Saturday, 24 July 2021

           
                 अबुल हाशिम  और  " परवाज़"

अबुल हाशिम की पूरी ज़िंदगी साहस, संघर्ष और सफलता का एक मजमुआ है जो हजारों ख्वाब को परवाज़ देने में सक्षम है ! लेखक की ज़िंदगी पगडंडी से शुरू होकर पत्थर की सीढियों से गुजर कर अपने मंजिले मकसूद तक जाने का एक अविष्मरणीय सफरनामा है !
        लेखक ने गज़ब की भाषा अपनाई है जो पाठकों को परवाज़ के आखिरी पन्नों तक अपने तिलिस्म में बांध कर रखती है ! किताबों की कायनात में  "परवाज़" एक मशाल भी है और एक मिसाल भी ! पढ़ने के बाद हर पाठक मेरे इस दावे से सहमत होगा।

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