Sunday, 4 September 2022

( कलाम विद लगाम) "ठेस रहित अपमान"

(कलाम विद लगाम)

        " ठेस रहित अपमान"

       महापुरूष ने धर्म विशेष पर फिर अनर्गल टिप्पणी कर दी , और बावेला मचने पर कहा, - ' मेरा मतलब वो नहीं था जो समझा गया' -! मतलब साफ़ है, सुनने वालों को गलतफहमी में ठेस पहुंची थी ! इस हालत में जनता को मान्यवर जी से ठेस सहित माफ़ी मांगनी चाहिए.!   उनका ससम्मान जेल आगमन होता है, इस संवैधानिक अनुष्ठान से उनकी लोकप्रियता बढ़ती है और वो इसी बेलगाम बयानों से,,,,,, 'हृदय सम्राट' हो जाते हैं! चरित्र निर्माण में ये कबीर के उलटवांसी - बरसे कंबल भीगे पानी- जैसी है ! किसी के धर्म का चीरहरण करने  से  भी  अब अपने चरित्र का डैमेज कंट्रोल  किया जाता है ।
          जब से अवतारों ने पृथ्वी पर आना छोड़ा है, तभी से बाबाओं का आगमन जोरों से है ! ये बाबा कलयुग के वो एलियन है जो बगैर उड़न तश्तरी के आते हैं और रुकी हुई  कृपा बरसा कर चार्टर्ड प्लेन से आश्रम लौट जाते हैं। भक्तों को मोहमाया से परे रहने का कीमती सुझाव देकर माया और मोहिनी दोनों पर झपट्टा मारते हैं! सियासत का उचित मानसून देख कर इनमे से कुछ बाबा दूसरे धर्म पर बेलगाम होकार ज्ञानवाणी सुना कर फॉलोअर्स को मंत्रमुग्ध करते हैं! प्रशासन को खर्राटा भरते देख  जबान बेलगाम होकर विधर्मियों के नरसंहार का सुझाव तक दे देती है ! बड़े चैनल उनके संविधान विरोधी बयान को "बिगड़े बोल" कहकर भार रहित कर देते हैं ! बाबा इस आस्था के बदले मीडिया को आशीर्वाद देते है ।  एंकर फुल बेशर्मी के साथ बाबा के "ठेस रहित" बयान की पैरवी करता है! देश विश्व गुरु होने की दिशा में धीरे से एक कदम और आगे जाता है! 
          'कलाम बेलगाम वाले' वाले  बुद्धिजीवियों की तादाद बढ़ रही है । दूसरे के धर्म में घुन तलाशने के लिए  कई  अंधे  दूरबीन लेकर आ गए हैं ! आए दिन कहीं न कहीं बेलगाम हो कर नफ़रत का सशक्तीकरण करते रहते हैं ! इधर कई महीनों सेआस्था में घातक परिर्वतन देखा गया है ! मंदिर के सामने से खामोशी से गुजर जाते हैं और मस्जिद को देखते ही अखंड कीर्तन और महा आरती के लिए व्याकुल हो जाते है ! आस्था में इतना समाजवाद पहले कभी नहीं देखा गया !
             ये नए मिजाज़ का संस्कार है ! पहले आस्था के साथ खिलवाड़ किया जाता है , और जब संवैधानिक शिकंजा कसता है तो कहते हैं, -' मुझे क्या पता कि इतने कम तापमान वाले अपमान से भी ठेस पहुंच जायेगी ! मेरा इरादा किसी को ठेस पहुंचाना नहीं था ! मैं तो आज कल ठेस रहित बयान देता हूं" !  (आखिर उन्हें जमानत भी तो लेना होता है !) नेता जी अपने ज़हरीले किंतु ठेस रहित बयानों के लिए काफ़ी लोकप्रियता बटोर चुके हैं ! वह काफ़ी सजग रहते हैं,और जैसे ही उन्हें महसूस होता है कि उनकी लोकप्रियता का तापमान गिर रहा है - वो तुरंत एक ज़हरीला बयान देकर लोकप्रियता का सेंसेक्स लुढ़कने से रोक देते हैं ! बिगड़े और विवादास्पद बयान उनके चरित्र निर्माण में उर्वरक  की भूमिका निभाते हैं!
       घनघोर कलिकाल में  जनता की जागरूकता प्रशंसनीय है! लोग तरकारी छोड़ कर ताजमहल खोदने पर उतारू हैं। जो गुस्सा तरकारी के महंगा होने पर उमड़ रहा था,उसे ताजमहल की ओर डाइवर्ट कर दिया गया ! महंगाई और बेकारी वाले गुस्से को पहले से ही झेल रहा ताजमहल सकते में है ! इस जनजागरण से आत्मनिर्भरता नजदीक और जीडीपी दूर होती नज़र आती है ! समस्याओं के निराकरण के लिए अब पंचवर्षीय योजनाओं से बढ़िया भारत पाक क्रिकेट मैच हो गया है ! जनता की बौद्धिक जागरूकता का कुछ ठिकाना नहीं कि कब महंगाई से डाइवर्ट होकर मैच से ऑक्सीजन लेने लगे !

    जहां तक  "ठेस" का सवाल है, जनता के अलावा किसी को नहीं लगनी  चाहिए ! नेता और पुलिस को तो बिलकुल ठेस नहीं लगनी चाहिए! जनता का क्या है, उसे तो आए दिन ठेस लगती है ! दो चार दिन सुकून से निकल जाए और ठेस न लगे तो जनता घबरा जाती है , - ' तीन दिन पहले ठेस लगी थी, पूरे बहत्तर घंटे बीत गए - मौला जाने क्या होगा आगे !  पहली बार ऐसा हुआ है जब देश में अजान,नमाज और मदरसों को देख कर भी कुछ लोगों को "ठेस" लगने लगी है ! 

        फिर कोई रूट डायवर्ट हुआ है !!

              
                    
          

1 comment:

  1. सामाजिक समरसता के ताने बाने को तोड़कर सिर्फ कुर्सी पाने की जीतोड़ कोशिश करने वाले तृतीय श्रेणी के नेताओं के मुंह पर प्रस्तुत आलेख एक तमाचा है।

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