Tuesday, 17 May 2022

हास्य व्यव्यंग्य ( कविता एक कटी हुई नाक)

             * एक कटी हुई नाक *
****"""""******"""""""*********

मौसम बड़ा सख्त था।
दोपहर  का  वक्त था!

अशोक वाटिका में लंच ब्रेक चल रहा था!
लैपटॉप में रावन बजरंगी भाईजान देख रहा था !!

तभी उसके फोन पर मिस्काल आया !
उधर से शूर्पनखा के फिवरेट कॉलर ट्यून 

मुश्किल कर दे जीना ! इश्क कमीना!!

फिर उधर से  शूर्पनखा  की आवाज़ आई!
उसने रोते हुए नाक कटने की व्यथा सुनाई!


दुश्मन की तलवार दुधारी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!! 


रावण अवाक था ! ये तो माथे पर दाग था!!
वैसे रावण निडर था पर सोशल मीडिया का,,,!

नाक  की  न्यूज  नेशनल   ना  हो ।जाए ।
कटी नाक का विडियो वायरल न हो जाए !!

        रावण ने दिमाग़ लगाया
पहला फ़ोन जो वाइडन को लगाया! !

रावण बोला अंकल सैम आज तो बाज़ी पलट गई!
दिन दहाड़े बहन की नाक कट गई !!

सुन कर widon ने अप उप ठहाका लगाया।
फिर रावण को हिन्दी में समझाया !!

भतीजे तुम अक्ल मंद नही खोते हो !
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

वैसे सौ पर भारी हो पर कितने पिछड़े प्राणी हो !
एक नाक ही काटी थी,,,,,,,,,,,,, !

नई  सभ्यता  वरण  करो !
पश्चिम का अनुशरन करो !

अमेरिका में महिलाओं की रफ्तार,,,,,,,,। !

जानता हूं नाक का कटना अपमान का फसाना है !
पर यह तो लक्ष्मी बाई का नहीं,,,,,,,,,!!

Vidon की बात सुन रावण खिन्न था !
नाक का इशू अब सतयुग से भिन्न था !!

              (  2 )
तभी उसे अपने गुरु की याद आईं!
अगली कॉल जेल में बंद एक संत को लगाई !

रावण ने नाक कटने की व्यथा सुनाई !
उधर से संत बोले इतना सन्नाटा,,,,,,,,,,!!

रावण झुंझलाया, सन्नाटा नहीं तो क्या थहाका लगाऊं
नाक कटी है तो क्या जश्न मनाऊं!!

हमे तो अपनो ने लूटा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, उस्तरा बहुत,,,,,!!

खैर तुम शूर्पनाखा को मेरे पास भेज दो !
मैं उसको योगा सिखाऊंगा!
जमानत मिली तो अगला वैलेंटाइन!
श्री लंका में मनाऊंगा !!

दुनियां हमें देख कर जलेगी! शूर्पनाखा तो,,,,,,,,,!!

ईश्वर ने कितनी सुंदर जोड़ी, बनाई है,!
कुंडली का मैच देखो हम दोनों ने ही,,,,,,,,,,,,,,!!

संत का  प्रलाप सुन रावण हताश था !
कुंडली में शायद आज शनि का निवास था!

   ।।।।          (   3  )      ।।।।।

अचानक उसे अपना फैमिली फ्रेंड याद आया !
आखिरी फ़ोन उसने इमरान खान को लगाया !!

उधर से हिंदी में गाने की आवाज़ आई -
' मोहे पनघट पे नंदलाल छेड़ गयो रेट '!

रावण ने हैरत से पूछा - सारी पाक जनता
हिंदी गाने दोहराती है!
इमरान भाई आपको शर्म नहीं आती है!!

फिर रावण ने अपने दर्दे दिल की वजह बताई,
शूर्पणखा की नाक कट गई क्या करूं इमरान भाई!

इमरान खान बोले, ' बहन ने हादसे का दर्द तो
बाटा होगा!
नाक तो ज़रूर किसी इंडियन ने काटा होगा !!

रावण उछल पड़ा, वाह भ्राता श्री! क्या आला दिमाग़
पाया है!
आख़िर ये आइडिया आपको कैसे आया है!!

