Tuesday, 10 August 2021

व्यंग्य ("भारती") आज का "एकलव्य"

                " आज  का एकलव्य "

               महारथी द्रोण ने स्पोर्ट सेक्रेटरी को बुला कर आदेश दिया, - ' धनुर्विद्या के सारे स्टूडेंट को एस.एम.एस भेजो, सुबह सारे लोग लाक्षागृह स्टेडियम के ग्राउँड  टाइम पर पहुंचें ! नो एनी एक्सक्यूज़ !!' सचिव ने पूछ लिया ' ऐसी कौन सी इमरजेंसी है सर ! ओलंपिक को तो अभी तीन साल बाकी हैं !"
   ' इसी सोच के चलते गोल्ड मेडल को तरस जाते हो ! नो आरगूमेंट  इन दिस रिगार्ड ! जो कहा है करो !" इतना कहकर कोच द्रोणाचार्य अपनी कार की ओर चले गए !
उनके जाने के बाद कैंटीन के शेफ ने सेक्रेटरी से पूछा, -'का हो शुकुल ! चीफ साहेब काहे फायर हो रहे हैं ?'
       " ओलंपिक चैंपियन पैदा कर रहे हैं ! कल पांडव और कौरव दोनों खानदान के तीरंदाज़ को ग्राउण्ड में बुलाया है ! लेकिन ये हाथी के दिखाने वाले दांत हैं ! मामला कुछ और है !" 
      " ऐसा क्या"?
" बीस साल से इनका कैरेक्टर स्कैन कर रहा हूं! ये हस्तिनापुर के नहीं सिंहासन के वफादार हैं ! राजनीति में कमजोर विपक्ष का होना किसी कारावास से कम दुखदाई नहीं होता ! द्रोण जी बड़े माहिर खिलाड़ी हैं "!
     " मैं समझा नहीं भइया ?"
" अरे वर्मा जी ! मामला जलेबी की तरह सरल है ! द्रोण जी  पिछले बीस साल से कोच बने हुए हैं - कोऊ होय नृप हमें का हानि -! पांडव और कौरव दोनों एक दूसरे के प्रबल विरोधी, और ये दोनों दलों के पूज्यनीय ! जुए की आड़ में कोई हारे या किसी महिला का चीर हरण हो , ये सत्ता के साथ बने होते हैं ! लगता है मामला कुछ और है! दाल में कुछ काला है वर्मा जी "!
" आप को ऐसा क्यों लगता है "?
  " हम तो बादल की जगह हवा की  नमी परख कर ही मानसून का मिजाज़ परख लेते हैं!"
      " अब आप क्या करेंगे ?"
    " स्टिंग ऑपरेशन ! उनके कांफ्रेंस हॉल में खुफिया कैमरा लगा देता हूं ! कल भांडा फूट जाएगा "!
        लेकिन अगले दिन द्रोण ने प्लान चेंज कर दिया ! स्टेडियम की बजाय धनुर्धर अर्जुन को अपने बंगले पर बुला कर पूछा -' ये एकलव्य कौन है जानते हो ?'
       " क्लस्टर कॉलोनी का कोई दलित धनुर्धारी है जो बांस की तीर धनुष से ओलंपियन होने की प्रैक्टिस कर रहा है"!
     " कभी आमना सामना हुआ है ?"
 " आई डोंट बोदर गुरु जी ! ऐसे छोटे लोगों का तो मैं प्रणाम भी नहीं स्वीकारता ! मामला क्या है ?"
     " मामला गंभीर है, दो साल पहले पड़ोसी राज्य के एक दलित नेता का लेटर लेकर ये लड़का एकलव्य मेरे दफ़तर में आया था ! मैने उसका बायोडाटा और परफॉर्मेंस देखी - गज़ब का धनुर्धारी है ! उसे ओलंपिक टीम में शामिल करने पर एक गोल्ड मेडल पक्का है ! तभी मैंने फैसला कर लिया था कि देश के किसी भी स्टेडियम में उसे घुसने नहीं दूंगा ! एकलव्य तुम्हारे करियर के लिए कोरोना है "!
       " तो अब तक वो हस्तिनापुर में कर क्या रहा है गुरुदेव ? उस पर  'रासुका' लगा कर फ़ौरन अंदर काहे नाहीं करते !"
   ' क्रोध नहीं कौन्तेय ! मानसून बदल गया है- अब किसी दलित के साथ खुले आम दबंगई नहीं कर सकते ! और "कृष्ण" के होते ये संभव नहीं है ! कुछ और करना होगा "!
       " उसकी बस्ती पर बुल्डोजर चलवा दो ! और भी कई ऑप्शन हैं गुरु जी -, डीडीए से सर्कुलर जारी करवाओ या फिर पूरी बस्ती को वनविभाग की संपत्ति घोषित करवा दो "!
        " नहीं हो सकता , तुम्हारा फार्म हाउस भी वहीं पर है - अर्जुन समझा करो "!
         " तो फिर उसे अर्बन नक्सली घोषित कर सीधे एनकाउंटर करवा दो"! 
     " अगर ऐसा हुआ तो मरणासन्न विपक्ष को तुरंत  ऑक्सीजन सिलेंडर मिल जाएगा अर्जुन ! मामले की गंभीरता को - जानम समझा करो - ! सुना है  एकलव्य मेरी मूर्ति लगाकर धनुष विद्या सीख रहा है  ! मेरी परमीशन के बगैर  ?"
      " फिर तो  उस पर सीधा राजद्रोह का केस बनता है ! बगैर किसी मुकदमे के बीस साल के लिए अंदर करवा दो ! या फिर इसका नाम अलकायदा को फंडिंग करने वालों के साथ नत्थी कर दो "!
        " कहा न  कि कृष्ण जी के होते ऐसा कुछ नहीं हो सकता वत्स ! लेकिन ठहरो, एक रास्ता है ! सांप भी मर जाएगा और लाठी भी नहीं टूटेगी ! एकलव्य ! मैं आ रहा हूं -अब तो तू गया !!"
         " कैसे ?"
   " मैं उससे गुरु दक्षिणा मांगूगा " !  
        " जो चाचा श्री देते हैं उससे पेट नहीं भरता क्या ! ये भीख मांगने की आदत अच्छी नहीं है।"
          " मैं आटा नही अंगूठा मांगने जा रहा हूं वत्स ! अब तुम प्रैक्टिस छोड़ो और किसी बढ़िया प्राइवेट हॉस्पिटल की तलाश करो ! सर्जन अपने फेवर का होना चाहिए!. अंगूठा ऐसा काटे कि चौबीस घंटे में पूरे हाथ में इंफेक्शन हो जाए जिस से तीसरे दिन पूरा हाथ काटना पड़े ! इस बार गुरुदक्षिणा में पूरा हाथ चाहिए !  अपने  सारे दरबारी चैनल कल हॉस्पिटल में होने चाहिए ! कल हमारे फेवरिट चैनल दिन भर  गुरुदक्षिणा में अंगूठा देने वाले दलित शूरवीर की प्रशंसा करते रहें !"
            '' इस विज्ञापन से क्या होगा ?''
    " दूसरे मूर्ख शिष्यों को अंगूठा देने की प्रेरणा मिलेगी , अर्जुन समझा करो "!

