Monday, 28 February 2022

(व्यंग्य भारती) "और,,,,,अब तांत्रिक सेना की मांग "

(व्यंग्य भारती )

"और,,,,अब तांत्रिक सेना की मांग"

      आज सुबह फेसबुक पर मैने अपने एक पत्रकार मित्र की पोस्ट देखी ! पोस्ट में राष्ट्र की सुचिता, संस्कृति और सुरक्षा के लिए चिंतातुर एक विद्वान् ने प्राचीन तांत्रिक सेना की बहाली की मांग की है! तंत्र साधना और तंत्र विद्या जनता के लिए कितनी फायदेमंद और ज़रूरी है, यह इसी बात से पता चलता है कि "जन" और "तंत्र" मिल कर ही 'जनतंत्र ' बनता है ! तान्त्रिक इस रहस्यवाद से वाकिफ हैं तभी बस्ती में रहकर जनतंत्र को मजबूत बनाने में लगे होते हैं !   
         तान्त्रिक पब्लिक का कितना कल्याण करते हैं, ये किसी से छुपा नहीं है ! समाज के हर तबके में ये तांत्रिक ' लोकल'  बाधाओं के लिए ' वोकल' हैं ! इनका एड्रेस यत्र तत्र सर्वत्र व्याप्त है, फिर चाहे प्राइवेट बस हो या पब्लिक शौचालय ! आप कहीं से भी इनका फोन नंबर ले सकते हैं ! इनके बिज़नेस कार्ड में सारी आसमानी प्रेत बाधाओं से मुक्ति का दावा देखिए - "ऊपरी चक्कर, एक तरफा प्यार, व्यापार में घाटा, वशीकरण, भूत प्रेत जिन्न आदि से पीड़ित लोग तुंरत संपर्क करें -  ' सूफी  बाबा कोरोना शाह बंगाली'' ! एक दिव्य तान्त्रिक ने अपनी योग्यता में किसी '' मूठ मरनी" नामक खौफनाक बीमारी का निवारण भी लिखा था ! ( सुधि पाठक क्या मार्गदर्शन करेगें कि ये  "मूठ मरनी" .किस  किस्म  का मर्ज  है और इससे पीड़ित प्राणी करता क्या है ? असल में मेरे पूछने पर एक  ज्ञानी मित्र  "मूठमरनी" का अर्थ कुछ और ही बता रहे हैं !) 
        क्यों ना तंत्र विद्या को स्कूल सिलेबस में शामिल किया जाए , तांत्रिक सेना के बाद शिक्षा में भी क्रांति ज़रूरी है ! तंत्र विद्या 'इन - साइंस ' ऑउट' ! ये साइंस धर्म की सेहत के लिए काफ़ी हानिकारक है! इसी की वजह से  समाज में तान्त्रिक यथोचित विकास नहीं कर पा रहे हैं, और नास्तिक फल फूल रहे हैं ! तांत्रिक सेना इन नास्तिकों पर कड़ी नज़र रखेगी ! मुझे तो अभी से दबे कुचले पतित और दलित तांत्रिकों  का भविष्य अल्ट्रा व्हाइट लग रहा है! बगैर पढ़े लिखे गंवार तान्त्रिक के चेले अगर देश चला सकते हैं, तो तंत्र विद्या में डॉक्ट्रेट करने वाला महा मानव क्या कहर ढायेगा ! अमेरिका के  घुटनों पर बैठे हमारे तांत्रिक से फरियाद कर रहे होंगे, - " रूस का एक कॉन्टिनेंटल परमाणु मिजाइल हमारी तरफ आ रहा है ! फ़ौरन उस पर वशीकरण का प्रयोग कर उसे चीन की तरफ़ मोड़ दें ! तुमको रक्खें राम तुमको अल्ला रखें !! आपकी फ़ीस स्विस बैंक में जा चुकी है गुरुदेव !!"
            देश में इंडियन नेशनल आर्मी के अलावा कई और  सेनाएं जनतंत्र को मजबूत करने में लगी हुई हैं, - मिसाल के तौर पर आदम सेना, करणी सेना, दलित सेना, शिव सेना रणवीर सेना, भीम सेना आदि ! प्रजातंत्र में इन प्राईवेट सेनाओं के अपने अपने वोट बैंक हैं, इसलिए इनकी  ऑक्सीजन  सप्लाई कभी काटी नही जाती ! संविधान में निजी और जातीय फ़ौज रखने का प्रावधान भले न हो पर रखते तो है ! कभी कभी ये सेनाएं जनतंत्र को मजबूत करना छोड़ , सिनेमा हॉल और सरकारी संपत्ति के 'नवीनीकरण' में लग जाती हैं ! ऐसी तंत्र साधना में विघ्न डालने की बजाय पुलिस  दर्शकों  में शामिल हो जाती है !
         तांत्रिक सेना को लेकर मेरा उत्साह बना हुआ है ! इस सेना की उपयोगिता को लेकर मुझे देश और समाज का भविष्य काफ़ी उज्ज्वल नज़र आ रहा है! अगर उम्र का प्रतिबंध नहीं रहा तो मैं भी भरती हो सकता हूं ! इतने बाबा और तान्त्रिक देख चुका हूं कि इस सेना में करियर कामयाब रहेगा। अक्ल से नाबालिग लोग पूछ सकते हैं कि युद्ध में तान्त्रिक सेना क्या बॉर्डर पर जाएगी? क्या वाहियात सवाल है! तान्त्रिक को टैंक के सामने जाने की जरूरत क्या है !! वो तो अपने साधन संपन्न साधना केंद्र में बैठ कर  ' मूठमारण'  का प्रयोग करेगा और टैंक पानी पानी हो जाएगा ! तान्त्रिक सेना का प्रयोग इमरजेंसी में होगा ! दुश्मन देश के प्रधानमन्त्री पर वशीकरण का प्रयोग किया जायेगा और वह अपनी ही जनता को गालियां बकने लगेगा, जनता उसके कपड़े फाड़ देगी !! वशीकरण के प्रयोग से बेलगाम जीडीपी को  वश में किया जा सकता है !  आज अगर तान्त्रिक सेना होती तो यूपी के सांड इतने बेलगाम न होते ! तान्त्रिक वशीकरण का प्रयोग करते और फसल चरती हुई सांड सेना का मुखिया दंडवत होकर किसान से कहता,-  "क्या हुक्म है मेरे आका ? आदेश दीजिए,  आदेश पाते ही ये नंदी सेना चीन और पाकिस्तान की फसल और अर्थव्यवस्था को चर लेगी दस दुश्मन देश स्वाहा !! "
            तान्त्रिक सेना ही नहीं तान्त्रिक थाना भी होना चाहिए! सेना से थाना ज़्यादा उपयोगी सिद्ध होगा ! हर थाने का दारोगा एक तान्त्रिक होगा तो क्षेत्र का चौमुखी विकास होगा और जनता का लोक परलोक दोनों सुधर जाएगा ! गृह क्लेश , सौतन से छुटकारा, एकतरफा प्यार जैसे जटिल केस भी थाने में हल होने लगेंगे। तान्त्रिक दारोगा के होने से  सबसे बड़ा फ़ायदा कोर्ट को होगा , उनके पास कोई केस नहीं जाएगा ! थाने में ही सारा केस निपट जाएगा ! कॉम्प्रोमाइज न करने वाले पक्ष के मुखिया की कपाल क्रिया कर दी जाएगी, और ये दिव्य अनुष्ठान तान्त्रिक रिमोट से करेगा ! गैंगस्टर और डकैत पर वशीकरण चलेगा और वो हथियार फेंक कर भजन गाने लगेंगे,- ' ना लेना न देना मगन रहना  -"!
         तान्त्रिक सेना का महत्व और डिमॉन्ड नाटो सेना से ज्यादा होगा ! तान्त्रिक सेना के आते ही अमेरिका का वर्चस्व खत्म हो जाएगा ! आज अगर यूक्रेन के पास  दो लाख सेना की जगह सिर्फ दो सौ तान्त्रिक होते तो रूसी मिजाइलें मूठमारनी का शिकार होकर वापस मास्को में पड़ी हांफ रही होती। 
                                ( सुलतान भारती) 

