सतयुग में दैहिक दैविक भौतिक संताप नही था, इसलिए डॉक्टर और अस्पताल नहीं होते थे ! तब लोग नार्मल मौत मरते थे, बीमारी थी ही नहीं ! कालचक्र
चलता चलता दोबारा कलयुग पर आकर रुक गया है ! कांग्रेस के लए कलियुग में आयातित दैहिक दैविक भौतिक बीमारियों से अब देश मुक्त हो चुका है ! इसलिए कोई प्राणी 'आटा' या 'ऑक्सीजन' की कमी से नहीं मरेगा ! किंतु सत्ता वनवास झेल रहे विपक्ष ने आरोप लगाया है कि अप्रैल और मई में सैकड़ों लोग ऑक्सीजन की कमी से मर गए ! यह सरासर सफ़ेद झूठ है ! देश में ऑक्सीजन की कमी से एक भी मौत नहीं हुई ! देश में इतनी ऑक्सीजन है कि कभी कभी सिलेंडर में ब्लॉस्ट हो जाता है ! इस तरह ऑक्सीजन की अधिकता से लोग मर जाते हैं ! ग्रामीण बहनों में चल रही 'उज्ज्वला योजना' भी इस बात का प्रमाण है कि देश में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है !
मरने वालों को मरने का बहाना चाहिए। कोरोना से नही मरे तो ऑक्सीजन सिलेंडर निगल लिया। देश में न तो ऑक्सीजन देने वाली गाय की कमी है न ही पीपल की ! फिर भला कोई ऑक्सीजन की कमी से कैसे मर सकता है ! थोडा बहुत ऑक्सीजन कम पड़ भी जाती तो आम,महुआ, बबूल और कींकर से ले लेंगे ! अकेले यूपी में इतने पेड़ पौधे हैं कि पूरे देश को ऑक्सीजन दे सकता है ! महानगरों में भी शायद ही कोई अस्पताल होगा जहां पीपल या बंदर न उपलब्ध हों ! ये दोनों जनहित में हैं ! एक से ऑक्सीजन मिलती है दूसरे से आस्था - मरीज़ मर ही नहीं सकता ! और अगर इतनी सुविधा के बाद भी कोई मर गया तो उस की जांच होनी चाहिए, क्या पता अपोजिशन ने उसे मरने के लिए मोटिवेट किया हो !
जो लोग सरकार पर इल्ज़ाम लगा रहे हैं कि अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से लोग मरे हैं ! उनके ऊपर एफआईआर दर्ज होनी चाहिए ! प्रूफ क्या है, मरने के बाद क्या मुर्दे ने बयान दिया था या यमराज ने बिसरा रिपोर्ट भेजी है ? ये सरासर झूठ है! देश में सिलेंडर की कमी हो सकती है, ऑक्सीजन की नही ! बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण का अभियान चलाया जा रहा है , फिर काहे हल्ला मचाते हो ! दूसरी लहर में एक भी आदमी ऑक्सीजन की कमी से नहीं मरा ! जो गंगा में बहते हुए बंगाल की ओर जा रहे थे, उनमें से किसी एक का बयान दिखा दो ! एक भी स्टेटमेंट है किसी के पास ? ये सब विपक्ष की साजिश है जो विकास देख कर अंट संट बोल रहा है !! सीधा सा मामला है - एक्सपायरी डेट आई - मर गए ! इसमें ऑक्सीजन की क्या गलती ! कितने डॉक्टर सिलेंडर पर लेटे लेटे भवसागर पार कर गए ! वहां किसको दोष दें ?
इसलिए ज़्यादा बकर बकर मत करो ! जब से विपक्ष के बरगलाने पर किसानों ने आन्दोलन शुरू किया है, तब से खाद्य संकट काफी बढ़ गया है ! जनता भूख से मर रही है और बेचारा कोरोना मुफ्त में बदनाम हो रहा है ! खुद किसान काजू खा रहा है, और जनता को 'कुम्हड़ा' भी नसीब नहीं ! कांग्रेस को ऐसा अन्याय नहीं करना चाहिए ! उन्हें मंहगाई और भुखमरी से हुई मौत के लिए अविलंब देश से माफ़ी मांगनी चाहिए ! हम विपक्ष का दर्द समझ रहे हैं ! धृतराष्ट्र को भी यही बीमारी थी -"सत्ता मोह" ! अब जनता और ईवीएम माता का आशीर्वाद किसे मिलेगा ये तो - देवो न जाने कुतो विपक्ष: !! तुम्हारे छाती पीटने से सतयुग नहीं जाने वाला ! धीरज से काम लो , बनवास लंबा है !
पहले जब ऑक्सीजन सिलेंडर फट जाते थे, तब किसी ने नहीं कहा कि ऑक्सीजन की वजह से मौत हुई ! (गैस तो गैस है - ऑक्सीजन हो या एल.पी.जी.!) हमने कभी कमी नहीं होने दी ! तो फिर काहे इतना बड़ा झूठ बोलते हो ! विपक्ष को प्रायश्चित करना चाहिए ! रही मरने की बात तो पहले भी लोग मरा करते थे ! द्वापर त्रेता और कलियुग में भी वायरस आते थे , पर कोई सत्ता पर ऑक्सीजन की कमी का इल्ज़ाम नही लगाता था ! ऑक्सीजन के लिए ईश्वर ने गाय, पीपल और जंगल पैदा कर दिया है ! ऑक्सीजन की जिम्मेदारी ईश्वर की है, सरकार की नहीं ! हम अर्थव्यवस्था संभाले या ऑक्सीजन सिलेंडर ! ये तो हमारी महानता है कि हम कांग्रेस के द्वारा ऊसर बना दी गई भूमि को उपजाऊ बनाने में लगे हैं ! ( और कोई होता तो झोला उठा कर चला गया होता !)
मृत्यु शाश्वत सत्य है ! रजिस्टर में प्राणी की एक्सपायरी डेट देखते ही यमराज अपने भैंसे से बोल पड़ते हैं, - "चलो रे डोली उठाओ कहांर-!" अब तुम चाहे पूरा ऑक्सीजन सिलेंडर रोगी के मुंह में घुसेड़ दो , तो भी कुछ नहीं हो सकता ! वक्त से पहले कोई नहीं मरता और एक्सपायरी डेट के बाद कोई नहीं चलता ! तो इसमें ऑक्सीजन के होने या न होने का आरोप क्यों ! वो कहावत नही सुनी,- हिल्ले रोज़ी बहाने मौत-! ऑक्सीजन तो बहाना था ,असल में बंदे को मौत के साथ डेट पर जाना था ! इसलिए हे सत्ता का अज्ञातवास काटने वाले राजहंस ! ऐसा आरोप मत लगाओ कि ऑक्सीजन की कमी के चलते लोगों की मौत हुई थी ! ऑक्सीजन की कहीं कोई कमी नहीं है , अस्पताल में न शमशान में ! तीसरी लहर कॉलबेल बजा रही है-खोलो प्रियतम खोलो द्वार-! चुनाव समझ कर दरवाजा मत खोल देना ! अभी तुम्हारी ग्रहदशा ठीक नहीं चल रही ! ऐसी मन:स्थिति में अक्सर कोरोना में पेगासस और पेगासस में कोरोना दिखाई देता है!
इस मानसून में निर्गुण गाइए - मन रे ! काहे न धीर धरे - !
( सुलतान भारती )