इमरान खान धीरे से बोले, बात शर्म की है 
इसलिए अब तक नहीं बताया है !!
अरे, काश्मीर से कारगिल तक हमने
नाक ही कटाया है!!

तुमने पहली बार कटाया,,,,,,,,,,,
,,,,,,,,,,,,।   N,,,,,,,,,,।    ,,,,,,,,,,!!

भारत के हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई
आपस में लाठियां चलाते हैं!
लेकिन पाकिस्तान की नाक काटनी हो
तो सारे एक हो जाते हैं !!

उनकी इसी विभिन्नता की एकता से
हम अपनी नाक कटा बैठे !
कश्मीर हड़पना दूर पूर्वी पाकिस्तान
गवां बैठे!!

ताकत वर दुश्मन को फौरन दोस्त बना लो
अच्छा है !
बार बार न कटे नाक- एक बार कटी है
अच्छा है!!

अब ऑप्शन खत्म हो चुके थे, रावण ने हताश होकर शूर्पनाखा को फोन मिला कर समझाया -

बहन   नाक  का  निवारण  नही है मेरे बस की !
यूं समझो कि - बहुत कठिन है डगर पनघट की !!

          ( सुलतान भारती) 



Friday, 13 May 2022

( व्यंग्य भारती) " भोर का सपना"

(व्यंग्य भारती)          "भोर का सपना"