Friday, 25 February 2022

( व्यंग्य भारती) " कड़ी नज़र" की धीमी कवायद !

(व्यंग्य भारती)

 "कड़ी नज़र "की सुस्त कवायद"

      अमेरिका कह रहा है कि उसने स्थिति पर कड़ी नज़र रखी हुई है! फ्रांस भी दावा कर रहा है कि उसने भी कड़ी नज़र रखी हुई है। यूके, कनाडा, जर्मनी और दीगर ताकतवर मुल्क भी कड़ी नज़र रखे हुए हैं! नाटो के दूसरे सहयोगी, जिनकी सीमा रूस   से नहीं लगती वो और भी कड़ी नज़र रख रहे हैं ! गिरती  हुई अर्थ व्यवस्था के कारण पाकिस्तान की नजर कुछअर्थ ज़्यादा कमज़ोर हो चुकी है, इसलिए इमरान खान सीधे रूस पहुंच गए ताकि फ़ैसला कर सकें कि कौन सी नजर रखने से लोन लिया जा सकता है। कुछ ऐसे देश भी कड़ी नज़र रखने का दावा कर रहे हैं जो नज़राने से गुजारा करते आए हैं ! बहुत कम देश ऐसे बचे हैं जो कड़ी नज़र नहीं रख पा रहे हैं! ऐसे लोग युद्ध का मानसून देख कर अभी ये फ़ैसला नहीं कर पा रहे हैं कि निंदा करें या कड़ी नज़र रखें ! कहीं ऐसा न हो कि जोश और जल्दबाजी में कड़ी नज़र उठा लें और नज़र फ्रेक्चर हो जाए!
        अमेरिकन राष्ट्रपति जो वाइडन  रोज सुबह उठ कर एक बार कड़ी नज़र रखते हैं ! यूक्रेन के साथ साथ दुनियां को उनका शुक्रगुजार होना चाहिए कि वाणप्रस्थ आश्रम जाने की उम्र में भी वो कड़ी नज़र उठा रहे हैं ! ( इस सादगी पे कौन न मर जाय ऐ खुदा! लड़ते हैं मगर हाथ में तलवार भी नहीं  ! ) हम भी ' वाइडन चच्चा' के स्टैमिना की दाद देते हैं ! एक हमारे वर्मा जी है , अप्रैल में भी दोपहर तक रजाई नही छोड़ते ! दुनियां के कई देश अभी भी कन्फ्यूजन में हैं कि कड़ी नज़र उठाने का शुभ मुहूर्त  आया  या  नहीं। इस  असमंजस  में वो  बार  बार ' कड़ी नज़र' के करीब जाते हैं और फिर बगैर "उठाए" वापस आ जाते हैं! इस कतार में फ्रांस सबसे आगे खड़ा है!  जब कड़े कदम उठाना ' पिनाक' बन जाए तो कड़ी नज़र वाली- 'दो बूंद ज़िंदगी की'- दी जाती है ! युक्रेन को जो वाइडन वही ड्रॉप दे रहे हैं!
        युक्रेन को  अमेरिका क्यों बर्बाद देखना चहता है ! आर्मीनिया और अजरबैजान के बीच हुए जंग में भी वह इसी शिखंडी भूमिका में नज़र आया था, जब टर्की के दिए ड्रोन आर्मीनिया को तबाह कर रहे थे तो अमेरिका और उसके नाटो सैन्य सहयोगी कड़े कदम और कड़ी नज़र रखने की कवायद में लगे हुए थे ! युक्रेन की पीठ ठोंक कर उसे बारूद के हवाले कर अमेरिका जाने पुतिन को क्या "कड़ा सबक" सिखाना चहता है। सद्दाम की पीठ ठोक कर इसी तरह कुवैत पर कब्ज़ा करवाया था और फिर सद्दाम को विलेन साबित कर उसका खात्मा ! यही खेल लीबिया और अफगानिस्तान मे खेला गया! लेकिन इस बार रूस सामने है जो कड़े कदम, कड़ी नज़र और कड़े प्रतिबंध का आलाप  लगाने वालों को सीधे  "ऐतिहासिक अंजाम भुगतने" की धमकी दे रहा है ! ऐसे में यूएस और उसकी चिलम भरने वाले मुल्क कड़ी नज़र से काम चला रहे हैं ! देखो ये कड़ी नज़र की खिचड़ी कब तक पकाई जाती है !
