कहानी '' शिनाख्त"
(दिल्ली और एनसीआर में हुए "गैंगवॉर" पर आधारित )
उपन्यासकार - सुलतान भारती
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(Synopsis) * वन लाईन स्टोरी*
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कहानी तीन दोस्तों ( जमशेद खान, जाट विजय कसाना और सरदार जसपाल सिंह) की मीटिंग से शुरू होती है ! झुग्गी झोपड़ी वाली डोंगा बस्ती की जमीन को लेकर उनके बीच विवाद इतना बढ़ गया कि जमशेद राणा ने विजय कसाना जाट को गोली मार दी ! गुस्से में किए गए इस कत्ल के ज़िम्मेदार जमशेद और जसपाल कराड़ा को तब भनक तक नहीं थी कि विजय कसाना गैंगेस्टर संजय पहलवान का सगा भाई है ! लाश तेज़ाब में गला कर सीवर में बहा दी जाती है ! संजय पहलवान भाई की तलाश में डोंगा बस्ती की दोनों पैरों से अपंग बल्लू देवी से मिलता है जो बस्ती की कई लड़कियों को पास के फाइव स्टार होटल में सप्लाई करती थी ! यहीं संजय को मजबूर लड़की जुगनू का सुराग मिलता है जो अपने दोनों छोटे भाइयों को पढ़ाने के लिए जिस्मफरोशी के धंधे में उतर गई थी! एक ग्राहक बन कर संजय कसाना जुगनू से मिला , जुगनू की कहानी से संजय का दिल पसीज गया ! तीन राज्यों में मोस्ट वांटेड गैंगस्टर ने जुगनू को अपने विशेष लहज़े में प्रपोज किया, - ' इब मेरी बात सुण ! जवानी की हाट ( बाज़ार) मत लगा - एक खाट चुन ले !" सीधी सादी जुगनू ने उस दिन संजय कसाना की खाट चुन ली !
उधर जमशेद राणा और जसपाल कराड़ा चुनाव के बाद पार्षद से विधायक बन जाते हैं, और संजय कसाना गैंग को खत्म करने के लिए है पुलिस पर दबाव बढ़ाते हैं ! संजय पहलवान ने अज़मेर जानें के लिए दिल्ली आए जमशेद खान के बाप गुलशेर खान को कुतुब मीनार के पासदिन दहाड़े मरवा दिया ! अब शुरु हुआ अपराधियों और कातिलों को ढूंढ ढूंढ कर अपने गैंग में शामिल करने का निराला टैलेंट हंट ! और इस कोशिश में जमशेद की गैंग में यूपी से दो डकैत रंजू तिवारी और जहीर पट्टा दिल्ली लाए गए! तीन राज्यों का इश्तिहारी मुजरिम गुरजंट खालसा भी जमशेद की गैंग में आया ! संजय कसाना के गैंग में साधारण शक्ल सूरत और दुबले पतले शरीर का दुर्दांत अपराधी राजस्थान का जबीरा पारदी फरार होकर दिल्ली आ पहुंचा ! धुंआ धार गैंगवॉर शुरू हुआ ! एक दूसरे के बिजनेस पार्टनर, रिश्तेदार और शूटर्स को ढूंढ ढूंढ कर मारा जाने लगा ! सबसे पहले रंजू उर्फ़ रंजना तिवारी और जहीर पट्टा ने संजय के सबसे करीबी और खतरनाक शूटर सतवीर जाट को उड़ाया ! जबीरा ने जवाब में जहीर पट्टा को बम मार कर खत्म कर दिया !
