेसबुक देख रहा हूं, जिन्हें टिकट नहीं मिला, वो हृदयपरिर्वतन कर लोक परलोक सुधार रहे हैं ! सदमे में पड़े समर्थक भी २५ नवंबर तक सामान्य होकर मुख्य धारा से जुड़ जाएंगे, क्योंकि उन्हें पता है कि वार्ड को उम्मीदवार से ज्यादा उनकी ज़रूरत है! उन्हीं की तपस्या से विकास की
भागीरथी पृथ्वी पर आएगी ! आओ दधीचि! बची हुई हड्डियों को तारणहार लेने आए हैं! विकास के हवनकुंड में काम आएंगी !!

               सुलतान "भारती"   

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