          अमेरिका को दुनियां माफ़ नहीं करेगी! एक हंसते मुस्कराते खुशहाल देश को लोग खंडहर में बदलते देख रहे हैं और इस हालत को पैदा करने वाला अमेरिका कड़ी नज़र और कड़े कदम की लफ्फाजी पर अटका हुआ है ! रणछोड़दास की उसकी ये भूमिका के उलट रूस हलफ और हमला दोनों मोर्चे को और आक्रामक बना रहा है ! अब वो अपने समस्त विरोधिओ  और संभावित दुश्मनों को परमाणु युद्ध की धमकी दे रहा है ! नाटो की थू थू ज़्यादा बढ़ी तो पूर्वी यूरोप के चोर दरवाजों से युक्रेन को हथियार भेजा जानें लगा !
       आख़र लोग  ' कड़ी नज़र' को  रखते कहां हैं जिसे उठाने में इतनी दिक्कत आती है। हम तो समझते थे कि सिर्फ हमारे देश में कड़ी नज़र रखने की परंपरा है ! लेकिन दिखाई पड़ गया कि अमेरिका तक शागिर्द बन चुके है - अब जाके आया मेरे, बेचैन दिल को करार  ! मुझे लगता है कि कड़ी नजर को पास में रखने की बजाय दूर कहीं ताला मार कर रखते हैं, जिससे गुस्सा लगने के बावजूद जल्दी न उठाया जाए!  हमारे देश में भी भी कड़ा कदम उठाने से पहले बड़ी सावधानी और विचार विमर्श किया जाता है! कड़ी नज़र से कड़े कदम उठाने तक कभी कभी सरकार का कार्यकाल पूरा हो जाता है ! कड़ी नज़र को कड़े कदम तक पहुंचने में कितना वक्त लगता है, इसका पता  मिर्ज़ा ग़ालिब को भी था ! तभी तो वो कहते हैं,- आह को चाहिए इक उम्र असर होने तक -'! 
          यूक्रेन की  "आह" को भी एक उम्र की दरकार है, अभी तो जुम्मा जुम्मा आठ दिन भी नहीं हुए ! रहीम खानखाना ने पहले ही कह दिया है, - धीरे धीरे रे मना धीरे सब कुछ होय -'! कड़ी नज़र की बैलगाड़ी चल रही है , इंशा अल्लाह सांस उखड़ने तक कड़े कदम तक पहुंच जायेगी - बलम जरा धीर धरो - ! ( जल्दी का काम शैतान का होता है !) रूस को बड़ी जल्दी पड़ी है ! इतनी जल्दी पाजीपन से परमाणु बम की बातें करने लगा ! हमारे देश में भी सब कुछ बड़े इत्मीनान से होता है! अभी पीछे कोरोणा काल में जब लाखों मजदूर पैदल भागने लगे तो उसपर भी कड़ी नज़र रखी गई थी! शत्रुता वश कोंग्रेस ने उनके लिए बसें भेज दी थी ! राज्य सरकार ने कड़ी नज़र रखी तो- ड्राइविंग लाइसेंस, परमिट, पॉल्यूशन, लाइट, सर्टिफिकेट सब में कोरोना पाया गया! बसें खड़ी रह गईं और मज़दूर पैदल चलने में आत्मनिर्भर होते रहे ! अब उसी तर्ज पर यूक्रेन को आत्म निर्भर होने को मजबूर होना पड़ रहा है! किसान, मजदूर,छात्र , नौकरी पेशा और गृहस्थ से लेकर राष्ट्रपति तक हथियार उठा कर मैदान में उतर रहे हैं!

        यूक्रेन और रूस की तबाही का आंकलन दुनियां कर रही है , इस युद्ध में न उतर कर अमेरिका अब बहुत कुछ खोने जा रहा है ! रूस की फतह से दुनिया में शक्ति
संतुलन की नई परिभाषा तामीर होगी और विश्व बाज़ार से अमेरिकी दबदबे की तस्वीर उतर जाएगी ! यूक्रेन की तबाही के साथ इस जंग का समापन अमेरिकी  वर्चस्व के खात्मे की शुरुआत होगी !     