             अब क्या बताएं कि बेकारी में कैसे कैसे ख़्वाब आते हैं! दिन में याद कर लूं तो हीनता आ जाती है! कोरोना काल के बाद आज तक कभी आत्म निर्भर ख़्वाब नहीं देखा! जबकि मेरे दोनों पड़ोसी ( चौधरी और वर्मा जी) ऐसे ऐसे ख़्वाब देखते हैं जिसमें मेरी सिचुएशन हमेशा दयनीय होती है! ये पहली बार है कि तीन साल में  मैंने कोई ढंग का ख़्वाब देखा था ! इस बार वर्मा जी का सारा मनोबल पंचर होना था ! सपना भोर का था, और उसके सच होने की पूरी उम्मीद थी ! इस बार का ख़्वाब इतना ताकतवर था कि वर्मा जी को महीनों ख़्वाब नहीं आना था! मेरे ख्वाब में वह शाहजहां के दरबार में भिश्ती बने दरबार में पानी छिड़कते नज़र आए थे! उन्हें इस रोल में देख कर मैं काफी खुश था  !
     अब पूरे ख़्वाब को डिटेल में बताता हूं!
          ताज महल बनाम तेजो महालय के विवाद पर फेस बुकिया विद्वानों की ख़ोज पूर्ण रिपोर्ट पढ़ पढ़ कर मैं देशहित में तीन बजे रात तक जागता रहा ! आज़ कल अचानक मुझे लगने लगा है कि अगर मैने एक भी पोस्ट छोड़ दिया तो ताज महल हाथ से निकल जायेगा ! केस खराब हो, इसके लिए वर्मा जी आज कल दिन में एक बार आकर मेरा ब्लड प्रेशर बढ़ा जाते हैं! कल भी आकर उन्होंने बड़ी गंभीरता से कहा था, - " अब कुछ नहीं हो सकता ! जिस ने शाहजहां को लोन दिया था , वो  दावेदार पार्टी सामने आ गई है ! वो ताज महल नहीं, तेजो महालय है ! सच्चाई छुप नहीं सकती, बनावट के उसूलों से ! ताज महल के निर्माण में लगा सारा मैट्रियल इसी पार्टी ने सप्लाई किया था । शाहजहां ने इसी पार्टी से लोन लिया था!
      "  आपके सामने लोन लिया था क्या ?"
 " तेरा दुख मैं समझ सकता हूं! पर अब कुछ नहीं हो सकता! तहखाने के बंद कमरे खुलेंगे तो देख लेना लोन और पॉवर ऑफ एटॉर्नी के काग़ज़ बरामद हो जाएंगे ! शाहजहां को तेजो महालय को ताजमहल का नाम नहीं देना था "! 
         " सबूत क्या है?"
 " नाम ही सबूत है! तेजोमहालय का अर्थ है, ' ऐसा घर जिससे तेज़ निकलता हो - ! चांदनी रात में जाकर देख इमारत से कैसी दिव्य रोशनी फूटती है! उसे बनाने में ऋषि मुनियों का भारी योगदान था "!
         " शाहजहां का क्या रोल था ?"
" जब मंदिर बन गया तो शाहजहां ने उस पर अपना बोर्ड लगा दिया ! उनकी इस साजिश में कांग्रेस पार्टी भी शामिल थी ! तहखाने के कमरे से इस बात के सबूत मिल जायेंगे कांग्रेस पार्टी मुगलों से मिल गई थी!"।          
        "पर शाहजहां के शासन काल में कांग्रेस पार्टी कहां थी?"
   " बिलकुल थी, तुष्टिकरण के कारण असली इतिहास छुपाया गया था! अब सारे घर के बदल डालूंगा ! सच तो ये है कि मुगल काल में इतनी सुंदर इमारत बनाने की तकनीकि ही नहीं थी !" 
     "और,,,,लाल क़िला, कुतुब मीनार और जमा मस्जिद?"
        वर्मा जी मुस्कराए, -" धीरे धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय ! कहा न, शाहजहां ने सिर्फ बोर्ड लगाया है, बनाया कुछ भी नहीं ! इन सारी इमारतों को गिराकर साक्ष्य खोदने की ज़रूरत है "!!      
