Thursday, 10 February 2022

(व्यंग्य चिंतन ) "सखि! वैलेंटाइन आयो रे"

( व्यंग्य "चिंतन")
                      "सखि ! वैलेंटाइन आयो रे "

        आज़ अगर मजनू दिल्ली में होते तो लैला से प्रपोज कर रहे होते, - ' डार्लिंग ! चलती क्या लोदी गॉर्डन ?'
        " क्या करेंगे, चलके हम लोदी गॉर्डन ?"
"घूमेंगे फिरेंगे, किसी झाड़ी में बैठेंगे- और क्या "?
     " बावले हो गए क्या ?  आज चौदह फ़रवरी है ! आज़ के दिन झाड़ी में नहीं बैठ सकते -"!
          " आज़ ऐसा क्या है ?"
" आज़ वैलेंटाइन डे है, वो दिन हवा हुए जब पसीना गुलाब था  ! अमृतकाल  आने से पहले लोग आज के दिन पार्क में वैलेंटाइनमय हो जाते थे, परंतु आज धर्मयोद्धा पार्क और पिकनिक स्पॉट पर जाकर झाड़ी में कंघी मार कर इश्क करने वालों को ढूंढते हैं ! और अगर कोई बरामद हो जाए तो ,,,, गज़ब भयो रामा जुलम भयो रे "!
    " ऐसा क्या करते हैं "?
" प्रेमिका से प्रेमी की कलाई पर राखी बंधवाते हैं !"
"यू मीन ब्रदर सिस्टर !" - मजनूं चिल्लाया -" ओह नो !"
      "एक्सेक्टली येस ! आज़ खतरा है, इसलिए बलम जरा  धर ले धीर जिगरिया में "!
     " ये कहां पे आ गए हम, सरे राह चलते चलते !" मजनूँ ने आह भरी, -' के एफ सी चलते हैं !" 
     " रिस्क मत लो, अब अगर तुम्हें आशिक से सीधे बिग ब्रदर बनने का शौक है तो चलो -!" 
       " हम पुलिस बुलाएंगे !" 
    "  वही लोग पुलिस बुलाकर माहौल खराब करने के जुर्म में हमें अंदर करवा देंगे "!
       " इश्क करने से माहौल कैसे ख़राब होता है ?"
    " चौदह फ़रवरी को इश्क करने से माहौल ख़राब होता है, आगे पीछे इश्क करने से माहौल नॉर्मल रहता है "!
    " बड़ा अजीब इश्क है, एक दिन के लिए बगुला भगत हो जाता है -!"
         " कंट्रोल मजनू कंट्रोल "- लैला ने समझाया -" एक दिन उपवास कर लेने से इश्क को बदहजमी नहीं होगी"!
        मजनू की हैरानी वाजिब है ! लेकिन सिक्के का दूसरा पहलू देखिए ! उन मौसमी आशिकों के बारे में क्या कहेंगे जिनके इश्क में ख़ास 14 फरवरी के आस पास ही  ज्वार भाटा आता है ! साल भर उनका इश्क कोमा में रहता है, मगर जैसे ही 14 फरवरी नज़दीक आती है, इश्क रजाई से बाहर आ जाता है ! अब इश्क में इतना करंट सा जाता है कि - जलाए न जले और बुझाए न बुझे -  ! इश्क बेकाबू हो रहा है, क्योंकि उसने अभिव्यक्ति की आज़ादी सूंघ ली है ! अब वो  झाड़ी में बैठ कर अपनी वैलेंटाइन अभिव्यक्त करेगा तभी उसके इश्क का कार्बन दूर होगा ! क्या क्या न सहे जुल्म सितम इश्क के खातिर ! जब तक पार्क में छुप कर इश्क का इज़हार नहीं कर लेता ,- मुझे नींद न आए मुझे चैन न आए - जैसी बेचैनी बनी रहेगी !