       ( सुलतान भारती)

Wednesday, 23 February 2022

( व्यंग्य "भारती" ) सिलेंडर "फाइल्स"

  ( व्यंग्य "भारती")
                "सिलेंडर फाइल्स" 

     मैंने कश्मीर फाइल नहीं देखी ! इतनी ब्लंडर मिस्टेक करने के बाद क्या पता मैं जागरूक और बुद्धिजीवी कैटेगरी में रह पाया हूं या तथाकथित 'लिब्रांडू'  होकर रह गया ! ( कुछ सालों से  ऊर्जावान विद्वानों ने खुदाई करके कई शब्द ढूंढ निकाले, और अपने इस योगदान से हिंदी साहित्य को काफी समृद्ध बनाया !) आप घर से  निकलते वक्त नॉर्मल हो सकते हैं, लेकिन  सोशल मीडिया पर महज़ एक पोस्ट डाल कर शाम तक लिब्रांडू हो सकते हैं! तो,,, अब अगर कश्मीर फाइल नहीं देखा, या देख कर चुप रहे तो भी आप लिब्रांडू हो सकते हैं! इन्फेक्शन से बचना है तो कश्मीर फाइल्स देखिए , ये जनहित और जनजागरण के लिए मुफीद बताई जा रही है ! नींबू की तरह आपके दाग दूर कर देगी !! आप लिब्रांडू से फौरन बुद्धिजीवी बन जायेंगे!!
    सरकार चाहती है कि हर नागरिक को कश्मीर फाइल्स देखनी चाहिए !  इससे होने वाले प्रचंड फ़ायदे बहुत हैं ! कई शहर और  सिनेमा हाल में ' फ़ायदा ' नजर आ चुका है !   शायद अभी चीनी कम है , इसलिए  जागरूक नागरिकों से अपील की जा रही है कि सिनेमा हॉल में जाकर फिल्म देखें ! ( फिल्म में 1990 में कश्मीरी पंडितों के ऊपर हुए हमले और उनके विस्थापन को दिखाया गया है ! )  32 साल की लंबी खामोशी के बाद अचानक ये दर्द सतह पर नज़र आया है! उस वक्त देश में वीपी सिंह की सरकार थी जिसे भाजपा ने समर्थन दे रखा था !  कश्मीर के गवर्नर थे जगमोहन  ! ऐसी धर्म संसद के होते हुए भी इतना सब कुछ जाने कैसे हो गया ! अगर 32 साल बाद कश्मीर फाइल्स न बनती तो अपराधी का सुराग ही न मिलता !!
          कुछ बुद्धिजीवी अपना दिमाग़ लगा रहे हैं ! वो सवाल खडा कर रहे हैं,-" बीच में 1990 क्यों नहीं नज़र आया ?" क्या वाहियात सवाल है! वो दोहा नहीं सुना - ' माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आए फल होय -'!  अभी तक 'ऋतु' नहीं आई थी, अब ऋतु आई है तो खैंची भर भर 'फल' प्राप्त हो रहा है ! फल के मामले में कर्नाटक सबसे आगे निकल गया है! फिल्म से विकास और भाईचारे को कितनी दिव्य प्रेरणा मिल सकती है , इसकी कल्पना प्रोड्यूसर को भी नहीं रही होगी ! अब कई और युगपुरुष ऐसी प्रेरक "फाइल्स" बनाने की सोच रहे हैं ! अभी  विकास में जो कमी रह गई है, वो आने वाली 'फाइल्स '  में  पूरी कर दी जाएगी!
     केजरीवाल ने मज़ा किरकिरा कर दिया ! वो सुझाव दे रहे हैं कि अगर सबको फिल्म देखना ज़रूरी है तो क्यों न कश्मीर फाइल्स को नेट पर या सोशल मीडिया पर डाल दिया जाए -! क्यों डाल दें ? फ्री के आगे आपको कुछ सूझता ही नहीं ! सिनेमा हॉल में जाकर, तीन सौ रुपए के टिकट और अस्सी रूपए के पॉपकॉर्न के साथ फिल्म देखने से को विकास और भाईचारे की समझ आती है, वो फ्री में कहां आयेगी !! केजरीवाल जी कह रहे हैं कि फिल्म देखने से बेहतर है कि विस्थापित हुए कश्मीरी पंडितों का पुनर्वास कराया जाए -! काहे जल्दी मचाते हो! धीरे धीरे रे मना धीरे सब कुछ होय -! पहले फिल्म -बाद में पुनर्वास !!
         ( अब बात करते हैं 1990 में हुए अमानवीय नरसंहार की ! उस जुल्म और ज्यादती के गुनहगारों को बक्श देना आईन और इन्सानियत के मुंह पर तमाचा है ! इस्लाम कहता है, - ज़ालिम पर रहम करना मजलूम पर जुल्म करने जैसा है -!! गुनहगारों को जुल्म के हिसाब से सजा मिलनी चाहिए , और विस्थापितों का पूरी ईमानदारी के साथ पुनर्वास होना चाहिए ! लेकिन स्थान और व्यक्ति  विशेष की जगह सैकड़ों किलोमीटर दूर एक संप्रदाय विशेष को निशाना बनाने से इंसाफ की नीयत पर शंका स्वाभाविक है ! यह फिल्म अधूरा आईना है, जो इंसाफ  और  इंसान  को   भ्रमित और   दिशाहीन  कर रही है !)
          और,,,,, फिल्म को फ्री में देखने के नुकसान ज़्यादा हैं !  नेट या सोशल मीडिया पर फ्री में ये फ़िल्म दिखाने से विकास और भाईचारे में उछाल आने की जगह संक्रमण हो सकता  हैं! मान लो प्राणी घर के अंदर अपने फ़ोन पर कश्मीर फाइल्स देख रहा है ! इतने में डिलीवरी ब्वॉय एलपीजी गैस सिलेंडर लेकर आता है , उसका बढ़ा हुआ दाम सुनकर फिल्म का मज़ा ही किरकिरा हो सकता है ! अब घर के मालिक का दिमाग़ विकास और भाईचारे से फिसल कर मंहगाई की ओर जा सकता है! इसलिए हे केजरीवाल बाबू ! जनहित और जनजागरण के लिए फ्री का मोह त्याग दो !

          'तमसो मा ज्योतिर्गमय' का अनुसरण करो !!

                      ( सुलतान भारती ) 

Wednesday, 16 February 2022

(व्यंग्य भारती) " हिजाब" पर हाय हाय !

(व्यंग्य भारती)
                 " हिजाब" पर  हाय हाय !