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पुलिस सूत्रों से प्राप्त जानकारी का फायदा उठाकर जमशेद और जसपाल ने नायाब साजिश रची ! संजय पहलवान के सगे ममेरे भाई को भारी लालच देकर संजय को अकेले बुलवाया ! साजिश के सूत्रधार इंस्पेक्टर जयपाल सिरोही ने ये सूचना जमशेद खान को पहुंचा दिया! खान ने गुरजंट खालसा और रंजू तिवारी को भेज कर संजय कसाना की उस वक्त हत्या करवा दी , जब संजय अपने मामा के लड़के रूपी पहलवान को समझाने अकेले फार्म हाउस पहुंचा था ! ( संजय पहलवान की आदत थी की फिरौती और वसूली के करोड़ों रुपए को डबल बेड में रख कर उस पर जुगुनू के साथ सोता था ! दिल्ली एनसीआर में ऐसे दो बेड थे और हर बेड में दो सौ करोड़ रखे थे ! उस रात मारे जाने से पहले ही संजय ने अपने ममेरे भाई को गोली मार दी थी! )
अब संजय पहलवान गैंग की कमान जुगुनू और जबीरा पारदी के हाथ में आती है ! राज्य सरकार को गिराने के षड्यंत्र और सबूत मिलने पर जमशेद खान को अपने पद से इस्तीफ़ देना पड़ा और गिरफ्तारी से पहले ही अंडर ग्राउंड हो गया ! अगले दिन गुरु नानक देव के जुलूस में शामिल होकर जबीरा ने जसपाल कराड़ा की हत्या कर दी ! फिर एक हफ़ते बाद रात में साधु के वेष में दिल्ली से फरार होने की कौशिश में राना जमशेद खान अपने तीन शूटर के साथ मारा गया ! जबीरा और जुगुनू ने संजय पहलवान की हत्या का बदला लेने के लिए एक नाटक रचा और इंस्पेक्टर जयपाल सिरोही को नोट वाले करोड़पति बेड का सुराग देने का लालच दिया ! थाने के ठीक सामने जूता पॉलिश करने का ठीया लगाकर जबीरा इं सिरोही पर नज़र बनाए हुए था ! साजिश कामयाब हुई और एक महीने बाद जबीर और जुगुनू ने 200 करोड़ नोटों से भरे बेड पर लिटा कर इंस्पेक्टर जयपाल सिरोही को ज़िंदा ही जला दिया। ( पोलिस से हुई मुठभेड़ में उस दिन जुगनू मारी गई जबीरा भाग निकला !) आखिर कार पुरानी दिल्ली के एक होटल मालिक के सुराग देने पर पुलिस के साथ हुई खौफनाक मुठभेड़ में गुरजंट खालसा भी मारा गया, किंतु मोस्ट वांटेड गैंगस्टर रंजू तिवारी आधा घंटे पहले होटल छोड़ चुकी थी !
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जिस दिन दिल्ली पुलिस के हजारों जवान रंजू तिवारी और जबीरा पारदी को ढूंढ रहे थे, गौ हत्या पर कानून बनाने की मांग लेकर पूरे देश के साधू संत दिल्ली पहुंचते हैं। प्रशासन के हाथ पैर फूल जाते हैं। जबीरा पारदी और रंजू तिवारी की खोज में लगी पोलिस के जवान साधू संतो को संभालने लगे! तीसरे दिन संत समागम में आए साधुओं की वापसी में एक जत्था ऐसा भी था़ जिसमें सर का मुन्डन कराए एक युवा साध्वी भजन गा रही थी और एक दुबला पतला साधारण शक्ल सूरत का एक साधु मस्त होकर नाच रहा था ! साध्वी गा रही थी, -' झीनी रे झीनी चदरिया,,,,,,'!
वह रंजू तिवारी और जबीरा पारदी थे !
"शिनाख्त" में और भी बहुत कुछ है। यह एक अनाथ लड़की "भूरी" की कहानी भी है, जो नशे के दलदल में डूबती डोंगा बस्ती के सैकड़ों लोगों के ख्वाबों को एक अलग शिनाख्त देती है ! शिनाख्त मंगी और हनीफे नाम के दो भिखारियों की कहानी है जो भीख के पैसों से कार खरीदने का सपना देखते हैं, और हर बार उनका पैसा कोई न कोई चुरा लेता है ! शिनाख्त जुगुनू की कहानी है जो जिस्मफरोशी पर शर्मिंदा होने की जगह बेलाग होकर कहती है, -- ' मेरा जिस्म ही मेरी पूंजी है! अब मैं कोई ख़्वाब नहीं देखती, और न अपनी टांगों के बीच में इज्ज़त लेकर चलती हूं - ! मैंने अपनी पुरानी शिनाख्त बदल दी है -"!
आखिर में एक शेर के साथ अलविदा कहूंगा -
"शिनाख्त" जुर्म मुहब्बत की दास्तां ही नहीं !
इस समंदर में कई नदियों के अफ़साने हैं !!
( सुलतान ' भारती ')
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