अब इसमें मेरा क्या कसूर ! शाम को अच्छा भला था, सुबह बारिश होते ही बौरा गया । मैने अपने दिल से बात चीत शुरू की, -' हाय ! कैसे हो !'
' तुम से मतलब ?'
" काहे भैंसे की तरह भड़क रहे हो ! मैने तो सिर्फ हाल चाल पूछा है - ! शाम को तुम नॉर्मल थे, सुबह का मानसून देख कर भड़के हुए हो, दिले नादान तुझे हुआ क्या है !'
" जहां बेदर्द मालिक हो वहां फरियाद क्या करना ! काश मैं किसी आशिक के जिस्म में होता ! मजनू, फरहाद - रोमियो में से किसी के बॉडी में फिट कर देते, पर किस्मत की सितमज़री देखो , लेखक के पहलू में डाल दिया ! दुनियां बनाने वाले क्या तेरे मन में समाई !"
मुझे हंसी आ गई, - ' अब बगावत करने से क्या हासिल होगा ! आख़री वक्त में क्या ख़ाक मुसलमा होंगे ! तुम्हें तीस साल पहले सोचना चाहिए था !"
" बस यही तो रोना है ! मुझे सोचने की सलाहियत नहीं दी गई। तुम्हारे सर के अंदर जो सलाद भरा है, वो तय करता है कि मुझे कब रोना हैऔर कब आत्मनिर्भर होना है ! तुम्हारे पल्ले बंध कर रोना रूटीन हो गया और आत्मनिर्भरता ख़्वाब "!
" दिल को संतोषी होना चाहिए"!
" दिल पर दही की जगह नींबू मत टपका ! अभी जाने कब तक सजा काटनी होगी ! जिंदगी में कोई चार्म नहीं रहा ! लेखक का दिल होना किसी अभिशाप से कम नहीं है ! हमें काश तुमसे मोहब्बत न होती "!
''' गोया तुम्हें अभी भी मुझसे मोहब्बत है !"
''' मुहब्बत और लेखक से ! मैं इतना भी मूर्ख नहीं ! "आखिर तुम्हें एक लेखक से इतनी नफ़रत क्यों है?"
" तुम्हे पता है कि जिस्म का हर अंग रेस्ट करता है, सिर्फ दिल को ऐसी सजा दी गई है कि उसे दिन रात जागते रहना है ! मेरी ट्रेजेडी ये है कि मैं लेखक के जिस्म में हूं और लेखक जल्दी मरते ही नहीं "!
" क्या बकवास है !!"
" बकवास नहीं सच है, तुमने कभी किसी लेखक को सत्तर अस्सी साल से पहले मरते हुए देखा ?"
" मेरे पास इसका कोई रिकॉर्ड नहीं, पर तुम्हें किसी लेखक के बारे में ऐसा नहीं कहना चाहिए "!
" क्यों नहीं कहना चाहिए, जिस आदमी का किसी बैंक में सेविंग अकाउंट तक न हो, वो विजय माल्या और नीरव मोदी के खातों के जांच करवाने के लिए परेशान हो तो बुरा तो लगेगा ही "!
" लेखक खुदा की बनाई हुई वो रचना है, जो समाज और सत्ता का प्रदूषण दूर करने में उम्र खर्च कर देता है ! वो अतीत से ऑक्सीजन लेता है और वर्तमान से नाखुश रहता है ! दुनियां के लिए भविष्य की अपार संभावनाओं की तलाश करने वाला लेखक अक्सर अपने बच्चों को खूबसूरत भविष्य नहीं दे पाता ! हकीकत में वो वर्तमान समाज का पंखहीन फरिश्ता है !"
" अपनी तारीफ कर रहे हो ! बाई द वे, तुम्हें लेखक होने की सलाह किसने दी थी ?"
" यही तो रोना है कि ये सलाह किसी ने नहीं दी ! इस दरिया ए आतिश में उतरने का फ़ैसला मेरा ही था !"
दिल बड़बड़ाया, - " जैसा करम करोगे वैसा फल देगा भगवान "!
हर इंसान के दिल की बनावट एक जैसी होती है, लेकिन कुंडली एक जैसी नहीं होती है । करने वाला दिमाग़ होता है, लेकिन इल्जाम दिल पर लगता है ,- शादी शुदा थे, लेकिन अपने से आधी उम्र की लड़की पर दिल आ गया ! दिल ही तो है !! इसमें खां साहब का क्या कुसूर ? दिल के हाथों मजबूर हो गए"! ( पता लगा कि दिल के हाथ पैर भी होते हैं !)
आदमी गुनाह करने के बाद भी बेकसूर बताया जाता है! सारी गलती दिल की होती है ! सुपारी काटने से लेकर सजा काटने तक सारा कुकर्म दिल करता है तो फिर शरीर का क्या कुसूर ! लेकिन इसके बावजूद दिल के बारे में दलील दी जाती है - दिल तो बच्चा है जी -! अस्सी साल तक जिसका बचपना न जाए , वो कुसूरवार
नहीं माना जायेगा ! इसका फायदा उठाकर दिल एक से एक खुराफात करता रहता है, - टकरा गया तुमसे दिल ही तो है -! दिल और दिमाग़ में ज़्यादा खुराफाती कौन है, इसे लेकर साहित्यकारों और साइंसदानों में सदियों से बहस छिड़ी ! वैज्ञानिक कहते हैं , जब पूरा शरीर दिमाग़ के आधीन है तो दिल की क्या बिसात ! ऐसे में - दिल बेचारा बिन 'सजना' (दिमाग़) के माने न -!
इंसान जानबूझ कर दिल को कटघरे में खड़ा करता है, - ये दिल ये पागल दिल मेरा,,, करता फिरे आवारगी -! ' मैंने तो दिल के हाथों मजबूर होकर तीसरी शादी कर ली -! अच्छा तो गोया दिल ने गला दबा दिया था ! दिले नादान तुझे हुआ क्या है! इतनी गुंडा गर्दी का सबब क्या है -! इतना आग मूतेगा तो हार्ट फेल होना ही है ! लोग दिल की आड़ में कितनी पिचकारी चलाते हैं ! हमारे एक परिचित के दिमाग में 'हनुमान ग्रंथि' उग आई है ! वो हमेशा अपने मित्रों की 'इमेज़ ' के लंका दहन में ही लगे होते हैं ! वो भी सारा किया धरा दिल पर मढ देते हैं - दिल है कि मानता नहीं -!!
बच के रहना रे बाबा - दिल तो छुट्टा (सांड) है जी !!
( सुलतान भारती)
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