         अरे भइया ! ये जो सियासत है - ये उनका है काम! हिजाब का जो, बस जपते हुए नाम ! मरवा दें, कटवा दें- करवा दें बदनाम !! तो सुन लो खासोआम !! हिजाब के मामले में हैंडल विद केयर !! 
      आज ऐसा लग रहा है गो यूया देश मे पहली  बार हिजाब देखा गया है ! कुछ लोगों का दर्द देख कर तो ऐसा लगता है जैसे कोरोना से भी उन्हें इतनी तकलीफ़ नहीं हुई जितनी हिजाब से है ! कोरोना से बचने के लिए जब चेहरा ढक रहे थे उस वक्त उनकी आस्था को इन्फेक्शन नहीं हो रहा था ! पर आज अचानक हिजाब देख कर आस्था, पढ़ाई और संविधान तीनों खतरे में पड़ गये हैं ! पांच राज्यों में चुनाव की आहट आते ही कर्नाटक सरकार को अचानक आकाशवाणी हुई कि कुछ छात्राओं के हिजाब में आने से ड्रेस कोड, अनुशासन और शिक्षा का ऑक्सीजन लेवल नीचे जा रहा है ! बस अनुशासन और शिक्षा का स्तर उठाने के लिए फ़ौरन हिजाब पर रोक लगा दी गई ! राज्य की पुलिस दूसरे विकास कार्यों मे  लगी  थी, इसलिए  रोक  पर  अमल करने के लिए   'गमछाधारी शांतिदूतों' को बाहर से बुलाकर कॉलेज में नियुक्त किया गया ! इन "दूतों" का रेवड़ पूरी निष्ठा से एक अकेली  "शांति" के पीछे गमछा लेकर दौड़ता रहा!
         बस फिर क्या था ! सियासत की हांडी में नफ़रत की खिचड़ी पकने लगी ! सोशल मीडिया यूनिवर्सिटी जाग उठी और गूगल पर रिसर्च करने वाले कोमा से बाहर निकल आए! ( हालांकि इन विद्वानों ने पहले भी हजारों बार हिजाब देखा था, पर तब उन्हें पता नहीं था कि यह चीज़ चुनाव, समाज और देश के लिए घातक है ! ) कुरआन से लंबी दूरी रखने वाले विद्वान भी सवाल करने लगे -" बताओ कुरान में कहां लिखा है कि हिजाब लगाना चाहिए-" ! विद्वता की इस अंताक्षरी में इतिहास खोदा जा रहा था ! नफ़रत के ईंधन से  टीआरपी को ऑक्सीजन दी जा रही थी! चैनल डिबेट चला कर हिजाब को "मुस्लिम बहनों" के भविष्य और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बताया जा रहा था ! अभी भी चुनाव में उतरी  पार्टियां जनहित में समुद्र मंथन कर रही हैं ! तारणहार  अपने  अपने बयानों का  हलाहल'  "अमृत" बता कर परोस रहे हैं ! हिजाब मुक्त पढ़ाई के लिए हर चैनल पर शास्त्रार्थ जारी है ! देश को  "विश्व गुरू" बनाने का लक्ष्य 10 मार्च से पहले पूरा करना है !
         पहली बार पता चला कि ' हिजाब '-  मुस्लिम बहनों" की तरक्की में कितना घातक है! हिजाब विरोधी विशेषज्ञ बता रहे हैं कि इसे लगाते ही छात्राएं २२वीं सदी से मुड़ कर सीधा गुफा युग में चली जाती हैं! इसी हिज़ाब की वजह से मुस्लिम बहनें घरों में कैद होकर रह गईं हैं ! न डिस्को में जा रही हैं, न कैबरे कर पा रही हैं और न बिकिनी पहन कर  "टेलेंट" दिखा पा रही हैं ! हिजाब ने तरक्की के सारे रास्ते बंद कर दिए - अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी  -! हिजाब लगाते ही  टैलेंट 75 साल पीछे चला गया - कब आएगा मेरे बंजारे -!  मुस्लिम बहनो की  "आजादी और तरक्की"  के लिए शोकाकुल लोग कॉलेज के गेट पर ही हिजाब उतारने के लिए तैयार खड़े हैं ! हिजाब देखते ही वह गमछा उठा कर  " बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ"-  का कल्याणकारी अभियान शुरू कर देते हैं ! अगर कोई दबंग लड़की उनके इस 'शिष्टाचार' का विरोध करती है तो समाज और देश की तरक्की रुकने लगती है !
            "हिजाब" - चुनाव के पहले चरण में सिर्फ़ तरक्की विरोधी था, दूसरे चरण में संविधान विरोधी हो गया। १६ फरवरी आते आते इसमें से आतंकवाद की दुर्गंन्ध आने लगी ! हर अंधा अपने अपने दिव्य दृष्टि का 
का प्रयोग कर रहा है ! आगे आगे देखिए होता है क्या!
कोई हिजाबी प्रधान मंत्री बनाने की हुंकार भर रहा है, तो कोई " कयामत तक हिजाब वाले पीएम" के सामने बुल्जडोजर लेकर खड़ा होने का संकल्प ले रहा है ! कुछ नेता और संक्रमित चैनलों को हिजाब के एक तरफ शरिया  और दूसरी तरफ संविधान खड़ा नज़र आ रहा है ! मुसलमान सकते में है, क्योंकि अब तक उन्हें भी नहीं पता था कि हिजाब इतना गजबनाक और गैर कानूनी हो चुका है ! हिजाब की बिक्री का सेंसेक्स टारगेट से ऊपर जा रहा है। शरिया और हिजाब से अब तक अनभिज्ञ कई धर्मयोद्धा  हिजाब के समर्थन और विरोध में उतर पड़े हैं ! इस धार्मिक जन जागरण से कई दुकानदारों की अर्थव्यवस्था मजबूत हो  रही है !
      तीसरे दौर का चुनाव सामने है, और नेता दुखी हैं !  हिजाब की मथानी से मक्खन कम मट्ठा ज्यादा निकल रहा है ! जनता नोकरी, रोजगार, शिक्षा और सुकून चाहती है - लेकिन सांता क्लॉज के थैले से -हिजाब, घूंघट और पगड़ी निकल रही है ! चुनाव से पहले बस यही दे सकते हैं ! अभी सात मार्च तक यही मिलेगा, इसलिए - बलम जरा धीर धरो ! जीते जी जन्नत अफोर्ड नहीं कर पाओगे, दे दिया तो मानसिक संतुलन खो बैठोगे ! आपस के इसी धर्मयुद्ध ने  देश को  ' जवाहर लाल' से ' मुंगेरी लाल'  तक  पहुंचाया है ! विकास के अगले चरण में महिलाओं को  ' लक्ष्मी बाई'  से  ' जलेबी बाई'  की  ओर ले जाया जाएगा ! तब तक ताल से ताल मिला -!!
 