          रात में तीन बजे सोया तो ख्वाब में शाहजहां के दरबार में खुद को मौजूद पाया! भव्य दरबार में शहंशाह साढ़े बाइस मन शुद्ध सोने के तख्ते ताऊस पर बैठे थे ! पास में उनकी बेगम मुमताज महल बैठी थीं ! ख़स की झाड़ पर पानी छिड़क रहे वर्मा जी को मैने फ़ौरन पहचान लिया ! सूचना मंत्री से शाहजहां पूछ रहे थे, हम अपनी बेगम के साथ ताज देखने जाना चाहते हैं, कब तक जा सकते हैं?"
      मंत्री ने हाथ जोड़कर कहा, -' हिज हाईनेस ! अब आप तब तक नहीं जा सकते , जब तक ताज महल के मालिकाना हक़ का फ़ैसला नहीं हो जाता -!"
    " क्या बकते हो! शहंशाह को बताना पड़ेगा कि ताजमहल का मालिक कौन है "?
     " जान की माफ़ी हो आलीजाह ! अब उसके दर्जनों दावेदार हैं! लेटेस्ट दावेदार का कहना है कि जिस पर ताजमहल खड़ा है, उस जमीन का भुगतान अभी पेंडिंग है! प्रॉपर्टी के कागजों की चेन उसी पार्टी के पास है !"
    मैंने मार्क किया कि बादशाह की प्रॉब्लम बढ़ती देख कर वर्मा जी बहुत खुश नज़र आ रहे थे ! मंत्री हाथ जोड़ कर कह रहा था, " एक बाबा करीब करीब सिद्ध कर चुका है कि ताज महल एक मंदिर को तोड़ कर बना हुआ मकबरा है! हो सकता है कि अन्दर के बंद कमरों से बाबा जी के नाम से लिखा गया कोई प्रोनोट भी बरामद हो जाए ! आपको याद भी कहां होगा?"
     शाहजहां को डांटने के लिए मुमताज़ महल को मौका मिल गया, - " कितनी बार कहा है कि इतना मत पिया करो! अब भुगतो!"
                शाहजहां ने इशारे से मुझे अपनी ओर बुलाया, -'' आप बताओ मिस्टर भारती! इस के पीछे किसका हाथ है ?"
मैं जाने कब से वर्मा जी को रगड़ने की फ़िराक में था! आज आया था ऊंट पहाड़ के नीचे! मैंने पूरी गंभीरता से कहा," आप ने मुझ जैसे इंवेस्टीगैटर पत्रकार को मौका देकर सम्मानित किया है! मुझे पूरा शक है कि इसके पीछे आपके ही किसी दरबारी का हाथ है!"
      " कौन है वो! मैं उसकी खाल खींच कर उसी पर बैठ कर योगा  करूंगा ! आजकल ब्लड प्रेशर ठीक नहीं है!"
       " ये जो पानी छिड़कने वाला नया भिश्ती आया है, मुझे इस पर शक है ! हो न हो, ताजमहल के विवाद को इसी ने हवा दी है !"
  " फौरन इसे हाथी के पैरों के नीचे डाला जाए"!
     " ये सज़ा पुरानी हो चुकी है गरीब परवर! कोई तगड़ी सजा दो "!
        " कौन सी "? 
     " आपकी खिदमत में लगी हूरों में से दो की शादी इनके साथ कर दो ! इनकी एक धर्मपत्नी आल रेडी पहले से है! एक हाथी से सर कुचलवाने से बेहतर है कि तीन बीबियो के बीच छोड़ दिया जाए - उम्र इन्हें मरने नहीं देगी और तीन बीवियां उसे जीने नहीं देंगी "! 
                     इतनी कठोर सजा के सुझाव पर बबादशाह मुस्कराए,मगर मुमताज़ महल ने उनके कान में कहा,- "  इस पत्रकार को दरबार से बाहर करो! इतनी खतरनाक सजा इसे सूझी कैसे ! !"
       " भिश्ती का क्या करें?"
" उसकी कठोर सज़ा में कुछ कटौती कर दो, ज़िंदगी को दोजख बनाने के लिए तीन की जगह दो बीवियां ही काफ़ी हैं"! 
      मैंने फरियाद की, -" दो बीवियां चलेंगी, इससे कम मत करना "!
   तभी कोई और चिल्लाया, " इस उमर में भी दो बीबियां चाहिए ! पगला गए हो क्या !!"
        मेरी आंख खुल गई ! सामने बेगम खड़ी मुझे घूर रही थी ! उन्हें ख्वाब की हकीकत समझाने में पूरा दिन निकल गया!

