( व्यंग्य "भारती")
हम 'फेंकेंगे' तो फेंकोगे कि ''फेंकता" है -----------------------
मुबारक हो, किसी ने तो दम लगा कर ऐसा फेंका कि बड़े बड़े फेंकू धूल फांकने लागे ! टोकियो में भी एक से एक फेंकने वाले आए थे , जिनका फेंकने में बड़ा नाम था ! लेकिन नीरज चौपड़ा ने जब फेंका तो सारे फेंकने वाले कोमा में चले गए। तब से फेंकने वालो को यही सदमा खाए जा रहा है कि आखिर नीरज चोपड़ा को इतना लंबा फेंकने के लिए प्रेरणा कहां से मिली ! उनके प्रेरणा स्रोत को जानने के लिए पूरा विश्व सर पटक रहा है , और भारत वाले ऐसे मुस्करा रहे हैं गोया कह रहे हों - ' इशारों को अगर समझो राज को राज रहने दो -!' कभी कभी फेंकना देश हित में होता है ! अब तो हर भारतीय गर्व से कह सकता है कि - फेंकने में भी हमारा कोई मुकाबला नहीं ! हम फेंकने पर आ जाएं तो,,,, सुनो सुनो ओ दुनियां वालो, चाहे जितना ज़ोर लगा लो ! सबसे आगे होंगे हिन्दुस्तानी -'!
नीरज ने जैवलिन ( भाला) क्या फेंका पूरा देश सोशल मीडिया पर फेंकने में लग गया ! फेंकने वालों को फेंकने का बहाना चाहिए ! भीगे उपले की तरह जाने कब से सुलग रहा दिल एक दम से धुआं देने लगा ! बस टोकियो की आड़ में सोशल मीडिया पर ओलंपिक शुरु हो गया ! कुछ विद्वानों ने ऐसी ऐसी पोस्ट फेंकी कि नीरज चोपड़ा भी कन्फ्यूज हो कर इस सोच में पड़ गया ,- जब मुझ से भी लंबा फेंकने वाले थे तो मुझे क्यों भेजा गया -!' इस फेंका फांकी में अनायास ही फेसबुक के ओलंपियन नीरज की उपलब्धि को बौना करने में लगे थे ! फेंकने की शाश्वत परंपरा में ये बिलकुल निचले पायदान पर जमी 'काई' थी जो खुद को गिराने के लिए काफ़ी थी !
वो एक ऐतिहासिक क्षण था जब नीरज भाला लेकर दौड़ा ! उसके भाले की रफ्तार के साथ करोड़ों भारतीयों की दुआएं भी परवाज़ कर रही थीं ! उसी भाले को दुनियां किसी अलग नज़र से देख रही थी और भारत में सोशल मीडिया के महापुरुष किसी और नज़र से ! फेंकने, उड़ने और लपेटने का मैराथन शुरु हो गया ! सोशल मीडिया पर उड़ता भाला किसी को ज़ख्मी कर रहा था तो किसी को गुदगुदा रहा था ! लोग फेंक फेंक कर इतने गर्वित थे गोया 2024 की जीत का दरवाजा यहीं से खुल रहा हो ! दिल को बहलाने का गालिब खयाल अच्छा है ! 'नीरज' चोपड़ की जीत को सेलिब्रेट करने की बजाय लोग हवा में नज़र आ रहे " नानाजी" पर भाला फेंकने में लगे हुए थे ! इसी फर्जी ' ओलंपिक' से कई लोगों का ऑक्सीजन और शुगर लेवल ठीक हो रहा था ! फेंकने का टूर्नामेंट शुरू हो गया।
फेंकता हर कोई है, किसी को टार्गट कंफर्म होता है तो कोई हवा में फेंकता है । जो कामयाब होता है, उसका तुक्का भी जनता को तीर नज़र आता है! फेंकने की गति, दिशा और कामयाबी - कॉन्फिडेंस पर निर्भर करती है ! और,,,, अच्छे नस्ल का कॉन्फिडेंस सत्ता में आने पर ही अंकुर लेता है ! सिंहासन बत्तीसी पर बैठने वाले पहले भी फेंका करते थे ! नब्बे के दशक में फेंकने वालो ने क्या नारा फेंका था, - चार कदम सूरज की ओर -! दिल्ली छोड़ कर वहां सूरज पर जाने क्या करने जा रहे थे ! जनता में नारा फेंक कर 'नर पति' सो गए मगर सूरज घबरा कर सोचने लगा, - खुदा खैर करे, दिल्ली छोड़ कर मेरे पास क्या करने आ रहे हैं -! कहीं सदरी में समंदर तो नहीं भर रखा है -'?
फेंकने वालों को फेंकने का बहाना चाहिए ! कल 'वर्मा जी' मोहल्ले में फेंक रहे थे ,- ' एक पत्रकार पूरी कॉलोनी को प्रदूषित कर सकता है ! अच्छा होगा कि मैं खुद मोहल्ला छोड़ कर कहीं और चला जाऊं -'! पास में खड़े दूध वाले चौधरी ने आग में घी डाल दिया,- ' कद लिकड़ रहे यहां ते ! ट्रक कौ खर्चा म्हारी तरफ़ ते !' वर्मा जी नजरों से ही भाला फेंक कर चलते बने ! फेंकना फितरत में शामिल हो जाए तो लाइलाज है। ऐसे फेंकने वाले शहर से गांव तक फैले हैं ! देहात का आदमी शहर से लौट कर गांव में फेंकता है,- ' जिस फैक्ट्री में काम करता हूं उनकी लड़की मुझे देखते ही फिदा हो गई थी !' मगर गांव वाले ऐसे फेंकू को कभी सेरियसली नहीं लेते !जब भी किसी फेंकू को संजीदगी से लिया जाता है तो "कृपा " वहीं अटक जाती है ! इश्क में नाकाम आशिक की कल्पना शक्ति गजब की होती है ! सुनने वाले कुआंरे लौंडे हफ्तों पैरों में तकिया दबाकर करवटें बदलते है !
हर आदमी मौका पाकर फेंकता है ! हमारे देश में हारने वाला ज्यादा फेंकता है ! इमेज का डैमेज कंट्रोल का मामला हो या छवि चमकाने का , दोनों सूरतों में फेंका जाता है। फेंकने के लिए इश्क और सियासत बड़ी पोटेंशियल जगह है ! यहां नाकाम लोग तबियत से फेंक कर गैस खारिज़ करते हैं ! रिश्ता तय करते वक्त वर और वधू पक्ष हैसियत से ज़्यादा फेंकते हैं ! तो,,,, फेंकने पर इतना मत फेंको कि भाला पलट कर बूमरेंग हो जाए ! सियासत में कोई पहली बार नहीं फेंक रहा है, एक से एक रिकॉर्डधारी गुजरे हैं ! आप भी हॉर्न बजाते रहें - जगह मिलने पर 'साइड' दी जायेगी ! तब जो मुंह में आए फेंक लेना ! एक शेर मैं भी फेंकता हूं ---
पेश्तर इसके कि हम उंगली उठाएं गैर पर !
अपनी सीरत का गिरेबां देख लेना चाहिए !!
(सुलतान भारती)
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