                     ( सुलतान भारती)

Thursday, 10 February 2022

(व्यंग्य चिंतन ) "सखि! वैलेंटाइन आयो रे"

( व्यंग्य "चिंतन")
                      "सखि ! वैलेंटाइन आयो रे "

        आज़ अगर मजनू दिल्ली में होते तो लैला से प्रपोज कर रहे होते, - ' डार्लिंग ! चलती क्या लोदी गॉर्डन ?'
        " क्या करेंगे, चलके हम लोदी गॉर्डन ?"
"घूमेंगे फिरेंगे, किसी झाड़ी में बैठेंगे- और क्या "?
     " बावले हो गए क्या ?  आज चौदह फ़रवरी है ! आज़ के दिन झाड़ी में नहीं बैठ सकते -"!
          " आज़ ऐसा क्या है ?"
" आज़ वैलेंटाइन डे है, वो दिन हवा हुए जब पसीना गुलाब था  ! अमृतकाल  आने से पहले लोग आज के दिन पार्क में वैलेंटाइनमय हो जाते थे, परंतु आज धर्मयोद्धा पार्क और पिकनिक स्पॉट पर जाकर झाड़ी में कंघी मार कर इश्क करने वालों को ढूंढते हैं ! और अगर कोई बरामद हो जाए तो ,,,, गज़ब भयो रामा जुलम भयो रे "!
    " ऐसा क्या करते हैं "?
" प्रेमिका से प्रेमी की कलाई पर राखी बंधवाते हैं !"
"यू मीन ब्रदर सिस्टर !" - मजनूं चिल्लाया -" ओह नो !"
      "एक्सेक्टली येस ! आज़ खतरा है, इसलिए बलम जरा  धर ले धीर जिगरिया में "!
     " ये कहां पे आ गए हम, सरे राह चलते चलते !" मजनूँ ने आह भरी, -' के एफ सी चलते हैं !" 
     " रिस्क मत लो, अब अगर तुम्हें आशिक से सीधे बिग ब्रदर बनने का शौक है तो चलो -!" 
       " हम पुलिस बुलाएंगे !" 
    "  वही लोग पुलिस बुलाकर माहौल खराब करने के जुर्म में हमें अंदर करवा देंगे "!
       " इश्क करने से माहौल कैसे ख़राब होता है ?"
    " चौदह फ़रवरी को इश्क करने से माहौल ख़राब होता है, आगे पीछे इश्क करने से माहौल नॉर्मल रहता है "!
    " बड़ा अजीब इश्क है, एक दिन के लिए बगुला भगत हो जाता है -!"
         " कंट्रोल मजनू कंट्रोल "- लैला ने समझाया -" एक दिन उपवास कर लेने से इश्क को बदहजमी नहीं होगी"!
        मजनू की हैरानी वाजिब है ! लेकिन सिक्के का दूसरा पहलू देखिए ! उन मौसमी आशिकों के बारे में क्या कहेंगे जिनके इश्क में ख़ास 14 फरवरी के आस पास ही  ज्वार भाटा आता है ! साल भर उनका इश्क कोमा में रहता है, मगर जैसे ही 14 फरवरी नज़दीक आती है, इश्क रजाई से बाहर आ जाता है ! अब इश्क में इतना करंट सा जाता है कि - जलाए न जले और बुझाए न बुझे -  ! इश्क बेकाबू हो रहा है, क्योंकि उसने अभिव्यक्ति की आज़ादी सूंघ ली है ! अब वो  झाड़ी में बैठ कर अपनी वैलेंटाइन अभिव्यक्त करेगा तभी उसके इश्क का कार्बन दूर होगा ! क्या क्या न सहे जुल्म सितम इश्क के खातिर ! जब तक पार्क में छुप कर इश्क का इज़हार नहीं कर लेता ,- मुझे नींद न आए मुझे चैन न आए - जैसी बेचैनी बनी रहेगी !
               इस बार चुनाव और वैलेंटाइन साथ साथ आ गया है, विरोध करने वाले भी जनता के साथ वैलेंटाइन की चाहत में आवाज़ लगा रहे हैं, - " तेरे प्यार का आसरा चाहता हूं -"! सब अपने अपने झोले में वेलेंटाइन लेकर बाटने आए हैं । चुनाव के मौसम में हर नेता के आश्वासन में फाइबर बढ़ जाता है ! चुनाव के बाद पांच साल तारणहार अपनी बैलेंस शीट दुरूस्त करते हैं !
         मैं वैलेंटाइन नही मनाता ! चौधरी भी वेलेंटाइन के सख्त खिलाफ है! कल घर आकर पूछ रहा था,- " उरे कू सुन भारती, कूण सा त्यौहार बैलन के गैल आयो है ! कोई ' टांय टांय' सा नाम सै -"!
      "वेलेंटाइन तो नहीं ?"
     " हम्बे ! नू लगे -  अक - थारे दिल में भी वेलेंटाइन घुसो बैठा सै !  यू हमेशा चौदह फ़रवरी कू ही रौला क्यूं काटे ?"
       " त्योहार हो या रिश्ता, अंग्रेज लोग एक दिन से ज्यादा नहीं ढोते! फादर डे, मदर डे, फ्रेंड्स डे, गुड फ्राइडे, एनिवर्सरी डे, फ़ूल डे, हग डे- ! उसी तरह वेलेंटाइन डे! अगले दिन सारी खुमारी एक साल के लिए शीत निद्रा में चली जाती है ! चौधरी! इस उम्र में  वेलेंटाइन  को  लेकर राल  टपकाना ठीक नहीं है " ! 
             चौधरी नाराज़ होकर चला गया, और मैं वेलेंटाइन को लेकर सोचने लगा ! मेरे गाँव में शादी से पहले ' वेलेंटाइन मय ' होना चरित्रहीनता थी ! गांव के बुर्जुग लोग लौंडे पर कड़ी नज़र रखते थे ! शादी से पहले  ' वेलेंटाइन' की ओर झांकने की परंपरा थी - न  सुविधा ! सीधे मन मंदिर में बीबी का आगमन होता था ! बीबी को ही वेलेंटाइन मान कर छाती पर पत्थर रख लेते थे ! शादी तय होने तक गांव का युवा बड़ी संदिग्ध नजरों से देखा जाता था !  गाँव के बुजुर्ग इश्क़ के बजाय लौंडे को ही 'कमीना' मानते थे ! तब 'नाक' का कद इश्क़ से काफ़ी बड़ा था!
   अब इश्क तभी विश्वसनीय माना जायगा, जब १४ फ़रवरी को वैलेंटाइन के साथ नज़र आए । आज का इश्क शायद साल में 14 फ़रवरी  को ही रिचार्ज होता है ! आज़ जन्नत में बैठी शीरीन गुस्से में फरहाद से कह रही होगी -" लानत है तुम पर ! पहाड़ काट कर  मुझे  इश्क  में   कैसा बेवकूफ़ बनाया  !! न कभी वेलेंटाइन मनाया - न  बुद्धा गार्डेन ले गए !! कयामत के रोज मैं तुम पर ' लव जिहाद ' का केस करुंगी " !!

