Sunday, 3 July 2022

(अग्नि दृष्टि)

( अग्नि दृष्टि)?

  ,,, "ताकि सनद रहे "

       मुझे हौज खास मेट्रो स्टेशन से शाहीन बाघ जाने के लिए मेजेंटा लाइन पकड़नी थी। उस डब्बे में काफ़ी युवा थे जो उदयपुर कांड पर ज़ोर ज़ोर से बात कर रहे थे! एक युवक विडियो देख कर क#& ,b  ह रहा था ,-' वकीलों ने इलाज कर दिया दोनों हत्यारों का ! पोलिस कस्टडी में पेशी पर #&आए दोनों मुजरिमों को पीट दिया '-! वकीलों ने पुलिस की मौजूदगी में मुजरिमो को पीट कर मृतक के प्रति अपनी सहानुभूति का परिचय दिया। किसी भी बड़े चैनल के जागरूक विद्वान को इस नेक काम में संविधान का उल्लंघन बिलकुल नहीं नज़र आया ! वकीलों ने पहली पेशी पर ही मुजरिम पर लात घूंसे बरसा कर फास्ट ट्रेक कोर्ट का परिचय दिया ! वकीलों के हाथों मरने से बचा कर पुलिस ने अपना कर्तव्य निभाया,- रिंद के रिंद रहे हाथ से जन्नत न गई ! 
   बेशक वो दोनों वहशी हत्यारे हैं, जिसकी सजा सजाए मौत से कमतर नहीं होगी ! होनी भी चाहिए, भला इन कातिलों।(रियाज़ और गौस) को कत्ल करने का अधिकार किसने दिया? कानून हाथ में लेने का किसी को कोई हक नही, इसलिए पूरे देश की जनता ने दोनों के लिए जल्दी से जल्दी फास्ट ट्रैक कोर्ट द्वारा उन्हें सजाए मौत देने की मांग की ! किसी मुसलमान ने उनके घिनौने जुर्म की वकालत नही की, उनके पक्ष में कोई पोस्ट नहीं डाली और एक भी नारा नही सुनाई पड़ा ! इसके बाद भी मुस्लिम समुदाय को गाली देने,चुनौती देने, समूल नष्ट करने और निकाल बाहर करने का जहरीला आह्वान जारी रहा !
       सोशल मीडिया पर विवेकहीन वीर पुरूषों की भरमार रही । उदयपुर कांड के लिए नूपुर शर्मा को जिम्मेदार ठहराने वाले जजों (सूर्यकांत और पारदीवाला) की टिप्पणी से भी लोग आक्रोश में आने लगे ! (ऐसा पहले कभी नहीं हुआ!)नूपुर के वकील अमन लेखी को भी ऐसी टिप्पणी की आशा नहीं थी । ऐसा लगता था, गोया क्रोध फूट पड़ने का रास्ता ढूंढ रहा था ! घूम फिर कर सुई मुसलमान और इस्लाम पर आकर अटक  जाती  थी ! चैनलों पर बैठे तथाकथित "विद्वान" डिबेट में आए मुस्लिम पार्टिसिपेंट को आक्रामक अंदाज में उनकी कम्यूनिटी का बहीखाता बताते नज़र आए!
         मैं हैरान भी हूं और दुखी भी ! दुखी इसलिए कि एक इंसान का बेरहमी से कत्ल हुआ ! इस्लाम कहता है  - एक बेगुनाह का कत्ल सारी मानवता का कत्ल है,-! यह अक्षम्य है। यह अकेले कन्हैया लाल का कत्ल नहीं था, उस दिन वहां  कन्हैया के बच्चों के मुस्तकविलका भी कत्ल हुआ था। उनके सुखद सपनों को भी तहे तेग किया गया। उनके 
ख्वाबों का भी कत्ल हुआ था ! एक औरत के सुहाग का भी कत्ल हुआ था ! एक परिवार की सुखद कल्पनाओं को पल भर में नजरे आतिश किया गया था! कई पारिवारिक और सामाजिक रिश्तों को विकलांग और उम्मीद से महरूम कर दिया गया ! इतने गुनाहों को ढोने वाले मुजरिम के लिए मौत की सजा भी नाकाफी है।
       लेकिन,,,,,, हम उम्मीद करते हैं कि भविष्य में हर मासूम के कत्ल पर ऐसी ही मानवीय संवेदना, सहृदयता,सामूहिक आक्रोश ,सामूहिक क्रोध और इंसाफ की आवाज बुलंद की जाएगी! उम्मीद करता हूं कि नफ़रत की गिलोटिन के नीचे कत्ल होने वाले किसी भी बेगुनाह का दर्द धर्म के चश्में से नहीं देखा जाएगा ! न मरने वाले के दर्द संप्रदाय के फीते से नहीं नापा जाएगा ! हमें भूलना नहीं चाहिए कि इसी राजस्थान में गैंती से मर कर घायल किसी बेगुनाह मजदूर को ज़िंदा जला कर उसका भी विडियो वायरल किया गया था ! तब कातिल को सम्मान देने वाले कौन थे ? ताली दोनों हाथो से बजनी चाहिए ! हिमायत दर्द की होनी चाहिए कातिल की नही ! बेहतर होगा कि कोई भी शख्स कानून हाथ में लेने से दूर रहे । न्याय पालिका का सम्मान अनुशासन और राष्ट्रप्रेम की प्रथम शर्त है। नफरत और प्रतिशोध की स्याही से लिखी गई एक इबारत पूरे अध्याय को कलंकित कर देती है !
       बहुत हो गई नफ़रत ! इस नफ़रत से हमें मिला कुछ नहीं, खोया बहुत कुछ है! हमे अपने सामुदायिक हित को राष्ट्र हित में समाहित करना होगा ! इंसानियत के आधार पर एक मंच पर आकर राष्ट्र निर्माण में खुद को समर्पित करना होगा ! वरना नफरत का ये उबलता लावा एक दिन हमसे सब कुछ छीन लेगा।

कुछ ऐसा करें मिल के सभी हिंदू मुसलमान !
फिर  हिंद  को  सारे  जहां से अच्छा बना दें !!x।rob

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