               ( सुलतान भारती)

Monday, 9 May 2022

(व्यंग्य भारती) " बुल्डोजर का अमृत महोत्सव"

(व्यंग्य 'भारती' )

               "बुल्डोजर का अमृत महोत्सव"

       आज़ादी का अमृत महोत्सव चल रहा है!  हर कोई अमृत खोज  रहा है ! हमारे एक प्रकाशक मित्र कवि सम्मेलन के लगातार आयोजन के मंथन में अमृत निकाल रहे हैं ! देश में 1947 के बाद पहली बार आज़ादी की फीलिंग आई है ! आज़ादी मिलना और फीलिंग आना अलग अलग अनुभूति है! कभी कभी उपलब्धि हासिल हो जाती हैं पर फीलिंग ही नहीं आती ! जैसे पत्नी के सामने कॉलेज के ज़माने की गर्लफ्रेंड आ जाए  तो फीलिंग फौरन फ्रीज हो जाती है ! देश तो बहुत पहले से आज़ाद है , पर जाने क्यों  फीलिंग नहीं आ रही थी ! 
       और आज़,,,अब जा के आया मेरे बेचैन दिल को करार ! आज़ आज़ादी से ज़्यादा फीलिंग है ! इस फीलिंग ने कई जगह आज़ादी के हिस्से की ऑक्सीजन भी हथिया लिया है ! फीलिंग इतनी प्रचंड है कि संविधान खुद को असहाय महसूस करता है! पहले आज़ादी सबके पास थी !  अब आज़ादी की जगह उसकी फीलिंग सबके पास है ! महसूस कीजिए और आनंदित रहिए ! देश को आज़ादी मिली है और पब्लिक को उसकी फीलिंग ! ये समझदारी का काम है, पब्लिक दोनों चीजें संभाल नहीं सकती! देश ७४ साल से आज़ाद था लेकिन पब्लिक में आजादी की फीलिंग ही नहीं थी! 15 अगस्त या 26 जनवरी को लाउड स्पीकर पर गाना बजता तो थोड़ी देर के लिए फीलिंग आ जाती थी! आज 75 साल का कोटा पूरा हो गया ! पूरा साल आज़ादी का अमृत छकिए,और फीलिंग को आत्मनिर्भर बनाइए !
      इस अमृत महोत्सव की फीलिंग को बुल्डोजर ने काफ़ी मजबूती दी है ! कई जगह ऐसी थी जहां आज़ादी की फीलिंग का पता लोगों को नहीं था, वहां बुल्डोजर ने जाकर अपनी आज़ादी की जो झांकी निकाली कि लोग बाकी जिंदगी उस 'अमृत महोत्सव' की फीलिंग में ही गुज़ार देंगे ! आज़ बुल्डोजर के साथ हम आज़ादी की हीरक जयंती मना रहे हैं! इसका आनंद और फीलिंग अदभुत है ! किंतु आश्चर्य है कि विपक्ष बुल्डोजर को देख कर विलाप करता है जब कि सत्ता पक्ष हर्षनाद ! भक्त गण कह रहे हैं, - जाकी  रही  भावना  जैसी - वाली बात है !! आज़ादी और अमृत सबको रास नहीं आती ! बुल्डोजर आज़ाद है, इसलिय वो अपनी फीलिंग के हिसाब से अमृत बांटता है ! वह अपने और आज़ादी के बीच में  ' स्टे ' का दख़ल नहीं देखना चाहता ! 
          यूपी से निकला बुल्डोजर एमपी में काफ़ी पसंद किया गया! प्रशासन अदालतों का सारा पचड़ा बुल्डोजर को सौंपना चाहता है ! बुल्डोजर माने न्याय पालिका ! आज़ादी का पूरा अमृत महोत्सव !! अपराध और विरोध मुक्त भारत !! बुल्डोजर को पहले गंभीरता से नहीं लिया गया था तो आज़ादी कितनी फीकी थी ! आज बुल्डोजर की महती कृपा से मई और जून में भी चारों  ओर कितनी हरियाली है ! लेकिन कांग्रेस को क्या हो गया है जो वह विकास और बुल्डोजर का विरोध कर रही है !.उनके अंदर न अमृत बचा- न फीलिंग !! जहां भी हमारा आजादी  वाला बुल्डोजर देखते हैं, आगे आकर लेट जाते हैं- 'विकास' होने ही नहीं देते !! नौ मई को शाहीन बाग में इन्होंने यही किया, बुल्डोजर के आगे लेट कर '' अमृत महोत्सव" का मज़  किरकिरा कर दिया ! !
       अब हम विश्व की सबसे बड़ी आर्थिक महाशक्ति बनने जा रहे हैं! कुछ  पाने के  लिए  कुछ खोना  पड़ता! ( खोना वर्तमान है और पाना भविष्य!) सिलेंडर का बढ़ा हुआ दाम वर्तमान है, स्वर्णिम भविष्य पाने के लिए मंहगाई जैसी अकिंचन चीज को भूलना होगा ! विश्व गुरू होने के लिए किचन विधवा भी हो जाए तो भी परवाह नहीं !!ये एलपीजी गैस,  गबन, मंहगाई, बेकारी या रुपए का अवमूल्यन सब तुम्हारे कर्म हैं! जैसा करम करोगे वैसा फल देगा भगवान.! ये सब भगवान और भक्त के बीच का मैटर है! इसमें सत्ता पक्ष का कोई दोष नहीं ! उल्टे सत्ता पक्ष तो ईश्वर के अलावा और किसी की तरफ़ ध्यान ही नहीं  दे रहा है! पहला फ़ोकस इस पर है कि कहां कहां ईश्वर से उनका निवास स्थान छीना गया है , पहले वहां बुल्डोजर का अमृत महोत्सव मनाया जाएगा ! सर्वे जारी है,ताकि इस बार ईश्वर को न्याय मिलने में विलम्ब न हो !
            कल नौ मई थी ! शाहीन बाग में बुल्डोजर का अमृत महोत्सव होना था़ ! भारी पुलिस बल के साथ बुल्डोजर रवाना हुआ ! कई मीडिया के चारण बुल्डोजर की विरुदावली गाते हुए आगे आगे चल रहे थे! एक बड़े चैनल की चर्चित मोहतरमा हांफती हुई बोल रही थीं ! उनकी खुशी और उत्साह देख कर लगता था कि सिर्फ "हिन्दू मुस्लिम" करने से ही उन्हें प्रोटीन हासिल हो जाता है! डिमोलिशन निरस्त होने पर उनके चेहरे पर जो मायूसी मैने देखी, उससे लगता था़ गोया शाहीन बाग में किसी ने उनकी किडनी निकाल ली हो ! प्रशासन और बुल्डोजर भी उतने दुखी नहीं थे ! 
                हीरे की परख जौहरी को होती है ! जौहरियों ने बुल्डोजर की नाभि में छुपे ' अमृत ' को पहचान लिया है ! सुबह उठते ही बुल्डोजर पूछ लेता है, - ' क्या हुक्म है मेरे आका ! आज़ कहां कहां आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाना है ?  अब तो इसके बगैर - दिल है कि मानता नहीं - !!