           तब से फरहाद ये सोच सोच कर सदमे में है कि अगर 14 फरवरी वाली वैलेंटाइन ही असली  इश्क़ है ,  तो बाकी  364 दिन मैंने जो किया- वो क्या था !! 
                  कंफ्यूजन बना हुआ है !!

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Wednesday, 9 February 2022

" शिनाख्त " ( " गैंग वॉर" पर आधारित )

कहानी          '' शिनाख्त"
 (दिल्ली और एनसीआर  में हुए "गैंगवॉर" पर आधारित )

उपन्यासकार  -  सुलतान भारती
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   (Synopsis)      * वन लाईन स्टोरी*
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       कहानी तीन दोस्तों ( जमशेद खान, जाट विजय कसाना और सरदार जसपाल सिंह) की मीटिंग से शुरू होती है ! झुग्गी झोपड़ी वाली डोंगा बस्ती की जमीन को लेकर उनके बीच विवाद इतना बढ़ गया कि जमशेद राणा ने विजय कसाना जाट को गोली मार दी ! गुस्से में किए गए इस कत्ल के ज़िम्मेदार जमशेद और जसपाल कराड़ा को तब भनक तक नहीं थी कि  विजय कसाना   गैंगेस्टर संजय पहलवान का सगा भाई है ! लाश तेज़ाब में गला कर सीवर में बहा दी जाती है !  संजय पहलवान भाई की तलाश में डोंगा बस्ती की दोनों पैरों से अपंग  बल्लू देवी से मिलता है जो बस्ती की कई लड़कियों को पास के फाइव स्टार होटल में सप्लाई करती थी ! यहीं  संजय को मजबूर लड़की जुगनू का सुराग मिलता है जो अपने दोनों छोटे भाइयों को पढ़ाने के लिए जिस्मफरोशी के धंधे में उतर गई थी! एक ग्राहक बन कर संजय कसाना जुगनू से मिला , जुगनू की कहानी से संजय का दिल पसीज गया ! तीन राज्यों में मोस्ट वांटेड गैंगस्टर ने जुगनू को अपने विशेष लहज़े  में प्रपोज किया, - ' इब मेरी बात सुण ! जवानी की हाट ( बाज़ार) मत लगा - एक खाट चुन ले !"   सीधी सादी  जुगनू ने उस दिन संजय कसाना की खाट चुन ली !
          उधर जमशेद राणा और जसपाल कराड़ा चुनाव के बाद पार्षद से  विधायक बन जाते हैं, और संजय कसाना गैंग को खत्म करने के लिए है पुलिस पर दबाव बढ़ाते हैं ! संजय पहलवान ने अज़मेर जानें के लिए दिल्ली आए जमशेद खान के बाप गुलशेर खान को कुतुब मीनार के पासदिन दहाड़े मरवा  दिया ! अब शुरु हुआ अपराधियों और कातिलों को ढूंढ ढूंढ कर अपने गैंग में शामिल करने का निराला टैलेंट हंट ! और इस कोशिश में जमशेद की गैंग में यूपी से दो डकैत रंजू तिवारी और जहीर पट्टा दिल्ली लाए गए! तीन राज्यों का इश्तिहारी मुजरिम गुरजंट खालसा भी जमशेद की गैंग में आया ! संजय कसाना के गैंग में साधारण शक्ल सूरत और दुबले पतले शरीर का दुर्दांत अपराधी राजस्थान का जबीरा पारदी फरार होकर दिल्ली आ पहुंचा ! धुंआ धार गैंगवॉर शुरू हुआ ! एक दूसरे के बिजनेस पार्टनर, रिश्तेदार और शूटर्स को ढूंढ ढूंढ कर मारा जाने लगा ! सबसे पहले रंजू उर्फ़ रंजना तिवारी और जहीर पट्टा ने संजय के सबसे करीबी और खतरनाक शूटर सतवीर जाट को उड़ाया ! जबीरा ने जवाब में जहीर पट्टा को बम मार कर खत्म कर दिया ! 
               ,,,,,,,,,,,,,, (  इंटरवल ),,,,,,,,,,