       लेकिन,,,,,रातों-रात पांसा पलट गया था ! अगली सुबह जब द्रोण एकलव्य की बस्ती में पहुंचे तो वहां का मंज़र देख कर उनके पैरों के नीचे से जैसे जमीन ही खिसक गई ! जहां कल तक उनकी मूर्ति लगी थी, वहां 'बाबा भीम राव अम्बेडकर     की मूर्ति नज़र आ रही थी और एकलव्य को सम्मानित करते हुए खुद युवराज दुर्योधन दलित जनसभा को संबोधित करते हुए माइक पर ऐलान कर रहे थे , - ' आप लोगोँ ने मेरा जो सम्मान किया  है, मैं अभिभूत हूँ ! आने वाले ओलंपिक में हस्तिनापुर से इस बार ओलंपिक दल के मुखिया होंगे- हमारे  मित्र धनुर्धारी एकलव्य कुमार ! कल से अपने सारे काम छोड़कर शाही कोच गुरु महारथी द्रोणाचार्य  एकलव्य को ट्रेनिंग देने आया  करेंगे ! " 
            सुन कर  गुरु द्रोण को चक्कर आ गया !  मंच पर फूल मालाओं से लदे योगीराज कृष्ण के होंठों पर मुस्कराहट देख कर द्रोणाचार्य को सारा खेल  समझ में  आ गया था  ! 
   समय "चक्र" ने अपना काम कर दिया था !

                                     ( सुलतान भारती )

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