                           ( सुलतान भारती)

Tuesday, 3 May 2022

बचपन के घरौंदे में रखी " ईद'' !

                "बचपन के घरौंदे में रखी ईद "!

       आज़ ईद है ! मुस्लिम बहुल इलाकों में लोग तीन दिन तक ईद मनाते हैं! दिल्ली का शाहीन बाग ऐसे ही इलाके में शुमार होता है ! इस वक्त रात के साढ़े नौ बजे है! शाहीन बाग की बडी मस्जिद में ईद की नमाज़ सुबह सात बजे हो चुकी है! लोगों के ज्यादातर मेहमान और दोस्त अहबाब पकवान डकार कर जा चुके हैं,फिर भी आज़ ईद है! कल चांद रात को शाहीन बाग की रोशनी, रश और रौनक देखने लायक थी। मेन रोड, चालीस फुटा मार्केट और हाई टेंशन रोड पर खरीदारो की सुनामी आई हुई थी ! नानवेज के शौकीनो का नया मरकज है शाहीन बाग ! चांद रात तड़के तीन बजे तक शाहीन बाग खरीदारों से गुलज़ार रहा ! 
              अभी एक घंटे पहले जब मै बॉल्कनी में बैठा गांव में फ़ोन मिला रहा था तो मेरा बिल्ला निम्बस पास आकर अपना शरीर मेरे पैर से रगड़ने लगा ! ऐसा वो तभी करता है जब उसे नीचे घूमने जाना होता है या मेरे साथ खेलना होता है ! मैं उसे लेकर बाहर गली में आया जहां तीन आवारा कुत्ते बैठे हुए थे ! निम्बस को देख कर कुत्तों का मुखिया धीरे से गुर्राया, जैसे कह रहा हो - अबे मर्द बिल्ला है तो कभी अकेले निकल कर दिखा ! तुझे रसगुल्ला समझ कर निगल जाऊंगा "! बाहर मैने इन कुत्तों के लिए मिट्टी के एक बर्तन में पानी भर कर रखता हूं ! कुत्ते जानते हैं कि ये नेक काम कौन करता है, तभी वो बिल्ले को अब तक झेल रहे हैं ! आज सुबह गैंग का मुखिया कुत्ता मुझे देख कर पूंछ हिलाते हुए हल्के से गुर्राया था, मुझे लगा कि पूछ रहा है, - '  गोद में लेकर घूमना ही है तो किसी सेलिब्रिटी को चुनो भ्राता श्री ! मेरे बारे में क्या ख़्याल है !! '
         तीन बजे मेरे अजीज़ दोस्त ( इब्राहीम) का गांव से फोन आया ! वो ईदगाह से लौट कर फोन कर रहे थे ! एक घंटा लम्हे की तरह निकल गया ! हम बचपन की खूबसूरत यादों को दिल और दिमाग़ से खुरच खुरच कर वर्तमान के खुरदरे दस्ताबेज की विरासत बनाते रहे ! एक  ईद आज़ थी जो तमाम व्यूह  से घिरकर दो साल बाद लोगो को हासिल हुई थी ! पिछली दो ईद की सिवइयां कोरोना पी चुका था ! ईद राष्ट्रीय पर्व पर है, इस बार का रमजान - रामनवमी, पथराव, हनुमान चालीसा और लाउड स्पीकर से ओतप्रोत रहा ! अज़ान और हनुमान चालीसा के बीच खड़ी ईद अपनी शिनाख्त ढूंढती हुई  सकते में खड़ी थी।