   पुलिस सूत्रों से प्राप्त जानकारी का फायदा उठाकर जमशेद और जसपाल ने नायाब साजिश रची ! संजय पहलवान के सगे ममेरे भाई को भारी लालच देकर संजय को अकेले बुलवाया ! साजिश के सूत्रधार इंस्पेक्टर जयपाल सिरोही ने ये सूचना जमशेद खान को पहुंचा दिया! खान ने गुरजंट खालसा और रंजू तिवारी को भेज कर संजय कसाना की उस वक्त हत्या करवा दी , जब संजय अपने मामा के लड़के रूपी पहलवान को समझाने अकेले फार्म हाउस पहुंचा था ! ( संजय पहलवान की आदत थी की फिरौती और वसूली के करोड़ों रुपए को डबल बेड में रख कर उस पर जुगुनू के साथ सोता था ! दिल्ली एनसीआर में ऐसे दो बेड थे और हर बेड में दो सौ करोड़ रखे थे ! उस रात मारे जाने से पहले ही संजय ने अपने ममेरे भाई को गोली मार दी थी! )
      अब संजय पहलवान गैंग की कमान जुगुनू और जबीरा पारदी के हाथ में आती है ! राज्य सरकार को गिराने के षड्यंत्र और सबूत मिलने पर जमशेद खान को अपने पद से  इस्तीफ़ देना पड़ा और गिरफ्तारी से पहले ही अंडर ग्राउंड हो गया ! अगले दिन गुरु नानक देव के जुलूस में शामिल होकर जबीरा ने जसपाल कराड़ा की हत्या कर दी ! फिर एक हफ़ते बाद  रात में साधु के वेष में दिल्ली से फरार होने की कौशिश में राना जमशेद खान अपने तीन शूटर के साथ  मारा गया ! जबीरा और जुगुनू ने संजय पहलवान की हत्या का बदला लेने के लिए एक नाटक रचा और इंस्पेक्टर जयपाल सिरोही को नोट वाले करोड़पति बेड का सुराग देने का लालच दिया ! थाने के ठीक सामने जूता पॉलिश करने का ठीया लगाकर जबीरा इं सिरोही पर नज़र बनाए हुए था ! साजिश कामयाब हुई और एक महीने बाद जबीर और जुगुनू ने 200 करोड़ नोटों से भरे बेड पर लिटा कर इंस्पेक्टर जयपाल सिरोही को ज़िंदा ही जला दिया। ( पोलिस से हुई मुठभेड़ में उस दिन जुगनू मारी गई जबीरा भाग निकला !) आखिर कार पुरानी दिल्ली के एक होटल मालिक के सुराग देने पर पुलिस के साथ हुई खौफनाक मुठभेड़ में गुरजंट खालसा भी मारा गया, किंतु मोस्ट वांटेड गैंगस्टर रंजू तिवारी आधा घंटे पहले होटल छोड़ चुकी थी !
                 ,,,,,,,,,,,  द एंड,,,,,,,,,
   जिस दिन दिल्ली पुलिस के हजारों जवान रंजू तिवारी और जबीरा पारदी को ढूंढ रहे थे,  गौ हत्या पर कानून बनाने की मांग लेकर पूरे देश के साधू संत दिल्ली पहुंचते हैं। प्रशासन के हाथ पैर फूल जाते हैं। जबीरा पारदी और रंजू तिवारी की खोज में लगी पोलिस के जवान साधू संतो को संभालने लगे! तीसरे दिन संत समागम में आए साधुओं की वापसी में एक जत्था ऐसा भी था़ जिसमें सर का मुन्डन कराए एक युवा साध्वी भजन गा रही थी और एक दुबला पतला साधारण शक्ल सूरत का एक साधु मस्त होकर नाच रहा था ! साध्वी गा रही थी, -' झीनी रे झीनी चदरिया,,,,,,'! 
         वह रंजू तिवारी और जबीरा पारदी थे !

          "शिनाख्त" में  और भी बहुत कुछ है। यह  एक अनाथ लड़की "भूरी" की कहानी भी है, जो नशे के दलदल में डूबती डोंगा बस्ती के सैकड़ों लोगों के ख्वाबों को एक अलग शिनाख्त देती है ! शिनाख्त मंगी और हनीफे नाम के दो भिखारियों की कहानी है जो भीख के पैसों से  कार खरीदने का सपना देखते हैं, और हर बार उनका पैसा कोई न कोई चुरा लेता है ! शिनाख्त जुगुनू की कहानी है जो जिस्मफरोशी पर शर्मिंदा होने की जगह बेलाग होकर कहती है, -- '  मेरा जिस्म ही मेरी पूंजी है!  अब मैं कोई ख़्वाब नहीं देखती, और न अपनी टांगों के बीच में इज्ज़त लेकर चलती  हूं - !  मैंने अपनी पुरानी शिनाख्त बदल दी है -"!

          आखिर में एक शेर के साथ अलविदा कहूंगा -

"शिनाख्त" जुर्म मुहब्बत की दास्तां ही नहीं !
इस  समंदर में कई नदियों के  अफ़साने हैं !!

                    ( सुलतान ' भारती ')