अबुल हाशिम और " परवाज़"
अबुल हाशिम की पूरी ज़िंदगी साहस, संघर्ष और सफलता का एक मजमुआ है जो हजारों ख्वाब को परवाज़ देने में सक्षम है ! लेखक की ज़िंदगी पगडंडी से शुरू होकर पत्थर की सीढियों से गुजर कर अपने मंजिले मकसूद तक जाने का एक अविष्मरणीय सफरनामा है !
लेखक ने गज़ब की भाषा अपनाई है जो पाठकों को परवाज़ के आखिरी पन्नों तक अपने तिलिस्म में बांध कर रखती है ! किताबों की कायनात में "परवाज़" एक मशाल भी है और एक मिसाल भी ! पढ़ने के बाद हर पाठक मेरे इस दावे से सहमत होगा।
No comments:
Post a Comment