      एक मेरे बचपन की ईद थी ! रोज़ा बेशक नहीं रखते थे पर ईद की खुशी पर दावा हम बच्चों का ही था ! अब्बा और अम्मा दोनों से ईदी लेते थे और पूरी कोशिश होती थी कि ईदगाह में हमें अपना पैसा ना खर्च करना पड़े,और अब्बा हम दोनों भाईयों की पसंद की हर चीज़ अपने पैसे से खरीद कर घर ले आएं। अब्बा कलकत्ते में नौकरी करते थे और हमारा खाता पीता परिवार था । ईद के रोज नया कुर्ता पजामा पहन कर हम फूले न समाते ! ईदगाह जाते वक्त हम सभी हम उम्र बच्चे आपस में इंक्वायरी कर पता कर लेते थे कि किसके पास सबसे ज्यादा ईदी है ! उस दिन हर  कोई मेरा बेस्ट फ्रेंड साबित होने की कोशिश करता था! ( ईद के दूसरे दिन उनके तेवर अलग होते थे! ) तारा की अम्मा के ठेले पर लगा टिक्की चाट  हमारी सबसे फेवरेट चाट थी ! उनकी मिर्च मसाला  वाली चाट ज़हर से कुछ डिग्री नीचे थी ! खाते ही आंख और मुंह से गंगा जमुना छूट जाती थी !
        चांद रात को हम खुले छत पर बातें करते हुए देर रात तक अगले दिन मिलने वाली ईदी की बातें करते रहते ! तब बिजली नहीं थी लेकिन रिश्तों में गन्ने जैसी मिठास थी! ईद से दो दिन पहले ठाकुर अभिलाष सिंह के हाता से मेंहदी की पत्तियां तोड़ कर लड़कियां लाती, ताकि हाथ में मेंहदी लगाई जाए! अभिलाष सिंह हाथी नशीन जमींदार थे! तब कॉस्मेटिक मेहंदी कहां थी !  ईदगाह में दो तीन रुपए में हम अपने सपनों की कायनात खरीद लेते थे! घर से कारूं का ये खज़ाना जेब में डाल कर हम जब ईदगाह के लिए रवाना होते तो अम्मा नसीहत देती, -" फ़िज़ूल मत खर्च करना "! उस महान गुरु की वही नसीहत आज़ मैं अपने बेटे को देता हूं!
         ईद हो या दीवाली, खुशियों पर बच्चों का ही आधिपत्य होता है ! हम जाने क्यों बड़े होते हैं? बड़े होते ही हमारे होठों से मुस्कराहट और आखों से नींद छिन जाती है ! अपनी पलकों में खुशियों की सारी कहकशां भर कर जब बच्चे सो रहे होते हैं, तो उनके मां बाप अगले दिन भी यही खुशी बरकरार रखने के लिए जाग रहे होते हैं ! हम हमेशा अपने मां और बाप के उस फिक्र के कर्जदार रहेंगे! 
         आज बेटे को ईदी दिया तो मुझे अपने वालिद और वाल्दा याद आ गए ! वालिद साहब पढ़े लिखे नहीं थे, लेकिन अंग्रेजों के शासन में सबको नौकरी मिल जाती थी! मेरी मां ने अपने चारों बेटों को पढ़ाया! उन्होंने अपनी सारी खुशियों को हमारे ख्वाबों में पिरो दिए ! शायद दुनियां की हर मां ऐसी ही होती है ! वो हिन्दू और मुसलमान नहीं होती !
     आखिरी लाइन लिखते लिखते मैं जैसे ईद के रोज अपने बचपन में खड़ा था - मां के सामने ! लगा जेसे मां कह रही हो, -  "जिम्मी ! (मेरा प्यार का नाम) सबको सलाम करना, और  फिजूल खर्ची मत करना '' !

     फिर,,,,फिर मैं बड़ा हो गया, और आज तक वो ईद पलट कर दोबारा  नहीं आई! कभी नहीं !!

          ( सुलतान भारती)