               इस बार चुनाव और वैलेंटाइन साथ साथ आ गया है, विरोध करने वाले भी जनता के साथ वैलेंटाइन की चाहत में आवाज़ लगा रहे हैं, - " तेरे प्यार का आसरा चाहता हूं -"! सब अपने अपने झोले में वेलेंटाइन लेकर बाटने आए हैं । चुनाव के मौसम में हर नेता के आश्वासन में फाइबर बढ़ जाता है ! चुनाव के बाद पांच साल तारणहार अपनी बैलेंस शीट दुरूस्त करते हैं !
         मैं वैलेंटाइन नही मनाता ! चौधरी भी वेलेंटाइन के सख्त खिलाफ है! कल घर आकर पूछ रहा था,- " उरे कू सुन भारती, कूण सा त्यौहार बैलन के गैल आयो है ! कोई ' टांय टांय' सा नाम सै -"!
      "वेलेंटाइन तो नहीं ?"
     " हम्बे ! नू लगे -  अक - थारे दिल में भी वेलेंटाइन घुसो बैठा सै !  यू हमेशा चौदह फ़रवरी कू ही रौला क्यूं काटे ?"
       " त्योहार हो या रिश्ता, अंग्रेज लोग एक दिन से ज्यादा नहीं ढोते! फादर डे, मदर डे, फ्रेंड्स डे, गुड फ्राइडे, एनिवर्सरी डे, फ़ूल डे, हग डे- ! उसी तरह वेलेंटाइन डे! अगले दिन सारी खुमारी एक साल के लिए शीत निद्रा में चली जाती है ! चौधरी! इस उम्र में  वेलेंटाइन  को  लेकर राल  टपकाना ठीक नहीं है " ! 
             चौधरी नाराज़ होकर चला गया, और मैं वेलेंटाइन को लेकर सोचने लगा ! मेरे गाँव में शादी से पहले ' वेलेंटाइन मय ' होना चरित्रहीनता थी ! गांव के बुर्जुग लोग लौंडे पर कड़ी नज़र रखते थे ! शादी से पहले  ' वेलेंटाइन' की ओर झांकने की परंपरा थी - न  सुविधा ! सीधे मन मंदिर में बीबी का आगमन होता था ! बीबी को ही वेलेंटाइन मान कर छाती पर पत्थर रख लेते थे ! शादी तय होने तक गांव का युवा बड़ी संदिग्ध नजरों से देखा जाता था !  गाँव के बुजुर्ग इश्क़ के बजाय लौंडे को ही 'कमीना' मानते थे ! तब 'नाक' का कद इश्क़ से काफ़ी बड़ा था!
   अब इश्क तभी विश्वसनीय माना जायगा, जब १४ फ़रवरी को वैलेंटाइन के साथ नज़र आए । आज का इश्क शायद साल में 14 फ़रवरी  को ही रिचार्ज होता है ! आज़ जन्नत में बैठी शीरीन गुस्से में फरहाद से कह रही होगी -" लानत है तुम पर ! पहाड़ काट कर  मुझे  इश्क  में   कैसा बेवकूफ़ बनाया  !! न कभी वेलेंटाइन मनाया - न  बुद्धा गार्डेन ले गए !! कयामत के रोज मैं तुम पर ' लव जिहाद ' का केस करुंगी " !!

           तब से फरहाद ये सोच सोच कर सदमे में है कि अगर 14 फरवरी वाली वैलेंटाइन ही असली  इश्क़ है ,  तो बाकी  364 दिन मैंने जो किया- वो क्या था !! 
                  कंफ्यूजन बना हुआ है !!

          । ।।।।             ।।।।।।।

1 comment:

  1. इस बार चुनाव और वैलेंटाइन साथ साथ आ गया है, विरोध करने वाले भी जनता के साथ वैलेंटाइन की चाहत में आवाज़ लगा रहे हैं, - " तेरे प्यार का आसरा चाहता हूं -"! सब अपने अपने झोले में वेलेंटाइन लेकर बाटने आए हैं । चुनाव के मौसम में हर नेता के आश्वासन में फाइबर बढ़ जाता है ! चुनाव के बाद पांच साल तारणहार अपनी बैलेंस शीट दुरूस्त करते हैं !
    बहुत शानदार व्यंग्य।

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